Q. आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने के संवैधानिक और प्रशासनिक निहितार्थों की आलोचनात्मक जाँच कीजिए। चर्चा कीजिए कि यह पहल चुनावी अखंडता, गोपनीयता के अधिकार और लोकतांत्रिक भागीदारी को कैसे प्रभावित करती है, साथ ही सटीक मतदाता सूची सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक दृष्टिकोण सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने के संवैधानिक और प्रशासनिक निहितार्थों का परीक्षण कीजिए।
  • चर्चा कीजिए कि आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने से चुनावी सत्यनिष्ठा, गोपनीयता के अधिकार और लोकतांत्रिक भागीदारी पर क्या प्रभाव पड़ता है।
  • आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
  • सटीक मतदाता सूची सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक उपाय सुझाइये।

उत्तर

आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने के चुनाव आयोग के हालिया प्रस्ताव का उद्देश्य डुप्लिकेट प्रविष्टियों को समाप्त करके चुनावी सत्यनिष्ठा में सुधार करना है। हालाँकि इससे गोपनीयता, कानूनी अनिवार्यताओं और वैध मतदाताओं के अपवर्जन से संबंधित चिंतायें उत्पन्न हो सकती हैं, जो इसके संवैधानिक और प्रशासनिक निहितार्थों के सावधानीपूर्वक मूल्यांकन की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने के संवैधानिक और प्रशासनिक निहितार्थ

  • मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: आधार को मतदाता पहचान-पत्रों से जोड़ने से मौलिक अधिकारों, विशेष रूप से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त निजता के अधिकार के संभावित उल्लंघन की चिंताएँ उत्पन्न होती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: न्यायमूर्ति केएस पुट्टस्वामी वाद में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय ने आधार के उपयोग को कल्याणकारी योजनाओं तक सीमित कर दिया, जिससे इसकी संवैधानिक सीमाओं पर जोर दिया गया।
  • चुनावी सत्यनिष्ठा का उल्लंघन: आधार को मतदाता पहचान-पत्र से जोड़ने से चुनावी प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा को नुकसान पहुँच सकता है और राजनीतिक प्रोफाइलिंग का खतरा हो सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2022 में CAG ऑडिट रिपोर्ट ने आधार में दोहराव और बायोमेट्रिक त्रुटियों की पहचान की, जिससे चुनावी उद्देश्यों के लिए आधार के उपयोग की विश्वसनीयता पर संदेह उत्पन्न हुआ।
  • संभावित बहिष्कार और भेदभाव: मतदाताओं के लिए आधार संख्या प्रस्तुत करने की आवश्यकता से बुजुर्ग नागरिकों, प्रवासी श्रमिकों और विकलांग व्यक्तियों जैसे वंचित समूहों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
  • बाध्यता एवं ऐच्छिकता का अभाव: सरकार द्वारा आधार-मतदाता पहचानपत्र लिंकिंग (Aadhaar-Voter ID Linking) को ऐच्छिक (Voluntary) बताया जा रहा है, किंतु फॉर्म 6B (Form 6B) की शर्तें इस दावे को प्रश्नांकित करती हैं। यह फॉर्म व्यक्तियों को या तो आधार संख्या प्रदान करने अथवा इसके अभाव की घोषणा (Declaration of Non-Possession) करने के लिए बाध्य करता है।
    • उदाहरण के लिए: आधार अधिनियम में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है, लेकिन आधार को मतदाता पंजीकरण प्रक्रिया में बाध्यकारी रूप से जोड़ने के बारे में सवाल उठते हैं।
  • प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन: इस प्रक्रिया में स्पष्ट अपीलीय तंत्र का अभाव है, जो प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन है। 
    • उदाहरण के लिए: लाल बाबू हुसैन वाद (वर्ष 1995) में, उच्चतम न्यायलय ने इस बात पर जोर दिया कि मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए उचित प्रक्रिया और प्राकृतिक न्याय का पालन किया जाना चाहिए, जो निष्पक्षता के संवैधानिक सिद्धांत पर प्रकाश डालता है।

चुनावी सत्यनिष्ठा, गोपनीयता के अधिकार और लोकतांत्रिक भागीदारी पर प्रभाव

  • चुनावी सत्यनिष्ठा को खतरा: आधार को मतदाता पहचान-पत्र से जोड़ने से मतदाता सूची में हेरफेर हो सकता है  जिससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रभावित हो सकते हैं
  • निजता के अधिकार का हनन: आधार को मतदाता पहचान-पत्र से जोड़ने से व्यक्तियों के व्यक्तिगत डेटा की निगरानी का जोखिम बढ़ जाता है, जो भारतीय संविधान में निहित निजता के अधिकार का उल्लंघन है। 
    • उदाहरण के लिए: डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) अधिनियम 2023, सरकारी निकायों को व्यापक छूट प्रदान करता है जिससे संभावित निगरानी और डेटा प्रोफाइलिंग की सुविधा मिलती है
  • सुभेद्य मतदाताओं पर असंगत बोझ: बुज़ुर्ग, विकलांग और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को नई प्रणाली के तहत आवश्यक भौतिक सत्यापन से संघर्ष करना पड़ सकता है  जिससे बड़ी संख्या में योग्य मतदाता अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवासी श्रमिकों के लिए नई आधार सत्यापन आवश्यकताओं को पूरा करना कठिन हो सकता है, जिससे उनकी लोकतांत्रिक भागीदारी सीमित हो सकती है।
  • प्रौद्योगिकी पर अत्यधिक ध्यान: यह पहल मतदाता सत्यापन के लिए प्रौद्योगिकी पर अत्यधिक निर्भरता रखती है, जो सार्वभौमिक रूप से सुलभ नहीं हो सकती है, जिससे डिजिटल साक्षरता की कमी वाले नागरिकों की लोकतांत्रिक भागीदारी कमज़ोर हो जाती है। 
    • उदाहरण के लिए: बूथ स्तरीय अधिकारियों (BLO) का उपयोग घर-घर जाकर सत्यापन करने के लिए किया जा सकता है, जिससे मतदाताओं की बेहतर सहभागिता और समावेशिता सुनिश्चित हो सके।
  • लोकतांत्रिक अधिकारों पर नकारात्मक प्रभाव: आधार को मतदाता पहचान-पत्र से जोड़ने के माध्यम से राजनीतिक प्रोफाइलिंग की संभावना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक भागीदारी को बाधित कर सकती है,  क्योंकि मतदाताओं को डर हो सकता है कि उनके डेटा का राजनीतिक लक्ष्यीकरण के लिए दुरुपयोग किया जा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: यदि राजनीतिक संस्थाओं द्वारा डेटा तक पहुंच बनाई जाती है, तो वोटर सप्रेशन की रणनीति सामने आ सकती है।
  • संस्थागत स्वतंत्रता से समझौता: UIDAI को चुनावी डेटा सौंपने से चुनाव आयोग की स्वायत्तता कमजोर होती है और मतदाता सूचना के राजनीतिकरण का खतरा होता है

सटीक मतदाता सूची सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक दृष्टिकोण

  • बूथ स्तर के अधिकारियों (BLO) को सशक्त बनाना: बूथ स्तर के अधिकारियों को घर-घर जाकर सत्यापन करने का अधिकार दिया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी पात्र मतदाता इसमें शामिल हों और इसके लिए उन्हें केवल प्रौद्योगिकी पर निर्भर नहीं रहना पड़े।
  • मतदाता सूचियों का स्वतंत्र ऑडिट: मतदाता सूचियों का नियमित स्वतंत्र ऑडिट, अशुद्धियों या विसंगतियों की पहचान करने में मदद कर सकता है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सूची साफ और सटीक हो। 
    • उदाहरण के लिए: स्वतंत्र निकायों द्वारा किए गए सामाजिक ऑडिट से पारदर्शिता सुनिश्चित हो सकती है तथा सटीक मतदाता सूची बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग को जवाबदेह बनाया जा सकता है।
  • डेटा गोपनीयता सुरक्षा: किसी भी चुनावी डेटाबेस में मतदाता की जानकारी को अनधिकृत उपयोग या निगरानी से बचाने के लिए मजबूत डेटा गोपनीयता सुरक्षा उपाय होने चाहिए
  • लोक शिकायत निवारण तंत्र: मतदाता पंजीकरण से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए नागरिकों हेतु एक कार्यात्मक शिकायत निवारण प्रणाली की स्थापना से मतदाता सूचियों की सटीकता में सुधार हो सकता है।
  • जागरूकता और शिक्षा अभियान: स्थानीय भाषा प्रसारण, सामुदायिक कार्यशालाओं और सोशल मीडिया अभियानों के माध्यम से स्वीप-शैली (SVEEP-Style) की पहुंच को लागू करना यह सुनिश्चित करेगा कि मतदाता पंजीकरण प्रक्रियाओं को समझें।

आधार को वोटर ID से जोड़ने का उद्देश्य मतदाता सूची को सटीक रखना है परंतु इससे डेटा गोपनीयता, चुनावी सत्यनिष्ठा और लोकतांत्रिक अधिकारों को लेकर चिंताएँ उत्पन्न होती हैं। सरकार को समावेशिता, निष्पक्षता और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए पारंपरिक मतदाता सत्यापन विधियों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और बाध्यता व अपवर्जन के जोखिमों से बचना चाहिए।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Know about Physics Wallah

Physics Wallah is an Indian online education platform, that provides accessible & comprehensive learning experiences to students of classes 6 to 12 and those preparing for JEE and NEET exams. We also provide extensive NCERT solutions, sample papers, NEET, JEE Mains, BITSAT previous year papers, which makes us a one-stop solution for all resources. Physics Wallah also caters to over 3.5 million registered students and over 78 lakh+ Youtube subscribers with 4.8 rating on its app.

We Stand Out because

We successfully provide students with intensive courses by India's qualified & experienced faculties. PW strives to make the learning experience comprehensive and accessible for students of all sections of society. We believe in empowering every single student who couldn't dream of a good career in engineering and medical field earlier.

Our Key Focus Areas

Physics Wallah’s main focus is to create accessible learning experiences for students all over India. With courses like Lakshya, Udaan, Arjuna & many others, we have been able to provide a ready solution for lakhs of aspirants. From providing Chemistry, Maths, Physics formulae to giving e-books of eminent authors, PW aims to provide reliable solutions for student prep.

What Makes Us Different

Physics Wallah strives to develop a comprehensive pedagogical structure for students, where they get a state-of-the-art learning experience with study material and resources. Apart from catering students preparing for JEE Mains and NEET, PW also provides study material for each state board like Uttar Pradesh, Bihar, and others.

Aiming for UPSC?

Download Our App

# #
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.