Q. माओवादियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की बढ़त के बावजूद, स्थायी शांति के लिए संवाद और पुनर्वास क्यों महत्त्वपूर्ण है? सैन्य सफलता से परे एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता का विश्लेषण कीजिए, वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने में आत्मसमर्पण नीतियों, संक्रमणकालीन न्याय और सामाजिक एकीकरण की भूमिका पर चर्चा कीजिए (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • समझाइए कि माओवादियों के विरुद्ध सुरक्षा बलों की मजबूत स्थिति होने के बावजूद, स्थायी शांति के लिए संवाद और पुनर्वास क्यों महत्त्वपूर्ण है।
  • वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने में आत्मसमर्पण नीतियों की भूमिका पर चर्चा करते हुए सैन्य सफलता से परे एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता का विश्लेषण कीजिए।
  • वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने में संक्रमणकालीन न्याय की भूमिका पर चर्चा करते हुए ,सैन्य सफलता से परे एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता का विश्लेषण कीजिए।
  •  वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने में सामाजिक पुनः एकीकरण की भूमिका पर चर्चा करते हुए सैन्य सफलता से परे एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता का विश्लेषण कीजिए।

उत्तर

भारत में वामपंथी उग्रवाद, जिसका नेतृत्व मुख्य रूप से माओवादी विद्रोहियों द्वारा किया जाता है, सुरक्षा और विकास दोनों के लिए एक सतत चुनौती बना हुआ है। वर्ष 2024 में, 278 माओवादियों को मार गिराने की घटना और सुरक्षा कर्मियों की मृत्यु में उल्लेखनीय कमी, भारत के उग्रवाद विरोधी प्रयासों की बढ़ती प्रभावशीलता को रेखांकित करती है। हालाँकि, प्रभावित समुदायों के भीतर गहरी सामाजिक-आर्थिक असमानताओं और अनसुलझे शिकायतों के कारण उग्रवाद जारी है।

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स्थायी शांति के लिए संवाद और पुनर्वास की भूमिका

  • मूल कारणों को संबोधित करना: माओवाद का जन्म सामाजिक-आर्थिक असमानताओं के कारण होता है। परस्पर संवाद इन चिंताओं को दूर करने के लिए एक मंच प्रदान करता है, जिससे उग्रवाद को मिलने वाली सहायता कम हो जाती है। 
    • उदाहरण के लिए: वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या वर्ष 2013 में 126 से घटकर वर्ष 2024 में 38 हो गई, जो माओवादी उग्रवाद को बढ़ावा देने वाले अंतर्निहित सामाजिक-आर्थिक मुद्दों का समाधान करने में सरकारी हस्तक्षेप और संवाद की सफलता को दर्शाता है ।
  • हिंसा के चक्र को तोड़ना: माओवादियों के खिलाफ़ सैन्य विजय महत्त्वपूर्ण है, लेकिन अनसुलझी शिकायतों के कारण बार-बार हिंसा होती है। पुनर्वास कार्यक्रम माओवादी लड़ाकों को समाज में पुनः: एकीकृत होने में मदद करते हैं, जिससे भविष्य में होने वाली हिंसा को रोका जा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना (2015) ने सुरक्षा उपायों को विकास पहलों के साथ जोड़ा, जिसका उद्देश्य सैन्य और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का समाधान करके समग्र शांति स्थापित करना है।
  • स्थानीय समुदायों के साथ विश्वास का निर्माण: राज्य और स्थानीय समुदायों के बीच संवाद से विश्वास और विश्वसनीयता बहाल करने में मदद मिलती है, तथा यह शांतिपूर्ण समाधान और विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • संवाद के वैश्विक उदाहरण: अंतर्राष्ट्रीय मामले दर्शाते हैं कि बातचीत के माध्यम से वैचारिक संघर्षों का समाधान करते हुए शांति प्राप्त हो सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: श्रीलंका में JVP द्वारा सशस्त्र प्रतिरोध से संसदीय राजनीति की ओर किये गए बदलाव ने दर्शाया कि संवाद क्रांतिकारी आंदोलनों को राजनीतिक मुख्यधारा में बदल सकता है।
  • दीर्घकालिक संघर्षों से बचाव: संवाद और पुनर्वास अल्पकालिक समाधान नहीं हैं, बल्कि बार-बार होने वाली हिंसा को रोकने के लिए दीर्घकालिक रणनीतियाँ हैं। ये केवल उग्रवाद के लक्षणों के बजाय  उसके अंतर्निहित कारणों का समाधान करता है। 
    • उदाहरण के लिए: हिंसा की घटनाओं में 53% की कमी और होने वाली मौतों में 70% की कमी विकास और संवाद के साथ संतुलित सैन्य कार्रवाई के महत्त्व को दर्शाती है।

वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने में आत्मसमर्पण नीतियों की भूमिका

  • वैकल्पिक रास्ता तैयार करना: आत्मसमर्पण की नीतियाँ माओवादी कार्यकर्ताओं को सुरक्षा, आर्थिक लाभ और सामाजिक पुनः एकीकरण के अवसर प्रदान करके हिंसा को कम करने का एक वैकल्पिक रास्ता तैयार करती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: छत्तीसगढ़ सरकार की आत्मसमर्पण नीति वित्तीय सहायता, रोजगार प्रशिक्षण और शैक्षिक अवसर प्रदान करती है, जो पूर्व माओवादियों को आत्मसमर्पण और शांतिपूर्वक समाज में पुनः एकीकृत होने के लिए प्रोत्साहित करती है।
  • माओवादी नेटवर्क को तोड़ना: आत्मसमर्पण की नीतियाँ प्रमुख विद्रोहियों को हिंसा छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करके, माओवादी बुनियादी ढाँचे  को कमजोर करती हैं, जिससे उनकी कमान संरचनाएँ बाधित होती हैं
  • भर्ती में कमी: पूर्व विद्रोहियों के समक्ष एक स्थिर भविष्य की पेशकश करके, आत्मसमर्पण नीतियाँ नए भर्ती हुए लोगों को माओवादी समूहों में शामिल होने से रोकती हैं । 
    • उदाहरण के लिए: साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल (SATP) के अनुसार, वर्ष 2024 में 446 माओवादी कैडरों ने आत्मसमर्पण किया है, और पिछले दो दशकों में 17,000 से अधिक आत्मसमर्पण हुये हैं।
  • मनोवैज्ञानिक प्रभाव: आत्मसमर्पण की नीतियों का मनोवैज्ञानिक प्रभाव होता है, क्योंकि इससे पता चलता है कि हिंसा से जीत नहीं मिलती, जिससे शेष विद्रोहियों का मनोबल गिर सकता है और उनका संकल्प कमजोर हो सकता है।
  • सरकारी पहुँच: आत्मसमर्पण की नीतियाँ, माओवादियों और उनके समर्थकों तक सरकारी पहुँच का विस्तार हैं, जो निरंतर संघर्ष के बजाय शांति को एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में पेश करती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: बस्तर मॉडल की प्रशंसा न केवल सैन्य कार्रवाई बल्कि व्यापक पुनर्वास कार्यक्रमों के माध्यम से स्थानीय आबादी को शामिल करने में इसकी सफलता के लिए की गई है।

वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने में संक्रमणकालीन न्याय की भूमिका

  • अतीत में हुए अन्याय को स्वीकार करना: संक्रमणकालीन न्याय, हाशिए पर स्थित समुदायों द्वारा सामना की जाने वाली शिकायतों और उल्लंघनों को स्वीकार करने पर केंद्रित है , जो वामपंथी उग्रवाद का मुख्य कारण हैं। 
    • उदाहरण के लिए: बंद्योपाध्याय समिति की रिपोर्ट ने जनजातियों के भूमि अधिकारों पर बल दिया, माओवादी विद्रोह को जन्म देने वाली ऐतिहासिक गलतियों को स्वीकार किया और सुधारात्मक कार्रवाई की सिफारिश की।
  • गरिमा बहाल करना: संक्रमणकालीन न्याय, पीड़ितों को अपनी पीड़ा और शिकायतों को व्यक्त करने के लिए एक मंच प्रदान करके उनकी गरिमा को बहाल करने में मदद करता है। 
    • उदाहरण के लिए: कोलंबिया की संक्रमणकालीन न्याय प्रणाली ने FARC विद्रोह के पीड़ितों को ठीक करने, क्षतिपूर्ति करने और उनकी पीड़ा को स्वीकार करने की दिशा में कार्य किया है।
  • जवाबदेही और शांति स्थापना: उग्रवाद की अवधि के दौरान की गई हिंसा के लिए जवाबदेही, विश्वास स्थापित करने और स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • विधि के शासन को मजबूत करना: संक्रमणकालीन न्याय, विधि के शासन को मजबूत करने में योगदान देता है, जो माओवादी विद्रोहों को कम करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • हिंसा की पुनरावृत्ति को रोकना: संक्रमणकालीन न्याय, उग्रवाद के संरचनात्मक कारणों का समाधान करने का प्रयास करता है, सुलह और न्याय का मार्ग प्रदान करता है जो भविष्य में हिंसा को रोकता है। 
    • उदाहरण के लिए: पेरू के  ‘ट्रुथ एँड रिकॉन्सिलेशन कमीशन  ने ग्रामीण गरीबों की सामाजिक-आर्थिक शिकायतों का समाधान करके ‘शाइनिंग पाथ विद्रोह’ को समाप्त करने में मदद की।

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वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने में सामाजिक पुनर्एकीकरण की भूमिका

  • जीवन का पुनर्निर्माण: सामाजिक एकीकरण, माओवादी लड़ाकों को अपने जीवन का पुनर्निर्माण करने का मौका देता है, जिससे वे हिंसक गतिविधियों से दूर होकर शांतिपूर्ण आजीविका की ओर अग्रसर होते हैं । 
    • उदाहरण के लिए: छत्तीसगढ़ के सामाजिक एकीकरण कार्यक्रमों ने पूर्व माओवादियों को आजीविका प्रदान की है, जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में विद्रोही गतिविधियों में कमी आई है।
  • उग्रवाद के लिए समर्थन में कमी: समाज और अर्थव्यवस्था में माओवादियों के सफल पुनः एकीकरण से उग्रवाद की समस्या कम हो सकती है और उग्रवादी विचारधाराओं को फैलने से रोका जा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: राज्यों की पुनः एकीकरण नीतियों के अंतर्गत पूर्व लड़ाकों के व्यावसायिक प्रशिक्षण और स्वयं सहायता समूहों पर ध्यान केंद्रित करके, माओवादी गतिविधियों में तीव्र कमी देखी गई है ।
  • सामुदायिक स्वीकृति: पुनः एकीकरण कार्यक्रम समुदायों के भीतर विश्वास के पुनर्निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिससे पूर्व विद्रोहियों के लिए बिना किसी कलंक के समाज में पुनः प्रवेश करना आसान हो जाता है। 
  • उदाहरण के लिए: पुनर्वास योजनाओं के द्वारा आर्थिक और सामाजिक सहायता प्रदान करके उग्रवादियों को समाज में पुनः शामिल करने हेतु स्थानीय समुदायों को प्रोत्साहित किया गया है ।
  • पूर्व उग्रवादियों को सशक्त बनाना: सामाजिक पुनः एकीकरण कार्यक्रम पूर्व उग्रवादियों को सशक्तीकरण की भावना प्रदान करते हैं , जिससे उन्हें समाज में सकारात्मक योगदान करने का अवसर मिलता है।
  • दीर्घकालिक शांति का निर्माण: शिक्षा, आजीविका और सामुदायिक स्वीकृति के माध्यम से, पुनः एकीकरण कार्यक्रम व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों चुनौतियों का समाधान करके दीर्घकालिक शांति स्थापित करते हैं।

भारत में वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने के लिए सैन्य कार्रवाई को संवाद , पुनर्वास और सामाजिक एकीकरण के साथ जोड़ने वाला एक व्यापक दृष्टिकोण आवश्यक है। कोलंबिया और दक्षिण अफ्रीका जैसी वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से सबक लेते हुए, भारत को समावेशी विकास और शांति निर्माण की दिशा में अपने प्रयास जारी रखने चाहिए ।

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