Q. सिविल सेवाओं के भीतर डोमेन विशेषज्ञों की आवश्यकता पर लंबे समय से बहस चल रही है। आरक्षण संबंधी चिंताओं के कारण लैटरल एंट्री को विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन शिक्षा, उद्योग और सिविल सेवाओं को मिलाकर एक एकीकृत मॉडल प्रस्तावित किया गया है। प्रशासनिक सुधारों के लिए इस दृष्टिकोण की चुनौतियों और अवसरों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (15 अंक , 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • सिविल सेवाओं में डोमेन विशेषज्ञों की आवश्यकता और लेटरल एंट्री की प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिए।
  • शिक्षा, उद्योग और सिविल सेवाओं को मिलाकर एक एकीकृत मॉडल की चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए।
  • प्रशासनिक सुधारों के लिए यह मॉडल जो अवसर प्रस्तुत करता है उनका विश्लेषण कीजिए।
  • चुनौतियों का समाधान करने और अवसरों का लाभ उठाने के लिए आगे की राह लिखिये।

उत्तर

सिविल सेवाओं में डोमेन विशेषज्ञों की आवश्यकता, शासन की बढ़ती जटिलता के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है। वर्ष 2019 में,  लेटरल एंट्री ने 9 निजी क्षेत्र के पेशेवरों को वरिष्ठ भूमिकाओं में लाया, जो इसकी क्षमता को उजागर करता है। हालाँकि, समानता, जवाबदेही और एकीकरण के संबंध में व्याप्त चिंताओं के कारण इसका प्रतिरोध हुआ है शिक्षा, उद्योग और सिविल सेवाओं को मिलाकर तैयार किया गया एक हाइब्रिड मॉडल,  प्रशासनिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण प्रदान करता है।

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सिविल सेवाओं में डोमेन विशेषज्ञों की आवश्यकता

  • जटिल शासन चुनौतियाँ: जलवायु परिवर्तन और डेटा सुरक्षा जैसे मुद्दों पर प्रभावी निर्णय लेने के लिए विशेष ज्ञान की आवश्यकता होती है। 
    • उदाहरण के लिए: नीति आयोग द्वारा डेटा सशक्तिकरण और संरक्षण आर्किटेक्चर (DEPA) ढाँचा तकनीकी विशेषज्ञों के साथ मिलकर विकसित किया गया था ताकि शासन में सुरक्षित डेटा साझाकरण और गोपनीयता सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
  • प्रशासन में कौशल अंतराल: प्रशासनिक अधिकारियों के बीच अक्सर AI और जैव प्रौद्योगिकी जैसे उभरते क्षेत्रों में विशेष विशेषज्ञता की कमी होती है, जो प्रभावी नीति-निर्माण और कार्यान्वयन में बाधा बन सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020), शिक्षा क्षेत्र में व्यापक सुधारों के लिए डोमेन विशेषज्ञ डॉ. के. कस्तूरीरंगन पर निर्भर थी।
  • बेहतर नीतिगत नवाचार: विशेषज्ञ नए दृष्टिकोण और वैश्विक अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं, जिससे नवीन नीतिगत समाधानों को बढ़ावा मिलता है। 
    • उदाहरण के लिए: क्लाउड-आधारित समाधानों और डिजिटल भुगतानों पर सलाह देने वाले निजी क्षेत्र के आईटी पेशेवरों द्वारा डिजिटल इंडिया पहल को अधिक प्रभावी किया गया।
  • बेहतर सार्वजनिक सेवा वितरण: विशेषज्ञ नागरिक-केंद्रित नीतियों को डिजाइन करने में मदद करते हैं जो कुशल और स्केलेबल हों 
    • उदाहरण के लिए: आयुष्मान भारत योजना के कुशल कार्यान्वयन के लिए प्रोटोकॉल तैयार करने में AIIMS के स्वास्थ्य पेशेवरों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
  • नीतियों की विश्वसनीयता में वृद्धि: डोमेन विशेषज्ञता को शामिल करने से व्यावसायिकता का प्रदर्शन करके शासन में जनता का विश्वास बढ़ायेगा 
    • उदाहरण के लिए: डॉ. बिबेक देबरॉय जैसे शीर्ष अर्थशास्त्रियों और कर पेशेवरों के इनपुट से GST रोलआउट में लाभ हुआ, जिससे सुचारू कार्यान्वयन सुनिश्चित हुआ।
  • वैश्विक मानकों को संबोधित करना: विशिष्ट ज्ञान, यह सुनिश्चित करता है, कि नीतियाँ वैश्विक मानदंडों को पूरा करें और भारत की स्थिति में सुधार करें। 
    • उदाहरण के लिए: अंतरराष्ट्रीय व्यापार वार्ता में विशेषज्ञों ने वर्ष 2022 में हस्ताक्षरित भारत-UAE CEPA समझौते को सक्षम बनाया, जिससे आर्थिक संबंध मजबूत हुये।

एकीकृत मॉडल की चुनौतियाँ

  • प्रशासन द्वारा प्रतिरोध: भूमिका समाप्त होने का भय और कैडर प्रणाली में व्यवधान, संस्थागत प्रतिरोध उत्पन्न करता है। 
    • उदाहरण के लिए: वाणिज्य मंत्रालय में लेटरल एंट्री के माध्यम से हुई नियुक्तियों के निर्णय को, पदानुक्रम के संबंध में चिंतित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा।
  • समता संबंधी चिंताएं: लेटरल भर्ती में आरक्षण मानदंडों की अनदेखी हो सकती है, जिससे सार्वजनिक क्षेत्र की नियुक्तियों में निष्पक्षता और समान प्रतिनिधित्व के संबंध में चिंताएं बढ़ सकती हैं।
  • एकीकरण की चुनौतियाँ: विभिन्न क्षेत्रों के बीच मौजूद सांस्कृतिक अंतर प्रभावी सहयोग में बाधा उत्पन्न करते हैं, जिससे संयुक्त पहलों में प्रगति और आपसी सहयोग धीमा हो जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: लेटरल एंट्री योजनाओं के तहत सरकारी भूमिकाओं में शामिल किए गए कॉर्पोरेट पेशेवरों ने सार्वजनिक क्षेत्र की निर्णयन प्रक्रियाओं और कठोर प्रोटोकॉल को समायोजित करने में कठिनाइयों की सूचना दी।
  • प्रशासनिक विखंडन का जोखिम: विभिन्न कार्य शैलियाँ, प्रशासनिक सामंजस्य को चुनौती दे सकती हैं, जिससे संभावित रूप से टीमवर्क और निर्णय लेने की दक्षता प्रभावित हो सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: स्मार्ट सिटीज मिशन के अंतर्गत परियोजना कार्यान्वयन दृष्टिकोणों पर लेटरल एंट्री के माध्यम से नियुक्त व्यक्तियों  और परंपरागत अधिकारियों के बीच असहमति के कारण कुछ शहरों के निर्माण कार्यों में देरी हुई।
  • पक्षपात का खतरा: गैर विनियमित लेटरल भर्ती से से पक्षपातपूर्ण नियुक्तियाँ हो सकती हैं , जिससे योग्यता आधारित चयन की प्रक्रिया कमजोर पड़ सकती है।

एकीकृत मॉडल द्वारा प्रस्तुत अवसर

  • बढ़ी हुई दक्षता: विशेषज्ञ व्यावहारिक अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं जो नीति-निर्माण और कार्यान्वयन की प्रभावशीलता और दक्षता को बढ़ाते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: नीति आयोग के अर्थशास्त्रियों ने आकांक्षी जिला कार्यक्रम में परिणामों को बेहतर बनाने के लिए लक्षित डेटा-संचालित दृष्टिकोण का उपयोग किया।
  • अभिनव समाधान: ये सहयोग जटिल शासन चुनौतियों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए अभिनव और रचनात्मक समाधानों को प्रोत्साहित करता है। 
    • उदाहरण के लिए: स्मार्ट सिटीज मिशन में PPP मॉडल ने डोमेन विशेषज्ञता का उपयोग करके शहरी बुनियादी ढाँचे  को उन्नत करने में सहायता की।
  • वैश्विक सर्वोत्तम अभ्यास: अंतरराष्ट्रीय अनुभव वाले विशेषज्ञ भारत के अद्वितीय सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक संदर्भों के अनुरूप सफल वैश्विक मॉडल तैयार कर सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए जापानी शिंकानसेन तकनीक से जुड़े विशेषज्ञों के सहयोग से भारतीय रेलवे के सुधार को लाभ मिला।
  • प्रशासनिक व्यवस्था में कौशल विकास: अंतर-क्षेत्रीय सहयोग, सिविल सेवकों के कौशल को विविध दृष्टिकोणों और नवीन प्रथाओं से लैश करके उन्हें अधिक कुशल बनाता है।
    उदाहरण के लिए: मिशन कर्मयोगी के तहत शुरू की गई प्रशिक्षण पहलें उभरती प्रौद्योगिकियों में कौशल निर्माण को एकीकृत करती है।
  • राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा: विशेषज्ञों का एकीकरण नीतियों को वैश्विक मानकों के साथ एकीकृत करता है , जिससे भारत की स्थिति में सुधार होगा। 
    • उदाहरण के लिए: इलेक्ट्रॉनिक्स में निवेश को आकर्षित करने के लिए, विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए ढाँचे  से PLI (उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन) योजना को लाभ मिला।

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आगे की राह

  • पारदर्शी भर्ती: कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों के लिए आरक्षण मानदंडों का सख्ती से पालन करके निष्पक्षता सुनिश्चित करना और इसके साथ ही सबसे योग्य उम्मीदवारों का चयन करने के लिए योग्यता आधारित दृष्टिकोण बनाए रखना अति आवश्यक है।
    • उदाहरण के लिए: UPSC के माध्यम से खुली भर्ती, प्रतिनिधित्व और योग्यता सुनिश्चित करके, समानता संबंधी चिंताओं को दूर कर सकती है।
  • क्षमता निर्माण कार्यक्रम: निर्बाध एकीकरण सुनिश्चित करने, सहयोग बढ़ाने और प्रशासनिक प्रक्रियाओं की साझा समझ को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त कार्यक्रमों के माध्यम से लेटरल एंट्री से चुने गये व्यक्तियों और सिविल सेवकों को प्रशिक्षण देना चाहिए।
  • स्पष्ट जवाबदेही उपाय: लेटरल एंट्री के द्वारा नियुक्त व्यक्तियों की स्पष्ट ज़िम्मेदारियों को परिभाषित करना और जवाबदेही, प्रभावशीलता और संगठनात्मक लक्ष्यों के साथ संरेखण सुनिश्चित करने के लिए नियमित प्रदर्शन ऑडिट को लागू करना। 
    • उदाहरण के लिए: नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) जैसी स्वतंत्र संस्थाओं द्वारा आवधिक मूल्यांकन।
  • छोटे पैमाने पर पायलट: शिक्षा या स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में एकीकृत मॉडल का परीक्षण करना चाहिए ताकि इसकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जा सके, चुनौतियों की पहचान की जा सके और व्यापक रूप से उन्हें अपनाने से पहले कार्यान्वयन रणनीतियों को परिष्कृत किया जा सके। 
    • उदाहरण के लिए: आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की पॉयलेट परियोजना   संभावित मुद्दों की पहचान करने, प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और देश भर में इस पहल के सुचारू पैमाने को सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं।
  • संस्थागत समर्थन: लेटरल भर्ती और प्रशिक्षण की देखरेख के लिए एक समर्पित निकाय की स्थापना करनी चाहिए, जिससे मानकीकृत प्रक्रियाएं, प्रभावी एकीकरण और भर्ती किये गये युवकों का निरंतर पेशेवर विकास सुनिश्चित हो सके।

जटिल चुनौतियों का समाधान करने और सेवा प्रदान करने की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए भारतीय शासन में डोमेन विशेषज्ञता को एकीकृत करना चाहिए। समानता, जवाबदेही और निर्बाध एकीकरण सुनिश्चित करके, शिक्षा, उद्योग और नागरिक सेवाओं को मिलाकर एक संतुलित मॉडल ऐसे परिवर्तनकारी सुधार ला सकता है, जो विजन 2047 के लिए भारत की शासन प्रणाली तैयार कर सकता है ।

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