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| Title | Subject | Paper |
|---|---|---|
| राष्ट्रीय दलहन मिशन | कृषि, | GS Paper 3, |
| रक्षा-IBR वैक्सीन | Science and Technology, | GS Paper 3, |
| संक्षेप में समाचार | ||
| भारत-EFTA व्यापार एवं आर्थिक भागीदारी समझौता | international Relation, | GS Paper 2, |
| ध्रुवीय भू-इंजीनियरिंग | Environment, | GS Paper 3, |
| महात्मा गांधी | modern history, | GS Paper 1, |
| दक्षिण-दक्षिण और त्रिकोणीय सहयोग | international Relation, | GS Paper 2, |
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2030-31 की अवधि के लिए ₹11,440 करोड़ के वित्तीय परिव्यय के साथ दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन को मंजूरी दे दी है।
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की सहायक कंपनी, इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड (IIL) ने इन्फेक्शियस बोवाइन राइनोट्रेकाइटिस (Infectious Bovine Rhinotracheitis — IBR) के विरुद्ध भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित ग्लाइकोप्रोटीन ई (gE) डिलीटेड DIVA मार्कर वैक्सीन, रक्षा-IBR (Raksha-IBR) लॉन्च किया है।
भारत एवं यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ ने नई दिल्ली में आयोजित समृद्धि शिखर सम्मेलन में भारत-EFTA व्यापार तथा आर्थिक भागीदारी समझौते (Trade and Economic Partnership Agreement- TEPA) को क्रियान्वित किया है।
भारत के पैमाने एवं प्रतिभा को EFTA के नवाचार तथा वित्तीय शक्ति के साथ जोड़कर, TEPA दीर्घकालिक भारत-यूरोपीय आर्थिक सहयोग के लिए एक स्थिर ढाँचा तैयार करता है, जो ‘मेक इन इंडिया’ एवं आत्मनिर्भर भारत का समर्थन करता है।
‘एक्सेटर यूनिवर्सिटी’ के एक नए अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि ध्रुवीय भू-इंजीनियरिंग परियोजनाएँ वैश्विक परिणामों के साथ गंभीर पर्यावरणीय क्षति का कारण बन सकती हैं, जिससे उनकी व्यवहार्यता पर प्रश्न चिह्न लग जाता है।
कार्बन उत्सर्जन में कमी वर्तमान में भी सबसे प्रभावी समाधान बनी हुई है। कार्बन उत्सर्जन को कम करना केवल वर्तमान में ही नहीं, बल्कि भविष्य में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और वायु को स्वच्छ बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और ऐसी स्थिरता प्राप्त होती है, जिसकी गारंटी केवल भू-इंजीनियरिंग द्वारा संभव नहीं है।
2 अक्टूबर को देशभर में गांधी जयंती मनाई गई। वर्ष 2025 में, भारत ने उनकी 156वीं जयंती मनाई।
PW Only IAS विशेष:21वीं सदी के डिजिटल विश्व में महात्मा गांधी के दर्शन की प्रासंगिकता
निष्कर्षतीव्र गति वाली डिजिटल दुनिया में भी, चिंतन, नैतिक साहस, सत्य और समावेशिता पर गांधी का जोर नैतिक कार्रवाई और सामाजिक सामंजस्य का मार्गदर्शन करता रहता है। |
आज के संघर्षों, जलवायु चुनौतियों और सामाजिक असमानता से भरे विश्व में, गांधी जयंती हमें गांधी जी के शाश्वत दर्शन की याद दिलाती है। शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, नैतिक शासन, सतत् जीवन, समावेशिता, अहिंसा और सत्य पर उनकी शिक्षाएँ राष्ट्रों तथा व्यक्तियों को न्याय, सद्भाव एवं नैतिक प्रगति की ओर अग्रसर करती रहती हैं।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा, 2025 सप्ताह के अवसर पर 20 ‘समान विचारधारा वाले’ ‘ग्लोबल साउथ’ देशों की मेजबानी की तथा वैश्विक संकटों के बीच एकता पर जोर दिया।
SSTC अब केवल एक अवधारणा नहीं, बल्कि समावेशी और सतत् विकास का एक प्रमुख मार्ग है। वर्ष 2030 के एजेंडे के लिए समय सीमित है; ऐसे में भारत का ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का दर्शन और इसके अनुकरणीय मॉडल उसे ‘ग्लोबल साउथ’ के परिवर्तन का नेतृत्व करने की स्थिति में लाते हैं।
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