Q. भारत में ‘एआई डेटा सेंटर’ के तेजी से विकास से उत्पन्न संभावित पर्यावरणीय चुनौतियों का मूल्यांकन कीजिए। सरकार यह कैसे सुनिश्चित कर सकती है कि एआई बुनियादी ढाँचे का विस्तार भारत के दीर्घकालिक स्थिरता लक्ष्यों के साथ संरेखित हो, विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत में AI डेटा केंद्रों के तीव्र विकास का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  • भारत में AI डेटा केंद्रों के तीव्र विकास से उत्पन्न संभावित पर्यावरणीय चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।
  • भारत के दीर्घकालिक संधारणीयता लक्ष्यों के साथ AI अवसंरचना विस्तार को संरेखित करने हेतु सरकार के उपायों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर

AI-संचालित अनुप्रयोगों की तीव्र वृद्धि ने भारत में बड़े पैमाने पर डेटा केंद्रों की स्थापना में उछाल ला दिया है। CRISIL (2024) के अनुसार,  भारत की डेटा सेंटर क्षमता 2026 तक दोगुनी हो सकती है। हालाँकि यह वैश्विक डिजिटल हब के रूप में भारत की महत्त्वाकांक्षाओं को बढ़ावा देता है, यह महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियों को जन्म देता है, जिन्हें भारत के नेट-जीरो 2070 और संधारणीयता लक्ष्यों के साथ संरेखण सुनिश्चित करने हेतु संबोधित किया जाना चाहिए।

भारत में AI डेटा सेंटरों का तीव्र विकास

  • AI और क्लाउड सेवाओं की बढ़ती माँग: मशीन लर्निंग और क्लाउड कंप्यूटिंग सहित अन्य AI अनुप्रयोगों में हुई तीव्र वृद्धि ने पूरे भारत में डेटा सेंटर निर्माण में उछाल ला दिया है।
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2025 तक, भारत के AI डेटा सेंटर बाजार में 15-25% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से वृद्धि होने की उम्मीद है और  अमेजन व माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने के संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं।
  • डिजिटल अवसंरचना में सहायता करने वाली सरकारी पहल: सरकार की डिजिटल इंडिया पहल और नीतिगत ढाँचे ने AI और क्लाउड-आधारित डेटा केंद्रों के विस्तार के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान किया है।
  • AI स्टार्टअप और अनुसंधान का उदय: AI-केंद्रित स्टार्टअप और अनुसंधान संस्थानों की बढ़ती संख्या के साथ, हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (HPC) बुनियादी ढाँचे की माँग बढ़ गई है।
  • वैश्विक टेक फर्मों से निवेश में वृद्धि: बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में अपनी उपस्थिति का काफी विस्तार किया है व स्थानीय माँग और अंतरराष्ट्रीय बाजारों को पूरा करने के लिए उन्नत AI डेटा सेंटर स्थापित किए हैं।
    • उदाहरण के लिए: गूगल और फेसबुक ने AI, मशीन लर्निंग और बिग डेटा एनालिटिक्स के लिए वर्ष 2025 तक भारत में डेटा सेंटर इन्फ्रास्ट्रक्चर में 1-1 बिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की है।
  • 5G नेटवर्क और IoT का विस्तार: 5G प्रौद्योगिकी का रोलआउट और IoT उपकरणों की बढ़ती संख्या, स्थानीय डेटा भंडारण और प्रसंस्करण शक्ति की उच्च आवश्यकता में योगदान दे रही है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2025 तक 5G के भारत के 60% हिस्से को कवर करने की उम्मीद के साथ, दूरसंचार ऑपरेटर कम विलंबता प्रसंस्करण के लिए AI-संचालित डेटा केंद्रों में निवेश बढ़ा रहे हैं।
  • टियर 2 और टियर 3 शहरों में बुनियादी ढाँचे का विकास: डेटा सेंटर का विकास तेजी से छोटे शहरों की ओर बढ़ रहा है, जिससे प्रमुख शहरी केंद्रों में अवसंरचना का दबाव कम हो रहा है और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिल रहा है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2024 में, लखनऊ में पहला AI-संचालित डेटा सेंटर लॉन्च किया गया, जो स्थानीय व्यवसायों और स्टार्टअप्स को किफायती कंप्यूटिंग पॉवर और स्टोरेज समाधान प्रदान करता है।

भारत में AI डेटा सेंटरों के तेजी से विकास से उत्पन्न संभावित पर्यावरणीय चुनौतियाँ

  • ऊर्जा की माँग में भारी वृद्धि: AI डेटा केंद्रों को गणना, शीतलन और भंडारण के लिए भारी मात्रा में ऊर्जा की आपूर्ति की आवश्यकता होती है, यह ऊर्जा जीवाश्म ईंधन से प्राप्त होती है जो  कार्बन उत्सर्जन में सहायक होती है। 
    • उदाहरण के लिए: नीति आयोग (2024) के अनुसार, भारत का डेटा सेंटर क्षेत्र वर्ष 2030 तक राष्ट्रीय बिजली खपत का 5% तक माँग सकता है।
  • कार्बन फुटप्रिंट और उत्सर्जन में वृद्धि: कोयले पर आधारित ग्रिड पर निर्भरता भारत की नेट जीरो 2070 लक्ष्यों को पूरा करने की क्षमता पर संशय उत्पन्न करने का कारण बनती है। 
    • उदाहरण के लिए: मुंबई के डेटा सेंटर, जो महाराष्ट्र के जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा मिश्रण (57% कोयला) पर काफी हद तक निर्भर हैं, शहरी GHG उत्सर्जन में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
  • कूलिंग आवश्यकताओं के कारण गंभीर जल तनाव: डेटा सेंटर कूलिंग के लिए सालाना लाखों गैलन पानी की खपत करते हैं, जिससे पहले से ही तनावग्रस्त क्षेत्रों में पानी की कमी और बढ़ जाती है। 
    • उदाहरण के लिए: हैदराबाद, जो एक प्रमुख डेटा सेंटर हब है, को वर्ष 2035 तक पानी की आपूर्ति में 40% की कमी का सामना करना पड़ सकता है (CII वाटर रिपोर्ट 2024)।
  • भूमि उपयोग में परिवर्तन और शहरी फैलाव: बड़े पैमाने के डेटा पार्क वनों की कटाई, जैव विविधता ह्वास और शहरी क्षेत्रों में भूमि क्षरण का कारण बन सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: पुणे और नोएडा के आस-पास नियोजित डेटा पार्कों को अवसंरचनात्मक विकास के लिए कृषि और वन बफर क्षेत्रों को साफ करने की आवश्यकता है।
  • सर्वर अपग्रेड से ई-कचरा उत्पादन: AI की विकसित हो रही कंप्यूटेशनल आवश्यकताओं के कारण बार-बार हार्डवेयर प्रतिस्थापन, भारत के बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट के बोझ को बढ़ाता है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत ने वर्ष 2023 में 1.1 मिलियन टन से अधिक ई-अपशिष्ट उत्पन्न किया (ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर), यह आँकड़ा वर्ष 2030 तक दोगुना होने की उम्मीद है।
  • हीट आइलैंड प्रभाव और स्थानीयकृत जलवायु प्रभाव: डेटा सेंटर पर्यावरण में बहुत अधिक अपशिष्ट ऊष्मा छोड़ते हैं, जिससे शहरी ताप द्वीप प्रभाव तीव्र होता है। 
    • उदाहरण के लिए: बंगलूरू जैसे शहरों में किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि सघन टेक पार्क वाले क्षेत्र आस-पास के क्षेत्रों की तुलना में 2-3 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म होते हैं।

AI अवसंरचना विस्तार को भारत के दीर्घकालिक स्थिरता लक्ष्यों के अनुरूप सुनिश्चित करने के लिए सरकारी उपाय

  • केंद्रों में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना: डेटा केंद्रों के लिए बिजली प्रदान करने हेतु नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को प्रोत्साहित करने से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो जाती है।
  • ऊर्जा दक्षता मानक और विनियम: सरकार ने बिजली की खपत को अनुकूलतम बनाने के लिए डेटा केंद्रों के लिए ऊर्जा दक्षता मानदंड निर्धारित किए हैं।
    • उदाहरण: ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) ने वर्ष 2023 में डेटा केंद्रों के लिए ऊर्जा दक्षता दिशा-निर्देश पेश किए, जिसमें ऊर्जा-बचत शीतलन और सर्वर प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • AI और नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण पर राष्ट्रीय मिशन: ऊर्जा उपयोग को अनुकूलित करने और डेटा केंद्रों में नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने में सहायता करने में AI की भूमिका को बढ़ावा देना चाहिए।
    • उदाहरण: राष्ट्रीय AI रणनीति (2021), डिजिटल बुनियादी ढाँचे में नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण में सुधार के लिए AI समाधानों को प्रोत्साहित करती है।
  • ई-अपशिष्ट प्रबंधन के लिए परिपत्र अर्थव्यवस्था का कार्यान्वयन: डेटा केंद्रों द्वारा उत्पन्न इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट को कम करने के लिए ई-अपशिष्ट पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग को बढ़ावा देना।
    • उदाहरण: ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2023, डेटा केंद्रों को पुराने सर्वर और इलेक्ट्रॉनिक्स को रीसाइकिल करने का आदेश देता है।
  • स्मार्ट ग्रिड और ऊर्जा भंडारण पहल: डेटा केंद्रों के लिए विश्वसनीय हरित विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु स्मार्ट ग्रिड और ऊर्जा भंडारण में निवेश करना चाहिए।
    • उदाहरण: स्मार्ट सिटीज मिशन (2024) में शहरी डेटा केंद्रों में नवीकरणीय ऊर्जा प्रवाह का प्रबंधन करने के लिए स्मार्ट ग्रिड शामिल हैं।
  • संधारणीय AI अवसंरचना के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी: हरित डेटा सेंटर परियोजनाओं के लिए सरकार और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए।

भारत को अपनी डिजिटल आकांक्षाओं को पर्यावरणीय जिम्मेदारी के साथ संतुलित करना चाहिए। AI इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए एक रणनीतिक, हरित-केंद्रित दृष्टिकोण भारत को न केवल एक वैश्विक डिजिटल पॉवरहाउस बना सकता है, बल्कि संधारणीय प्रौद्योगिकी शासन में भी अग्रणी बना सकता है।

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