प्रश्न की मुख्य माँग
- समाज के गरीब और वंचित वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाओं पर प्रकाश डालिये।
- समाज के गरीब और वंचित वर्गों की सेवा के लिए भारत में मुद्रास्फीति और बेरोजगारी के कुशल प्रबंधन की आवश्यकता का परीक्षण कीजिए।
- आगे की राह लिखिये।
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उत्तर
मुद्रास्फीति और बेरोजगारी, गंभीर आर्थिक चुनौतियाँ हैं जो सीधे गरीबी और सामाजिक असमानता को प्रभावित करती हैं। जनवरी 2025 तक, भारत की खुदरा मुद्रास्फीति 4.31% थी, जबकि बेरोजगारी दर 6.7% के आसपास थी , जो सुभेद्य आबादी को असमान रूप से प्रभावित कर रही थी।
गरीबों और वंचितों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ
- खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम: आर्थिक रूप से सुभेद्य आबादी को रियायती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना चाहिए।
- उदाहरण: PMGKAY ने COVID-19 के दौरान 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया।
- रोजगार गारंटी योजना: वित्तीय स्थिरता के लिए मजदूरी आधारित ग्रामीण रोजगार प्रदान करना चाहिये।
- उदाहरण: मनरेगा ने ग्रामीण परिवारों के लिए 100 दिन का काम सुनिश्चित किया।
- आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा: वंचित परिवारों के लिए मुफ्त चिकित्सा उपचार सुनिश्चित करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: आयुष्मान भारत प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक के अस्पताल के बिलों को कवर करता है।
- किफायती आवास पहल: कम आय वाले शहरी और ग्रामीण समूहों के बीच गृह स्वामित्व को बढ़ावा देना चाहिए।
- उदाहरण: PMAY-शहरी ने वर्ष 2023 तक शहरी गरीबों के लिए 1.18 करोड़ घरों को मंजूरी दी।
- वित्तीय समावेशन उपाय: बैंकिंग पहुँच का विस्तार करना चाहिए और वित्तीय साक्षरता प्रयासों को बढ़ावा देना चाहिये।
- उदाहरण: प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत पिछले नौ वर्षों में 50 करोड़ नए बैंक खाते खोले गए।
मुद्रास्फीति और बेरोजगारी के कुशल प्रबंधन की आवश्यकता
- मुद्रास्फीति क्रय शक्ति को नष्ट कर देती है: गरीब परिवारों के लिए जीवन-यापन की लागत बढ़ जाती है।
- उदाहरण: जनवरी 2025 तक CPI मुद्रास्फीति दिसंबर में 5.22% से घटकर 4.31% हो गई, लेकिन आवश्यक वस्तुएँ महंगी बनी हुई हैं, जिससे कम आय वाले परिवारों पर बोझ पड़ रहा है ।
- नौकरी छूटने से गरीबी बढ़ती है: बढ़ती बेरोजगारी वित्तीय और सामाजिक संकट को जन्म देती है।
- उदाहरण: COVID-19 लॉकडाउन के दौरान, शहरी बेरोजगारी 20.9% (PLFS, अप्रैल-जून 2020) के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।
- राजकोषीय बोझ: उच्च मुद्रास्फीति से राजकोषीय बोझ बढ़ता है, सब्सिडी की लागत में वृद्धि।
- उदाहरण: भारत की उर्वरक सब्सिडी वित्त वर्ष 24 में बढ़कर 1.95 लाख करोड़ रुपये हो गई, जिससे सार्वजनिक वित्त पर दबाव पड़ा।
- कौशल बेमेल: यह तब भी जारी है जब शिक्षा, उद्योग की आवश्यकताओं से पीछे है। शहरी युवा बेरोजगारी Q4 FY23 में 17.3% थी, जो कौशल-केंद्रित सुधारों की आवश्यकता को उजागर करती है।
मुद्रास्फीति और बेरोजगारी से निपटने के उपाय
- मौद्रिक नीतियों को मजबूत करना: मुद्रास्फीति दरों को स्थिर करने के लिए RBI के मध्यक्षेपों का उपयोग करना चाहिए।
- उदाहरण: RBI ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए वर्ष 2023 में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5% कर दिया।
- MSME और स्टार्टअप को बढ़ावा देना: रोजगार उत्पन्न करने के लिए लघु उद्यमों को बढ़ावा देना चाहिए।
- उदाहरण: मुद्रा योजना के तहत MSME को 23 लाख करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया गया।
- कौशल विकास को बढ़ावा देना: शिक्षा को उद्योग-संचालित व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ संरेखित करना चाहिए।
- उदाहरण: PMKVY ने 1.4 करोड़ युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया।
- विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना: बड़े पैमाने पर रोजगार के लिए औद्योगिक केंद्र का निर्माण करना चाहिए।
- उदाहरण: 1.97 लाख करोड़ रुपये की PLI योजनाएँ 14 महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों को कवर करती हैं ।
- कृषि उत्पादकता में सुधार: खाद्य कीमतों को स्थिर करना और ग्रामीण रोजगार का सृजन करना चाहिए।
- उदाहरण: PM किसान संपदा योजना ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में सुधार किया।
एक प्रत्यास्थता अर्थव्यवस्था के लिए न केवल कल्याणकारी योजनाओं की आवश्यकता होती है, बल्कि मजबूत मुद्रास्फीति नियंत्रण और सतत रोजगार सृजन की भी आवश्यकता होती है । मौद्रिक-राजकोषीय तालमेल के साथ-साथ कौशल विकास, MSME और श्रम-प्रधान क्षेत्रों को मजबूत करना समावेशी विकास को बढ़ावा दे सकता है जिससे दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक उत्थान सुनिश्चित हो सकता है।
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