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| Title | Subject | Paper |
|---|---|---|
| संक्षेप में समाचार | ||
| सुपरकंप्यूटर | Science and Technology, | GS Paper 3, |
| H-1B वीजा के मूल्य में बढ़ोतरी | international Relation, | GS Paper 2, |
| जलवायु-स्वास्थ्य शासन के लिए भारत का मार्ग | Polity and governance , | GS Paper 2, |
| हाई सी ट्रीटी | Environment and Ecology, | GS Paper 3, |
| मेघालय में यूरेनियम खनन | Environment and Ecology, | GS Paper 3, |
| अरब नाटो: एक व्यापक विश्लेषण | international Relation, | GS Paper 2, |
| ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा द्वारा फिलिस्तीन को मान्यता | international Relation, | GS Paper 2, |
हाल ही में, जर्मनी स्थित जुपिटर (JUPITER) यूरोप का पहला एक्सास्केल सुपरकंप्यूटर बना।
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एक घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके अनुसार H-1B वीजा आवेदकों से 100,000 डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) की फीस प्राप्त की जाएगी।
वर्ष 2025 में ब्राजील के ‘बेलेम’ में जलवायु और स्वास्थ्य पर आयोजित वैश्विक सम्मेलन में 90 देशों के प्रतिनिधियों ने ‘बेलेम हेल्थ एक्शन प्लान’ को अंतिम रूप देने के लिए एक साथ मिलकर कार्य किया।
हालाँकि इनमें से कोई भी योजना जलवायु परिवर्तन से संबंधित पहल के रूप में शुरू नहीं हुई थी, लेकिन इनसे स्वास्थ्य में सुधार के साथ-साथ पर्यावरण को भी अत्यधिक लाभ प्राप्त हुआ है।

भारत का अनुभव बताता है कि कल्याण-केंद्रित, अंतर-क्षेत्रीय शासन से जलवायु और स्वास्थ्य दोनों के लिए लाभकारी समाधान प्राप्त हो सकते हैं। जलवायु नीतियों में स्वास्थ्य को शामिल करके, मौजूदा संस्थानों का उपयोग करके और समानता सुनिश्चित करके, भारत एक ऐसा स्वास्थ्य-आधारित जलवायु शासन मॉडल विकसित कर सकता है जो विकास, पर्यावरण और जन कल्याण के मध्य संतुलन बनाए रखे।
हाल ही में, मोरक्को हाई सी ट्रीटी (High Seas Treaty) का अनुसमर्थन करने वाला 60वाँ देश बन गया, जो अंतरराष्ट्रीय जल में जैव विविधता की रक्षा के उद्देश्य से पहला अंतरराष्ट्रीय कानूनी ढाँचा है।
केंद्र सरकार का मेघालय के डोमियासैट और वाकजी में यूरेनियम खनन का निर्णय, प्रक्रियागत सुरक्षा उपायों, आदिवासी अधिकारों, पर्यावरण पर प्रभाव और शासन संबंधी चिंताओं को बढ़ावा देता है।
सितंबर 2025 में कतर की राजधानी दोहा पर हमास नेताओं को निशाना बनाकर किए गए इजरायली हवाई हमले को कतर की संप्रभुता का उल्लंघन माना गया और इस घटना ने अरब और इस्लामी राष्ट्रों के बीच नाटो जैसे सैन्य गठबंधन को लेकर पुनः चर्चा शुरू हो गई।

अरब नाटो की अवधारणा क्षेत्र की उभरती सुरक्षा गतिशीलता और रक्षा मामलों में अधिक स्वायत्तता की इच्छा को दर्शाती है। हालाँकि, आंतरिक मतभेद, खतरे के अलग-अलग प्रतिरूप और भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता इसके कार्यान्वयन में महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ प्रस्तुत करती हैं। भारत के लिए, ऐसे गठबंधन के निर्माण हेतु सामरिक हितों की रक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए सावधानीपूर्वक कूटनीतिक जुड़ाव आवश्यक है।
हाल ही में ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, पुर्तगाल और कनाडा ने औपचारिक रूप से फिलिस्तीन राज्य (स्टेट) को मान्यता दी।
ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा द्वारा फिलिस्तीन को मान्यता देना पश्चिम एशियाई भू-राजनीति में एक महत्त्वपूर्ण बिंदु है, जो पश्चिमी कूटनीतिक दृष्टिकोण में क्रमिक बदलाव का संकेत देता है। हालाँकि इससे संघर्ष का तुरंत समाधान तो नहीं होगा, लेकिन यह फिलिस्तीनी राज्य की आकांक्षाओं को मानक, राजनीतिक और कूटनीतिक बल प्रदान करता है।
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