Q. हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को घरेलू कामगारों के लिए एक अलग कानून की आवश्यकता का निर्देश दिया है। भारत में घरेलू कामगारों के समक्ष आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए और चर्चा कीजिए कि कैसे एक समर्पित कानूनी ढाँचा उन चुनौतियों को दूर कर सकता है। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • उच्चतम न्यायलय  द्वारा केंद्र सरकार को दिए गए निर्देश के अनुसार घरेलू कामगारों के लिए एक अलग कानून की आवश्यकता का परीक्षण कीजिए।
  • भारत में घरेलू कामगारों के समक्ष आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए।
  • चर्चा कीजिए कि एक समर्पित कानूनी ढाँचा’ उनकी सुभेद्यताओं को कैसे दूर कर सकता है।

उत्तर

भारत में घरेलू कामगार, मुख्य रूप से महिलाएँ, अनौपचारिक कार्यबल का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। हाल के अनुमानों से पता चलता है कि घरेलू कामगारों की संख्या आधिकारिक आँकड़ों 4.2 मिलियन से लेकर अनौपचारिक अनुमानों 50 मिलियन से अधिक तक है। जनवरी, 2025 में, उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को घरेलू कामगारों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक अलग कानून बनाने की व्यवहार्यता पर विचार करने का निर्देश दिया, जिसमें उनके व्यापक शोषण और कानूनी सुरक्षा उपायों की कमी पर प्रकाश डाला गया।

Enroll now for UPSC Online Course

घरेलू कामगारों के लिए अलग कानून की आवश्यकता, जैसा कि उच्चतम न्यायलय  ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है

  • विनियमन का अभाव: घरेलू कामगारों को न्यूनतम वेतन अधिनियम या समान पारिश्रमिक अधिनियम जैसे मौजूदा श्रम कानूनों के तहत कवर नहीं किया जाता है। अंत: इस संदर्भ में एक अलग कानून संरचित विनियमन प्रदान कर सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: घरेलू कामगार अक्सर एक निश्चित वेतन के बिना काम करते हैं और औपचारिक ढांचे के अभाव के कारण मनमाने व्यवहार का सामना करते हैं।
  • अनौपचारिकता के कारण संवेदनशीलता: घरेलू कार्य काफी हद तक अनौपचारिक और अनियमित है, जिसमें नियोक्ता खुद को “नियोक्ता” या अपने घरों को “कार्यस्थल” के रूप में मान्यता नहीं देते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: श्रमिकों को न्यूनतम वेतन या सामाजिक सुरक्षा जैसे बुनियादी अधिकारों से वंचित किया जा सकता है, क्योंकि उनके रोजगार का औपचारिक रूप से दस्तावेजीकरण नहीं किया जाता है।
  • लैंगिक  आधारित व्यवसाय: घरेलू काम में महिलाओं का वर्चस्व है, जिसमें मुख्य रूप से महिलाएँ ही काम करती हैं, और समाज में ऐसे काम को कम महत्त्व दिया जाता है। एक विशिष्ट कानून इस लिंग आधारित असमानता को कम कर सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: घरेलू काम में लगी महिलाओं को अक्सर समान कार्य करने वाले पुरुषों की तुलना में कम वेतन दिया जाता है, जो सामाजिक अवमूल्यन को दर्शाता है।
  • क्षेत्रीय और स्थानीय भिन्नताएँ: घरेलू कार्य परिस्थितियाँ विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न होती हैं। इनसे संबंधित  एक अलग कानून, स्थानीय चुनौतियों का समाधान करने में सहायता कर सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: केरल और दिल्ली के विनियामक प्रयासों में, रोजगार पंजीकरण और मजदूरी दरों जैसी क्षेत्रीय चिंताओं को संबोधित करने में भिन्नता देखी जा सकती है।
  • अधिकारों का प्रवर्तन: इस दिशा में एक अलग कानून, श्रमिकों के अधिकारों को लागू करने और उल्लंघन के मामलों में कानूनी उपाय प्रदान करने के लिए स्पष्ट प्रक्रियाओं को अनिवार्य कर सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: घरेलू श्रमिक, रोजगार के साक्ष्य के बिना वेतन का दावा करने के लिए संघर्ष कर सकते हैं, जिससे उनका शोषण होने की संभावना बढ़ जाती है।

भारत में घरेलू कामगारों के समक्ष चुनौतियाँ

  • कम वेतन के ज़रिए शोषण: घरेलू कामगारों को अक्सर कम वेतन मिलता है, जो उनके श्रम-गहन कार्य के लिए अपर्याप्त होता है। न्यूनतम वेतन मानकों की कमी, इस समस्या को और बढ़ा देती है। 
    • उदाहरण के लिए: अधिक समय तक कार्य करने के बावजूद  मुंबई में कार्य कर रहे एक घरेलू कामगार के, न्यूनतम वेतन से कम कमाने की संभावना हो सकती है। इसके परिणामस्वरुप वह  बुनियादी जीवनयापन के खर्चों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर सकता है।
  • कानूनी सुरक्षा का अभाव: घरेलू कामगारों को उत्पीड़न या अनुचित व्यवहार के विरुद्ध कानूनी सुरक्षा नहीं मिलती, जिससे वे दुर्व्यवहार के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
    •  उदाहरण के लिए: दिल्ली में काम करने वाले किसी भी कर्मचारी को मौखिक दुर्व्यवहार या शारीरिक दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन औपचारिक अनुबंधों के अभाव के कारण उसके पास कानूनी सहायता तक पहुंच नहीं होती है।
  • कार्यस्थल को निजी स्थान समझना: घरेलू कार्य निजी घरों में किया जाता है, जिससे विनियमन जटिल हो जाता है तथा नियोक्ता और कर्मचारी के बीच शक्ति असंतुलन बढ़ जाता है।
  • नौकरी की असुरक्षा: इस क्षेत्र में नौकरी की सुरक्षा का अभाव है और श्रमिकों को अक्सर बिना किसी नोटिस या विच्छेद के निकाल दिया जाता है, जिससे वित्तीय अस्थिरता उत्पन्न होती है । 
    • उदाहरण के लिए: एक कर्मचारी को कई वर्षों की सेवा के बाद अचानक बिना किसी मुआवजे के, उसकी नौकरी से निकाला जा सकता है, जिससे वह बेसहारा हो जाता है।
  • सामाजिक और लैंगिक कलंक: घरेलू काम को सामाजिक रूप से “महिलाओं का काम” मानकर कम आंका जाता है और अक्सर इसे वंचित समुदायों से जोड़ दिया जाता है, जिससे श्रमिकों के हितों की अनदेखी हो सकती है।
    • उदाहरण के लिए: ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली प्रवासी महिला को सामाजिक कलंक का सामना करना पड़ सकता है और एक वैध कामगार के रूप में मान्यता पाने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है।

समर्पित कानूनी ढाँचा, सुभेद्यताओं को दूर कर सकता है

  • न्यूनतम वेतन प्रवर्तन: इस दिशा में एक समर्पित कानून, न्यूनतम वेतन स्थापित कर सकता है जिससे श्रमिकों को उनके वर्क-ऑवर और कार्यों के अनुसार उचित मुआवज़ा मिल सके। 
    • उदाहरण के लिए: एक राष्ट्रीय कानून, राज्यों में श्रमिकों के लिए एक निश्चित न्यूनतम वेतन निर्धारित कर सकता है, जिससे सफाई, खाना पकाने और देखभाल करने वाले कामों के लिए लगातार भुगतान सुनिश्चित हो सके।
  • दुर्व्यवहार के विरुद्ध कानूनी सुरक्षा: इस दिशा में एक स्पष्ट कानूनी ढाँचा, श्रमिकों को दुर्व्यवहार और उत्पीड़न से सुरक्षा प्राप्त करने की अनुमति देगा, तथा शिकायत निवारण के लिए तंत्र प्रदान करेगा । 
    • उदाहरण के लिए: शोषण को रोकने के लिए इस  कानून में अनिवार्य रोजगार अनुबंध को पेश किया जा सकता है, जिससे श्रमिकों को उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहार को चुनौती देने के लिए कानूनी आधार मिल सकता है ।
  • सामाजिक सुरक्षा उपाय: एक राष्ट्रीय ढाँचा’, स्वास्थ्य बीमा, पेंशन और अन्य सामाजिक लाभ प्रदान कर सकता है, जिससे श्रमिकों की वित्तीय और स्वास्थ्य सुरक्षा में सुधार हो सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: केरल में श्रमिक पहले से ही कुछ लाभों का आनंद लेते हैं, लेकिन राष्ट्रीय कानून यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि पूरे भारत में हर घरेलू कामगार को सामाजिक सुरक्षा तक समान पहुँच मिले।
  • औपचारिक रोजगार पंजीकरण: एक कानून के अंतर्गत नियोक्ता के लिए श्रमिकों का पंजीकरण करने को अनिवार्य किया जा सकता है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि दोनों पक्ष अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जानते हैं, जिससे शोषण कम हो। 
    • उदाहरण के लिए: घरेलू कामगार यूनियनों ने कामगारों को बर्खास्तगी से बचाने तथा आवश्यकता पड़ने पर कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के लिए श्रमिकों के पंजीकरण की वकालत की है।
  • घरेलू कार्य और देखभाल के कार्य को मान्यता देना: एक समर्पित कानूनी ढांचे में घरेलू कार्य और देखभाल के कार्य को मान्यता दी जा सकती है और उसे महत्त्व दिया जा सकता है, जिससे घरेलू कामगारों की सामाजिक मान्यता बढ़ सकती है।
    • उदाहरण के लिए: कानून द्वारा सम्मानजनक कार्य दशाओं को अनिवार्य किया जा सकता है जो यह सुनिश्चित कर सकता है कि घरेलू कार्य के लिए न केवल उचित पारिश्रमिक दिया जाए बल्कि उन्हें सामाजिक रूप से मूल्यवान भी माना जाए

Check Out UPSC CSE Books From PW Store

प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना जैसी योजनाओं के अनुरूप घरेलू कामगारों के लिए एक समर्पित कानूनी ढाँचा’ लागू करने से आवश्यक सामाजिक सुरक्षा मिलेगी, न्यूनतम वेतन लागू होगा और कार्यस्थल पर बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित होगी। यह कानून शक्ति असंतुलन को दूर करके, उनकी कार्य दशाओं में सुधार करके और अंततः उनकी मानवीय गरिमा और आर्थिक स्थिरता को बढ़ाकर घरेलू कामगारों को सशक्त बनाएगा।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Know about Physics Wallah

Physics Wallah is an Indian online education platform, that provides accessible & comprehensive learning experiences to students of classes 6 to 12 and those preparing for JEE and NEET exams. We also provide extensive NCERT solutions, sample papers, NEET, JEE Mains, BITSAT previous year papers, which makes us a one-stop solution for all resources. Physics Wallah also caters to over 3.5 million registered students and over 78 lakh+ Youtube subscribers with 4.8 rating on its app.

We Stand Out because

We successfully provide students with intensive courses by India's qualified & experienced faculties. PW strives to make the learning experience comprehensive and accessible for students of all sections of society. We believe in empowering every single student who couldn't dream of a good career in engineering and medical field earlier.

Our Key Focus Areas

Physics Wallah’s main focus is to create accessible learning experiences for students all over India. With courses like Lakshya, Udaan, Arjuna & many others, we have been able to provide a ready solution for lakhs of aspirants. From providing Chemistry, Maths, Physics formulae to giving e-books of eminent authors, PW aims to provide reliable solutions for student prep.

What Makes Us Different

Physics Wallah strives to develop a comprehensive pedagogical structure for students, where they get a state-of-the-art learning experience with study material and resources. Apart from catering students preparing for JEE Mains and NEET, PW also provides study material for each state board like Uttar Pradesh, Bihar, and others.

Aiming for UPSC?

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.