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Q. प्लेट टेक्टोनिक्स न केवल पृथ्वी की सतह को आकार देता है बल्कि जलवायु परिवर्तन पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। उन तरीकों पर गौर करें जिनसे प्लेट टेक्टोनिक्स जलवायु पैटर्न को नियंत्रित कर सकता है। (10 अंक, 150 शब्द) अतिरिक्त

उत्तर:

दृष्टिकोण?

  • भूमिका
    • प्लेट विवर्तनिकी और पृथ्वी की सतह को आकार देने में इसकी भूमिका के बारे में संक्षेप में लिखें।
  • मुख्य भाग
    • उन तरीकों पर प्रकाश डालें जिनसे प्लेट विवर्तनिकी, जलवायु पैटर्न को नियंत्रित कर सकती हैं।
  • निष्कर्ष
    • इस संबंध में उचित निष्कर्ष दीजिए।

 

भूमिका

प्लेट विवर्तनिकी  एक वैज्ञानिक अवधारणा है जो पृथ्वी के बाहरी आवरण या स्थलमंडल का निर्माण करने वाली बड़ी, कठोर प्लेटों के गतिशील संचलन का वर्णन करती है। प्लेट सीमाओं पर परस्पर क्रिया से पर्वत उत्थान, महासागर बेसिन निर्माण, ज्वालामुखी और भूकंप जैसी विविध भूवैज्ञानिक घटनाएं उत्पन्न होती हैं, जो पृथ्वी की सतह को आकार देती हैं। जलवायु परिवर्तन की बढ़ती चिंताओं के बीच, प्लेट विवर्तनिकी  और जलवायु पैटर्न के बीच संबंधों को समझना महत्वपूर्ण हो गया है, जिससे पृथ्वी के पर्यावरण के संदर्भ में उनकी भूमिका को स्वीकार किया जा सके।

मुख्य भाग

वे तरीके जिनसे प्लेट विवर्तनिकी  जलवायु पैटर्न में  बदलाव कर सकती हैं:

  • प्लेट संचलन और महासागरीय धाराएँ: प्लेट विवर्तनिकी महाद्वीपों और महासागरीय घाटियों को आकार देते हैं, जो महासागरीय परिसंचरण पैटर्न को प्रभावित करते हैं जो ऊष्मा को पुनर्वितरित करके वैश्विक जलवायु को नियंत्रित करते हैं। प्लेट विन्यास में परिवर्तन इन धाराओं को प्रभावित कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय और वैश्विक जलवायु प्रभावित हो सकती है।
    • उदाहरण के लिए, पनामा के इस्तमुस के गठन ने अटलांटिक और प्रशांत महासागर दोनों में समुद्री धाराओं को पुनर्निर्देशित करके पृथ्वी की जलवायु और पर्यावरण पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला।
  • पर्वत निर्माण: प्लेट विवर्तनिकी महाद्वीपीय टकराव और प्रविष्ठन जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से पर्वत श्रृंखलाओं के निर्माण के लिए जिम्मेदार है । पर्वत, वायुराशियों के संचलन को अवरुद्ध करके और वर्षा छाया बनाकर जलवायु को प्रभावित कर सकते हैं।
    • जब आद्र वायु , पर्वत श्रृंखला पर ऊपर उठती है, तो यह ठंडी हो जाती है और इसकी आद्रता का ह्वास हो जाता है पर्वत के एक पक्ष पर वर्षा होती है और दूसरे पक्ष पर नहीं होती। ये वर्षा पैटर्न आस-पास के क्षेत्रों की जलवायु को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
    • उदाहरण के लिए, भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के बीच टकराव के कारण हिमालय के उत्थान का भारतीय उपमहाद्वीप की जलवायु पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
  • ज्वालामुखीय गतिविधि: 90 प्रतिशत से अधिक ज्वालामुखीय गतिविधि टेक्टोनिक प्लेट सीमाओं पर होती है, जहां विस्फोट से गैसें और कण निकलते हैं। ये उत्सर्जन सूरज की रोशनी के साथ संपर्क करके जलवायु को प्रभावित करते हैं, या तो पृथ्वी की सतह को गर्म या ठंडा करते हैं।
    • सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) जैसी समतापमंडलीय ज्वालामुखीय गैसें “ज्वालामुखीय सर्दी” उत्पन्न कर सकती हैं, जबकि कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) वार्मिंग में योगदान कर सकती हैं।
    • 1991 में मनीला ट्रेंच के साथ फिलीपीन मोबाइल बेल्ट के नीचे यूरेशियन प्लेट के दबने के कारण माउंट पिनातुबो विस्फोट हुआ, जिसके कारण आगामी वर्ष में वैश्विक तापमान में लगभग 0.5 की कमी आई।
  • समुद्र-स्तर में परिवर्तन: प्लेट विवर्तनिकी , विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में, महासागरीय घाटियों के आयतन को प्रभावित करके समुद्र-स्तर में भिन्नता ला सकती है। समुद्र-स्तर में होने वाले इन परिवर्तनों से क्षेत्रीय जलवायु पर प्रभाव पड़ सकता है, जिससे तापमान, वर्षा और तूफान के पैटर्न प्रभावित हो सकते हैं।
    • उदाहरण के लिए, भारत-एशिया टकराव के परिणामस्वरूप समुद्र के स्तर में ~33 फीट (10 मीटर) की भारी गिरावट आई, जिससे क्षेत्रीय और वैश्विक परिसंचरण पैटर्न में बदलाव आया और जिससे आसपास के क्षेत्रों में जलवायु स्थितियां प्रभावित हुईं।
  • महाद्वीपों की पुनर्व्यवस्था: प्लेट विवर्तनिकी महाद्वीपों की पुनर्व्यवस्था को भी गति प्रदान कर सकता है। यदि ध्रुवों के पास भूभाग एकत्र हो जाएं, तो बर्फ की चादरें अधिक आसानी से फैल सकती हैं, जिससे वैश्विक तापमान ठंडा हो जाएगा। इसके विपरीत, यदि भूभाग भूमध्य रेखा के पास होते, तो बर्फ की चादरें पीछे हटने लगतीं, जिसके परिणामस्वरूप जलवायु गर्म होती।
    • उदाहरण के तौर पर, लगभग 300 मिलियन वर्ष पहले कार्बोनिफेरस काल के दौरान, ब्रिटेन भूमध्य रेखा के करीब स्थित था, जिसके परिणामस्वरूप वहां की जलवायु आज की परिस्थितियों की तुलना में काफी गर्म थी।
  • कार्बन साइक्लिंग: प्लेट विवर्तनिकी , प्रविष्ठन और ज्वालामुखीय आउटगैसिंग जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से, पृथ्वी की सतह और आंतरिक भाग के बीच कार्बन के संचलन को नियंत्रित करता है। यह वायुमंडलीय CO2 स्तर को प्रभावित करता है, जो पृथ्वी की जलवायु में एक महत्वपूर्ण कारक है। अधिक ज्वालामुखी गतिविधि, अत्यधिक CO2 उत्सर्जन कर सकती है, जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान करती है, जबकि तलछट और चट्टानों में विस्तारित कार्बन भंडारण, शीतलन को प्रेरित कर सकता है।

निष्कर्ष

प्लेट विवर्तनिकी  का अध्ययन न केवल पृथ्वी के भूवैज्ञानिक इतिहास के बारे में हमारी समझ को बढ़ाता है बल्कि हमारे ग्रह की जलवायु को आकार देने वाले बलों के जटिल जाल में अमूल्य अंतर्दृष्टि भी प्रदान करता है। यह समझ पिछले जलवायु उतार-चढ़ाव को समझने और सही अनुमान लगाने के लिए महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के चल रहे युग के संदर्भ में, जहां हमारे पर्यावरण की सुरक्षा और एक सतत भविष्य को आकार देने के लिए सक्रिय उपाय महत्वपूर्ण हैं।

Extraedge:

  • शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि तीन सबसे हालिया प्रमुख हिमयुग उष्णकटिबंधीय “चाप-महाद्वीप टकराव” से पहले थे। ये पृथ्वी के भूमध्य रेखा के पास विवर्तनिक घटनाएँ थीं जहाँ महासागरीय प्लेटें महाद्वीपीय प्लेटों के ऊपर उठ गईं, जिससे हजारों किलोमीटर तक फैली व्यापक समुद्री चट्टानें उष्णकटिबंधीय परिस्थितियों में उजागर हो गईं।

 

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