Upto 60% Off on UPSC Online Courses

Avail Now

Q. जबकि वृक्षारोपण पहल को अक्सर जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण निम्नीकरण के लिए रामबाण के रूप में देखा जाता है, उनकी प्रभावशीलता पर तेजी से सवाल उठाए जा रहे हैं। भारत में विशाल पैमाने पर वृक्षारोपण अभियानों से संबंधित चुनौतियों और सीमाओं का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए तथा उनके पारिस्थितिक और सामाजिक प्रभाव को बढ़ाने के उपाय सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य मांग:

  • चर्चा कीजिए कि वृक्षारोपण पहल को जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय क्षरण के लिए रामबाण क्यों माना जाता है।
  • भारत में विशाल पैमाने के वृक्षारोपण अभियान की चुनौतियों का परीक्षण कीजिए।
  • भारत में विशाल पैमाने के वृक्षारोपण अभियान की सीमाओं का‌ परीक्षण कीजिए।
  • वृक्षारोपण पहल के पारिस्थितिक और सामाजिक प्रभाव को बढ़ाने के उपाय सुझाएँ।

 

उत्तर:

जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण निम्नीकरण के प्रति एक शक्तिशाली प्रतिक्रिया के रूप में वृक्षारोपण की पहल को तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है । इन प्रयासों का उद्देश्य पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करना , जैव विविधता को बढ़ावा देना और कार्बन डाइऑक्साइड पृथक्करण करना है , जिससे पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान किया जा सके और एक सतत भविष्य की ओर उन्मुख हुआ जा सके

वृक्षारोपण पहल: जलवायु परिवर्तन के लिए रामबाण:

  • कार्बन पृथक्करण: वृक्ष, वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं, जिससे ग्रीनहाउस गैस के स्तर को
    कम करके जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए: वन ट्रिलियन ट्रीज़ पहल का लक्ष्य दुनिया भर में एक ट्रिलियन पेड़ लगाना है ताकि वायुमंडलीय कार्बन की अधिक से अधिक मात्रा को अवशोषित किया जा सके ।
  • जैव विविधता मेंमृद्धि: वृक्षारोपण से प्राकृतिक आवासों की पुनर्स्थापना होती है , वन्यजीवों के लिए निवास उपलब्ध होते हैं और पौधों की विविधता को बढ़ावा मिलता है
    उदाहरण के लिए: चीन की ग्रेट ग्रीन वॉल मरुस्थलीकरण का मुकाबला करती है और वनस्पति की एक विशाल पट्टी बनाकर जैव विविधता को पुनर्स्थापित करती है ।
  • मृदा संरक्षण: पेड़ों की जड़ें मृदा अपरदन को रोकती हैं , मिट्टी की उर्वरता बनाए रखती हैं और भूमि को क्षरण से बचाती हैं।
    उदाहरण के लिए: समुद्र तट के किनारे मैंग्रोव लगाने से मिट्टी को स्थिर करने और तूफानी लहरों एवं तटीय अपरदन से बचाने में मदद मिलती है ।
  • जल चक्र विनियमन: वर्षा को बढ़ावा देकर और जल विज्ञान संतुलन बनाए रखकर ,वृक्ष स्थानीय और वैश्विक जल चक्रों को प्रभावित करते हैं
    उदाहरण के लिए : अमेज़ॅन बेसिन में पुनर्वनीकरण, क्षेत्र के जल चक्र को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, जो पूरे दक्षिण अमेरिका में वर्षा प्रतिरूप को प्रभावित करता है ।
  • सामुदायिक भागीदारी: वृक्षारोपण अभियान समुदायों को पर्यावरण संरक्षण में शामिल करते हैं , और संरक्षण की भावना को बढ़ावा देते हैं
    उदाहरण के लिए: भारत के वन महोत्सव में नागरिकों को वार्षिक वृक्षारोपण गतिविधियों में शामिल किया जाता है , जिससे पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ती है और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा मिलता है

भारत में विशाल पैमाने के वृक्षारोपण अभियान की चुनौतियाँ:

  • पारिस्थितिकी तंत्र में विसंगतियाँ: गैर-देशी प्रजातियाँ लगाने से स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र बाधित हो सकता है और देशी वनस्पतियों एवं जीवों को नुकसान पहुँच सकता है।
    उदाहरण के लिए: घास के मैदानों में चीड़ के पेड़ लगाने से देशी पौधे और जानवर विस्थापित हो सकते हैं, जिससे जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • मोनोकल्चर वृक्षारोपण: विशाल पैमाने पर मोनोकल्चर वृक्षारोपण जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की प्रत्यास्थता को कम करता है
    उदाहरण के लिए: विशेष रूप से कागज और लुगदी उद्योगों में, तेजी से विकास और वाणिज्यिक मूल्य के लिए प्रचारित किए जाने वाले नीलगिरी के वृक्षारोपण अक्सर विभिन्न देशी प्रजातियों को विस्थापित करते हैं, जिससे पर्यावरण असंतुलन होता है
  • सीमित सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय भागीदारी की कमी से वृक्षारोपण पहल की
    प्रभावशीलता और संधारणीयता कम हो जाती है। उदाहरण के लिए: स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी और समर्थन के बिना सरकार द्वारा संचालित अभियान विफल हो सकते हैं , जिसके परिणामस्वरूप लगाए गए पेड़ों की जीवित रहने की दर कम हो जाती है।
  • रोपण के बाद देखभाल: अपर्याप्त रखरखाव और अनुवर्ती देखभाल की कमी के कारण पौधों में मृत्यु दर बहुत अधिक हो जाती है।
    उदाहरण के लिए: हाई-प्रोफाइल अभियानों के दौरान लगाए गए कई पौधे उपेक्षा और उचित देखभाल के अभाव के कारण प्रथम वर्ष के भीतर ही मर जाते हैं।
  • अतिक्रमण और भूमि उपयोग: वन भूमि पर अतिक्रमण और गैर-वनीय उद्देश्यों के लिए भूमि का उपयोग पुनर्वनीकरण प्रयासों में बाधा डालता है।
    उदाहरण के लिए: भारत में वन भूमि पर अतिक्रमण के कारण वृक्षारोपण के लिए उपलब्ध क्षेत्र कम हो जाता है, जिससे पुनर्वनीकरण परियोजनाएँ जटिल हो जाती हैं।

भारत में विशाल पैमाने के वृक्षारोपण अभियान की कमियां:

  • अल्पकालिक फोकस: कई अभियान पेड़ों की संख्या को, उनके दीर्घकालिक पारिस्थितिक प्रभाव और अस्तित्व से अधिक
    प्राथमिकता देते हैं । उदाहरण के लिए: पौधारोपण कार्यक्रमों में अक्सर पौधों के अस्तित्व पर अनुवर्ती कार्रवाई की कमी होती है , जिससे उनके दीर्घकालिक लाभ कम हो जाते हैं।
  • अपर्याप्त निगरानी: उचित निगरानी और जवाबदेही की कमी से वनरोपण के प्रयास अप्रभावी हो जाते हैं।
    उदाहरण के लिए: निगरानी प्रणालियों की अनुपस्थिति के परिणामस्वरूप वृक्षारोपण कार्यक्रमों की खराब निगरानी और प्रबंधन होता है।
  • संसाधन की कमी: सीमित धन और संसाधन, वृक्षारोपण पहल की
    गुणवत्ता और स्थिरता को प्रभावित करते हैं । उदाहरण के लिए: अपर्याप्त धन व्यापक वृक्षारोपण , रखरखाव और दीर्घकालिक देखभाल प्रयासों में बाधा डालता है।
  • राज्यों में
    असंगत नीतियाँ और नियम वनीकरण पहल को कमज़ोर करते हैं। उदाहरण के लिए: अलग-अलग राज्य-स्तरीय नीतियाँ पूरे भारत में वनीकरण परियोजनाओं की सफलता और कार्यान्वयन में असमानताएँ पैदा करती हैं।
  • जलवायु संबंधी चुनौतियाँ: सूखे और बाढ़ जैसी चरम मौसमी स्थितियाँ लगाए गए पेड़ों के
    अस्तित्व और वृद्धि को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए: भारत में सूखे और बाढ़ के कारण पुनर्वनीकरण परियोजनाओं की सफलता दर कम हो जाती है , जिससे पेड़ों की वृद्धि को बनाए रखना मुश्किल हो जाता है।

पारिस्थितिक और सामाजिक प्रभाव बढ़ाने के उपाय:

  • सामुदायिक सहभागिता: सफलता सुनिश्चित करने के लिए योजना और क्रियान्वयन में स्थानीय समुदायों को शामिल करें । उदाहरण के लिए: ग्रामीणों को पौधों की देखभाल के लिए प्रशिक्षण और प्रोत्साहन देने से पौधों के जीवित रहने की दर में सुधार हो सकता है।
  • विविध वृक्षारोपण: पारिस्थितिकी तंत्र की प्रत्यास्थता बढ़ाने के लिए देशी और विविध प्रजातियों के रोपण को बढ़ावा देना ।
    उदाहरण के लिए: स्थानीय जैव विविधता को बहाल करने के लिए देशी वृक्ष प्रजातियों के रोपण को प्रोत्साहित करना ।
  • संधारणीय अभ्यास: संधारणीय वानिकी अभ्यास और निरंतर निगरानी
    करनी चाहिए । उदाहरण के लिए: पेड़ों के अस्तित्व और विकास को सुनिश्चित करने के लिए नियमित निगरानी और रखरखाव कार्यक्रम।
  • शिक्षा और जागरूकता: जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना चाहिए । उदाहरण के लिए:
    देशी पेड़ों के लाभों के बारे में स्कूलों और समुदायों में शैक्षिक अभियान ।
  • नीति और वित्तपोषण: पुनर्वनीकरण परियोजनाओं
    के लिए नीतियों को मजबूत करना और वित्तपोषण बढ़ाना । उदाहरण के लिए: वन क्षेत्र की सुरक्षा और विस्तार के लिए समर्पित निधियों का आवंटन और नीतियों को लागू करना ।

अकेले पौधे लगाना पुनर्वनीकरण प्रयासों की बहुमुखी अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर सकता। पर्याप्त पोस्ट-प्लांटिंग उपाय , निरंतर निगरानी और सामुदायिक भागीदारी सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं। मजबूत नीतियों और वित्तपोषण के साथ-साथ विविध और सतत प्रथाओं पर जोर देने से समकालीन पर्यावरणीय लक्ष्यों के साथ संरेखित होकर, वृक्षारोपण पहलों के पारिस्थितिक और सामाजिक प्रभाव को बढ़ाया जा सकेगा ।

 

Print Friendly, PDF & Email

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Print Friendly, PDF & Email

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

 Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023.   Udaan-Prelims Wallah ( Static ) booklets 2024 released both in english and hindi : Download from Here!     Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF  Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing  , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz ,  4) PDF Downloads  UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

 Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023.   Udaan-Prelims Wallah ( Static ) booklets 2024 released both in english and hindi : Download from Here!     Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF  Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing  , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz ,  4) PDF Downloads  UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.