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| Title | Subject | Paper |
|---|---|---|
| भारत की जहाज निर्माण अवसंरचना | economy, | GS Paper 3, |
| अनुच्छेद-304: राज्यों के मध्य व्यापार और वाणिज्य | Polity and governance , | GS Paper 2, |
| WTO का मत्स्यन सब्सिडी पर समझौता | Environment and Ecology,international Relation, | GS Paper 2,GS Paper 3, |
| संक्षेप में समाचार | ||
| हरित पटाखे पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय | Environment, | GS Paper 3, |
| भारत की शहरी परिभाषा | social issues, | GS Paper 1, |
| चिल्ड्रन इन इंडिया, 2025′ रिपोर्ट | social issues, | GS Paper 2, |
| प्रांतीय नागरिकता | Polity and governance , | GS Paper 2, |
भारत सरकार ने भारत के जहाज निर्माण और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्स्थापित करने के लिए 69,725 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है, जो मार्च 2026 में समाप्त होने वाले वर्ष 2015 के पैकेज का स्थान लेगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2007 का राजस्थान सरकार का वह नोटिफिकेशन रद्द कर दिया, जिसमें राज्य में बनी एस्बेस्टस सीमेंट शीट और ईंटों पर मूल्य वर्द्धित कर (VAT) आरोपित करने से छूट प्रदान की गई थी, जबकि बाहर से आने वाले इसी तरह सामग्री पर मूल्य वर्द्धित कर (VAT) आरोपित किया गया गया था। न्यायालय ने इसे संविधान के अनुच्छेद-304(a) के तहत भेदभावपूर्ण माना।
12वें WTO मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (2022) में अनुमोदित मत्स्यन सब्सिडी पर WTO समझौता, 2025 WTO सदस्यों के दो-तिहाई समर्थन की प्राप्ति के पश्चात् आधिकारिक रूप से लागू कर दिया गया है।
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली में हरित पटाखों (ग्रीन क्रैकर्स) के निर्माण की अनुमति दी है, लेकिन दिल्ली-NCR में उनकी बिक्री पर रोक लगा दी है।
भारत के रजिस्ट्रार जनरल ने वर्ष 2027 की जनगणना के लिए शहरी क्षेत्रों की परिभाषा के तौर पर वर्ष 2011 की जनगणना वाली परिभाषा को बनाए रखने का प्रस्ताव दिया है, लेकिन जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह पुराना ढाँचा शहरी आबादी की सही गणना में कमी का खतरा उत्पन्न कर सकता है।
हाल ही में, केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation- MoSPI) ने चंडीगढ़ में केंद्रीय और राज्य सांख्यिकी संगठनों के 29वें सम्मेलन (Conference of Central and State Statistical Organizations- CoCSSO) के दौरान ‘चिल्ड्रन इन इंडिया, 2025′ (Children in India 2025) रिपोर्ट का चौथा अंक जारी किया।



‘बच्चे दुनिया के सबसे मूल्यवान संसाधन हैं और भविष्य के लिए सबसे अच्छी उम्मीद हैं।’ – जॉन एफ. कैनेडी
नागरिकता, अधिवास और प्रवास पर वर्तमान में संचालित बहस प्रांतीय नागरिकता (Provincial Citizenship) के उदय को रेखांकित करती है, जो मूलनिवासीवाद (Nativism) से प्रेरित होकर एकल भारतीय नागरिकता की अवधारणा को चुनौती देती है और बहिष्कार, भेदभाव तथा क्षेत्रीय विखंडन के जोखिम को बढ़ाती है।
प्रांतीय नागरिकता स्थानीय स्तर पर असुरक्षाओं को संबोधित कर सकती है, किंतु इससे भारत की एकता और समानता के सिद्धांतों का विघटन होने का खतरा है। बंधुत्त्व, न्याय एवं समानता जैसे संवैधानिक मूल्यों और सतत् विकास लक्ष्य 10 के अनुरूप, भारत को समावेशी एवं स्थायी एकता सुनिश्चित करने हेतु ‘एक राष्ट्र, एक नागरिकता’ के सिद्धांत को पुनः स्थापित करना आवश्यक है।
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