Q. जेल के कार्य में जाति-आधारित वर्गीकरण को खत्म करने का उच्चतम न्यायालय का निर्णय किस सीमा तक भारत में सामाजिक न्याय के व्यापक मुद्दों को दर्शाता है? जेल प्रणाली में सुधार जातिगत भेदभाव के मुद्दे और कैदियों के अधिकारों और पुनर्वास से संबंधित व्यापक चिंताओं को कैसे संबोधित कर सकता है? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत में सामाजिक न्याय के मुद्दों पर, जेल से जुड़े कार्यों में जाति-आधारित वर्गीकरण को रद्द करने के उच्चतम न्यायालय के निर्णय के निहितार्थ का परीक्षण कीजिए।
  • जेलों में अभी भी मौजूद चुनौतियों पर प्रकाश डालिये जो भारत में सामाजिक न्याय के व्यापक मुद्दों को प्रतिबिंबित करती हैं।
  • चर्चा कीजिए कि जेल प्रणाली में, जातिगत भेदभाव के मुद्दे को किस प्रकार संबोधित करता है।
  • चर्चा कीजिए कि जेल प्रणाली में सुधार किस प्रकार कैदियों के अधिकारों और पुनर्वास से संबंधित चिंताओं का समाधान करता है।

उत्तर

सुकन्या शांता बनाम भारत संघ (2024) वाद में जेल श्रम में जाति-आधारित कार्य को समाप्त करने के लिए उच्चतम न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय, समानता और सामाजिक न्याय के लिए भारत की प्रतिबद्धता को उजागर करता है। संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के उल्लंघन के रूप में जाति-आधारित वर्गीकरण की पहचान करके, यह निर्णय मानवीय व्यवहार के लिए एक मानक निर्धारित करता है और सार्वजनिक संस्थानों में गैर-भेदभावपूर्ण प्रथाओं के महत्व को रेखांकित करता है।

Enroll now for UPSC Online Course

भारत में सामाजिक न्याय पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय के निहितार्थ

  • जेल प्रथाओं में समानता को बढ़ावा देना: यह निर्णय जाति-आधारित कर्तव्यों को समाप्त करके, जेल से जुड़े कार्यों के आवंटन में समानता को बढ़ावा देता है जिनमें अक्सर हाशिये पर स्थित समूहों को गलत तरीके से लक्षित किया जाता है और इस तरह से समावेशिता को बढ़ावा देते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: प्रेम शंकर शुक्ला बनाम दिल्ली प्रशासन (1980) वाद ने भी जेल में वर्ग-आधारित व्यवहार को असंवैधानिक करार देकर समानता को मजबूत किया
  • संवैधानिक मूल्यों को कायम रखना: जाति-आधारित श्रम को समाप्त करके, न्यायालय ने कानून के तहत गैर-भेदभाव और समान सुरक्षा के संवैधानिक मूल्यों को मजबूत किया है। 
    • उदाहरण के लिए: अनुच्छेद 15, जाति के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है, यह एक ऐसा सिद्धांत है जिसे यह निर्णय जेल प्रणाली में और अधिक सुदृढ़ बनाता है।
  • सार्वजनिक संस्थाओं में सामाजिक न्याय को मजबूत करना: यह निर्णय सार्वजनिक संस्थाओं में समान व्यवहार को बढ़ावा देता है, जो विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों में जातिगत पूर्वाग्रह को कम करने के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य करता है। 
    • उदाहरण के लिए: मधुकर भगवान जम्भाले बनाम महाराष्ट्र राज्य (1984) वाद जिसमें भेदभावपूर्ण नियमों को खारिज कर दिया गया, ने संस्थागत व्यवस्था में समान व्यवहार के अधिकार को बरकरार रखा।
  • पुनर्वास और कौशल विकास में सुधार: जाति-आधारित कार्य आवंटन को हटाने से जेलों को कौशल-निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने, स्टीरियोटाइप-आधारित श्रम असाइनमेंट से दूर जाने और वास्तविक पुनर्वास को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। 
    • उदाहरण के लिए: मॉडल जेल मैनुअल 2016, कैदियों के लिए विविध कार्य कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करता है और जाति-संबंधी भूमिकाओं पर आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है।
  • हाशिए पर स्थित समूहों को सशक्त बनाना: यह निर्णय हाशिए पर स्थित समूहों को भेदभावपूर्ण कर्तव्यों से बचाकर उनकी गरिमा की पुष्टि करता है एवं उनके आत्म-सम्मान की भावना को बढ़ाता है। 
    • उदाहरण के लिए: इनासियो मैनुअल मिरांडा बनाम राज्य (1988) वाद में जेलों में समान व्यवहार के सिद्धांत को बरकरार रखा गया, तथा गरिमा और पूर्वाग्रह से मुक्ति के महत्व पर बल दिया गया।

व्यापक सामाजिक न्याय मुद्दों को दर्शाती हुईं जेलों में निरंतर बनी रहने वाली चुनौतियाँ 

  • खराब जीवनस्थितियाँ: जेलों में अत्यधिक भीड़ और खराब स्वच्छता से हाशिए पर स्थित  समूहों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जो व्यापक सामाजिक असमानताओं को दर्शाता है। 
    • उदाहरण के लिए: NCRB डेटा (2023) से पता चलता है कि भारतीय जेलों में कैदियों का स्वीकार्य दर 130% से अधिक है, जिससे अक्सर हाशिए पर स्थित कैदियों के लिए अमानवीय स्थिति उत्पन्न होती है।
  • कानूनी सहायता तक सीमित पहुँच: हाशिए पर स्थित कैदियों को अक्सर पर्याप्त कानूनी प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता, जिससे न्याय तक उनकी पहुँच बाधित होती है और सामाजिक असमानताएँ बनी रहती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: NCRB की जेल सांख्यिकी रिपोर्ट, 2022 से पता चलता है कि भारत में कुल कैदियों में से लगभग 65.4% की साक्षरता प्रोफाइल या तो दसवीं कक्षा से नीचे है या निरक्षर है, जिससे मुफ्त कानूनी सहायता के बारे में उनकी जागरूकता सीमित रह गई है।
  • विशेषाधिकार-आधारित जेल वर्गीकरण: अमीर कैदियों को अक्सर बेहतर सुविधाएँ मिलती हैं, जो वर्ग-आधारित असमानताओं को बनाए रखती हैं और जेल प्रणाली में सामाजिक पूर्वाग्रहों को दर्शाती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: गौर नारायण चक्रवर्ती और अन्य (2012) वाद ने जेल में वर्ग-आधारित विशेषाधिकार की समस्या पर प्रकाश डाला और  समान व्यवहार की आवश्यकता को रेखांकित किया।
  • अपर्याप्त शैक्षिक अवसर: शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण तक सीमित पहुँच, हाशिए पर स्थित कैदियों को रिहाई के बाद अपनी संभावनाओं को बेहतर बनाने से रोकती है , जिससे आर्थिक असमानताएँ मजबूत होती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: मॉडल जेल मैनुअल 2016, ग्रामीण जेलों में व्यावसायिक फंडिंग की कमी का उल्लेख करता है, जिससे रिहाई के बाद कैदियों के रोजगार के अवसर सीमित हो जाते हैं।
  • दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के मामले: हाशिए पर स्थित समूहों के खिलाफ मनोवैज्ञानिक और शारीरिक दुर्व्यवहार, कमजोर कैदियों की सुरक्षा के लिए सुधारों की निरंतर आवश्यकता को दर्शाता है। 
    • उदाहरण के लिए: गृह मंत्रालय ने 2017 और 2022 के बीच  हिरासत में हुई 669  मौतों की सूचना दी ।

जातिगत भेदभाव से निपटने के लिए जेल प्रणाली में किये जा सकने वाले सुधार

  • कार्य निर्धारण का मानकीकरण: जाति के बजाय कौशल के आधार पर कार्य सौंपना, निष्पक्षता को बढ़ावा देता है और जाति-आधारित भेदभाव को कम करता है। 
    • उदाहरण के लिए: मॉडल जेल मैनुअल विविध कार्य कार्यक्रमों की पक्षकारिता करता है और जाति-संबंधी कार्य आवंटन को रोकता है तथा कौशल-आधारित प्रथाओं का समर्थन करता है
  • भेदभाव विरोधी प्रशिक्षण लागू करना: जेल कर्मचारियों को नियमित भेदभाव विरोधी प्रशिक्षण प्रदान करने से जागरूकता  बढ़ेगी और गैर-भेदभावपूर्ण प्रथाओं को प्रोत्साहन मिलेगा। 
    • उदाहरण के लिए: महाराष्ट्र ने जेल प्रबंधन और अंत: क्रिया में पूर्वाग्रह का समाधान करने के लिए संवेदनशीलता प्रशिक्षण शुरू किया है ।
  • जवाबदेही तंत्र लागू करना: नियमित ऑडिट और बाह्य निरीक्षण से पक्षपात-विरोधी नीतियों का पालन सुनिश्चित करके भेदभावपूर्ण प्रथाओं में कमी लाई जा सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: NHRC समय-समय पर जेलों का निरीक्षण करता है, भेदभावपूर्ण प्रथाओं की निगरानी करता है और समान व्यवहार को बढ़ावा देता है।
  • पुनर्वास कार्यक्रमों तक समान पहुँच सुनिश्चित करना: शैक्षिक और पुनर्वास कार्यक्रमों तक समान पहुँच से जाति-आधारित प्रतिबंध हट जाते हैं, तथा सभी कैदियों को समान रूप से इनमें भाग लेने की अनुमति मिलती है।

कैदियों के अधिकारों और पुनर्वास संबंधी चिंताओं का समाधान करने हेतु आवश्यक जेल सुधार

  • कानूनी सहायता तक पहुँच का विस्तार: निःशुल्क कानूनी प्रतिनिधित्व, निष्पक्ष न्याय को बढ़ावा देता है, कैदियों के अधिकारों को कायम रखता है और सामाजिक पुनः एकीकरण में सहायता करता है। 
    • उदाहरण के लिए: NALSA की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 25,000 विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा किया गया, जिससे हाशिए पर स्थित समूहों के लिए कानूनी संसाधनों तक पहुँच सुनिश्चित हुई।
  • कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देना: व्यावसायिक प्रशिक्षण, कैदियों को रिहाई के बाद रोजगार के लिए तैयार करता है, सफल पुनः एकीकरण को प्रोत्साहित करता है और पुनरावृत्ति को कम करता है। 
    • उदाहरण के लिए: प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना जेल में प्रमाणपत्र प्रदान करती है , जिससे कैदियों को रोजगार कौशल हासिल करने में सहायता मिलती है।
  • मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करना: मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच, कैदियों की मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं को पूरा करती है तथा समग्र कल्याण और पुनर्वास में मदद करती है। 
    • उदाहरण के लिए: NCRB की जेल सांख्यिकी रिपोर्ट से पता चलता है कि 2022 में भारतीय जेलों में 159 अप्राकृतिक मौतों में से 74.8% (119) ऐसी मौतें थी जो मुख्य रूप से आत्महत्या के कारण हुई।
  • सामुदायिक पुनः एकीकरण कार्यक्रम विकसित करना: रिहाई के बाद सहायता सेवाएँ, जैसे कि नौकरी की व्यवस्था और आवास, कैदियों के समाज में पुनः एकीकृत होने को आसान बनाती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: महाराष्ट्र का जिवला (Jivhala) कार्यक्रम, कैदियों को ऋण सहायता प्रदान करता है, जिससे पुनः एकीकरण के लिए वित्तीय स्थिरता प्राप्त करने में सहायता मिलती है।

Check Out UPSC CSE Books From PW Store

जेल से जुड़े कार्यों के जाति-आधारित वर्गीकरण के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का निर्णय, भारत में सामाजिक न्याय की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है। प्रणालीगत पूर्वाग्रहों को संबोधित करके और कैदियों के अधिकारों पर जोर देकर, यह निर्णय एक निष्पक्ष और मानवीय जेल प्रणाली का समर्थन करता है। संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने और सभी कैदियों के लिए प्रभावी सामाजिक एकीकरण की सुविधा प्रदान करने वाले वातावरण को बनाने के लिए अभी और अधिक सुधारों की आवश्यकता है।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Know about Physics Wallah

Physics Wallah is an Indian online education platform, that provides accessible & comprehensive learning experiences to students of classes 6 to 12 and those preparing for JEE and NEET exams. We also provide extensive NCERT solutions, sample papers, NEET, JEE Mains, BITSAT previous year papers, which makes us a one-stop solution for all resources. Physics Wallah also caters to over 3.5 million registered students and over 78 lakh+ Youtube subscribers with 4.8 rating on its app.

We Stand Out because

We successfully provide students with intensive courses by India's qualified & experienced faculties. PW strives to make the learning experience comprehensive and accessible for students of all sections of society. We believe in empowering every single student who couldn't dream of a good career in engineering and medical field earlier.

Our Key Focus Areas

Physics Wallah’s main focus is to create accessible learning experiences for students all over India. With courses like Lakshya, Udaan, Arjuna & many others, we have been able to provide a ready solution for lakhs of aspirants. From providing Chemistry, Maths, Physics formulae to giving e-books of eminent authors, PW aims to provide reliable solutions for student prep.

What Makes Us Different

Physics Wallah strives to develop a comprehensive pedagogical structure for students, where they get a state-of-the-art learning experience with study material and resources. Apart from catering students preparing for JEE Mains and NEET, PW also provides study material for each state board like Uttar Pradesh, Bihar, and others.

Aiming for UPSC?

Download Our App

# #
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.