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Title | Subject | Paper |
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संक्षेप में समाचार | ||
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान | social issues, | GS Paper 1, |
भारत में AI रेडीनेस असेसमेंट मेथोडोलॉजी | Science and Technology, | GS Paper 3, |
स्ट्रेटोस्फेरिक एरोसोल इंजेक्शन | disaster management, | GS Paper 3, |
भारत में अनिवार्य लाइसेंसिंग | Science and Technology, | GS Paper 3, |
भारत का पवन ऊर्जा क्षेत्र | economy, | GS Paper 3, |
आपदा रोधी अवसंरचना पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (ICDRI) 2025 | disaster management, | GS Paper 3, |
कृषि वानिकी: भारत के लिए चुनौतियाँ और अवसर | economy, | GS Paper 3, |
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की एक प्रमुख पहल है, तथा इसने सफलतापूर्वक नौ वर्ष पूरे कर लिए हैं।
हाल ही में, यूनेस्को और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भारत में AI रेडीनेस असेसमेंट मेथोडोलॉजी (RAM) पर 5वें हितधारक परामर्श बैठक का आयोजन किया है।
RAM को प्रत्येक देश की विशिष्ट परिस्थितियों और उपलब्ध संसाधनों के आधार पर अनुकूलित किया जाता है।
यह विविध सहयोग व्यापक और प्रभावी AI नीति विकास सुनिश्चित करता है।
‘अर्थ्स फ्यूचर’ (Earth’s Future) में प्रकाशित एक नए अध्ययन में ‘स्ट्रेटोस्फेरिक एरोसोल इंजेक्शन’ (SAI) के लिए लागत प्रभावी दृष्टिकोण की खोज की गई है, जो सौर भू-इंजीनियरिंग का एक रूप है जिसका उद्देश्य पृथ्वी को ठंडा करना है।
दीर्घकालिक प्रभावों का आकलन करने के लिए व्यापक अनुकरण के साथ आगे के अध्ययन आवश्यक हैं। हालाँकि, SAI को उत्सर्जन में कटौती का स्थान नहीं लेना चाहिए और दुरुपयोग एवं टकराव से बचने के लिए वैश्विक नियमों की आवश्यकता है।
हाल ही में, दुर्लभ रोग से ग्रसित रोगियों ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के माध्यम से सरकार से भारतीय पेटेंट अधिनियम, 1970 के तहत अनिवार्य लाइसेंसिंग प्रावधानों को लागू करने का आग्रह किया है।
भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म आधारित विद्युत ऊर्जा स्थापित क्षमता प्राप्त करना है, जिसमें पवन ऊर्जा से 100 गीगावाट ऊर्जा प्राप्त करना शामिल है।
भारत का पवन ऊर्जा भविष्य सिर्फ पैमाने पर ही नहीं, बल्कि इस बात पर भी निर्भर करता है कि यह क्षेत्र कितना सुरक्षित, लचीला और आत्मनिर्भर है। भारत के स्वच्छ ऊर्जा दृष्टिकोण की रक्षा के लिए निष्क्रिय असेंबली प्रक्रिया से सक्रिय नवाचार और साइबर सुरक्षा की ओर परिवर्तन आवश्यक है।
भारतीय प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आपदा रोधी अवसंरचना पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (2025) को संबोधित किया।
DRI को अपनाने के लिए नीतिगत सुसंगतता, अत्याधुनिक तकनीक, सतत् वित्तपोषण और समावेशी शासन की आवश्यकता है। भारत का CDRI नेतृत्व और वैश्विक भागीदारी विशेषतः कमजोर तटीय और द्वीपीय देशों के लिए एक लचीले भविष्य को आकार दे रही है।
हाल ही में एक शोध पत्र ‘कृषि वानिकी: हरित संरक्षक’ (Agroforestry: The Green Guardian) प्रकाशित हुआ, जिसमें यह पता लगाया गया कि कृषि वानिकी को किसानों की आजीविका का समर्थन करने, कार्बन को पृथक करने और पूरे भारत में पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्स्थापित करने के लिए कैसे बढ़ाया जा सकता है।
भारत में कृषि वानिकी में किसानों की आजीविका को बढ़ाने, कार्बन को पृथक करने और पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने की अपार संभावनाएँ हैं, लेकिन इसे बढ़ाने के लिए मजबूत नीतिगत सुधारों और समावेशी रणनीतियों के माध्यम से कानूनी, आर्थिक और तकनीकी बाधाओं को दूर करना होगा। राष्ट्रीय और वैश्विक स्थिरता के साथ सामंजस्य स्थापित कर, कृषि वानिकी जलवायु अनुकूल कृषि और ग्रामीण विकास को आगे बढ़ा सकती है।
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