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Oct 06 2025

Title Subject Paper
संक्षेप में समाचार
युवा सशक्तीकरण विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं हस्तक्षेप तथा उनकी संरचना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।, GS Paper 2,GS Paper 3,
अमेजन की ‘फ्लाइंग रिवर’ Geography, GS Paper 1,
बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका Polity and governance ​, GS Paper 2,
केंद्र ने पशु प्रोटीन-आधारित बायोस्टिमुलेंट्स की बिक्री का अनुमोदन वापस ले लिया कृषि,Science and Technology, GS Paper 3,
CO₂ फर्टिलाइजेशन और अमेजन वर्षावन Environment and Ecology, GS Paper 3,
भारत द्वारा नए अंतरराष्ट्रीय शासन सूचकांक का प्रस्ताव international Relation,Polity and governance ​, GS Paper 2,
खेलों की शक्ति और क्षमता ethics,Polity and governance ​, GS Paper 4,GS Paper 2,

भारत ने ISSA पुरस्कार 2025 जीता

हाल ही में भारत को मलेशिया के कुआलालंपुर में विश्व सामाजिक सुरक्षा फोरम में सामाजिक सुरक्षा में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए अंतरराष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संघ (ISSA) पुरस्कार प्राप्त हुआ।

भारत की मान्यता के बारे में

  • यह पुरस्कार भारत में सामाजिक सुरक्षा कवरेज में हुई प्रगति को मान्यता देता है, जो वर्ष 2015 में 19% से बढ़कर वर्ष 2025 में 64.3% हो गई है और 94 करोड़ से अधिक नागरिकों को लाभान्वित कर रही है।
  • यह ई-श्रम और राष्ट्रीय कॅरियर सेवा पोर्टल जैसे डिजिटल बुनियादी ढाँचे के भारत के अभिनव उपयोग को सम्मानित करता है, जिससे 31 करोड़ अनौपचारिक श्रमिकों के लिए पेंशन, स्वास्थ्य बीमा और रोजगार सेवाओं तक समावेशी पहुँच संभव हुई है।

अंतरराष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संघ (ISSA) के बारे में

  • स्थापना: वर्ष 1927 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के तत्त्वावधान में की गई।
  • मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड।
  • उद्देश्य: वैश्विक स्तर पर सामाजिक सुरक्षा प्रशासन में उत्कृष्टता को बढ़ावा देना, अनुसंधान, ज्ञान-साझा और नीतिगत नवाचार के माध्यम से।
  • सदस्यता: 160 देशों की 320 से अधिक संस्थाएँ, जिनमें सरकारें, सामाजिक बीमा एजेंसियाँ और श्रमिक संगठन शामिल हैं।
  • कार्य: वैश्विक मंचों का आयोजन, सुशासन के लिए ISSA दिशा-निर्देश विकसित करना और सदस्य देशों की सहायता करना ताकि वे कवरेज बढ़ा सकें, लाभ सुधार सकें और स्थिरता सुनिश्चित कर सकें।

ISSA पुरस्कार के बारे में

  • पुरस्कार का स्वरूप: ISSA पुरस्कार सामाजिक सुरक्षा में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च वैश्विक सम्मान है।
  • उद्देश्य: यह पुरस्कार उन राष्ट्रीय पहलों को सम्मानित करता है, जिन्होंने सामाजिक सुरक्षा और संरक्षण को उल्लेखनीय रूप से आगे बढ़ाया है।
  • पूर्व प्राप्तकर्ता
    • आइसलैंड (2022): लैंगिक समानता पर आधारित सामाजिक उपायों के लिए।
    • रवांडा (2019): सार्वभौमिक स्वास्थ्य बीमा के लिए।
    • चीन (2016): सामाजिक सुरक्षा कवरेज का विस्तार करने के लिए।
    • ब्राजील (2013): गैर-योगदान आधारित कल्याण योजनाओं के लिए।

राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए QR कोड साइन बोर्ड

हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने पारदर्शिता, सुरक्षा और यात्रियों की सुविधा बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों पर QR कोड-सक्षम परियोजना सूचना साइन बोर्ड लगाने की घोषणा की है।

क्यूआर कोड साइन बोर्ड के बारे में

इस पहल का उद्देश्य यात्रियों को वास्तविक समय में, परियोजना-विशिष्ट विवरण और आपातकालीन सहायता प्रदान करना है, जिससे जवाबदेही और आवागमन में आसानी को बढ़ावा मिले।

प्रयुक्त तकनीक

  • साइन बोर्ड क्विक रिस्पॉन्स (QR) कोड का उपयोग करते हैं, जिन्हें किसी भी स्मार्टफोन से स्कैन किया जा सकता है।
    • QR कोड ऑप्टिकल पैटर्न रिकग्निशन तकनीक का उपयोग करके काले और सफेद वर्गाकार पैटर्न को पढ़ते हैं, जिन्हें स्मार्टफोन द्वारा डिजिटल डेटा में डिकोड किया जाता है।
  • प्रत्येक QR कोड एक डिजिटल सूचना भंडार से जुड़ा होगा, जिसमें सत्यापित परियोजना डेटा और राजमार्ग सेवा विवरण शामिल होंगे।
  • उच्च दृश्यता सुनिश्चित करने के लिए ऊर्ध्वाधर बोर्डों को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि उन्हें सड़क किनारे की सुविधाओं, टोल प्लाजा, विश्राम स्थलों, ट्रक ले-बाय तथा राजमार्गों के प्रारंभ और समापन बिंदुओं पर स्थापित किया जा सके।

NATO पाइपलाइन प्रणाली

हाल ही में पोलैंड ने NATO पाइपलाइन सिस्टम (NPS) में शामिल होने की घोषणा की।

  • राष्ट्रीय पाइपलाइन ऑपरेटर PERN की भागीदारी वाली 4.7 बिलियन यूरो की इस योजना में जर्मनी से उत्तर-मध्य पोलैंड के बिड्गोश्च (Bydgoszcz) स्थित नाटो बेस तक 300 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाने की परिकल्पना की गई है।

नाटो पाइपलाइन प्रणाली (NPS)

  • यह 10,000 किलोमीटर लंबी पाइपलाइनों का एक सैन्य रसद नेटवर्क है, जो नाटो ठिकानों, टैंकों और विमानों को ईंधन और स्नेहक की आपूर्ति करता है।
  • मूल रूप से शीतयुद्ध के दौरान बनाया गया था और नाटो सहायता एवं खरीद एजेंसी (NSPA) के तहत प्रबंधित किया जाता था।
  • किसी भी विस्तार के लिए सभी 32 नाटो सदस्यों की स्वीकृति आवश्यक है; निर्माण और संचालन राष्ट्रीय साझेदार के अधीन है।
  • पोलैंड की एकीकरण योजना: अब, पोलैंड अपने रक्षा मंत्रालय और संचालक PERN के माध्यम से €4.7 बिलियन की परियोजना में निवेश करके NPS में शामिल होने का लक्ष्य रखता है।
  • उद्देश्य: सहयोगी सेनाओं के लिए ऊर्जा सुरक्षा, परिचालन गतिशीलता और युद्धकालीन लचीलापन सुनिश्चित करना।

कफ सिरप में संदूषक

हाल ही में राजस्थान सरकार ने डेक्सट्रोमेथॉर्फन (DXM) युक्त कफ सिरप के वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया है। कथित तौर पर इस दवा से जुड़ी तीन बच्चों की मौत के बाद यह कदम उठाया गया है।

  • यह कदम ‘ओवर-द-काउंटर’ दवाओं की सुरक्षा और मिलावट को लेकर जारी चिंताओं को उजागर करता है।

डेक्सट्रोमेथॉर्फन (DXM)

  • यह एक व्यापक रूप से प्रयोग किया जाने वाला कफ निरोधक (कफ निवारक) पदार्थ है।
  • कानूनी स्थिति: DXM को औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 (अनुसूची H) के तहत उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया है।
  • सलाह: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने अपने परिपत्र में कहा है कि 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए कफ सिरप की अनुशंसा नहीं की जाती है।
  • कफ सिरप में मिलावट: डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) जैसे औद्योगिक विलायक, जिन्हें कभी-कभी प्रोपिलीन ग्लाइकॉल के सस्ते विकल्प के रूप में प्रयोग किया जाता है, अत्यधिक विषैले होते हैं और इनके सेवन से गुर्दे की गंभीर क्षति और मृत्यु हो सकती है।
  • जन स्वास्थ्य पर प्रभाव: विदेशों में कई घटनाओं, जैसे गांबिया (2022) और उज्बेकिस्तान (2023) में बच्चों की मृत्यु, दूषित भारतीय निर्मित सिरपों के कारण होने के बाद भारत जाँच के दायरे में आ गया है।
  • यह प्रकरण घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कठोर दवा परीक्षण और नियामक सतर्कता के महत्त्व को रेखांकित करता है।

सर क्रीक

गुजरात के भुज और सर क्रीक क्षेत्र की अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सर क्रीक सीमा के निकट किसी भी दुस्साहस के विरुद्ध पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी।

सर क्रीक के बारे में 

  • यह 96 किलोमीटर लंबा ज्वारीय मुहाना है।
  • स्थिति: अरब सागर में विस्तृत है और मोटे तौर पर इसे विभाजित करता है:-
    • सिंध प्रांत (पाकिस्तान) और
    • कच्छ क्षेत्र (गुजरात, भारत)।

सर क्रीक विवाद का इतिहास

  • इस संघर्ष की जड़ें स्वतंत्रता-पूर्व औपनिवेशिक युग में कच्छ (तत्कालीन एक रियासत) के शासक और ब्रिटिश भारत के अधीन सिंध सरकार के बीच हुए समझौतों में निहित हैं।
  • भारत का पक्ष: थेलवेग सिद्धांत (अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून सिद्धांत) के आधार पर समझौते का समर्थन करता है।
  • पाकिस्तान का पक्ष: सीमा पूर्वी तट पर स्थित है, जिससे खाड़ी का पूरा नियंत्रण सिंध को प्राप्त हो जाता है।
    • यह तर्क देता है कि सर क्रीक नौगम्य नहीं है। इसलिए, थेलवेग सिद्धांत लागू नहीं होता (और इसलिए वर्ष 1947 के बाद पाकिस्तान पर भी लागू नहीं होता)।
  • थेलवेग सिद्धांत: अंतरराष्ट्रीय सीमा कानून का एक प्रचलित नियम-जब दो राष्ट्र एक नौगम्य नदी या जलमार्ग साझा करते हैं, तो सीमा मध्य-चैनल या नौगम्यता की सबसे गहरी रेखा से होकर गुजरती है।

संदर्भ

हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 62,000 करोड़ रुपये से अधिक की युवा-केंद्रित पहलों का शुभारंभ किया।

संबंधित तथ्य

  • केंद्रीय युवा मामले एवं खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री ने ऑनलाइन युवा नेतृत्व एवं सामाजिक सहभागिता मंच तथा ‘माई भारत’ मोबाइल एप्लिकेशन भी लॉन्च किया।

माई भारत मोबाइल एप्लिकेशन के बारे में

  • माई भारत, केंद्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के अंतर्गत एक डिजिटल युवा संबद्ध मंच है।
  • यह स्वयंसेवा, इंटर्नशिप, कौशल निर्माण और नेतृत्व के अवसर प्रदान करता है, जिससे भारत के युवाओं में समावेशी भागीदारी, नागरिक जुड़ाव और राष्ट्र निर्माण को बढ़ावा मिलता है।
  • डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन (DIC), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है।
  • युवाओं के लिए माई भारत मोबाइल ऐप के लाभ
    • मोबाइल एक्सेस: स्वयंसेवा, इंटर्नशिप, मेंटरशिप और अनुभवात्मक शिक्षा के सत्यापित अवसरों तक मोबाइल-आधारित पहुँच प्रदान करता है।
    • मान्यता: युवाओं की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए डिजिटल बैज, प्रमाण-पत्र और व्यक्तिगत प्रोफइल प्रदान करता है।
    • कॅरियर सशक्तीकरण: पेशेवर विकास के लिए निर्देशित मार्ग, कौशल-निर्माण संसाधन और AI-सक्षम निर्माण को सक्षम बनाता है।
    • सक्रिय भागीदारी: प्रमुख राष्ट्रीय अभियानों में भागीदारी को सुगम बनाता है, जिससे युवा भारत की विकास यात्रा में सीधे योगदान कर सकते हैं।

हाल ही में शुरू की गई पहल

  • राष्ट्रीय पहल
    • पीएम-सेतु (उन्नत ITI के माध्यम से प्रधानमंत्री कौशल और रोजगार परिवर्तन)
      • उद्देश्य: पूरे भारत में 1,000 सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITI) का ‘हब-एंड-स्पोक मॉडल’ के तहत आधुनिकीकरण और उन्नयन करना, रोजगार क्षमता बढ़ाने और कौशल अंतराल को पाटने के लिए उद्योग साझेदारी को एकीकृत करना।
      • मुख्य विशेषताएँ
        • हब-एंड-स्पोक मॉडल: 200 हब ITI और 800 स्पोक ITI को जोड़ा जाएगा, जिससे उन्नत बुनियादी ढाँचे, आधुनिक ट्रेड, डिजिटल शिक्षण प्रणाली, नवाचार केंद्र, इनक्यूबेशन इकाइयाँ और प्लेसमेंट सेवाओं से सुसज्जित क्लस्टर निर्मित किए जाएँगे।
        • उद्योग सहयोग: सरकारी स्वामित्व वाली लेकिन उद्योग-प्रबंधित ITI, प्रमुख उद्योग भागीदारों के साथ मिलकर बाजार की माँगों के अनुरूप परिणाम-आधारित कौशल विकास सुनिश्चित करेंगी।
        • वित्तीय परिव्यय: विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक से सह-वित्तपोषण सहायता सहित ₹60,000 करोड़।
        • प्रशिक्षक विकास और डिजिटल एकीकरण: दूरस्थ पहुँच के लिए डिजिटल शिक्षण प्लेटफॉर्म के साथ 50,000 प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
        • फोकस क्षेत्र: पहले चरण में पटना और दरभंगा में ITIs निर्माण पर बल दिया जाएगा, जो बिहार के युवा-केंद्रित हस्तक्षेपों के अनुरूप होंगे।
      • अपेक्षित परिणाम
        • उच्च माँग वाले क्षेत्रों में 20 लाख युवाओं को कौशल प्रदान करना।
        • नौकरी के लिए तैयार उम्मीदवारों तक पहुँच के साथ MSMEs को मजबूत बनाना।
        • भारत की वैश्विक कौशल प्रतिस्पर्द्धात्मकता में वृद्धि।
    • विद्यालयों में व्यावसायिक कौशल प्रयोगशालाएँ: 34 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के नवोदय विद्यालयों और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में 1,200 प्रयोगशालाएँ, 12 उच्च-माँग वाले क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करेंगी और 1,200 व्यावसायिक शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगी।
  • बिहार-केंद्रित पहल
    • मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना: 5 लाख स्नातकों को 2 वर्षों तक प्रतिवर्ष ₹1,000 मासिक भत्ता, साथ ही शिक्षा से रोजगार में परिवर्तन के लिए निःशुल्क कौशल प्रशिक्षण।
    • ब्याज मुक्त छात्र क्रेडिट कार्ड योजना: उच्च शिक्षा के लिए ₹4 लाख तक के ऋण; ₹7,880 करोड़ वितरित कर 3.92 लाख छात्रों को लाभान्वित किया गया।
    • जननायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय: विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी कार्यबल तैयार करने के लिए उद्योग-उन्मुख और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना।
    • बिहार युवा आयोग: रोजगार, कौशल और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए वैधानिक निकाय (18-45 वर्ष)।
    • उच्च शिक्षा एवं अवसंरचना: 4 विश्वविद्यालयों—पटना विश्वविद्यालय, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, जय प्रकाश विश्वविद्यालय और नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय में सुविधाओं के लिए ₹160 करोड़ (27,000 छात्र लाभान्वित करना); NIT पटना बिहटा परिसर में 5G लैब, इसरो अंतरिक्ष केंद्र, इनोवेशन हब

राष्ट्रीय युवा दिवस: यह दिवस प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद के सम्मान में मनाया जाता है, जो एक आध्यात्मिक नेता, दार्शनिक और विचारक थे तथा युवाओं की परिवर्तनकारी शक्ति में विश्वास करते थे।

‘युवा’ के बारे में 

  • परिभाषा: सांख्यिकीय उद्देश्यों के लिए, संयुक्त राष्ट्र,  सदस्य देशों की अन्य परिभाषाओं को प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए बिना, 15 से 24 वर्ष की आयु के व्यक्तियों को ‘युवा’ के रूप में परिभाषित करता है।
  • राष्ट्रीय युवा नीति (2014) के अनुसार, युवा 15-29 वर्ष की आयु के होते हैं, जो जनसांख्यिकीय रूप से एक महत्त्वपूर्ण समूह है, जो समावेशी विकास, राष्ट्र-निर्माण और सामाजिक-आर्थिक प्रगति को गति प्रदान करने में सक्षम है।
  • भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश: भारत वर्तमान में अपने जनसांख्यिकीय लाभांश चरण में है, जो एक ऐसा दौर है, जब एक बड़ी कार्यशील आयु वर्ग (15-64 वर्ष) एक छोटी आश्रित आबादी का समर्थन करती है, जिससे आर्थिक विकास की संभावना बढ़ जाती है।
    • भारत में विश्व की सर्वाधिक युवा आबादी है, जिसके लगभग 65% लोग 35 वर्ष से कम आयु के हैं।

युवा सशक्तीकरण के लिए सरकारी पहल

  • आर्थिक सशक्तीकरण: प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (2015) द्वारा सूक्ष्म उद्यमों को ₹33.65 लाख करोड़ के ऋण प्रदान किए गए हैं; जिसमें 40% लाभार्थी महिलाएँ थी।
    • स्टार्ट-अप इंडिया (2016) ने 1.6 लाख से अधिक स्टार्ट-अप को मान्यता दी, जिससे 17.6 लाख रोजगार सृजित हुए।
  • शिक्षा: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 100% स्कूल नामांकन सुनिश्चित करना है।
    • प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 14,500 स्कूलों को ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ (NEP) के अनुरूप संस्थानों में उन्नत किया।
  • कौशल विकास और रोजगार: ‘कौशल भारत मिशन’ और PMKVY द्वारा 1.63 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है। 
    • रोजगार मेले के दौरान लगभग 10 लाख सरकारी नौकरी के नियुक्ति-पत्र जारी किए गए।
  • खेल और नेतृत्व: ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ (NSS) और ‘नेहरू युवा केंद्र संगठन’ (NYKS) ने समाज सेवा के लिए लाखों लोगों को प्रेरित किया।
    • खेल संस्कृति को पुनर्जीवित करने में मदद के लिए टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना (TOPS) और खेलों की शुरुआत की गई। 
  • नए युग के युवाओं की भागीदारी: ‘मेरा युवा भारत’ (2023) ने स्वयंसेवा और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से 1.5 करोड़ से अधिक युवाओं को जोड़ा।
  • राष्ट्र सेवा: अग्निपथ योजना (2022) युवाओं के लिए अल्पकालिक सैन्य सेवा प्रदान करती है।

हाल की युवा पहलों का महत्त्व और बहुआयामी प्रभाव

  • जनसांख्यिकीय लाभांश का दोहन: भारत की युवा-केंद्रित नीतियों का उद्देश्य अपनी विशाल युवा आबादी को एक दीर्घकालिक राष्ट्रीय संपत्ति में परिवर्तित करना है, जिससे नवोन्मेषी, उद्यमशीलता और नेतृत्व क्षमता का दोहन हो सके।

  • कौशल विकास और रोजगार: उन्नत औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (पीएम-सेतु) के माध्यम से प्रधानमंत्री कौशल विकास और रोजगार परिवर्तन जैसे कार्यक्रम उद्योग-संरेखित कौशल को बढ़ावा देते हैं, रोजगार-बाजार असंतुलन को कम करते हैं और युवाओं को एआई, मशीन लर्निंग तथा उद्योग 4.0 जैसे उभरते क्षेत्रों के लिए तैयार करते हैं।
  • समावेशी विकास और क्षेत्रीय समानता: बिहार और अन्य अविकसित क्षेत्रों में लक्षित हस्तक्षेपों का उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को समाप्त करना, शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता के अवसरों तक समान पहुँच को बढ़ावा देना है।
  • उद्यमिता संवर्द्धन: व्यावसायिक शिक्षा, इनक्यूबेशन केंद्रों और स्टार्ट-अप सहायता का एकीकरण आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करता है, स्टार्ट-अप संस्कृति का विकास करता है और आत्मनिर्भर भारत में योगदान देता है।
  • शासन और संस्थागत आयाम
    • संघीय संरचना: सहकारी और प्रतिस्पर्द्धी संघवाद केंद्र-राज्य तालमेल को सशक्त करता है, जिसमें पीएम-सेतु जैसी केंद्रीय योजनाएँ राज्य-विशिष्ट पहलों के पूरक के रूप में कार्य करती हैं।
    • अंतर-मंत्रालयी समन्वय: अंतर-मंत्रालयी समन्वय के लिए युवा मामले और खेल, कौशल विकास एवं उद्यमिता, श्रम एवं रोजगार और शिक्षा मंत्रालयों के बीच एक सुसंगत ढाँचा स्थापित करना, जिससे दोहराव और विखंडन को कम किये जा सके।
  • सामाजिक और सांस्कृतिक आयाम
    • मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण: बढ़ते तनाव, बेरोजगारी और डिजिटल समावेशन के कारण टेली-मानस, मानसिक स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढाँचे और अलगाव-मुक्ति अभियानों जैसी पहलों का विस्तार आवश्यक हो गया है।
    • समावेशीता और समानता: समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए नीतियों को अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), एलजीबीटीक्यू+ व्यक्तियों, दिव्यांगजनों और हाशिए पर स्थित  समुदायों को लक्षित करना चाहिए।
    • सामाजिक पूँजी और सामुदायिक सहभागिता: नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS), राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS), और राष्ट्रीय युवा वाहिनी (NYC) जैसे मंच नागरिक उत्तरदायित्व, स्वयंसेवा की भावना और सामुदायिक अनुकूलन को विकसित करते हैं।
    • युवा पहचान और मूल्य: माई भारत जैसी पहल देशभक्ति, धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय और नैतिक नेतृत्व को बढ़ावा देती हैं, और आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ावा देती हैं।

भारतीय युवाओं के सामने चुनौतियाँ

  • शिक्षा की गुणवत्ता और कौशल की कमी: भारत की शिक्षा प्रणाली खराब शिक्षण परिणामों, अपर्याप्त शिक्षकों और पुराने पाठ्यक्रम से जूझ रही है।
    • असर (ASAR), 2023 से ज्ञात होता है कि 14-18 वर्ष की आयु के 25% बच्चे कक्षा 2 की पाठ्य पुस्तकें नहीं पढ़ सकते। स्नातक युवा प्रायः ‘दस्तावेजी योग्यता’ के बावजूद बेरोज़गार हैं, WEF 2020 के अनुसार केवल 20% इंजीनियर ही रोजगार योग्य हैं।
  • आधुनिक अर्थव्यवस्था से असंगति: शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग (ML), बिग डेटा और इंडस्ट्री 4.0 जैसी उभरती तकनीकों के साथ तालमेल बिठाने में विफल रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अधिगम कौशल और उद्योग की आवश्यकताओं के मध्य अंतर उत्पन्न होता है।
  • क्षेत्रीय और सामाजिक असमानताएँ: प्राय: महानगरों पर केंद्रित हैं, जिससे ग्रामीण और आदिवासी जिले वंचित रह जाते हैं। लिंग, जाति और सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ शिक्षा, कौशल और उद्यमिता के अवसरों तक पहुँच को सीमित करती हैं।
    • जनजातीय क्षेत्रों में शैक्षिक अंतराल: जनजातीय साक्षरता दर 58.96% है, जो राष्ट्रीय औसत 72.99% से काफी कम है।
    • आर्थिक कठिनाई: 46% से अधिक स्थानिक समुदाय गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं, जिसके कारण स्थानीय रोजगार और कौशल विकास के अभाव में पलायन होता है।
    • जाति-आधारित शैक्षिक असमानता: हाशिये पर स्थित समुदायों को शिक्षा और रोजगार में प्रणालीगत बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जिससे एक प्रकार का सामाजिक स्तरीकरण बना रहता है।
    • उच्च शिक्षा में लैंगिक असमानता: महिलाओं को शिक्षा, रोजगार, आय और सामाजिक गतिशीलता में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
    • जाति और लिंग का अंतर्संबंध: हाशिये पर स्थित जातियों की महिलाओं को शिक्षा और रोजगार के अवसरों तक पहुँचने में जटिल बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
  • शिक्षा से जुड़ाव में कमी: विगत दो वर्षों में स्कूल नामांकन में 20.7 मिलियन की गिरावट आई है (UDISE+ 2023-24)। ‘मध्याह्न भोजन योजना’ जैसे प्रोत्साहनों के बावजूद, शिक्षा को लगातार अनाकर्षक माना जा रहा है, जो दीर्घकालिक कौशल विकास को प्रभावित कर रहे हैं।
  • सामाजिक असंतोष का जोखिम: युवाओं की एक बड़ी संख्या (65% 35 वर्ष से कम आयु के) के साथ-साथ बेरोजगारी और हताशा, उग्रवाद, आपराधिक भर्ती और सामाजिक अशांति के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाती है। ऐतिहासिक रुझान 30 वर्ष से कम आयु की 60% से अधिक आबादी वाले देशों में संघर्ष के उच्च जोखिम का संकेत देते हैं।
  • संस्थागत और राजनीतिक कमजोरी: कमजोर शासन, भ्रष्टाचार और विभाजनकारी राजनीति युवाओं की क्षमता को कमजोर करती है। राजनीति और प्रशासन में नेतृत्व की कमी, राष्ट्र निर्माण में युवाओं की सक्रिय भागीदारी के अवसरों को कम करती है।
  • डिजिटल युग और सामाजिक अलगाव: सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग और डिजिटल विश्व में रहने से मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ, सामाजिक अलगाव और पारस्परिक कौशल में कमी आ सकती है। ऑनलाइन फेक न्यूज, साइबर धोखाधड़ी और अनुचित तुलना भी प्रेरणा और करियर विकल्पों को प्रभावित करती है।
    • वर्तमान समय में 15 से 29 वर्ष की आयु के भारतीय युवाओं में आत्महत्या मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 में भारत की आत्महत्या दर प्रति 1,00,000 पर 12.6 थी, जो वैश्विक औसत 9.2 से काफी अधिक है।

सतत् विकास लक्ष्य और वैश्विक संदर्भ

  • सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) के साथ संबंध
    • पीएम-सेतु और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) सतत् विकास लक्ष्य 4 (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा) और सतत् विकास लक्ष्य 8 (उत्कृष्ट कार्य और आर्थिक विकास) में योगदान देती हैं।
    • ‘मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना’, सतत् विकास लक्ष्य 1 (गरीबी उन्मूलन) और सतत् विकास लक्ष्य 10 (असमानताओं में कमी) में योगदान देती है।
    • खेलो इंडिया सतत् विकास लक्ष्य 3 (उत्कृष्ट स्वास्थ्य और कल्याण) में योगदान देती है।
  • युवा जलवायु कार्रवाई: पर्यावरण के लिए जीवनशैली (LiFE) मिशन युवाओं को पर्यावरण संरक्षण, अपशिष्ट प्रबंधन और नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने में संलग्न करता है।
  • वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाएँ: जर्मनी, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर जैसे देश उच्च-तकनीकी कौशल, व्यावसायिक संरेखण और जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के प्रभावी प्रबंधन  पर केंद्रित हैं, जिसका भारत अनुकरण कर सकता है।

आगे की राह

  • एकीकृत कौशल और शिक्षा दृष्टिकोण: समग्र युवा विकास के लिए उच्च शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और उद्यमिता को एक साथ लाना। पीएम-सेतु जैसे कार्यक्रमों को उद्योग की आवश्यकताओं और AI, ML और नवीकरणीय ऊर्जा जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ संरेखण सुनिश्चित करना चाहिए।
    • उदाहरण: जर्मनी की दोहरी शिक्षा प्रणाली, व्यावसायिक प्रशिक्षण को उद्योग के अनुभव के साथ जोड़ती है, जिससे नौकरी के लिए तैयार स्नातक तैयार होते हैं।
  • विकेंद्रीकृत और क्षेत्र-विशिष्ट फोकस: जिला और राज्य-स्तरीय आवश्यकताओं के अनुरूप योजनाएँ तैयार करना, जिससे क्षेत्रीय समानता सुनिश्चित हो सके। शिक्षा, कौशल और रोजगार के अवसरों में शहरी-ग्रामीण असमानताओं को समाप्त करने के लिए न्यूनतम  सुविधा वाले ग्रामीण, आदिवासी और पिछड़े जिलों पर ध्यान केंद्रित करना।
  • व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी: व्यावहारिक कौशल प्रशिक्षण, प्लेसमेंट और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए उद्योग सहयोग का लाभ उठाना। हब-एंड-स्पोक ITIs क्लस्टरों में ‘एंकर उद्योग भागीदार’ बाजार-संरेखित और परिणाम-संचालित कौशल सुनिश्चित कर सकते हैं।
    • उदाहरण: दक्षिण कोरिया के युवा रोजगार कार्यक्रम, श्रम बाजार की आवश्यकताओं के साथ कौशल को संरेखित करते हुए सरकार-उद्योग सहयोग को दर्शाते हैं।
  • डिजिटल और प्रौद्योगिकी एकीकरण: देश भर में पहलों को बढ़ाने के लिए डिजिटल शिक्षण प्लेटफॉर्म, एआई-आधारित कौशल मूल्यांकन और ऑनलाइन मार्गदर्शन का उपयोग करना। युवाओं में सामाजिक अलगाव, फेक न्यूज और साइबर जोखिमों को रोकने के लिए डिजिटल साक्षरता और जिम्मेदारी से उपयोग को बढ़ावा देना।
  • गिग अर्थव्यवस्था की तैयारी: यह सुनिश्चित करना कि पीएम-सेतु और पीएमकेवीवाई जैसे कौशल विकास कार्यक्रम युवाओं को फ्रीलांसिंग, अस्थायी अनुबंधों और डिजिटल अर्थव्यवस्था के उभरते क्षेत्रों के लिए तैयार करना।
  • निगरानी और परिणाम-आधारित कार्यान्वयन: प्रभावशीलता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सभी युवा-केंद्रित कार्यक्रमों के लिए मजबूत मूल्यांकन तंत्र स्थापित करना। परिणामों पर नजर रखने के लिए युवा अवसर सूचकांक और जिला-स्तरीय प्रदर्शन मीट्रिक लागू करना।
  • समावेशिता और समान पहुँच: समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं, हाशिए पर स्थित समुदायों और आदिवासी युवाओं को प्राथमिकता देना। ब्याज-मुक्त ऋण, छात्रवृत्ति और वजीफे का विस्तार करना, जिससे शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता तक पहुँच आसान हो सके।
  • नवाचार, अनुसंधान और उद्यमिता को बढ़ावा देना: शैक्षणिक संस्थानों में नवाचार केंद्रों, इनक्यूबेशन केंद्रों और अनुसंधान सुविधाओं में निवेश करना। रचनात्मकता, समस्या-समाधान कौशल और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी प्रतिभा को पोषित करने के लिए स्टार्ट-अप, एमएसएमई और युवा-नेतृत्व वाले उद्यमों को प्रोत्साहित करना।
    • उदाहरण: संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्य 8 (सभ्य कार्य और आर्थिक विकास) सतत् विकास के वैश्विक मानक के रूप में युवा रोजगार, उद्यमिता और कौशल विकास पर बल देता है।

निष्कर्ष

युवा-केंद्रित ₹62,000 करोड़ की पहल भारत की जनसांख्यिकीय लाभांश का दोहन करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। शिक्षा, कौशल, उद्यमिता और बुनियादी ढाँचे को एकीकृत करके, भारत का लक्ष्य आत्मनिर्भरता, समावेशी विकास और सतत् विकास को बढ़ावा देना है, जिससे राष्ट्रीय प्रगति में युवा को एक प्रेरक बल के रूप में उपयोग किया जा सके।

संदर्भ

अमेजन संरक्षण के अंतर्गत, मॉनिटरिंग ऑफ द एंडियन अमेजन प्रोजेक्ट (Monitoring of the Andean Amazon Project- MAAP) द्वारा किए गए नए शोध में चेतावनी दी गई है कि निरंतर वनोन्मूलन अमेजन की “फ्लाइंग रिवर” को बाधित कर रही है।

संबंधित तथ्य

  • यह अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि वनों का विनाश न केवल एक पारिस्थितिकी संकट है, बल्कि एक जल विज्ञान संबंधी संकट भी है, जो महाद्वीप के जलवायु संतुलन को बदल रहा है।

“फ्लाइंग रिवर” के बारे में

  • परिभाषा: “फ्लाइंग रिवर” वायु में प्रवाहित नमी की धाराएँ हैं, जो अमेजन वर्षावन में वृक्षों द्वारा वाष्पोत्सर्जन के माध्यम से जल वाष्प उत्सर्जित करने पर बनती हैं।
  • यह वाष्प वायुमंडलीय धाराओं से मिलकर आर्द्रता की “फ्लाइंग रिवर” बनाती है, जो दक्षिण अमेरिका से होते हुए पश्चिम की ओर बहती हैं एवं एंडीज, मध्य ब्राजील तथा यहाँ तक कि अर्जेंटीना तक वर्षा लाती हैं।

  • जलवायु नियमन में भूमिका
    • वृक्ष, वाष्पोत्सर्जन के माध्यम से अमेजन की लगभग आधी वर्षा का पुनर्चक्रण करते हैं।
    • ये वायुमंडलीय नमी प्रवाह क्षेत्रीय वर्षा पैटर्न, कृषि एवं नदी प्रणालियों को बनाए रखते हैं।
  • इस शब्द की उत्पत्ति: ब्राजीलियाई जलवायु वैज्ञानिक कार्लोस नोब्रे द्वारा वर्ष 2006 में गढ़ा गया, जिसका उद्देश्य अमेजन पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने वाली वाष्प की अदृश्य नदियों का वर्णन करना था।
  • इस प्रकार, अमेजन एक विशाल जैविक पंप के रूप में कार्य करता है, दक्षिण अमेरिका की अधिकांश वर्षा को बनाए रखने वाली नमी को मुक्त एवं पुनर्वितरित करता है।

MAAP विश्लेषण के निष्कर्ष

  • वृक्षों की हानि का प्रभाव: निरंतर वनोन्मूलन ने वनों की जल विज्ञान संबंधी प्रक्रिया को बाधित कर दिया है, जिससे पश्चिम की ओर नमी का प्रवाह कम हो गया है।
  • दृश्य प्रभाव
    • पेरू: फसल विफलता एवं सूखे के कारण फसल नष्ट हो गईं।
    • इक्वाडोर: नदियों के जल स्तर में गिरावट के कारण जलविद्युत हेतु बाँधों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
    • ब्राजील: व्यापक वनाग्नि एवं लंबे समय तक सूखा देखा गया है।

  • वैज्ञानिक चिंता
    • वृक्षों की हानि से क्षेत्र की वायुमंडल में नमी को “पंप” करने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे वर्षावन को बनाए रखने वाली“फ्लाइंग रिवर” प्रणाली कमजोर हो जाती है।
    • यह फीडबैक लूप अमेजन को एक पारिस्थितिकीय बिंदु (सवानाकरण प्रक्रिया, जो अपरिवर्तनीय सूखे की प्रक्रिया एवं जैव विविधता के ह्रास से चिह्नित होती है) की ओर ले जाने का जोखिम उत्पन्न करता है।

वैश्विक निहितार्थ

  • जल विज्ञान संबंधी संकट
    • वर्षा में कमी से दक्षिण अमेरिका में कृषि, जल विद्युत एवं पेयजल आपूर्ति को खतरा है।
    • “फ्लाइंग रिवर” का कमजोर होना इक्वाडोर, पेरू तथा दक्षिणी ब्राजील में जल उपलब्धता को कम करती हैं, जिससे ऊर्जा एवं खाद्य असुरक्षा बढ़ रही है।
  • कार्बन एवं जलवायु प्रतिक्रिया
    • कम वृक्षों का अर्थ है कम कार्बन अवशोषण, जबकि सूखे और आग के कारण संगृहीत कार्बन वायुमंडल में उत्सर्जित होता है, जिससे अमेजन एक कार्बन सिंक से कार्बन स्रोत में परिवर्तित हो जाता है।
    • वर्षावन के शीतलन प्रभाव में कमी से क्षेत्रीय तापमान में वृद्धि हो सकती है तथा वैश्विक जलवायु परिसंचरण पैटर्न बाधित हो सकते हैं।
  • पारिस्थितिकी एवं जैव विविधता जोखिम
    • सवाना में परिवर्तन से जैव विविधता में भारी कमी आएगी, जिससे हजारों स्थानिक प्रजातियाँ प्रभावित होंगी।
    • वर्षावन पारिस्थितिकी तंत्र के पतन से वैश्विक ऑक्सीजन उत्पादक एवं कार्बन नियामक के रूप में इसकी भूमिका कमजोर हो जाएगी।

संदर्भ

जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA), 1980 के तहत निवारक निरोध से उनकी तत्काल रिहाई की माँग करते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है।

संबंधित तथ्य

  • लद्दाख के जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को लद्दाख के राज्य के दर्जे तथा पर्यावरण संबंधी चिंताओं को लेकर चल रहे आंदोलन से जुड़े हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद, NSA, 1980 के तहत हिरासत में लिया गया था।

कानूनी ढाँचा एवं न्यायिक व्याख्या (NSA 1980)

  • सशक्तीकरण प्रावधान: NSA की धारा 3 केंद्र या राज्य सरकार को किसी व्यक्ति को निवारक निरोध के लिए हिरासत में लेने का अधिकार देती है, यदि उनकी गतिविधियों को सार्वजनिक व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा, भारत के विदेशी संबंधों, या आवश्यक आपूर्ति एवं सेवाओं के लिए हानिकारक माना जाता है।
  • हिरासत आदेश तर्कसंगत होना चाहिए, महत्त्वपूर्ण एवं प्रासंगिक तर्क पर आधारित होना चाहिए तथा इसके आधार बंदी या उसके परिवार को बताए जाने चाहिए।
  • हिरासत की अवधि: यह अधिनियम बिना आरोप दायर किए 12 महीने तक हिरासत में रखने की अनुमति देता है, जिसकी आवधिक समीक्षा की जा सकती है।
  • न्यायिक सुरक्षा उपाय: सर्वोच्च न्यायालय ने लगातार माना है कि निवारक हिरासत एक “कठोर उपाय” है, जो संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।
  • न्यायिक समीक्षा का दायरा: न्यायालय यह जाँच करते हैं कि क्या-
    • हिरासत लेने वाले प्राधिकारी की “व्यक्तिपरक संतुष्टि” प्रासंगिक एवं तात्कालिक तथ्यों पर आधारित है।
    • प्राधिकारी ने अप्रासंगिक या दूरस्थ विचारों से परहेज किया है।
    • हिरासत आदेश, जबरन, द्वेष या मनमानी से मुक्त होकर लिए गए निर्णय को दर्शाता है।
  • न्यायिक बल: राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि निवारक निरोध का दंडात्मक उद्देश्यों के लिए दुरुपयोग न हो, जिससे सुरक्षा एवं स्वतंत्रता के बीच संतुलन की पुष्टि हो।

बंदी प्रत्यक्षीकरण उपाय

  • अर्थ
    • बंदी प्रत्यक्षीकरण का शाब्दिक अर्थ है “शरीर को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना”
    • यह न्यायालय द्वारा दिया गया आदेश है, जो किसी अन्य व्यक्ति को हिरासत में लेने वाले प्राधिकारी या व्यक्ति को हिरासत में लिए गए व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश देता है।
  • संवैधानिक आधार
    • अनुच्छेद-32 (सर्वोच्च न्यायालय) एवं अनुच्छेद-226 (उच्च न्यायालय) के अंतर्गत उपलब्ध।
    • व्यक्तियों के अवैध निरोध को चुनौती देने एवं तत्काल रिहाई की माँग करने में सक्षम बनाता है।
  • यह कार्यपालिका के अतिक्रमण तथा निरोध के विरुद्ध एक महत्त्वपूर्ण संवैधानिक सुरक्षा उपाय है।
  • उद्देश्य
    • जबरन या गैर-कानूनी हिरासत के विरुद्ध व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है।
    • निजी एवं सार्वजनिक दोनों प्राधिकारियों के विरुद्ध जारी किया जा सकता है।
  • जारी करने की सीमाएँ: रिट निम्नलिखित मामलों में जारी नहीं की जा सकती:-
    • जब हिरासत वैध हो।
    • न्यायालय या विधायिका की अवमानना ​​की कार्यवाही में।
    • जब हिरासत का आदेश किसी सक्षम न्यायालय द्वारा दिया गया हो।
    • यदि हिरासत में लिया गया व्यक्ति जारी करने वाले न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर हो।

संदर्भ

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने धार्मिक और आहार संबंधी संवेदनशीलता का हवाला देते हुए 11 पशु प्रोटीन-आधारित बायोस्टिमुलेंट्स की बिक्री की मंजूरी वापस ले ली है।

संबंधित तथ्य

  • कृषि मंत्रालय की अधिसूचना (30 सितंबर, 2025) ने उर्वरक (अकार्बनिक, कार्बनिक या मिश्रित) (नियंत्रण) आदेश (FCO), 1985 की अनुसूची VI से 11 पशु-व्युत्पन्न बायोस्टिमुलेंट्स को हटा दिया।
    • इनमें मूँग, टमाटर, मिर्च, कपास, खीरा, सोयाबीन, अंगूर और धान के लिए प्रयोग होने वाले प्रोटीन हाइड्रोलाइजेट फॉर्मूले शामिल थे।
  • प्रभावित उत्पादों को पहले ही धान, टमाटर, मिर्च, खीरा, कपास, सोयाबीन, अंगूर और मूँग में प्रयोग के लिए मंजूरी दे दी गई थी।
  • पशु स्रोत: गोजातीय त्वचा, टैन्ड ‘त्वचा’, मुर्गी के पंख, सूअर के ऊतक, कॉड की हड्डियाँ तथा शल्क, और सार्डिन।
  • इन्हें वर्ष की शुरुआत में ICAR (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) की संस्तुति के बाद मंजूरी दी गई थी।

बायोस्टिमुलेंट्स क्या हैं?

  • परिभाषा (FCO, 1985): बायोस्टिमुलेंट्स ऐसे पदार्थ या सूक्ष्मजीव होते हैं, जो पोषक तत्त्वों के अवशोषण, वृद्धि, उपज, गुणवत्ता और तनाव सहनशीलता में सुधार के लिए पौधों की प्रक्रियाओं को उत्तेजित करते हैं।
  • ये पौधे के चयापचय पर कार्य करते हैं, लेकिन सीधे पोषक तत्त्व प्रदान नहीं करते (जैसे उर्वरक) या कीटों को नियंत्रित नहीं करते (जैसे- कीटनाशक)।
  • अनुप्रयोग: बायोस्टिमुलेंट्स आमतौर पर तरल रूप में बेचे जाते हैं और फसलों पर प्रत्यक्ष रूप से छिड़के जाते हैं।
  • भारत का बायोस्टिमुलेंट्स बाजार आकार: 355.53 मिलियन अमेरिकी डॉलर (2024) का मूल्यांकन; वर्ष 2032 तक 1,135.96 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान (फॉर्च्यून बिजनेस इनसाइट्स)।

विशेषता बायोस्टिमुलेंट्स उर्वरक कीटनाशकों
कार्य प्राकृतिक पौधों की अभिक्रियाओं को उत्तेजित करना पोषक तत्त्वों की आपूर्ति। कीटों, खरपतवारों या बीमारियों को नियंत्रित करना।
कार्रवाई की विधि प्रत्यक्ष पोषक तत्त्व को जोड़े बिना पादप शरीरक्रिया विज्ञान या मृदा सूक्ष्मजीव पर कार्य करना। मृदा या पौधों में पोषक तत्त्वों की मात्रा को सीधे बढ़ाकर कार्य करें। रासायनिक/जैविक कीट नियंत्रण
उद्देश्य विकास, उपज, गुणवत्ता, तनाव सहनशीलता में सुधार पोषण को बढ़ावा देना फसलों की रक्षा करना।
उदाहरण समुद्री शैवाल के अर्क, अमीनो एसिड, ह्यूमिक पदार्थ यूरिया, DAP (डायमोनियम फॉस्फेट), MOP (म्यूरेट ऑफ पोटाश) कीटनाशक, कवकनाशी, शाकनाशी।

बायोस्टिमुलेंट्स के प्रकार

  • ह्यूमिक और फुल्विक अम्ल – मृदा संरचना और पोषक तत्त्वों के अवशोषण में सुधार करते हैं।
  • समुद्री शैवाल के अर्क – जड़ों की वृद्धि और तनाव प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देते हैं।
  • प्रोटीन हाइड्रोलाइजेट और अमीनो अम्ल – एंजाइम गतिविधि और चयापचय को बढ़ाते हैं।
  • सूक्ष्मजीवी बायोस्टिमुलेंट्स- इनमें लाभकारी जीवाणु या कवक (जैसे- राइजोबैक्टीरिया, माइकोराइजा) होते हैं।
  • चिटोसन और अन्य जैव-पॉलिमर – पौधों की रोग और रोगजनकों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करते हैं।
  • अकार्बनिक यौगिक – इनमें सूक्ष्म तत्त्व होते हैं, जो वृद्धि नियमन में सहायता करते हैं।

बायोस्टिमुलेंट्स के लाभ

  • पोषक तत्त्व दक्षता बढ़ाना: पोषक तत्त्वों के अवशोषण और उर्वरक उपयोग की दक्षता में सुधार करना।
  • उपज और गुणवत्ता बढ़ाना: बेहतर पुष्पन, फलन और उत्पादन की गुणवत्ता को बढ़ावा देना।
  • तनाव सहनशीलता बढ़ाना: पौधों को सूखे, लवणता और तापमान के दबाव का सामना करने में मदद करना।
  • पर्यावरण अनुकूल: रसायनों के उपयोग और पर्यावरण प्रदूषण को कम करना।
  • सतत् कृषि का समर्थन करना: जैविक और जलवायु-प्रतिरोधी कृषि लक्ष्यों के साथ संरेखित करना।

बायोस्टिमुलेंट्स से संबंधित चिंताएँ

  • अनियमित बाजार: वर्ष 2021 से पहले कई उत्पाद बिना गुणवत्ता नियंत्रण के बेचे गए।
  • असत्यापित दावे: कुछ निर्माताओं ने असत्यापित प्रदर्शन संबंधी दावे किए।
  • मानकीकरण का अभाव: विभिन्न संरचना और अनिश्चित प्रभावकारिता।
  • परीक्षण चुनौतियाँ: लाभों का वैज्ञानिक रूप से आकलन करना कठिन है।
  • सुरक्षा संबंधी मुद्दे: उचित मानकों के अनुसार उत्पादन न करने पर संदूषण की संभावना।

भारत में बायोस्टिमुलेंट्स के लिए नियामक ढाँचा

  • वर्ष 2011: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के अनुसार, कीटनाशकों या उर्वरकों के विकल्प का दावा करने वाले किसी भी जैव उत्पाद की बिक्री से पहले जाँच की जानी चाहिए, जिससे राज्य स्तर पर शीघ्र जाँच की जा सके।
  • नीति आयोग और कृषि मंत्रालय (2017): बायोस्टिमुलेंट्स के लिए एक नियामक ढाँचे का मसौदा तैयार करना शुरू किया।
  • वर्ष 2021 से पहले: बायोस्टिमुलेंट्स एक दशक से भी अधिक समय तक बिना किसी विशिष्ट नियामक तंत्र के खुले बाजार में बेचे जाते रहे।
  • 2021 के बाद का विनियमन: सरकार द्वारा बायोस्टिमुलेंट्स को  उर्वरक (अकार्बनिक, कार्बनिक या मिश्रित) (नियंत्रण) आदेश (FCO), 1985 के अंतर्गत लाया गया, जिसके तहत कंपनियों को पंजीकरण कराना और सुरक्षा एवं प्रभावकारिता सिद्ध करना आवश्यक हो गया।
  • संक्रमणकालीन प्रावधान: यदि अनुमोदन के लिए आवेदन लंबित हैं, तो कंपनियाँ 16 जून, 2025 तक उत्पाद बेच सकती हैं।
  • केंद्रीय जैव-उत्तेजक समिति (अप्रैल 2021): कृषि आयुक्त की अध्यक्षता में पाँच वर्षों के लिए गठित, जिसमें सात सदस्य हैं।

महत्त्व और निहितार्थ

  • नैतिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता: धार्मिक और आहार संबंधी मान्यताओं के प्रति सरकार के संवेदनशील दृष्टिकोण को दर्शाता है, विशेष रूप से हिंदू और जैन समुदायों के मध्य, जो पशु-व्युत्पन्न कृषि आदानों पर आपत्ति जताते हैं।
  • नियामक सुदृढ़ीकरण: कृषि आदान बाजार में गुणवत्ता, सुरक्षा और पता लगाने की क्षमता सुनिश्चित करने के व्यापक प्रयास का एक हिस्सा।
  • कृषि व्यवसाय पर प्रभाव: पशु प्रोटीन-आधारित फॉर्मूलेशन का निर्माण या आयात करने वाली कंपनियों को प्रभावित करता है।
  • अनुसंधान और अनुपालन: भविष्य में अंतराल और सुरक्षा पर नया डेटा तैयार करना आवश्यक बनाता है।
  • पर्यावरणीय महत्त्व: अनियमित जैव-आदानों को कम करने से मृदा स्वास्थ्य और उपभोक्ता सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

संदर्भ: 

“अमेजोनिया में वृक्षों के आकार में वृद्धि” शीर्षक से एक नए अध्ययन में पाया गया है कि शीर्षक वाले एक नए अध्ययन में पाया गया है कि बढ़ती वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) सांद्रता के परिणामस्वरूप अमेजन वर्षावन में वृक्षों का आकार बढ़ रहा है।

अध्ययन के बारे में

  • अनुसंधान सहयोग: दक्षिण अमेरिका, यूरोप और यूनाइटेड किंगडम के 60 विश्वविद्यालयों के लगभग 100 वैज्ञानिकों द्वारा संचालित।
  • अवधि: अवलोकन अवधि क्षेत्रानुसार भिन्न थी, और कुछ डेटा सेट 30 वर्षों से अधिक अवधि तक विस्तारित थे।
  • मुख्य निष्कर्ष
    • अमेजन वनों में वृक्षों का औसत व्यास प्रति दशक लगभग 3.3% बढ़ा है।
    • परिपक्व वनों में, वृक्षों का आकार आमतौर पर स्थिर रहता है क्योंकि नए पौधे समाप्त हो चुके वृक्षों का स्थान ले लेते हैं; यह विचलन वृद्धि को प्रभावित करने वाले किसी बाहरी कारक का संकेत देता है।
    • यह अध्ययन इस विसंगति का कारण वायुमंडलीय CO₂ में वृद्धि को मानता है, जो पिछले तीन दशकों में लगभग 20% बढ़ी है।
    • निष्कर्ष इस बात की पुष्टि करते हैं कि CO₂ ‘एक उर्वरक के रूप में कार्य करता है, जिससे वृक्षों के आकार में वृद्धि होती है’, जो उत्साहजनक है, क्योंकि वृक्ष विश्व स्तर पर एक महत्त्वपूर्ण कार्बन सिंक के रूप में कार्य करते हैं।

कारण: कार्बन फर्टिलाइजेशन प्रभाव

  • इस घटना के पीछे मुख्य कारण वायुमंडलीय CO₂ सांद्रता में वृद्धि है, जो पिछले तीन दशकों में लगभग 20% बढ़ी है।
  • क्रियाविधि: उच्च CO₂ मात्रा प्रकाश संश्लेषण में वृद्धि करती है, जिससे पौधों की वृद्धि और जैवभार संचय में तेजी आती है।
  • प्रभाव: बड़े पेड़ अधिक कार्बन अवशोषित और संगृहीत करते हैं, जिससे वैश्विक कार्बन सिंक के रूप में अमेजन का योगदान बढ़ता है।
  • शोधकर्ताओं ने पुष्टि की है कि बढ़ता CO₂ स्तर वृक्षों की वृद्धि में ‘उर्वरक’ की तरह कार्य करता है, जिससे वन की कार्बन अवशोषण क्षमता सुदृढ़ होती है।

निष्कर्षों का महत्त्व

  • कार्बन अवशोषण में वृद्धि: बड़े वृक्ष वनों की कार्बन अवशोषण क्षमता में वृद्धि करते हैं, जिससे ग्रीनहाउस गैसों के निर्माण के विरुद्ध सीमित शमन होता है।
  • सकारात्मक लेकिन सीमित प्रभाव: अध्ययन जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध कुछ प्रतिपूरक लाभ का सुझाव देता है, लेकिन इस प्रभाव का अति-अनुमान लगाने के विरुद्ध चेतावनी देता है।
  • पुराने वनों का महत्त्व: अध्ययन इस बात पर बल देता है कि परिपक्व वनों के लाभों को नए वृक्षारोपण द्वारा दोहराया नहीं जा सकता, क्योंकि बड़े उष्णकटिबंधीय वृक्षों को परिपक्व होने और जैव विविधता को बनाए रखने में सदियाँ लग जाती हैं।
  • वनोन्मूलन संबंधी चिंताएँ: CO₂ आधारित विकास के बावजूद, जारी वनोन्मूलन अमेजन की जलवायु को नियंत्रित करने और पारिस्थितिकी तंत्र को सहारा देने की क्षमता को नष्ट कर रहा है।

अमेजन वर्षावन के बारे में

  • भौगोलिक विस्तार: नौ दक्षिण अमेरिकी देशों ब्राजील (लगभग 60% ब्राजील में स्थित है), पेरू, कोलंबिया, बोलीविया, इक्वाडोर, फ्रेंच गुयाना, गुयाना, सूरीनाम और वेनेजुएला में विस्तृत है।
  • पारिस्थितिकी महत्त्व
    • पृथ्वी की सतह का लगभग 1% हिस्सा शामिल करता है, लेकिन ज्ञात वन्यजीव प्रजातियों का 10% यहाँ पाया जाता है।
    • अनुमानतः 150-200 अरब टन कार्बन संगृहीत करता है।
    • CO₂ को अवशोषित करके और ऑक्सीजन का उत्पादन करके “ग्रह के फेफड़े” के रूप में कार्य करता है।

संदर्भ

ब्रुसेल्स (बेल्जियम) स्थित अंतरराष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान (International Institute of Administrative Sciences-IIAS) के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में, भारत ने एक नए अंतरराष्ट्रीय शासन सूचकांक के निर्माण का प्रस्ताव रखा है।

अंतरराष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान (IIAS) के बारे में

  • स्थापना: मुख्यालय: ब्रुसेल्स, बेल्जियम।
  • स्वरूप: एक स्वतंत्र, अंतरराष्ट्रीय, गैर-लाभकारी संगठन, जो लोक प्रशासन और शासन में अनुसंधान और प्रशिक्षण में संलग्न है।
  • संयुक्त राष्ट्र संबद्धता: औपचारिक रूप से संबद्ध नहीं है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करता है।
  • सदस्यता: 31 सदस्य देश, 20 राष्ट्रीय अनुभाग, 15 शैक्षणिक अनुसंधान केंद्र।
  • भारत की भूमिका: वर्ष 1998 से सदस्य, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (Department of Administrative Reforms and Public Grievances [DARPG]) द्वारा प्रतिनिधित्व।
  • अध्यक्षता (वर्ष 2025-2028): भारत का चुनाव IIAS का पहला भारतीय नेतृत्व दर्शाता है, जो वैश्विक प्रशासनिक सहयोग में एक ऐतिहासिक कदम है।

प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय शासन सूचकांक

  • पहल का शुभारंभ: अंतरराष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान (IIAS) की भारत की अध्यक्षता के 100वें दिन के दौरान घोषित।
  • सहयोगी संस्थान: यह सूचकांक विश्व बैंक, OECD (आर्थिक सहयोग और विकास संगठन) और UN DESA (संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक मामलों का विभाग) के सहयोग से एक कार्य समूह द्वारा विकसित किया जाएगा।
  • कार्यप्रणाली: संतुलित क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करते हुए, मात्रात्मक आँकड़ों को गुणात्मक अंतर्दृष्टि के साथ एकीकृत किया जाएगा।
  • यह प्रस्ताव IIAS वार्षिक सम्मेलन 2026 में एक प्रमुख विषय के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।

मौजूदा सूचकांकों का औचित्य और भारत की आलोचना

  • कथित पश्चिमी पूर्वाग्रह: भारत का तर्क है कि कई वैश्विक शासन सूचकांक पश्चिमी संस्थानों में केंद्रित व्यक्तिपरक विशेषज्ञ राय पर निर्भर करते हैं, जिससे विकासशील देशों का चित्रण एकतरफा हो जाता है।
  • पारदर्शिता का अभाव: विश्व शासन संकेतक (World Governance Indicators-WGI) जैसे सूचकांक प्रायः डेटा स्रोतों, भारांकों या स्कोरिंग विधियों को बताने में विफल रहते हैं, जिससे पुनरुत्पादन और जवाबदेही सीमित हो जाती है।
  • वैकल्पिक ढाँचा: भारत एक साक्ष्य-आधारित, संतुलित ढाँचा बनाने का प्रयास करता है, जो शासन के एक ही मॉडल को लागू करने के स्थान पर विविध राजनीतिक और प्रशासनिक प्रणालियों को मान्यता प्रदान करे।
  • स्वदेशी अनुसंधान को प्रोत्साहित करना: EAC-PM के वर्ष 2022 के पेपर में भारतीय थिंक टैंकों से वैश्विक आख्यान में विविधता लाने के लिए घरेलू धारणा-आधारित सूचकांक विकसित करने का आह्वान किया गया था।

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विश्वव्यापी शासन संकेतक (WGI) के बारे में

  • विश्व बैंक द्वारा जारी, वार्षिक
  • कवरेज: 6 मानदंडों के आधार पर लगभग 215 देशों और क्षेत्रों की रैंकिंग।
  • उद्देश्य: विभिन्न देशों और समय के साथ शासन की गुणवत्ता के बारे में धारणाओं का आकलन।
  • डेटा स्रोत: 30 से अधिक विश्वसनीय संस्थानों– थिंक टैंक, अंतरराष्ट्रीय निकाय, गैर-सरकारी संगठन और निजी फर्मों से प्राप्त।
  • भारत की प्रतिशतता रैंकिंग (2023):
    • अभिव्यक्ति और जवाबदेही – 51.47
    • राजनीतिक स्थिरता – 21.33
    • सरकारी प्रभावशीलता – 67.92
    • नियामक गुणवत्ता – 47.17
    • विधि का शासन – 56.13
    • भ्रष्टाचार पर नियंत्रण – 41.51

वैश्विक सूचकांकों की भारत की व्यापक आलोचना

  • वी-डेम रिपोर्ट 2025: उदार लोकतंत्र सूचकांक में भारत को 179 देशों में से 100वें स्थान पर रखा गया और वर्ष 2017 से इसे चुनावी निरंकुशता” करार दिया गया।
  • विश्व में स्वतंत्रता सूचकांक (2022): भारत को 1970 के दशक के आपातकाल काल के समतुल्य स्तर पर रखा गया।
  • EAC-PM वक्तव्य (2022): ऐसे सूचकांकों को पद्धतिगत रूप से त्रुटिपूर्ण और अपारदर्शी बताया गया, फिर भी WGI के परिणामों और अंतरराष्ट्रीय धारणा को आकार देने में अत्यधिक प्रभावशाली बताया गया।
  • ये आलोचनाएँ सामूहिक रूप से IIAS के माध्यम से एक नए, समावेशी शासन मानदंड के लिए भारत के प्रयास को रेखांकित करती हैं।

संदर्भ

अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि खेलों को समाज के सभी वर्गों के लिए सुलभ होना चाहिए और उन्हें राष्ट्रीय जीवन की एक संस्था के रूप में कार्य करना चाहिए, जिसमें भाईचारे के संवैधानिक मूल्य समाहित हों।

न्यायालय का मुख्य अवलोकन

  • खेल एक कर्मभूमि (कर्तव्य का क्षेत्र) के रूप में कार्य करते हैं, जहाँ सामूहिक उद्देश्य और भाईचारे की भावना होती है।
  • भाईचारे की भावना को कानून द्वारा स्थापित नहीं किया जा सकता, बल्कि खेलों में टीम वर्क और सहयोग जैसे अनुभवों के माध्यम से विकसित किया जा सकता है।
  • खेल प्रशासन को भी उतना ही महत्त्वपूर्ण बताया गया और महासंघों को व्यावसायिकता, दक्षता और ईमानदारी के साथ कार्य करना चाहिए।
  • लोकप्रिय खेलों से उत्पन्न राजस्व और बौद्धिक संपदा (IP) को सुलभ और किफायती आधारभूत स्तर के खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए पुनर्वितरित किया जाना चाहिए।
  • यह निर्णय भारत के खेल पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार पर एक व्यापक बहस का हिस्सा है, विशेष रूप से फीफा द्वारा वर्ष 2022 में AIFF के निलंबन जैसी प्रशासनिक विफलताओं के बाद, जिसने खेल प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को और अधिक मजबूती से प्रदर्शित किया है।

भारत में खेल

  • खेल सातवीं अनुसूची के अंतर्गत एक राज्य’ विषय है।
  • मंत्रालय: युवा मामले और खेल मंत्रालय (MYAS)।
  • प्रमुख निकाय: खेल विभाग के अंतर्गत सोसायटी अधिनियम, 1860 के तहत वर्ष 1984 में स्थापित भारतीय खेल प्राधिकरण।

खेलों की भूमिका 

  • सामाजिक सामंजस्य और एकता: खेल जाति, धर्म, क्षेत्र और भाषा से परे होते हैं और विविधता में भाईचारे और एकता की भावना उत्पन्न करते हैं।
    • उदाहरण: वर्ष 1983 और वर्ष 2011 के क्रिकेट विश्वकप की जीत या नीरज चोपड़ा के वर्ष 2021 के ओलंपिक स्वर्ण पदक ने देश को एकजुट किया।
      • कबड्डी और हॉकी जैसे बुनियादी खेल समुदायों को, विशेषतः ग्रामीण इलाकों में, एकजुट करते रहे हैं।
  • महिलाएँ एवं हाशिये पर स्थित लोगों का सशक्तीकरण: मीराबाई चानू, निखत जरीन और साक्षी मलिक जैसी महिला एथलीटों ने रूढ़िवादिता को तोड़ा है।
  • भाईचारा और करुणा: पैरा-गेम्स सहानुभूति और समावेशिता को बढ़ावा देते हैं।
    • पैरा-एथलीटों ने टोक्यो पैरालिंपिक (2021) में 19 पदक जीते।
    • सुगमता के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का आग्रह महिलाओं और हाशिये पर स्थित समूहों को समान सुविधाएँ प्रदान करने के महत्त्व को रेखांकित करता है।
  • आर्थिक विकास: भारतीय खेल सामग्री क्षेत्र का मूल्य वर्ष 2024 में 4.88 बिलियन अमेरिकी डॉलर (₹42,877 करोड़) है और वर्ष 2027 तक इसके 6.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर (₹57,800 करोड़) और वर्ष 2034 तक ₹87,300 करोड़ तक बढ़ने का अनुमान है।
    • हालाँकि, आधारभूत स्तर पर असमानता अभी भी स्पष्ट है। भारत में, 62 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में खेल के मैदान जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुँच नहीं है।
  • स्वास्थ्य और मानव पूँजी: विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्ष 2020 से वर्ष 2030 के बीच सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर शारीरिक निष्क्रियता की वैश्विक लागत का अनुमान लगभग 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
    • फिट इंडिया मूवमेंट और राष्ट्रीय शारीरिक साक्षरता मिशन जैसे कार्यक्रमों का उद्देश्य खेल संस्कृति को बढ़ावा देकर इन लागतों को कम करना है।
  • मतभेदों को कम करना (विश्वास-निर्माण और नस्लवाद-विरोधी): खेल सामंजस्य, एकीकरण और भेदभाव से लड़ने का एक मंच प्रदान करते हैं।
    • उदाहरण: रंगभेद के बाद दक्षिण अफ्रीका में, नेल्सन मंडेला ने वर्ष 1995 के रग्बी विश्व कप का प्रयोग अश्वेत और श्वेत दक्षिण अफ्रीकियों को एकजुट करने के लिए किया था।
      • भारत में, पूर्वोत्तर में फुटबॉल और हॉकी टूर्नामेंट जातीय विभाजन को पाटने में महत्त्वपूर्ण रहे हैं।
  • खेल कूटनीति: खेल कूटनीति को प्रायः सॉफ्ट पॉवर का सबसे कोमल रूप” कहा जाता है।
    • भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 2004 की क्रिकेट शृंखला ने राजनीतिक तनाव को कम करने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में मदद की।

समकालीन खेल कूटनीति

  • भारत की क्रिकेट कूटनीति: IPL प्रसारण अधिकार 6.02 अरब अमेरिकी डॉलर (वर्ष 2023-2027) में बिके।
    • BCCI ने अफगानिस्तान और मालदीव क्रिकेट का समर्थन किया है, जिससे क्षेत्रीय संबंध मजबूत हुए हैं।
  • शतरंज कूटनीति: भारतीय कोच विदेशों में खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करते हैं (जैसे- रोमानिया, नॉर्वे)।
    • भारत द्वारा शतरंज ओलंपियाड 2022 की मेजबानी ने सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा दिया।
  • पिंग पोंग’ कूटनीति: वर्ष 1971 में, अमेरिका और चीन के बीच संबंध कम तनावपूर्ण हो गए और टेबल टेनिस के आदान-प्रदान के माध्यम से उनमें सुधार होने लगा, जिससे निक्सन की 1972 की यात्रा’ का मार्ग प्रशस्त हुआ।
    • खेलों द्वारा भू-राजनीति को नया रूप देने का एक उत्कृष्ट उदाहरण।
  • ऑस्ट्रेलिया की खेल कूटनीति 2030: भारत-प्रशांत संबंध बनाने, व्यापार को बढ़ावा देने और सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए खेलों का उपयोग।
    • दर्शाता है कि कैसे एक सुनियोजित रणनीति खेलों को राष्ट्रीय विदेश नीति में एकीकृत कर सकती है।

खेलों की वास्तविक क्षमता को साकार करने में चुनौतियाँ

  • शासन और संस्थागत कमजोरियाँ: खेल संघ प्रायः पक्षपात, पारदर्शिता की कमी और राजनीतिक हस्तक्षेप (जैसे- वर्ष 2022 में फीफा द्वारा AIFF का निलंबन) से ग्रस्त होते हैं। यह सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी, जवाबदेही और सत्यनिष्ठा का उल्लंघन करता है।
    • उदाहरण: वर्ष 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के भ्रष्टाचार घोटाले ने भारत की वैश्विक छवि को धूमिल किया।
  • व्यावसायीकरण और अभिजात वर्ग का अधिकार: सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि खेलों को शहरी आर्थिक अभिजात वर्ग के अनन्य अधिकार” में नहीं रहना चाहिए। यह न्याय, निष्पक्षता और अवसर की समानता के मुद्दे उठाता है।
    • IPL और इसी तरह की लीग अरबों कमाती हैं, लेकिन जमीनी स्तर के एथलीट प्रायः किट या यात्रा भत्ते जैसी बुनियादी चीजों के लिए संघर्ष करते हैं।
  • डोपिंग और मैच फिक्सिंग: विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पूरे विश्व में सर्वाधिक डोपिंग उल्लंघन होते हैं (रूस के बाद भारत दूसरे स्थान पर है)।
    • ईमानदारी, निष्ठा और नैतिक साहस का उल्लंघन; खेल भावना को कमजोर करता है।
    • क्रिकेट में मैच फिक्सिंग कांड (आईपीएल 2013 स्पॉट फिक्सिंग) जनता का विश्वास कम करते हैं।
  • लैंगिक और सामाजिक बाधाएँ: महिला एथलीटों को उत्पीड़न, असमान वेतन और सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ता है।
    • यह गरिमा, करुणा और मानवाधिकारों के सम्मान का उल्लंघन करता है।
    • उदाहरण: भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष के विरुद्ध यौन उत्पीड़न के आरोपों पर पहलवानों के विरोध प्रदर्शन (2023) ने व्यवस्थागत उपेक्षा को उजागर किया।
  • शोषण और एथलीट कल्याण: ग्रामीण या गरीब पृष्ठभूमि के कई एथलीट नौकरी की सुरक्षा या पेंशन की कमी के कारण खेल छोड़ देते हैं।
    • उदाहरण: राष्ट्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ी सेवानिवृत्ति के बाद दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर रहे हैं (परमजीत कुमार ने कई जूनियर हॉकी राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पंजाब का प्रतिनिधित्व किया और वर्ष 2007 में भारतीय जूनियर हॉकी टीम में भी चुने गए थे)।
  • राष्ट्रीय हित बनाम सार्वभौमिक मूल्यों की दुविधाएँ: खेल संबंध प्रायः राजनीति से जुड़ जाते हैं (उदाहरण के लिए, वर्ष 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद भारत-पाकिस्तान क्रिकेट निलंबित)।
    • भारतीय खिलाड़ियों ने वर्ष 2025 एशिया कप में आतंकवाद में पाकिस्तान की भूमिका के प्रतीकात्मक विरोध के रूप में, विशेषतः पहलगाम हमले के बाद, हाथ मिलाने से इनकार कर दिया।
    • खेल कूटनीति मानवाधिकार संबंधी चिंताओं को भी छिपा सकती है (उदाहरण के लिए, कतर फीफा विश्व कप 2022 की आलोचना)।
  • पदकों और राष्ट्रवाद पर अत्यधिक बल: पदकों पर अत्यधिक ध्यान मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है (उदाहरण के लिए, सिमोन बाइल्स ने दबाव का हवाला देते हुए वर्ष 2021 टोक्यो ओलंपिक से नाम वापस ले लिया)।
    • भारत में, पदक न जीतने वाले एथलीटों को प्रायः उपेक्षा का सामना करना पड़ता है।
    • भावनात्मक बुद्धिमत्ता, सहानुभूति और मानवीय गरिमा को कमजोर करता है; एथलीटों को इंसान की बजाय पदक जीतने वाली मशीन बना देता है।
  • विकास, पर्यावरणीय नैतिकता और वितरणात्मक न्याय के बीच टकराव: ओलंपिक या एशियाई खेलों जैसे बड़े आयोजनों की मेजबानी में भारी लागत, विस्थापन और पारिस्थितिकी क्षति शामिल होती है।
    • उदाहरण: वर्ष 2010 के दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में हजारों झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग विस्थापित हुए।

आगे की राह

  • समावेशी अवसंरचना विकास: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खेल के मैदानों और खेल सुविधाओं तक सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना।
    • राष्ट्रीय खेल नीति (NSP) 2025 के स्तंभोंखेल एक जन आंदोलन के रूप में” और “NEP 2020 के साथ एकीकरण” से जोड़ना।

राष्ट्रीय खेल नीति (NSP) 2025 – खेलो भारत नीति

  • पृष्ठभूमि: भारत की पहली राष्ट्रीय खेल नीति वर्ष 1984 में शुरू की गई थी, जिसे वर्ष 2001 में संशोधित किया गया और अब राष्ट्रीय खेल नीति (NSP) 2025 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है।
  • उद्देश्य: राष्ट्र के समग्र विकास के लिए खेलों की शक्ति का उपयोग करना।
  • महत्त्व: यह नीति शासन की कमियों, अभिजात्यवाद, समावेशिता की कमी और जमीनी स्तर पर अपर्याप्त वित्तपोषण जैसी कई चुनौतियों का प्रत्यक्ष समाधान करती है और इसका उद्देश्य खेलों को आर्थिक विकास, सामाजिक न्याय और शिक्षा सुधारों के साथ जोड़ना है।

NSP 2025 के प्रमुख स्तंभ

  • वैश्विक मंच पर उत्कृष्टता: जमीनी स्तर से अभिजात्य वर्ग तक के मार्ग को मजबूत करना, राष्ट्रीय खेल महासंघों के शासन को उन्नत करना।
  • आर्थिक विकास: खेल पर्यटन, स्टार्ट-अप और खेलों में उद्यमिता को बढ़ावा देना।
  • सामाजिक विकास: महिलाओं, कमजोर वर्गों और दिव्यांग एथलीटों की भागीदारी के माध्यम से समावेशिता।
  • जन आंदोलन के रूप में खेल: सार्वभौमिक पहुँच, फिटनेस संस्कृति, जन भागीदारी।
  • NEP 2020 के साथ एकीकरण: पाठ्यक्रम में खेल, शिक्षक प्रशिक्षण, स्कूलों में प्रतिभा पहचान।

रणनीतिक ढाँचा

  • शासन: संघों के लिए मजबूत कानूनी और नियामक ढाँचा।
  • निजी क्षेत्र का समर्थन: सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP), कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) निधिकरण और नवोन्मेषी वित्तपोषण।
  • प्रौद्योगिकी: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), डेटा विश्लेषण और राष्ट्रीय स्तर की निगरानी ढाँचे का उपयोग।

  • पारदर्शी एवं जवाबदेह शासन: सच्चाई, निष्ठा और व्यावसायिकता सुनिश्चित करने के लिए खेल संघों में सुधार लागू करना।
    • भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद पर अंकुश लगाने के लिए एक कानूनी और नियामक ढाँचा अपनाना।
  • समान संसाधन वितरण: IPL जैसी हाई-प्रोफाइल लीगों से प्राप्त राजस्व को जमीनी स्तर के खेलों और हाशिए पर स्थित समूहों में पुनर्वितरित करना।
    • स्थानीय अकादमियों के वित्तपोषण के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) और कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) मॉडल को प्रोत्साहित करना।
  • नैतिकता और खेल भावना को बढ़ावा देना: डोपिंग विरोधी, निष्पक्ष खेल और लैंगिक संवेदनशीलता के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करना।
    • खिलाड़ियों के प्रशिक्षण में नैतिक नेतृत्व और मूल्यों (न्याय, सहानुभूति, सहिष्णुता) को शामिल करना।
  • खेल कूटनीति का लाभ उठाना: खेलों को सांस्कृतिक कूटनीति और शांति-निर्माण के एक साधन के रूप में उपयोग करना, साथ ही यह सुनिश्चित करना कि यह राजनीति से बँधे न रहें।
    • क्षेत्रीय खेल सहयोगों (सार्क, बिम्सटेक) में भारत की भूमिका का विस्तार करके संबंधों को मजबूत करना।
  • प्रौद्योगिकी एवं नवाचार: प्रतिभा पहचान, चोट में कमी और प्रदर्शन अनुकूलन के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा विश्लेषण और खेल विज्ञान का उपयोग करना।
    • उत्तरदायित्व के लिए राष्ट्रीय स्तर के ढाँचे के माध्यम से निगरानी करना (जैसा कि राष्ट्रीय खेल नीति-2025 में परिकल्पित है)।

निष्कर्ष

भारत में खेलों को अभिजात वर्ग के विशेषाधिकार से विकसित होकर प्रत्येक नागरिक का अधिकार बनना होगा। समावेशीपन, पारदर्शिता और नैतिक मूल्यों को अपनाकर, भारत खेलों को भाईचारे, उत्कृष्ट शासन और सॉफ्ट पॉवर कूटनीति की एक शक्ति में बदल सकता है। ऐसा करके, यह सर्वोच्च न्यायालय के उस दृष्टिकोण को साकार करता है कि खेल राष्ट्रीय जीवन की एक संस्था और समग्र राष्ट्र-निर्माण के उत्प्रेरक हैं।

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