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Title | Subject | Paper |
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संक्षेप में समाचार | ||
व्यापक मॉड्यूलर सर्वेक्षण – दूरसंचार (CMS:T) | Polity and governance , | GS Paper 2, |
असम के दिमा हसाओ में नवपाषाणकालीन बस्ती मिली | art and culture, | GS Paper 1, |
डेटा सेंटर के पर्यावरण फुटप्रिंट को कम करना | Environment and Ecology, | GS Paper 3, |
विदेशी व्यवसायी प्रवेश | Polity and governance , | GS Paper 2, |
बायोस्टिमुलेंट्स | Science and Technology, | GS Paper 3, |
कुमराम भीम संरक्षण रिजर्व | Environment and Ecology, | GS Paper 3, |
भारत की आर्थिक वृद्धि | economy, | GS Paper 3, |
ग्लेशियर पिघलना और उनका परिरक्षण | Environment and Ecology, | GS Paper 3, |
व्यापक मॉड्यूलर सर्वेक्षण: दूरसंचार (Comprehensive Modular Survey: Telecom -CMS:T) के परिणामों के अनुसार, मोबाइल फोन एवं इंटरनेट का उपयोग करने वाले भारतीयों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
हाल ही में किए गए पुरातात्त्विक सर्वेक्षण ने असम के दीमा हसाओ जिले के दाओजाली हेडिंग (Daojali Hading) में नवपाषाणकालीन आवास की पुष्टि की है।
जर्नल नेचर में प्रकाशित माइक्रोसॉफ्ट और WSP ग्लोबल के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन से पता चलता है कि उन्नत शीतलन विधियाँ डेटा केंद्रों के पर्यावरणीय प्रभाव को अत्यधिक सीमा तक कम कर सकती हैं।
हाल ही में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India- BCI) ने आधिकारिक तौर पर नियमों को अधिसूचित किया है, जो विदेशी कानूनी फर्मों और वकीलों को सीमित क्षेत्रों में भारत में अभ्यास करने की अनुमति देता है।
कृषि मंत्रालय ने राजपत्र के माध्यम से एक अधिसूचना जारी की और 34 नए बायोस्टिमुलेंट्स को मंजूरी दी, जिससे कुल संख्या 45 से अधिक हो गई।
हाल ही में तेलंगाना सरकार ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत कुमराम भीम संरक्षण रिजर्व को एक प्रमुख बाघ गलियारा घोषित किया है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुमान के अनुसार, भारत वर्ष 2025 तक नॉमिनल जीडीपी के आधार पर जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
नॉमिनल जीडीपी के आधार पर भारत का चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना उल्लेखनीय है, लेकिन यह केवल आंशिक परिदृश्य प्रस्तुत करता है। सार्थक तुलना और नीतिगत दिशा के लिए, समग्र सामाजिक-आर्थिक संकेतकों को जीडीपी रैंकिंग का पूरक होना चाहिए। वास्तविक विकास को पूर्ण आर्थिक आकार की तुलना में समावेशी विकास, रोजगार की गुणवत्ता और सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए।
हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (EFCC) ने ताजिकिस्तान गणराज्य के दुशांबे में 29 से 31 मई, 2025 तक आयोजित ग्लेशियरों के परिरक्षण पर उच्च स्तरीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित किया।
वर्ष 2025 के दुशांबे सम्मेलन में ग्लेशियर संरक्षण के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि जलवायु-संचालित प्रभावों से निपटने में उसके नेतृत्व को रेखांकित करती है। NMSHE जैसी राष्ट्रीय पहलों को ग्लेशियरों के संरक्षण के अंतरराष्ट्रीय वर्ष जैसे वैश्विक प्रयासों के साथ एकीकृत करके, भारत का लक्ष्य हिमालयी ग्लेशियरों की सुरक्षा करना है, जिससे लाखों लोगों के लिए जल सुरक्षा और पारिस्थितिकी स्थिरता सुनिश्चित हो सके।
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