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| Title | Subject | Paper |
|---|---|---|
| संक्षेप में समाचार | ||
| भारत द्वारा COP-30 में ऊर्जा दक्षता लक्ष्य बढ़ाने की संभावना | Environment and Ecology, | GS Paper 3, |
| भारत की संलयन शक्ति के लिए रोडमैप | Science and Technology, | GS Paper 3, |
| AI द्वारा डिजाइन किया गया वायरल जीनोम | Science and Technology, | GS Paper 3, |
| पश्चिमी अफ्रीकी देशों द्वारा अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय से अलग होने की घोषणा | international Relation, | GS Paper 2, |
| ऑप्टिकल कंप्यूटरों की भौतिकी और AI का भविष्य | Science and Technology, | GS Paper 3, |
| POSH में सुधार: महिलाओं के लिए कार्यस्थल सुरक्षा | Polity and governance , | GS Paper 2, |
भारत COP-30 (बेलिम, ब्राजील, नवंबर 2025) में अपने अद्यतित ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ (Nationally Determined Contributions- NDC) को प्रस्तुत कर सकता है।
गांधीनगर स्थित प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान (Institute for Plasma Research- IPR) के शोधकर्ताओं ने भारत के संलयन ऊर्जा कार्यक्रम के लिए एक रोडमैप प्रस्तावित किया है।

‘स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी’ और ‘आर्क इंस्टिट्यूट’ के शोधकर्ताओं ने पूर्ण रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) द्वारा डिजाइन किया गया विश्व का पहला कार्यशील वायरस जीनोम सफलतापूर्वक निर्मित किया है।
हाल ही में बुर्किना फासो, माली और नाइजर ने संयुक्त रूप से अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) से अलग होने की घोषणा की और इसे साम्राज्यवाद का एक ‘नव औपनिवेशिक’ उपकरण बताया है।
फिनलैंड और फ्राँस में हुए हालिया शोध से ज्ञात हुआ है कि डेटा ट्रांसमिशन के लिए पारंपरिक रूप से प्रयोग किए जाने वाले ऑप्टिकल फाइबर, प्रकाश के अरैखिक व्यवहार का उपयोग करके AI गणनाएँ भी कर सकते हैं।
ऑप्टिकल कंप्यूटिंग दर्शाती है कि किस प्रकार मूलभूत भौतिकी AI के भविष्य को परिवर्तित कर सकती है। कंप्यूटिंग तत्त्वों के रूप में ऑप्टिकल फाइबर का उपयोग करके, वैज्ञानिकों ने दिखाया है कि AI तीव्र, पर्यावरण-अनुकूल और अधिक कुशल हो सकता है। हालाँकि तकनीकी और शासन संबंधी चुनौतियाँ बनी हुई हैं, फिर भी स्वास्थ्य सेवा, शासन और अनुसंधान में क्रांति लाने की अपार संभावनाएँ हैं।
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के अंतर्गत महिला राजनीतिक कार्यकर्ताओं को शामिल करने की याचिका को खारिज कर दिया।

“POSH अधिनियम कार्यस्थल पर महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के अधिकार की रक्षा करने वाला एक ऐतिहासिक कानून है। फिर भी, राजनीतिक दलों और अन्य अर्द्ध-व्यवसायिक स्थानों को इसके दायरे से बाहर रखने से एक गंभीर सुरक्षा अंतराल उत्पन्न होता है। उचित लैंगिक न्याय और समावेशिता के लिए, भारत को कार्यस्थल की परिभाषा पर पुनर्विचार करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि राजनीति तथा सार्वजनिक जीवन में महिलाएँ कानूनी सुरक्षा उपायों के दायरे से बाहर न रहें।
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