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Jun 04 2025

जिला नशामुक्ति केंद्र (DDACs)

केंद्र सरकार 30 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 291 जिलों में नशीली दवाओं की माँग में कमी के लिए अपनी राष्ट्रीय कार्य योजना के हिस्से के रूप में जिला नशा मुक्ति केंद्र (District De-Addiction Centres- DDACs) स्थापित करने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित कर रही है।

DDAC क्या हैं?

  • जिला नशा मुक्ति केंद्र (DDAC) सरकार द्वारा समर्थित सुविधाएँ हैं, जिनका उद्देश्य लोगों को मादक द्रव्यों के सेवन से उबरने में मदद करना है।
  • सर्वाधिक प्रभावित जिले
    • इन जिलों को “गैप डिस्ट्रिक्ट” कहा जाता है क्योंकि इनमें नशीली दवाओं या शराब के आदि लोगों के उपचार या मदद के लिए कोई मौजूदा सरकार समर्थित सुविधा नहीं है।
    • छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक “गैप डिस्ट्रिक्ट” हैं (33 में से 31)।
  • ये DDAC “प्राथमिक रोकथाम गतिविधियाँ संचालित करेंगे”
    • इसमें संवेदनशील एवं प्रभावित समुदाय के बीच जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना शामिल है।
    • मादक द्रव्यों के सेवन के जोखिम वाले बच्चों/किशोरों/युवाओं की पहचान करना एवं उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करना।

DDAC क्यों महत्त्वपूर्ण हैं?

  • भारत में नशीली दवाओं की लत की समस्या बढ़ती जा रही है, जिससे लाखों लोग प्रभावित हैं।
  • वर्ष 2017-18 के राष्ट्रीय सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि:
    • 1.18 करोड़ बच्चे एवं किशोर शराब, भांग, ओपिओइड तथा मतिभ्रम जैसी दवाओं का उपयोग करते हैं।
    • भारत में सात करोड़ वयस्क मनोविकार रोधी पदार्थों का उपयोग करते हैं।

नशीली दवाओं के पुनर्वास के लिए अन्य सरकारी पहल

  • सामाजिक न्याय मंत्रालय निम्नलिखित का समर्थन करता है:
    • नशे की लत से ग्रस्त लोगों के लिए 350 एकीकृत पुनर्वास केंद्र (Integrated Rehabilitation Centres for Addicts- IRCAs)।
    • 74 आउटरीच एवं ड्रॉप-इन केंद्र (Outreach and Drop-in Centres- ODICs)।
    • 46 समुदाय आधारित सहकर्मी नेतृत्व वाली पहल (Community-based Peer Led Initiatives- CPLIs)।
  • इसके अतिरिक्त, सरकारी अस्पतालों में 142 व्यसन उपचार केंद्र चल रहे हैं।

नशीली दवाओं की माँग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना के बारे में

  • यह पहल वर्ष 2018 (2018-2025) में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई थी।
  • उद्देश्य: शिक्षा, पुनर्वास एवं समुदाय आधारित सेवा के माध्यम से नशीली दवाओं के दुरुपयोग को कम करना।

ऐड-वाशिंग

इजरायल द्वारा तीन महीने की नाकाबंदी के बाद, गाजा में गाजा मानवतावादी फाउंडेशन (Gaza Humanitarian Foundation- GHF) के माध्यम से प्रदान की जाने वाली सहायता के संदर्भ में ऐड-वाशिंग (Aid Washing) पर बहस छिड़ गई है।

ऐड-वाशिंग क्या है?

  • ऐड-वाशिंग से तात्पर्य सहायता वितरण का उपयोग किसी देश की छवि को बेहतर बनाने के लिए करना है, जबकि मानवीय आवश्यकताओं को पूरी तरह से संबोधित नहीं किया जाता है।
  • ऐड-वाशिंग के लाभ
    • राजनीतिक प्रभाव: सरकारें संघर्ष क्षेत्रों पर नियंत्रण पाने के लिए सहायता वितरण का उपयोग कर सकती हैं।
    • अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा: यह विवादास्पद नीतियों या कार्यों से ध्यान हटाने में मदद करता है।

गाजा मानवतावादी फाउंडेशन (GHF)

  • यह अमेरिका एवं इजरायल द्वारा समर्थित एक नवगठित सहायता संगठन है, जिसे गाजा में मानवीय सहायता वितरित करने के लिए बनाया गया है।
  • फरवरी 2025 में स्थापित, GHF का उद्देश्य गाजावासियों को भोजन एवं आवश्यक आपूर्ति प्रदान करना है।
  • यह केंद्रीकृत वितरण केंद्र संचालित करता है, जिसमें सहायता केंद्रों का विस्तार करने की योजना है।

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संदर्भ

केरल उच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर माता-पिता से जन्मे बच्चे के जन्म प्रमाण-पत्र को फिर से जारी करने का आदेश दिया है और कहा है कि ट्रांसजेंडर माता-पिता से जन्मे बच्चे के जन्म प्रमाण-पत्र में “पिता” और “माता” शब्दों को हटाकर केवल ‘अभिभावक’ (Parents) शब्द का उपयोग किया जाए।।

मुख्य बिंदु 

  • कोझिकोड के एक ट्रांसजेंडर दंपति ने नगर निगम द्वारा उनके बच्चे के जन्म प्रमाण-पत्र में उन्हें ‘माता-पिता’ के रूप में सूचीबद्ध करने से इनकार करने को चुनौती दी थी।
  • वर्तमान में, प्रमाण-पत्र में दंपति को ‘पिता (ट्रांसजेंडर)’ एवं ‘माता (ट्रांसजेंडर)’ के रूप में पहचाना जाता है।
  • दंपति ने तर्क दिया कि ‘माता’ एवं ‘पिता’ के पारंपरिक शब्द अनुचित थे।
  • उन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं का हवाला दिया, जहाँ समान लैंगिक एवं ट्रांसजेंडर दंपति अपने बच्चे के जन्म रिकॉर्ड में ‘माता’, ‘पिता’ या ‘अभिभावक’ के बीच चयन कर सकते हैं।

न्यायालय का निर्देश

  • उच्च न्यायालय ने निगम को निर्देश दिया कि
    • जन्म प्रमाण-पत्र से ‘पिता’ एवं ‘माता’ कॉलम हटाएँ।
    • याचिकाकर्ताओं को बिना किसी लैंगिक-विशिष्ट संदर्भ के ‘माता-पिता’ के रूप में सूचीबद्ध करें।
  • यह निर्णय आधिकारिक दस्तावेजों में ट्रांसजेंडर माता-पिता को मान्यता देने के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करता है।

निर्णय का महत्त्व

  • लैंगिक पहचान एवं अधिकारों की पुष्टि: यह निर्णय ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की स्वयं-पहचानी गई लैंगिक एवं पारंपरिक पहचान से परे उनके माता-पिता होने के अधिकार का सम्मान करता है।
  • सामाजिक समावेशन एवं समानता को बढ़ावा देना: यह निर्णय द्विआधारी लैंगिक मानदंडों से परे विविध पारिवारिक संरचनाओं को मान्यता देकर समावेशिता को बढ़ावा देता है।
  • अन्य अधिकार क्षेत्रों के लिए उदाहरण: यह अन्य राज्यों के लिए लैंगिक-तटस्थ दस्तावेजीकरण नीतियों को अपनाने के लिए एक कानूनी उदाहरण स्थापित करता है।
  • अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों के साथ संरेखण: यह निर्णय भारत के कानूनों को ट्रांसजेंडर एवं समान लिंग वाले माता-पिता की सुरक्षा करने वाले वैश्विक मानवाधिकार मानकों के साथ संरेखित करता है।
  • प्रशासनिक सुधारों के लिए प्रोत्साहन: यह वंचित लैंगिक पहचानों के प्रति सम्मानजनक और समावेशी व्यवहार सुनिश्चित करने हेतु प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

भारत में ट्रांसजेंडर व्यक्ति

  • परिभाषा: ट्रांसजेंडर व्यक्ति वे होते हैं, जिनकी लैंगिक पहचान उस लैंगिक पहचान से मेल नहीं खाती, जो उन्हें जन्म के समय प्राप्त हुई थी।
  • इसमें शामिल हैं
    • ट्रांस पुरुष (जन्म के समय महिला के रूप में पहचाने गए लेकिन पुरुष के रूप में),
    • ट्रांस महिलाएँ (जन्म के समय पुरुष के रूप में पहचाने गए लेकिन महिला के रूप में),
    • जेंडरक्वीर/नॉन-बाइनरी व्यक्ति, एवं 
    •  किन्नर, अरावनी एवं अन्य पारंपरिक ट्रांसजेंडर समुदाय।

भारत में ट्रांसजेंडरों की कानूनी स्थिति

  • थर्ड जेंडर: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक NALSA बनाम भारत संघ (2014) मामले में कानूनी रूप से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को ‘थर्ड जेंडर’ के रूप में मान्यता दी है।
  • इस निर्णय में सरकारों को शिक्षा एवं नौकरियों में आरक्षण प्रदान करने तथा कल्याणकारी उपाय सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया।

भारत में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण के लिए उपाय

  • संस्थागत समर्थन: उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय परिषद का गठन किया गया है, ताकि सरकार को नीतियों पर सलाह दी जा सके एवं शिकायतों का समाधान किया जा सके।
  • उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019
    • स्व-घोषणा प्रक्रिया के माध्यम से लैंगिक पहचान की कानूनी मान्यता प्रदान करता है।
    • शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवा एवं आवास में भेदभाव को रोकता है।
    • जबरन भिक्षावृति, शारीरिक/यौन शोषण एवं सेवाओं से इनकार करने जैसे कृत्यों को अपराध घोषित करता है।
  • ट्रांसजेंडरों के कल्याण के लिए सरकारी पहल
    • गरिमा ‘ग्रे’: ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए आश्रय गृह प्रदान करता है, आवास, कौशल विकास एवं सहायता प्रदान करता है।
    • ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय पोर्टल: इन व्यक्तियों को बिना शारीरिक संपर्क के ऑनलाइन पहचान प्रमाण-पत्र एवं कार्ड के लिए आवेदन करने में सक्षम बनाता है।

संदर्भ

हाल ही में इटली के सिसिली द्वीप पर स्थित माउंट एटना ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ है।

माउंट एटना के बारे में

  • माउंट एटना विश्व में सबसे लगातार सक्रिय स्ट्रेटोवोलकैनो में से एक है एवं यूरोप का सबसे बड़ा सक्रिय ज्वालामुखी है।
  • भौगोलिक स्थिति: माउंट एटना सिसिली, (इटली) के पूर्वी तट पर है, जो भूमध्य सागर का सबसे बड़ा द्वीप है।
  • भौतिक विशेषताएँ: माउंट एटना के शिखर पर पाँच मुख्य क्रेटर हैं, जो इसमें निरंतर विस्फोटों के प्राथमिक स्रोत हैं।
    • इसके अतिरिक्त, पर्वत पर 300 से अधिक छिद्र हैं, जो आकार में भिन्न हैं। ये छिद्र इसकी ढलानों के साथ विस्तृत हैं।
  • विश्व धरोहर स्थल: माउंट एटना को वर्ष 2013 से विश्व धरोहर स्थल नामित किया गया है।
    • यूनेस्को के अनुसार, इस ज्वालामुखी के विस्फोट का इतिहास 5,00,000 वर्ष प्राचीन है, जिसमें से 2,700 वर्षों की गतिविधियों का दस्तावेजीकरण किया जा चुका है।

  • स्ट्रेटोवोलकैनो: ये शंकु के आकार के ज्वालामुखी हैं, जो लावा, राख एवं अन्य ज्वालामुखीय पदार्थों की परतों से निर्मित हैं।
    • इनकी विशेषता खड़ी ढलान है एवं ये प्रायः सबडक्शन जोन के पास निर्मित होते हैं।
  • शिखर विस्फोट: यह केंद्रीय वेंट पर होने वाली ज्वालामुखी गतिविधियों को संदर्भित करता है, जो आमतौर पर ज्वालामुखी के शीर्ष पर या उसके पास होता है। यह प्राथमिक वेंट होता है, जहाँ मैग्मा कक्ष से निकलकर मैग्मा, मुख्य सतह तक पहुँचता है।
  • पार्श्व विस्फोट: यह शिखर पर नहीं बल्कि ज्वालामुखी के किनारों या निचले हिस्सों पर होता है। ये विस्फोट ‘साइड वेंट’ या दरारों से निकलते हैं, जो आमतौर पर मुख्य मैग्मा छिद्र से जुड़े होते हैं, लेकिन उनके मार्ग अलग-अलग हो सकते हैं।

संदर्भ 

गाजा में चल रहे युद्ध के दौरान दुश्मन के ड्रोन को मार गिराने के लिए लेजर हथियार (मैगन) का उपयोग करने वाला इजरायल विश्व का पहला देश बन गया है।

  • इजरायली वायु सेना के हवाई रक्षा तंत्र ने “स्वॉर्ड्स ऑफ आयरन वॉर” के दौरान प्रोटोटाइप लेजर वायु रक्षा का उपयोग किया था।

मैगन या लेजर इंटरसेप्शन सिस्टम के बारे में

  • “मैगन ऑर” (शील्ड ऑफ लाइट) लेजर इंटरसेप्शन सिस्टम, इजरायल के बड़े आयरन बीम लेजर हथियार कार्यक्रम का एक हिस्सा है।
  • विकास: इसे इजरायल स्थित रक्षा कंपनी राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स द्वारा विकसित किया गया था।

लेजर हथियार [मैगन ऑर (Magen Or)] की कार्यप्रणाली

  • यह सिस्टम दुश्मन के ड्रोन या रॉकेट जैसे आने वाले लक्ष्य पर केंद्रित, उच्च-ऊर्जा लेजर बीम उत्सर्जित करता है।
  • लेजर बीम लक्ष्य की सतह को तेजी से गर्म करता है, जिससे संरचनात्मक विफलता अथवा आग लग जाती है या महत्त्वपूर्ण घटकों को नुकसान पहुँचता है।
  • यह सिस्टम उच्च परिशुद्धता के साथ तेज गति से आगे बढ़ने वाले खतरों पर नजर रखने के लिए उन्नत ट्रैकिंग और लक्ष्यीकरण तकनीकों का उपयोग करता है।
  • एक गाइडेड एनर्जी हथियार के रूप में, यह प्रकाश की गति से संचालित होता है।

लेजर हथियार (मैगन Or) की मुख्य विशेषताएँ

  • सटीक लक्ष्यीकरण: ड्रोन और मिसाइलों जैसी छोटी, तेज गति वाली वस्तुओं को सटीक रूप से ट्रैक करने और नष्ट करने में सक्षम।
  • संलग्नता की गति: प्रकाश गतिकी वाले ऊर्जा किरणों का उपयोग करता है, जिससे खतरों का लगभग तत्काल विनाश संभव हो जाता है।
  • बिना किसी दृश्यमान प्रक्षेप्य के गोपनीय संचालन, जिससे दुश्मनों के लिए इसका पता लगाना जटिल हो जाता है।
  • लागत-प्रभावी: पारंपरिक मिसाइलों के विपरीत, यह महंगे गोला-बारूद पर निर्भर नहीं करता है, जिससे प्रति शॉट परिचालन लागत कम हो जाती है।
    • आयरन डोम इंटरसेप्टर के लिए $50,000 की तुलना में लगभग $5 प्रति शॉट।
  • कम संपार्श्विक क्षति: केंद्रित ऊर्जा विस्फोटक अवरोधकों की तुलना में अनपेक्षित क्षति के जोखिम को कम करती है।
  • तीव्रता: लक्ष्य के आकार और प्रकार के आधार पर लेजर की तीव्रता को समायोजित किया जा सकता है।
  • कम लाजिस्टिक बोझ: पारंपरिक युद्ध सामग्री की तुलना में कम भंडारण स्थान और लाजिस्टिक सहायता की आवश्यकता होती है।
  • पर्यावरण के अनुकूल: कोई विस्फोटक अवशेष या विषाक्त उपोत्पाद उत्पन्न नहीं करता है।
  • एकीकरण क्षमता: व्यापक हवाई रक्षा प्रणालियों के भाग के रूप में कार्य करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो आयरन डोम जैसे मौजूदा इंटरसेप्टरों का पूरक है।

लेजर हथियारों की सीमाएँ (मैगन Or)

  • सीमित शक्ति: पारंपरिक गतिज हथियारों की तुलना में कम विनाशकारी शक्ति।
  • कम प्रभावी रेंज: अधिकतम प्रभावी रेंज लगभग 10 किलोमीटर है, जो आयरन डोम (~40 किमी.) जैसी प्रणालियों की तुलना में बहुत कम है।
  • मौसम पर निर्भरता: वर्ष, कोहरा, धूल या धुएँ जैसी प्रतिकूल मौसम स्थितियों से प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  • एकल लक्ष्य पर हमला: एक साथ कई लक्ष्यों पर हमला नहीं किया जा सकता है, जिससे समूहिक हमलों के विरुद्ध प्रभावशीलता सीमित हो जाती है।
  • दृष्टि रेखा की आवश्यकता: लक्ष्य के लिए स्पष्ट दृष्टि रेखा की आवश्यकता होती है, जिससे यह अस्पष्ट या अप्रत्यक्ष खतरों के विरुद्ध कम प्रभावी हो जाता है।

आयरन बीम

  • आयरन बीम एक उन्नत, अधिक शक्तिशाली लेजर हथियार प्रणाली है, जिसे वर्तमान में इजरायल अपनी वायु रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए विकसित कर रहा है।
  • आयरन बीम को रॉकेट, मोर्टार, क्रूज मिसाइल और ड्रोन सहित कई तरह के खतरों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है, जो इसे मौजूदा मैगन-ऑर सिस्टम की तुलना में अधिक बहुमुखी बनाता है।
  • यह मौजूदा रक्षा प्रणालियों जैसे आयरन डोम, डेविड स्लिंग और एरो के साथ एकीकृत होकर एक स्तरित वायु रक्षा नेटवर्क का निर्माण करेगा।
  • इस प्रणाली में एक AI संचालित निर्णय लेने वाला घटक शामिल है, जो शीघ्रता से यह आकलन करता है कि किसी खतरे को लेजर द्वारा अप्रभावी किया जा सकता है या इसके लिए मिसाइल इंटरसेप्टर की आवश्यकता है, जिससे संसाधन का उपयोग अनुकूलित होता है।
  • आयरन बीम का उद्देश्य लागत प्रभावी, तीव्र प्रतिक्रिया रक्षा लेयर प्रदान करना है, जिससे महंगे मिसाइल इंटरसेप्टर पर निर्भरता कम होगी और साथ ही अवरोधन की गति और कवरेज में वृद्धि होगी।
  • इसके शीघ्र ही परिचालन की संभावना है, आयरन बीम मौजूदा मिसाइल रक्षा बैटरियों का पूरक होगा, जिससे इजरायल के समग्र हवाई खतरे प्रबंधन में वृद्धि होगी।

संदर्भ

पराग्वे के राष्ट्रपति भारत की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर हैं, जो भारत-लैटिन अमेरिका संबंधों को नए आयाम प्रदान करेगा।

  • वह दोनों देशों के बीच समग्र सहयोग बढ़ाने हेतु तीन दिवसीय भारत यात्रा पर हैं।

यात्रा के मुख्य बिंदु

  • आतंकवाद: पराग्वे ने कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हुए आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में भारत का समर्थन किया है।
  • साझा चुनौतियाँ: दोनों देशों ने साइबर अपराध, संगठित अपराध और मादक पदार्थों की तस्करी जैसी साझा चुनौतियों के विरुद्ध कार्रवाई में सहयोग की संभावना पर चर्चा की ।
  • सहयोग: दोनों देशों ने डिजिटल प्रौद्योगिकी, महत्त्वपूर्ण खनिज, ऊर्जा, कृषि, स्वास्थ्य सेवा, रक्षा, रेलवे, अंतरिक्ष और समग्र आर्थिक साझेदारी जैसे क्षेत्रों में सहयोग के नए अवसरों पर चर्चा की।
  • संयुक्त आयोग तंत्र (JCM): सचिव/उप-मंत्रालय स्तर पर स्थापित संयुक्त आयोग तंत्र (JCM) आपसी हित के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में सहयोग की समीक्षा करने और उसे आगे बढ़ाने के लिए एक महत्त्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करेगा।
  • लैटिन अमेरिका में मौजूदगी का विस्तार: भारत, दक्षिण अमेरिकी व्यापार ब्लॉक-मर्कोसुर के साथ अपने जुड़ाव को तरजीही व्यापार व्यवस्था मार्ग से आगे बढ़ाना चाहता है।
  • एग्रीस्टैक: पराग्वे ने अपने कृषि को और अधिक कुशल बनाने में डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करने के लिए भारत के एग्रीस्टैक प्लेटफॉर्म में रुचि व्यक्त की है।

भारत-पराग्वे संबंधों के बारे में

  • दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय राजनयिक संबंध वर्ष 1961 में स्थापित हुए थे।
    • भारत ने वर्ष 2022 में पराग्वे की राजधानी असुनसियन में अपना दूतावास खोला है।
  • द्विपक्षीय व्यापार: भारत-पराग्वे द्विपक्षीय व्यापार 477 मिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा, जिसमें व्यापार संतुलन भारत की ओर स्थानांतरित हो गया।
    • भारत का पराग्वे को निर्यात: यह 317 मिलियन अमेरिकी डॉलर का है और इसमें मोटर वाहन, कृषि रसायन, ऑटो पार्ट्स और दवा उत्पाद शामिल हैं।
    • भारत का आयात: भारत ने 160 मिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात किया और इसमें सोयाबीन का तेल और संबंधित उत्पाद, लोहा और इस्पात, एल्युमीनियम तथा पशु उत्पाद शामिल हैं।
  • तकनीकी एवं विकास सहयोग: भारत पराग्वे को ITEC कार्यक्रम के अंतर्गत 20 छात्रवृत्तियाँ प्रदान करता है।
  • भारत-मर्कोसुर अधिमान्य व्यापार समझौता (PTA): मर्कोसुर देशों में प्रवेश करने वाले कुछ भारतीय उत्पादों पर अधिमान्य शुल्क (अधिकांश मामलों में 10-20%) दिया जाता है।
    • भारत पराग्वे को 30,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष तक कच्चे सोयाबीन तेल के आयात पर 10% की अतिरिक्त वरीयता मार्जिन की पेशकश करता है।

पराग्वे गणराज्य के बारे में

  • पराग्वे दक्षिण अमेरिका में एक भू-आबद्ध देश है।
  • पड़ोसी: इसकी सीमा दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम में अर्जेंटीना, पूर्व और उत्तर-पूर्व में ब्राजील और उत्तर-पश्चिम में बोलीविया से लगती है।
  • राजधानी शहर: असुनसियन।

मर्कोसुर (मर्काडो कॉमन डेल सुर, या दक्षिण का साझा बाजार) के बारे में

  • स्थापना: यह वर्ष 1991 में स्थापित एक दक्षिण अमेरिकी व्यापार ब्लॉक है, जिसमें ब्राजील, अर्जेंटीना, पराग्वे और उरुग्वे और बोलीविया के 5 पूर्ण सदस्य देश शामिल हैं (वर्ष 2015 में हस्ताक्षरित और जुलाई 2024 में बोलीविया द्वारा अनुसमर्थित)।
    • वेनेजुएला की सदस्यता वर्ष 2016 में निलंबित कर दी गई है।
  • उद्देश्य: एक सीमा शुल्क संघ और एक साझा बाजार स्थापित करना, जिससे सदस्य देशों के मध्य वस्तुओं, सेवाओं, पूँजी और लोगों की मुक्त आवाजाही संभव हो सके।
  • आधिकारिक कार्यकारी भाषाएँ: स्पेनिश और पुर्तगाली।

संदर्भ

हाल ही में यूक्रेन ने रूस पर एक बड़ा FPV ड्रोन हमला किया, जिसमें 40 से अधिक विमान नष्ट हो गए। फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद से यह रूस के अंदर सबसे बड़े हमलों में से एक था।

FPV ड्रोन क्या हैं?

  • FPV (फर्स्ट-पर्सन व्यू) ड्रोन दूर से संचालित ड्रोन होते हैं, जो पायलट को सामने लगे कैमरे के माध्यम से रियल टाइम में ड्रोन द्वारा देखी जाने वाली वस्तुओं को देखने की अनुमति देते हैं।
  • यह वीडियो फीड ऑपरेटर की स्क्रीन या चश्मे पर प्रसारित होती है, जिससे अत्यधिक सटीक नियंत्रण संभव होता है।

‘फर्स्ट-पर्सन व्यू’ ड्रोन की विशेषताएँ

  • रियल-टाइम कैमरा व्यू: एक कैमरे से युक्त, जो ऑपरेटर की लाइव वीडियो प्रसारित करता है।
  • कम दूरी: आमतौर पर कुछ किलोमीटर की छोटी दूरी होती है, क्योंकि वे रेडियो सिग्नल पर निर्भर होते हैं।
  • कम लागत: FPV ड्रोन सस्ते और प्रभावी होते हैं, विस्फोटक पेलोड के साथ इनकी कीमत लगभग 500 डॉलर (लगभग ₹42,000) होती है।

कार्यात्मक उपयोग

  • मनोरंजक रेसिंग
  • हवाई फोटोग्राफी
  • फिल्म निर्माण
  • सैन्य अभियान।

संदर्भ

‘IndiaAI – मेक AI इन इंडिया, मेक AI वर्क फॉर इंडिया’ कार्यक्रम में यह घोषणा की गई कि क्लाउड आधारित भारत की राष्ट्रीय सामान्य कंप्यूटिंग क्षमता 34000 GPU को पार कर गई है।

  • कंप्यूटिंग क्षमता स्वदेशी AI क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में IndiaAI मिशन को बढ़ावा देगी।

IndiaAI मिशन के बारे में

  • IndiaAI मिशन भारत का अपना फाउंडेशन मॉडल है, जिसे वर्ष 2024 में लॉन्च किया गया है, ताकि AI क्षमताओं को मजबूत किया जा सके।
  • कार्यान्वयन एजेंसी: केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तहत एक स्वतंत्र व्यवसाय प्रभाग,  IndiaAI मिशन के लिए कार्यान्वयन एजेंसी है।
  • उद्देश्य: AI में भारत के वैश्विक नेतृत्व को मजबूत करना, तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना, नैतिक और जिम्मेदार AI परिनियोजन सुनिश्चित करना तथा समाज के सभी वर्गों में AI के लाभों का लोकतंत्रीकरण करना।
  • स्तंभ: मिशन के 7 प्रमुख स्तंभ हैं, जिनका उद्देश्य एक व्यापक AI पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।
    • IndiaAI फाउंडेशन मॉडल: इसका उद्देश्य भारत-विशिष्ट डेटा पर प्रशिक्षित स्वदेशी आधारभूत मॉडल विकसित करना और उन्हें लागू करना है।
      • सर्वम AI: यह भारत के सॉवरेन LLM इकोसिस्टम का निर्माण करेगा, जो शासन और सार्वजनिक सेवा पहुँच को बढ़ाने के लिए एक ओपन सोर्स 120 बिलियन पैरामीटर AI मॉडल विकसित करेगा।
      • भारत के अपने फाउंडेशन मॉडल के निर्माण के लिए तीन नए स्टार्ट-अप (सोकेट AI; ज्ञानी AI; गण AI) का चयन किया गया है।
    • कंप्यूट क्षमता: इसमें हजारों GPU के साथ अत्याधुनिक AI कंप्यूट इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थापित करना शामिल है।
      • महत्त्व: भारतीय संदर्भ के अनुरूप स्वदेशी आधारभूत मॉडल और AI समाधान विकसित करना महत्त्वपूर्ण है।
    • डेटासेट: AI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए सुलभ और विविध भारतीय डेटासेट के लिए एक प्लेटफॉर्म बनाना।
      • AI स्टोर पर 367 डेटासेट अपलोड किए गए हैं।
    • IndiaAI एप्लीकेशन डेवलपमेंट: यह स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों के लिए प्रभावशाली AI समाधान विकसित करता है।
      • उदाहरण: IndiaAI I4C साइबरगार्ड AI हैकाथॉन।
    • भविष्य के कौशल: इसका उद्देश्य टियर-2 और टियर-3 शहरों में डेटा और AI लैब स्थापित करके सभी शैक्षणिक स्तरों पर AI शिक्षा को आगे बढ़ाना है।
    • स्टार्ट-अप फाइनेंसिंग: यह स्तंभ AI स्टार्ट-अप को वित्तीय सहायता और संसाधन प्रदान करने, AI क्षेत्र में नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है।
    • IndiaAI  इनोवेशन सेंटर: यह स्वदेशी मल्टीमॉडल और डोमेन-विशिष्ट आधारभूत मॉडल को विकसित करने और लागू करने पर केंद्रित है।

स्पष्ट शर्तें

लार्ज लैंग्वेज  मॉडल (Large Language Model- LLM) 

  • यह एक प्रकार की कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) है, जिसे विशाल मात्रा में टेक्स्ट डेटा पर प्रशिक्षित किया जाता है और यह नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) कार्यों को उत्पन्न करने के लिए ट्रांसफॉर्मर मॉडल पर आधारित है।
    • अनुप्रयोग: नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग  (मानव भाषा को समझना और उत्पन्न करना), अनुवाद, कंटेंट क्रिएशन, चैटबॉट बनाना, सारांश बनाना, कोड निर्माण आदि।

ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (Graphics Processing Unit- GPU)

  • यह एक विशेष इलेक्ट्रॉनिक सर्किट है, जिसे डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग और कंप्यूटर ग्राफिक्स को गति देने के लिए डिजाइन किया गया है।
    • यह या तो एक ब्लॉक वीडियो कार्ड के रूप में मौजूद है या मदरबोर्ड, मोबाइल फोन, पर्सनल कंप्यूटर, वर्कस्टेशन और गेम कंसोल पर एम्बेडेड है।
    • अनुप्रयोग: इसका उपयोग ग्राफिक्स और वीडियो रेंडरिंग, गेमिंग, रचनात्मक उत्पादन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में किया जाता है।

AI कोष

  • AI कोष, IndiaAI का प्रमुख प्लेटफॉर्म है, जिसे AI नवाचार को सक्षम करने के लिए डेटासेट, मॉडल और उपयोग के मामलों का भंडार प्रदान करके उच्च-गुणवत्ता युक्त  डेटासेट तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाने के लिए डिजाइन किया गया है।
    • यह AI संसाधनों (डेटासेट, मॉडल, टूलकिट, उपयोग के मामले की लाइब्रेरी और विकास वातावरण) के लिए एक केंद्र है, जहाँ डेटासेट का पता लगाया और साझा किया जा सकता है, एप्लिकेशन बनाए जा सकते हैं और समुदाय का लाभ उठाया जा सकता है।

संदर्भ

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के अनुसार, ईरान ने वेपन्स-ग्रेड यूरेनियम (Weapons-grade Uranium) एकत्रित कर लिया है और IAEA ने ईरान से इसे समाप्त करने का आह्वान किया है।

ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में

  • IAEA ने चेतावनी दी है कि ईरान ऐसा “एकमात्र परमाणु-हथियार रहित देश है, जो ऐसी सामग्री का उत्पादन कर रहा है”, IAEA ने इस स्थिति को “गंभीर चिंता” का विषय बताया है।
  • IAEA की रिपोर्ट पुष्टि करती है कि ईरान ने तीन स्थलों पर परमाणु सामग्री और गतिविधियों की घोषणा नहीं की है:
    • लाविसन-शियान (Lavisan-Shian)
    • वरामिन (Varamin )
    • तुर्कुजाबाद (Turquzabad )
  • ये स्थान 2000 के दशक की शुरुआत तक सक्रिय अघोषित परमाणु कार्यक्रम का हिस्सा थे।
  • यह रिपोर्ट संभावित परमाणु समझौते पर संचालित अमेरिकी-ईरान वार्ता के बीच आई है।

यूरेनियम संवर्द्धन (Uranium Enrichment)

  • यूरेनियम संवर्द्धन प्राकृतिक यूरेनियम में यूरेनियम-235 (U-235) समस्थानिक की सांद्रता बढ़ाने की प्रक्रिया है।
  • इसे परमाणु रिएक्टरों में ईंधन के रूप में या उच्च संवर्द्धन स्तर पर परमाणु हथियारों में प्रयोग हेतु उपयुक्त बनाने के लिए किया जाता है।
  • प्राकृतिक यूरेनियम संरचना: प्राकृतिक यूरेनियम में अधिकतर U-238 (99.3%) होता है तथा केवल 0.7% U-235 होता है।
    • U-235 विखंडनीय है, अर्थात् यह परमाणु शृंखला अभिक्रिया पर आधारित है, जबकि U-238 विखंडनीय नहीं है।
  • संवर्द्धन स्तर (Enrichment Levels)  
    • कम समृद्ध यूरेनियम (LEU): 3-5% U-235 (अधिकांश परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों में उपयोग किया जाता है)।
    •  वेपन्स-ग्रेड यूरेनियम (Weapons-grade Uranium): 90% या उससे अधिक U-235 (परमाणु बमों में उपयोग किया जाता है)।
  • अप्रसार संबंधी चिंताएँ: यूरेनियम संवर्द्धन पर कड़ी निगरानी रखी जाती है, क्योंकि इसका उपयोग शांतिपूर्ण (ऊर्जा) और सैन्य (हथियार) दोनों उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के बारे में

  • स्थापना और उद्देश्य: परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने और हथियारों के लिए इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए वर्ष 1957 में स्थापित।
    • परमाणु अप्रसार के लिए वैश्विक निगरानी संस्था के रूप में कार्य करती है।
  • मुख्यालय: वियना, ऑस्ट्रिया में स्थित है।
  • कुल सदस्य: 180 (15 नवंबर, 2024 तक)
    • भारत वर्ष 1957 में अपनी स्थापना के बाद से IAEA का सदस्य रहा है।
  • कार्य
    • परमाणु गतिविधियों की निगरानी के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौतों को लागू करता है।
    • परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के अनुपालन को सत्यापित करने के लिए निरीक्षण करता है।
    • परमाणु सुरक्षा (जैसे- बिजली संयंत्र, विकिरण सुरक्षा) के लिए वैश्विक मानक निर्धारित करता है।
    • रेडियोधर्मी सामग्रियों को सुरक्षित करके परमाणु आतंकवाद को रोकने में मदद करता है।
  • पुरस्कार: परमाणु सैन्य उपयोग को रोकने के प्रयासों के लिए वर्ष 2005 का नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त हुआ।
  • प्रमुख संधियाँ: NPT (अप्रसार संधि) और व्यापक परमाणु परीक्षण-प्रतिबंध संधि (CTBT)।

परमाणु अप्रसार संधि (NPT) 

  • परमाणु अप्रसार संधि (NPT) एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है, जिसका उद्देश्य है:
    • परमाणु हथियारों और हथियार प्रौद्योगिकी के प्रसार को रोकना।
    • परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना।
    • वैश्विक परमाणु निरस्त्रीकरण को आगे बढ़ाना।

  • NPT पर हस्ताक्षर वर्ष 1968 में किए गए और यह वर्ष 1970 में लागू हुई।
  • NPT पाँच आधिकारिक परमाणु हथियार संपन्न देशों को मान्यता देता है:
    • संयुक्त राज्य अमेरिका
    • रूस (पूर्व में USSR)
    • यूनाइटेड किंगडम
    • फ्राँस
    • चीन
  • इन देशों ने 1 जनवरी, 1967 से पहले परमाणु हथियार बनाए और उनका परीक्षण किया था।
  • भारत, पाकिस्तान और इजरायल ने कभी भी संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए और उनके पास परमाणु हथियार हैं।
  • उत्तर कोरिया ने वर्ष 2003 में NPT से स्वयं को अलग कर लिया और कथित तौर पर उसने परमाणु हथियार विकसित कर लिए हैं।

व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT)

  • CTBT एक अंतरराष्ट्रीय संधि है, जो सभी परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाती है, चाहे वे सैन्य या शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए हों।
  • वर्ष 1996 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया गया, लेकिन यह अभी तक लागू नहीं हुआ है।
  • प्रमुख प्रावधान
    • परमाणु परीक्षण विस्फोटों (भूमिगत, वायुमंडल में और अंतरिक्ष में) पर पूर्ण प्रतिबंध।
    • संदिग्ध घटनाओं की जाँच के लिए अंतरराष्ट्रीय निगरानी प्रणाली (IMS) और ऑन-साइट निरीक्षण सहित सत्यापन व्यवस्था स्थापित करता है।
  • यह लागू नहीं है क्योंकि 8 प्रमुख देशों (अनुलग्नक 2 में सूचीबद्ध) ने इसकी पुष्टि नहीं की है:
    • अमेरिका, चीन, इजरायल, मिस्र, ईरान (हस्ताक्षर किए लेकिन पुष्टि नहीं की)।
    • भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया (हस्ताक्षर नहीं किए)।

संदर्भ

केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय ने “भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना” (SPMEPCI) के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना 

  • इस योजना का उद्देश्य वैश्विक EV निर्माताओं को आकर्षित करना, वैश्विक EV हब के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करना और वर्ष 2070 तक देश के नेट जीरो लक्ष्य का समर्थन करना है।
  • नोडल मंत्रालय: केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय।

  • प्रारंभ: वर्ष 2024।
  • कार्यान्वयन: प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एजेंसी (PMA) सचिवीय, प्रबंधकीय और कार्यान्वयन सहायता प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है।

योजना के उद्देश्य

  • विदेशी निवेश आकर्षित करना: वैश्विक वाहन निर्माताओं को भारत में EV विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देना: अनिवार्य स्थानीय मूल्य संवर्द्धन (DVA) आवश्यकताओं के साथ घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना।
  • कार्बन फुटप्रिंट कम करना: एक सतत् भविष्य के लिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर परिवर्तन को तेज करना।

दिशा-निर्देशों के मुख्य बिंदु

  • निर्माताओं के लिए प्रमुख प्रोत्साहन: स्वीकृत निर्माता 15% सीमा शुल्क (सामान्य दर से कम) पर इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहन (e-4W) आयात कर सकते हैं।
  • सीमा शुल्क संबंधी आवेदन स्वीकृति तिथि से 5 वर्ष की अवधि के लिए वैध है।
  • शर्तें: न्यूनतम आयात लागत प्रति वाहन $35,000 है।
  • वार्षिक आयात सीमा: प्रति वर्ष 8,000 इकाइयाँ (अप्रयुक्त कोटा आगे बढ़ाया जा सकता है)।
  • कुल शुल्क लाभ प्रति कंपनी ₹6,484 करोड़ या निवेश राशि (जो भी कम हो) पर सीमित है।
  • निवेश आवश्यकताएँ: 3 वर्षों के अंतर्गत न्यूनतम निवेश ₹4,150 करोड़ (~$500 मिलियन) होना चाहिए।
  • पात्र व्यय: – संयंत्र, मशीनरी, अनुसंधान एवं विकास, और चार्जिंग अवसंरचना (निवेश का 5% तक)।
  • घरेलू मूल्य संवर्द्धन (DVA) अधिदेश
    • 3 वर्षों के भीतर 25% स्थानीय सोर्सिंग। 
    • 5 वर्षों के भीतर 50% स्थानीय सोर्सिंग। 
    • अनुपालन का सत्यापन MHI-अनुमोदित एजेंसियों द्वारा किया जाएगा।
  • बैंक गारंटी: कंपनियों को 4,150 करोड़ रुपये या कुल शुल्क लाभ (जो भी अधिक हो) के बराबर बैंक गारंटी प्रस्तुत करनी होगी।

आवेदकों के लिए पात्रता मानदंड

  • आवेदक के पास ऑटोमोटिव विनिर्माण से न्यूनतम ₹10,000 करोड़ का वैश्विक राजस्व होना आवश्यक है।
  • इसके अलावा, किसी कंपनी या उसके समूह की कंपनियों का अचल संपत्तियों में वैश्विक निवेश कम-से-कम ₹3,000 करोड़ होना चाहिए।

संदर्भ

हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने सद्गुरु जग्गी वासुदेव के व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा की है।

पृष्ठभूमि

  • सद्गुरु को अज्ञात संस्थाओं द्वारा उनसे संबंधित आपत्तिजनक सामग्री निर्माण करने और सहमति के बिना व्यावसायिक शोषण के लिए AI का उपयोग करके उनके व्यक्तित्व अधिकारों का दुरुपयोग करने की समस्या का सामना करना पड़ा।
  • मुकदमे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और फर्जी वेबसाइटों पर प्रसारित डीपफेक, हस्तक्षेप की गई इमेज, वीडियो और आवाज में बदलाव के विरुद्ध सुरक्षा की मांग की गई।

न्यायालय की मुख्य टिप्पणियाँ और आदेश

  • व्यक्तित्व की विशिष्टता: न्यायालय ने सद्गुरु की इमेज, हस्ताक्षर, वॉयस, अभिव्यक्ति शैली और पोशाक को कानूनी सुरक्षा के योग्य अद्वितीय गुण माना।
  • AI के दुरुपयोग का खतरा: इस बात पर प्रकाश डाला गया कि AI द्वारा संचालित दुरुपयोग एक “महामारी” की तरह तेजी से फैल सकता है, जिससे व्यक्तित्व अधिकारों और सार्वजनिक धारणा को अनियंत्रित क्षति हो सकती है।
  • “हाइड्रा-हेडेड” फर्जी वेबसाइट: उन वेबसाइटों की समस्या की पहचान की गई, जो निष्क्रिय होने पर भी मिरर या अल्फान्यूमेरिक वेरिएंट के रूप में पुनः दिखाई देती हैं, जिससे प्रवर्तन जटिल हो जाता है।

व्यक्तित्व अधिकारों के बारे में

  • यह उन कानूनी अधिकारों को संदर्भित करता है, जो किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व की अनूठी विशेषताओं, जैसे कि उसका नाम, इमेज, वाइस, समानता, हस्ताक्षर और अन्य पहचान योग्य विशेषताओं को अनधिकृत व्यावसायिक शोषण या दुरुपयोग से बचाते हैं। 
    • ये अधिकार मुख्य रूप से मशहूर हस्तियों और सार्वजनिक हस्तियों पर लागू होते हैं, जिनके व्यक्तित्व का व्यावसायिक या प्रतिष्ठा संबंधी मूल्य है। 
  • मुख्य सिद्धांत: केवल वह व्यक्ति, जो इन अद्वितीय व्यक्तिगत विशेषताओं को रखता है या जिसने इन्हें बनाया है, उसे मौद्रिक लाभ प्राप्त करने अथवा उनके उपयोग को नियंत्रित करने का विशेष अधिकार है। 
    • दूसरों द्वारा अनधिकृत उपयोग, विशेष रूप से व्यावसायिक लाभ के लिए, उल्लंघन माना जाता है।
  • प्रकार
    • प्रचार का अधिकार (ट्रेडमार्क उपयोग के समान): बिना अनुमति के किसी की छवि और समानता को व्यावसायिक रूप से शोषण से बचाने का अधिकार।
      • व्यापार चिह्न अधिनियम 1999 और प्रतिलिप्यधिकार अधिनियम 1957 द्वारा शासित।
    • गोपनीयता का अधिकार: बिना अनुमति के किसी के व्यक्तित्व को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित न करने का अधिकार।

निषेधाज्ञा न्यायालय द्वारा जारी किया गया एक कानूनी उपाय है, जो किसी व्यक्ति या संस्था को किसी विशेष कार्य को करने से परहेज करने का आदेश देता है। निषेधाज्ञा एक न्यायालयीन आदेश है, जो इन अधिकारों के अनधिकृत उपयोग को रोकता है।

व्यक्तित्व अधिकारों से संबंधित न्यायिक उदाहरण

  • अमिताभ बच्चन मामला (वर्ष 2012 और वर्ष 2022): दिल्ली उच्च न्यायालय ने अमिताभ बच्चन के नाम, उपनामों और अभिव्यक्तियों के अनधिकृत व्यावसायिक उपयोग को रोकने के लिए निषेधाज्ञा जारी की।
  • रजनीकांत मामला (वर्ष 2015): मद्रास उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि रजनीकांत का नाम और शैली संरक्षित सेलिब्रिटी व्यक्तित्व अधिकार हैं, जो फिल्म के शीर्षक में अनधिकृत उपयोग को रोकते हैं।
  • अनिल कपूर मामला (वर्ष 2023): दिल्ली उच्च न्यायालय ने कपूर की इमेज, नाम और AI-जनरेटेड समानता का लाभ के लिए दुरुपयोग करने वाली कई संस्थाओं के विरुद्ध एकतरफा सर्वव्यापी निषेधाज्ञा जारी की थी।
  • जैकी श्रॉफ मामला (वर्ष 2024): दिल्ली उच्च न्यायालय ने कलात्मक वीडियो को हटाने से इनकार करके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को संतुलित करते हुए ई-कॉमर्स स्टोर, AI चैटबॉट और सोशल मीडिया द्वारा दुरुपयोग को रोककर श्रॉफ के व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा की।

भारत में कानूनी ढाँचा

  • संवैधानिक आधार: व्यक्तित्व अधिकार अनुच्छेद-19(1)(A) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद-21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) में निहित हैं, जो अभिव्यक्ति और गोपनीयता के बीच संतुलन सुनिश्चित करते हैं।
  • प्रतिलिप्यधिकार अधिनियम, 1957: कलाकारों को नैतिक अधिकार प्रदान करता है, जिससे उन्हें अपने प्रदर्शन या व्यक्तित्व के विरूपण अथवा अनधिकृत उपयोग को रोकने की अनुमति मिलती है।
  • व्यापार चिह्न अधिनियम 1999: धारा 14 के तहत व्यक्तिगत नामों और प्रतीकों के अनधिकृत व्यावसायिक उपयोग को प्रतिबंधित करता है।
  • न्यायिक उदाहरण: के.एस. पुट्टास्वामी (2017) जैसे मामलों ने गोपनीयता अधिकारों को संरक्षित किया है, अनुच्छेद-21 के तहत व्यक्तित्व अधिकारों को मौलिक अधिकारों के रूप में मजबूत किया है।

संदर्भ

हाल ही में भारत और जापान ने अपने समुद्री संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ किया है, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सतत् विकास, क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक एकीकरण के लिए साझा दृष्टिकोण को दर्शाता है।

  • भारत और जापान के मध्य दीर्घकालिक साझेदारी है, जो सांस्कृतिक आत्मीयता, रणनीतिक विश्वास और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है।

सहयोग के प्रमुख क्षेत्र

  1. पोत निर्माण और समुद्री उद्योग सहयोग
    • पोत निर्माण और मरम्मत में जापान की प्रसिद्ध विशेषज्ञता, जिसका प्रतिनिधित्व इमाबारी शिप बिल्डिंग, जेएमयूसी, कनागावा डॉकयार्ड और मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियाँ करती हैं, भारतीय शिपयार्ड के साथ साझेदारी करने के लिए तैयार है।
    • आंध्र प्रदेश जैसे भारतीय राज्यों में संयुक्त उद्यमों और ग्रीनफील्ड निवेश की खोज।
    • पर्यावरण की दृष्टि से सतत् प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए समुद्री औद्योगिक समूहों के भीतर स्वच्छ ऊर्जा केंद्रों पर ध्यान केंद्रित करना।
  2. बंदरगाह डिजिटलीकरण और हरित बंदरगाह पहल: डिजिटल प्रौद्योगिकियों के माध्यम से भारतीय बंदरगाहों के आधुनिकीकरण के लिए सहयोगात्मक प्रयास करना, ताकि परिचालन दक्षता और लचीलापन बढ़ाया जा सके।
    • कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए वैश्विक पर्यावरण मानकों के अनुरूप हरित बंदरगाहों का विकास करने के उद्देश्य से पहल करना।
  3. स्मार्ट द्वीपों का विकास: द्वीपीय अवसंरचना में जापान की विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए भारत के अंडमान एवं निकोबार तथा लक्षद्वीप द्वीपों को स्मार्ट द्वीपों में बदलने के लिए संयुक्त प्रयास।
    • सतत् विकास और पारिस्थितिकी संरक्षण के लिए नवीकरणीय ऊर्जा, स्मार्ट मोबिलिटी सिस्टम और डिजिटल अवसंरचना की तैनाती।
  4. समुद्री प्रशिक्षण और मानव संसाधन कौशल विकास: जापान की समुद्री कार्यबल माँगों को पूरा करने के लिए भारतीय नाविकों को प्रशिक्षण और कौशल विकास में सहयोग।
    • जापान के उन्नत समुद्री ज्ञान के आधार पर भारतीय इंजीनियरों और श्रमिकों के कौशल को बढ़ाने के लिए संभावित संरचित कार्यक्रम।
  5. अनुसंधान और विकास (Research and Development- R&D): सतत् समुद्री प्रौद्योगिकियों और अगली पीढ़ी के पोत डिजाइन में शोध एवं अनुसंधान सहयोग को मजबूत करना।
    • भारतीय विश्वविद्यालयों, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड और सार्वजनिक एजेंसियों के साथ संयुक्त अनुसंधान के अवसरों की खोज करना।
  6. सांस्कृतिक और विरासत सहयोग: गुजरात के लोथल में भारत की राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय परियोजना में जापान की संभावित भागीदारी, जो भारत के समृद्ध समुद्री इतिहास और विरासत को प्रदर्शित करती है।
  7. सामरिक समुद्री सुरक्षा सहयोग: क्वाड फ्रेमवर्क और भारत-जापान-ऑस्ट्रेलिया ‘सप्लाई चेन रिजिलिएंस इनिशिएटिव’ (Supply Chain Resilience Initiative- SCRI) के तहत क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ बनाना।
    • भारत-प्रशांत क्षेत्र में आपदा-प्रतिरोधी बुनियादी ढाँचे और बढ़ी हुई कनेक्टिविटी के लिए साझा प्रतिबद्धता।

भारत-जापान समुद्री सहयोग का महत्त्व

  1. क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता में वृद्धि: भारत और जापान का सहयोग हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन को मजबूत करता है, जो वैश्विक व्यापार और सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है।
    • समुद्री सुरक्षा साझेदारी के माध्यम से, वे उभरती भू-राजनीतिक चुनौतियों का प्रतिकार करने के लिए एक स्वतंत्र, खुली और नियम आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देते हैं।
  2. सतत् आर्थिक विकास: बंदरगाह आधुनिकीकरण, हरित नौवहन और स्मार्ट द्वीप विकास में संयुक्त प्रयास पर्यावरणीय चिंताओं को संबोधित करते हुए सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं।
    • यह भारत के ‘समुद्री भारत विजन 2030’ और ‘समुद्री अमृत काल विजन 2047’ के अनुरूप है।
  3. तकनीकी और औद्योगिक उन्नति: पोत निर्माण और समुद्री अवसंरचना में जापानी तकनीकी विशेषज्ञता के समावेश से भारत के समुद्री क्षेत्र के आधुनिकीकरण में तेजी आएगी, जिससे नवाचार और हरित प्रौद्योगिकी अपनाने को बढ़ावा मिलेगा।
  4. रोजगार सृजन और मानव पूँजी विकास: जापान में भारतीय नाविकों को कौशल प्रदान करने और रोजगार, कौशल वृद्धि और ज्ञान हस्तांतरण के नए मार्ग खुलेंगे, जिससे भारत के विशाल समुद्री कार्यबल को लाभ होगा।
  5. द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाना: समुद्री सहयोग व्यापक भारत-जापान रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करता है, जो साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और आर्थिक अंतरनिर्भरता पर आधारित है।
    • यह पारंपरिक राजनयिक संबंधों से परे दीर्घकालिक सहयोग के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का उदाहरण है।
  6. सतत् समुद्री पहल में वैश्विक नेतृत्व: अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance- ISA), आपदा रोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन (Coalition for Disaster Resilient Infrastructure- CDRI), और उद्योग परिवर्तन के लिए नेतृत्व समूह (Leadership Group for Industry Transition- LeadIT) जैसी वैश्विक पहलों में दोनों देशों की नेतृत्वकारी भूमिकाएँ स्थिरता के प्रति उनकी संयुक्त प्रतिबद्धता को उजागर करती हैं।

निष्कर्ष

भारत-जापान समुद्री संबंधों का गहरा होना उनकी उभरती हुई साझेदारी का प्रमाण है, जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा, स्थिरता और आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देना है। यह सहयोग न केवल भारत और जापान को लाभ पहुँचाता है बल्कि वैश्विक समुद्री शासन और सतत् विकास में भी महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।

संदर्भ 

हाल ही में प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के भोपाल में अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती समारोह में महिलाओं के नेतृत्व आधारित विकास को शासन की आधारशिला घोषित किया।

संबंधित तथ्य

  • प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि सरकार लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के ‘नागरिक देवो भव:’ (नागरिक को भगवान के रूप में) के मंत्र का पालन करती है।

महिला नेतृत्व विकास के बारे में

  • महिला नेतृत्व विकास एक विकास संबंधी दृष्टिकोण है, जहाँ महिलाएँ निष्क्रिय लाभार्थी होने के बजाय आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक प्रगति का नेतृत्व करती हैं, उसे आकार देती हैं और उसे आगे बढ़ाती हैं।
  • यह महिलाओं के नेतृत्व, निर्णयन प्रक्रिया, नीति निर्माण और कार्यान्वयन में सक्रिय भागीदारी पर जोर देता है।
  • महिला विकास (महिलाओं को सेवाएँ) से महिला नेतृत्व विकास (नेता और नवप्रवर्तक के रूप में महिलाएँ) की ओर एक आदर्श परिवर्तन

अहिल्याबाई के बारे में

  • वह भारत के मराठा शासित मालवा क्षेत्र में होल्कर राजवंश की महारानी थीं।
  • इनका जन्म चंडी, महाराष्ट्र में मनकोजी शिंदे और सुशीला शिंदे के घर हुआ था।
  • एक मराठी हिंदू धनगर परिवार से ताल्लुक रखती थीं।
  • अहिल्याबाई की शिक्षा और सैन्य प्रशिक्षण
    • मल्हार राव के मार्गदर्शन में प्रशासन, वित्त और कूटनीति में शामिल रहीं।
    • अपनी सास गौतम बाई होल्कर से प्रेरित होकर राजनीति और शासन में प्रशिक्षित हुईं।
    • वर्ष 1765 में, अपने ससुर के निर्देशों का पालन करते हुए ग्वालियर पर एक सफल सैन्य हमले का नेतृत्व किया।

अहिल्याबाई का शासन काल और योगदान

  • महेश्वर (मध्य प्रदेश) को होल्कर राजवंश की राजधानी के रूप में स्थापित किया।
  • महेश्वर में कपड़ा उद्योग की स्थापना की: महेश्वरी साड़ियाँ, जो आज भी लोकप्रिय हैं, को उनके शासनकाल में बढ़ावा दिया गया।
    • इसमें ‘बुगड़ी’ दो-तरफा तकनीक का उपयोग करके बुनी गई एक विशेष दो तरफा सीमा है।
  • वर्ष 1780 में वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार।

महिला नेतृत्व वाले विकास की आवश्यकता

  • आर्थिक विकास में तेजी: कार्यबल भागीदारी में लैंगिक अंतर को पाटकर भारत की GDP में 30% तक की वृद्धि की जा सकती (NFHS डेटा) है।
    • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि भारतीय महिलाएँ, जनसंख्या का 48% हिस्सा होने के बावजूद, सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) में केवल 18% का योगदान देती हैं।
  • बढ़ती लैंगिक असमानता को संबोधित करना: भारत वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट, 2024 में 129/146वें स्थान पर है, जिसमें शिक्षा और आर्थिक भागीदारी में गिरावट आई है।
    • भारत की महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर (Female Labour Force Participation Rate – FLFPR) में वृद्धि देखी गई है, जो वर्ष 2017-18 में 23.3% से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 41.7% हो गई है, लेकिन वैश्विक औसत (48.7%) से कम है।
  • समावेशी और सतत् विकास को बढ़ावा देना: महिलाएँ जलवायु लचीलापन, खाद्य सुरक्षा और सामुदायिक कल्याण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
    • दीनदयाल अंत्योदय योजना-NRLM जैसी महिलाओं के नेतृत्व आधारित पहलों ने आजीविका में सुधार करते हुए स्वयं सहायता समूहों में 10 करोड़ से अधिक महिलाओं को संगठित किया।
  • स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देना: महिलाओं के नेतृत्व में विकास स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करता है और मातृ मृत्यु दर को कम करता है।
    • 12 से 26 सप्ताह तक मातृत्व अवकाश बढ़ाने से बेहतर मातृ और शिशु स्वास्थ्य सुनिश्चित होता है।
  • महिलाओं को वित्तीय और कानूनी रूप से सशक्त बनाना: संपत्ति का स्वामित्व रखने वाली और वित्तीय संसाधनों तक पहुँच रखने वाली महिलाओं की गरिमा और निर्णय लेने की शक्ति को बढ़ावा मिलता है।
    • 73.2% ग्रामीण महिलाएँ कृषि में कार्य करती हैं, उनके पास केवल 12.8% भूमि है।
  • राजनीतिक भागीदारी और शासन को बढ़ावा देना: शासन में महिलाओं का बढ़ता प्रतिनिधित्व लैंगिक-संवेदनशील नीतियों और सामाजिक समावेशन की ओर ले जाता है।
    • भारत में, संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व केवल 14.7% है, जबकि वैश्विक औसत 26.5% है (संयुक्त राष्ट्र महिला, 2024)।
  • सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन का सृजन: महिलाओं के नेतृत्व में विकास पारंपरिक लैंगिक भूमिकाओं को चुनौती देता है और समानता को बढ़ावा देता है।
    • महिलाओं के नेतृत्व में स्टार्ट-अप और (STEM) विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (43% महिला STEM स्नातक) में बढ़ती भागीदारी महिलाओं की क्षमताओं को पहचानने की दिशा में सामाजिक मानसिकता को परिवर्तित कर रही है।

भारत में महिलाओं की वर्तमान स्थिति

  • कार्यबल भागीदारी
    • महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर (Female Labour Force Participation Rate – FLFPR): 23.3% (वर्ष 2017-18) से बढ़कर 41.7% (वर्ष 2023-24) हो गया, जिसमें ग्रामीण FLFPR 47.6% (आर्थिक सर्वेक्षण वर्ष 2024-25) रहा है।
    • लैंगिक वेतन अंतराल: महिलाएँ पुरुषों की तुलना में 20-36.7% कम कमाती हैं (डब्ल्यूईएफ, 2023; वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट)।
    • अवैतनिक देखभाल कार्य: महिलाएँ अवैतनिक घरेलू काम पर पुरुषों की तुलना में 5 गुना अधिक समय बिताती  (आवधिक उपयोग सर्वेक्षण, 2020) हैं।
    • क्षेत्रीय वितरण: 76.2% ग्रामीण महिलाएँ कृषि में, 40.1% शहरी महिलाएँ सेवाओं में संलिप्त हैं (2023-24)।
  • शिक्षा
    • महिला साक्षरता: 71.5% (NFHS-5, 2023), जबकि पुरुषों के लिए यह 87.4% है; वैश्विक औसत 79.9% है।
    • STEM: STEM स्नातकों में से 43% महिलाएँ हैं (विश्व स्तर पर सबसे अधिक), लेकिन केवल 14% ही STEM कार्यबल में भाग लेती हैं।
  • स्वास्थ्य
    • मातृ मृत्यु दर: 1 लाख जीवित जन्मों पर 97 (वर्ष 2018-20), महत्त्वपूर्ण सुधार।
    • एनीमिया: 15-49 वर्ष की आयु की 57% महिलाएँ एनीमिया से पीड़ित (NFHS-5, 2021) हैं।
    • घरेलू हिंसा: 29.3% विवाहित महिलाएँ घरेलू हिंसा का सामना करती (NFHS-5, 2021) हैं।
  • उद्यमिता एवं वित्तीय समावेशन
    • स्टार्ट-अप: 73,151 स्टार्ट-अप (कुल का 50%) में कम-से-कम एक महिला निदेशक हैं; 7,000 महिलाओं के नेतृत्व में हैं (कुल का 7.5%)।
    • उद्यम: गैर-कृषि उद्यमों में से 20% महिलाओं के स्वामित्व वाले हैं, 80% अनौपचारिक हैं (MSME रिपोर्ट 2023-24)। केवल 13.76% उद्यमी महिलाएँ हैं।
    • पीएम जन धन योजना के तहत खोले गए लगभग 55% बैंक खातों का संचालन महिलाएँ करती हैं।
  • नेतृत्व
    • रक्षा: लड़ाकू भूमिकाओं और NDA में महिलाएँ; अवनी चतुर्वेदी पहली महिला लड़ाकू पायलट बनीं (2016)। कर्नल सोफिया कुरैशी जैसी महिलाओं के नेतृत्व में ऑपरेशन सिंदूर (2025) “महिला शक्ति” का प्रतीक है।
    • पुलिस: राज्यों ने महिलाओं के लिए 10-35% पुलिस पद आरक्षित किए हैं।
    • न्यायपालिका: उच्च न्यायालय के 14% न्यायाधीश महिलाएँ हैं; न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्न भारत की पहली महिला CJI (2027) बनने वाली हैं।
  • डिजिटल समावेशन
    • मोबाइल स्वामित्व: 25% महिलाओं के पास मोबाइल फोन है, जबकि 41% पुरुषों के पास मोबाइल फोन है (GSMA, 2024)।
    • इंटरनेट तक पहुँच: मोबाइल जेंडर गैप रिपोर्ट, 2021 में बताया गया है कि भारतीय महिलाओं द्वारा पुरुषों की तुलना में मोबाइल इंटरनेट का उपयोग करने की संभावना 15% कम है।

भारत में महिला नेतृत्व विकास के लिए सरकारी नीतियाँ एवं पहल

  • विधायी उपाय
    • नारी शक्ति वंदन अधिनियम (महिला आरक्षण विधेयक), 2023: लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित की गईं।
      • नए संसद भवन में पारित पहला बड़ा कानून, जो महिला नेतृत्व पर ध्यान केंद्रित करने का प्रतीक है।
    • मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019: मुस्लिम महिलाओं के लिए कानूनी सुरक्षा और सामाजिक न्याय प्रदान करते हुए तत्काल तीन तलाक को समाप्त किया गया।
    • मातृत्व अवकाश का विस्तार: कामकाजी माताओं की सहायता के लिए मातृत्व अवकाश 12 से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया गया।

  • शिक्षा एवं स्वास्थ्य योजनाएँ
    • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (Beti Bachao Beti Padhao- BBBP): बाल लैंगिक अनुपात में सुधार और बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अभियान।
      • इसके परिणामस्वरूप लैंगिक अनुपात 918 (वर्ष 2014-15) से बढ़कर 937 (वर्ष 2020-21) हो गया और लड़कियों के लिए माध्यमिक शिक्षा नामांकन में वृद्धि हुई।
    • पोषण अभियान: 14 लाख से अधिक आंगनवाड़ियों की वास्तविक समय निगरानी और सहभागिता के माध्यम से कुपोषण को मिटाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
      • लगभग 10 करोड़ महिलाओं और बच्चों को लाभ।
    • आयुष्मान भारत: 5 लाख रुपये तक का निःशुल्क चिकित्सा उपचार प्रदान करता है, जिससे स्वास्थ्य सेवा में वित्तीय बाधाओं को कम किया जा सकता है।
  • विज्ञान प्रौद्योगिकी
    • विज्ञान ज्योति जैसी योजनाएँ छात्रवृत्ति और मार्गदर्शन के माध्यम से लड़कियों को STEM कॅरियर अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
    • महिला वैज्ञानिक योजना (Women Scientists Scheme -WOS) कॅरियर ब्रेक के बाद शोध में वापस लौटने वाली महिलाओं का समर्थन करती है।
    • पोषण के माध्यम से अनुसंधान उन्नति में ज्ञान भागीदारी (Knowledge Involvement in Research Advancement through Nurturing- KIRAN) जैसे कार्यक्रम विशेष रूप से महिला वैज्ञानिकों को वित्तपोषण और अनुसंधान सहायता प्रदान करते हैं।
      • चंद्रयान-3: 100 से अधिक महिला वैज्ञानिकों/इंजीनियरों ने योगदान दिया।
  • आर्थिक सशक्तीकरण और आजीविका कार्यक्रम
    • प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (Pradhan Mantri Awas Yojana Gramin PMAY-G): PMAY-G के तहत 72% से अधिक घर महिलाओं के स्वामित्व में या सह-स्वामित्व में हैं, जो उन्हें संपत्ति के अधिकार के साथ सशक्त बनाता है।
    • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana-PMUY): 10 करोड़ से अधिक LPG कनेक्शन वितरित किए गए, जिससे घर के अंदर वायु प्रदूषण कम हुआ और महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार हुआ।
    • स्वच्छ भारत मिशन (Swachh Bharat Mission- SBM): खुले में शौच मुक्त (Open Defecation Free- ODF) का दर्जा हासिल किया, जिससे महिलाओं की स्वच्छता, सुरक्षा और गरिमा में वृद्धि हुई।
    • जल जीवन मिशन: ग्रामीण घरों में स्वच्छ नल के जल की पहुँच सुनिश्चित करता है, जिससे महिलाओं पर जल एकत्रित करने का बोझ कम होता है।
    • पीएम मुद्रा योजना और स्टैंड-अप इंडिया: पीएम मुद्रा योजना ने महिलाओं को 30 करोड़ ऋणों में से 69% ऋण स्वीकृत किए; स्टैंड-अप इंडिया ने ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के लिए महिलाओं को 84% ऋण प्रदान किए।
    • महिला सम्मान बचत प्रमाण-पत्र: वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2023-24 के बजट में महिलाओं के लिए एक समर्पित बचत योजना शुरू की गई।
  • सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा
    • मिशन शक्ति: वन-स्टॉप सेंटर और हेल्पलाइन (181) के माध्यम से कौशल विकास, वित्तीय साक्षरता और कानूनी और सामाजिक सहायता तक पहुँच प्रदान करता है।
    • महिला हेल्पलाइन और शी-बॉक्स: हिंसा या संकट का सामना करने वाली महिलाओं को सहायता प्रदान करने वाले प्लेटफॉर्म।
  • कौशल विकास और क्षमता निर्माण
    • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (Pradhan Mantri Kaushal Vikas Yojana- PMKVY): कौशल प्रशिक्षण में महिलाओं की भागीदारी 42.7% (वर्ष 2016) से बढ़कर 52.3% (वर्ष 2024) हो गई।
    • राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (National Rural Livelihoods Mission- NRLM)/दीनदयाल अंत्योदय योजना: 10 करोड़ से अधिक महिलाओं को 92 लाख स्वयं सहायता समूहों (Self-Help Groups- SHG) में संगठित किया गया, जिससे वित्तीय समावेशन और उद्यमिता को बढ़ावा मिला।
    • नमो ड्रोन दीदी अभियान: ड्रोन तकनीक के माध्यम से कृषि में महिलाओं को सशक्त बनाता है।
      • महिलाओं की आय और मनोबल बढ़ता है।
  • महिला उद्यमियों और स्टार्ट-अप्स के लिए समर्थन
    • स्टार्ट-अप इंडिया पहल: कम-से-कम एक महिला निदेशक वाली 73,000 से अधिक स्टार्ट-अप को मान्यता दी गई।
      • स्टार्ट-अप इंडिया सीड फंड स्कीम (Startup India Seed Fund Scheme- SISFS) और स्टार्ट-अप्स के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम ( Credit Guarantee Scheme for Startups- CGSS) महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्ट-अप्स को वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं।
    • स्टैंड-अप इंडिया: अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों की महिला उद्यमियों को ₹10 लाख से ₹1 करोड़ तक के बैंक ऋण की सुविधा प्रदान करता है।
  • डिजिटल साक्षरता और प्रौद्योगिकी तक पहुँच
    • राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन (National Digital Literacy Mission- NDLM) जैसी डिजिटल समावेशन योजनाएँ ग्रामीण और शहरी महिलाओं को डिजिटल कौशल बढ़ाने के लिए लक्षित करती हैं, जो प्रौद्योगिकी-संचालित क्षेत्रों के लिए महत्त्वपूर्ण है।
    • कृषि ड्रोन संचालित करने के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों ( Self-Help Groups-SHG) को प्रशिक्षण देना तकनीक-सक्षम ग्रामीण विकास में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को रेखांकित करता है।

महिला नेतृत्व वाले विकास में चुनौतियाँ

  • गहरी जड़ें जमाए बैठी पितृसत्ता और सामाजिक मानदंड: पारंपरिक लैंगिक भूमिकाएँ महिलाओं की स्वायत्तता और नेतृत्व में भागीदारी को प्रतिबंधित करती हैं।
    • केवल 3% महिलाएँ ही स्वतंत्र घरेलू निर्णय लेती हैं (NFHS-5)। 
    • देखभाल और घरेलू जिम्मेदारियों के बारे में सामाजिक अपेक्षाएँ निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में उनकी भागीदारी में बाधा डालती हैं।
  • महिला श्रम बल में कम भागीदारी: हाल के सुधार के बावजूद भारत की FLFPR कम बनी हुई है।
    • नियमित वेतन वाले कार्यों में महिलाओं की हिस्सेदारी 21.9% (वर्ष 2018-19) से घटकर 15.9% (वर्ष 2022-23) हो गई।
  • शिक्षा और कौशल विकास तक सीमित पहुँच: शैक्षणिक अंतराल और कम आयु में विवाह महिलाओं के सशक्तीकरण और कॅरियर विकास को सीमित करते हैं।
    • महिला साक्षरता दर 65% है, जो पुरुष साक्षरता (82%) से कम है।
    • 43% STEM स्नातक महिलाएँ होने के बावजूद, एक ‘लीक पाइपलाइन’ मौजूद है, जो कई महिलाओं को वरिष्ठ पदों तक पहुँचने से रोकती है।
  • लैंगिक आधारित हिंसा और सुरक्षा के मुद्दे: हिंसा का डर महिलाओं की गतिशीलता, सार्वजनिक जीवन और कार्यबल में भागीदारी को प्रतिबंधित करता है।
    • भारत में वर्ष 2021 में महिलाओं के खिलाफ 4 लाख से अधिक अपराध दर्ज किए गए (NCRB)।
  • आर्थिक असमानताएँ और वित्तीय बहिष्कार: महिलाओं को वेतन अंतराल, नौकरी की असुरक्षा और संपार्श्विक की कमी का सामना करना पड़ता है, जिससे ऋण तक उनकी पहुँच सीमित हो जाती है।
    • भारत में केवल 19% ‘सी-सूट’ भूमिकाएँ महिलाओं के पास हैं; स्टार्ट-अप में भी वरिष्ठ भूमिकाओं में महिलाओं की संख्या कम है।
  • राजनीतिक और नेतृत्व की भूमिकाओं में कम प्रतिनिधित्व: स्थानीय शासन में आरक्षण के बावजूद राजनीतिक भागीदारी कम बनी हुई है।
    • लोकसभा सदस्यों में महिलाएँ केवल 13.6% और राज्यसभा सदस्यों में 13% हैं।
  • डिजिटल लैंगिक अंतराल और प्रौद्योगिकी पहुँच: सीमित डिजिटल साक्षरता महिलाओं की शिक्षा, वित्तीय सेवाओं और बाजारों तक पहुँच को प्रतिबंधित करती है।
    • केवल 25% महिलाओं के पास मोबाइल फोन हैं, जबकि पुरुषों के पास 41% हैं (GSMA, 2024)।

महिला नेतृत्व आधारित विकास को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक प्रयास

  • महिलाओं के विरुद्ध सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर कन्वेंशन (Convention on the Elimination of All Forms of Discrimination against Women- CEDAW): वर्ष 1979 में अपनाया गया।
    • इसकी स्थापना महिलाओं के अधिकारों की देख-रेख और दुनिया भर में उनकी स्थिति की निगरानी के लिए महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र आयोग (1946) के प्रयासों के माध्यम से की गई थी।
  • संयुक्त राष्ट्र महिला: संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2010 में गठित, 
    • यह लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने और राष्ट्रों में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए समर्पित वैश्विक इकाई के रूप में कार्य करता है।
  • अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: प्रतिवर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है।
    • यह विश्व में विविध राष्ट्रीय, सांस्कृतिक, भाषायी, आर्थिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि की महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाता है।
    • थीम 2025: ‘सभी महिलाओं और लड़कियों के लिए: अधिकार, समानता, सशक्तीकरण’

महिला नेतृत्व विकास के लिए आगे की राह

  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल विकास तक पहुँच को बढ़ावा देना: विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में माध्यमिक और उच्च शिक्षा तक लड़कियों की पहुँच को बेहतर बनाना।
    • प्रौद्योगिकी और नवाचार में लैंगिक अंतराल को पाटने के लिए STEM शिक्षा और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना।
  • महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण और उद्यमिता को बढ़ावा देना: ऋण सुविधाओं (मुद्रा योजना, स्टैंड-अप इंडिया) का विस्तार करके और संपार्श्विक आवश्यकताओं को आसान बनाकर वित्तीय समावेशन को मजबूत करना।
    • मेंटरशिप, इनक्यूबेशन और आसान विनियामक अनुपालन के साथ महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्ट-अप का समर्थन करना।
    • अवैतनिक देखभाल कार्य को मान्यता देकर और उसका मूल्यांकन करके औपचारिक क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देना।
  • राजनीतिक भागीदारी और नेतृत्व में वृद्धि करना: विधानसभाओं में अधिक प्रतिनिधित्व के लिए महिला आरक्षण विधेयक के कार्यान्वयन में तेजी लाना।
    • पंचायती राज संस्थाओं के क्षमता निर्माण के माध्यम से जमीनी स्तर पर महिलाओं के नेतृत्व को प्रोत्साहित करना।
  • स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक सुरक्षा में सुधार करना: आयुष्मान भारत और पोषण अभियान जैसी योजनाओं द्वारा समर्थित मातृ और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करना।
    • बेहतर मातृत्व लाभ और लैंगिक आधारित हिंसा के खिलाफ सुरक्षा सहित सुरक्षा संजाल और सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करना।
  • लैंगिक आधारित हिंसा और सुरक्षा संबंधी चिंताओं को संबोधित करना: महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के लिए कानूनों और ‘फास्ट-ट्रैक’ अदालतों के प्रवर्तन को मजबूत करना।
    • महिलाओं के लिए परिवहन, बेहतर स्ट्रीट लाइटिंग और पुलिस गश्त जैसे सार्वजनिक सुरक्षा उपायों का विस्तार करना।
  • डिजिटल लैंगिक विभाजन संबंधी अंतराल: विशेषतः ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए वहनीय स्मार्टफोन और इंटरनेट कनेक्टिविटी तक पहुँच बढ़ाना।
    • पक्षपात से बचने के लिए AI और उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए लैंगिक-संवेदनशील नीतियों को लागू करना।
  • सामाजिक मानदंडों को बदलना और लैंगिक संवेदनशीलता को बढ़ावा देना: पितृसत्तात्मक मानसिकता को चुनौती देने और साझा घरेलू जिम्मेदारियों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान संचालित करना।
    • घर तथा कार्यस्थल पर लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में पुरुषों को सहयोगी के रूप में शामिल करना।

निष्कर्ष

महिलाओं के नेतृत्व में विकास, भारत की प्रगति के लिए महत्त्वपूर्ण है, आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने के लिए महिलाओं को नेतृत्त्वकर्त्ताओं के रूप में सशक्त बनाना होगा। लक्षित नीतियों के माध्यम से पितृसत्ता, हिंसा और डिजिटल असमानताओं जैसी चुनौतियों को नियंत्रित करने का प्रयास  वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लिए नारी शक्ति की क्षमता को साकार करेगा।

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