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Title | Subject | Paper |
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संक्षेप में समाचार | ||
दीव: भारत का पहला सौर ऊर्जा संचालित जिला | economy, | GS Paper 3, |
भारत में तंबाकू द्वारा उत्पन्न संकट | Polity and governance , | GS Paper 2, |
न्यायिक सेवा के लिए 3 वर्ष की कानूनी सेवा अनिवार्य | Polity and governance , | GS Paper 2, |
UNDRR द्वारा GAR 2025 जारी किया गया | international Relation, | GS Paper 2, |
प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE) | Polity and governance , | GS Paper 2, |
केंद्रशासित प्रदेश दीव, 11.88 मेगावाट की उत्पादन क्षमता हासिल करके, अपनी 100% बिजली की आवश्यकताओं को सौर ऊर्जा से पूरा करने वाला भारत का पहला जिला बन गया है।
भारत अब पुरुषों में कैंसर की घटनाओं एवं मृत्यु दर में विश्व स्तर पर पहले स्थान पर है, जो उच्च तंबाकू उपयोग और हानिकारक उत्पादों की बढ़ती सामर्थ्य के कारण है।
भारत में तंबाकू की लत उद्योग की रणनीति के साथ विकसित हो रही है। इस खतरे से निपटने के लिए बहु-क्षेत्रीय समन्वय, आक्रामक विनियमन और सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है ताकि तंबाकू मुक्त भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।
हाल ही में अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ बनाम भारत संघ मामले में दिए गए निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायिक सेवा में प्रवेश के लिए न्यूनतम तीन वर्ष की कानूनी सेवा को अनिवार्य शर्त के रूप में बहाल कर दिया है।
हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यालय (United Nations Office for Disaster Risk Reduction- UNDRR) ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण (GAR) 2025 पर वैश्विक मूल्यांकन रिपोर्ट जारी की, जिसका शीर्षक है:- ‘लचीलापन लाभदायक है: हमारे भविष्य के लिए वित्तपोषण एवं निवेश’ (Resilience Pays: Financing and Investing for our Future)।
GAR 2025 जोखिम-सूचित विकास की दिशा में प्रतिमान बदलाव की तत्काल आवश्यकता को पुष्ट करता है। भारत जैसे देशों के लिए, जलवायु-परिवर्तन से प्रभावित विश्व में जीवन, अर्थव्यवस्थाओं और पारिस्थितिकी तंत्रों की सुरक्षा के लिए बुनियादी ढाँचे, वित्त तथा जलवायु नीतियों को आपदा अनुकूलन के साथ जोड़ना आवश्यक है।
बचपन की प्रारंभिक परिस्थितियाँ बच्चे के विकास को आकार देती हैं। हालाँकि प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (Early Childhood Care and Education-ECCE) सुविधा सभी बच्चों को समान अवसर देकर विषमता संबंधी चक्र को तोड़ सकती है।
ECCE एवं अभिभावकों की भागीदारी में निवेश करना प्रत्येक बच्चे की क्षमता को उजागर करने, अंतर-पीढ़ीगत नुकसान को समाप्त करने और मानव पूँजी विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है। यह भारत के लिए वर्ष 2047 तक वैश्विक अग्रणी के रूप में उभरने और एक सच्चे विश्व गुरु बनने के भारत के सपने को साकार करने की नींव रखता है।
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