×

Q. क्षेत्रवाद की अवधारणा का विश्लेषण करते हुए बताएं कि इसका उदय भारतीय संघवाद को कैसे सुदृढ़ या कमजोर करता है। (250 शब्द, 15 अंक)

उत्तर:

दृष्टिकोण:

  • परिचय: क्षेत्रीयता और भारतीय संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता को संक्षेप में परिभाषित कीजिए।
  • मुख्य विषयवस्तु
    • चर्चा कीजिए कि क्षेत्रवाद कैसे सकारात्मक परिणाम दे सकता है और बताएं कि राष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों की भूमिका क्या है।
    • राज्यों के बीच क्षेत्रवाद और आर्थिक असमानताओं से उत्पन्न चुनौतियों की रूपरेखा तैयार कीजिए।
    • प्रासंगिक उदाहरण अवश्य प्रदान कीजिए।
  • निष्कर्ष: एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दीजिए जो राष्ट्रीय एकता और स्थिरता को बनाए रखते हुए क्षेत्रीय आकांक्षाओं का सम्मान करे।

 

परिचय:

भारतीय संघवाद, जिसकी विशेषता राज्यों को सौंपी गई कुछ शक्तियों के साथ एक मजबूत संघ सरकार है, को देश की विशाल विविधता को समायोजित करने के लिए विनिर्मित किया गया है। भारत में क्षेत्रवाद इसी विविधता से उभरता है, जो अक्सर राजनीतिक स्वायत्तता, आर्थिक विकास या सांस्कृतिक संरक्षण की मांग के रूप में प्रकट होता है।

मुख्य विषयवस्तु:

क्षेत्रवाद, एक शक्तिशाली और बहुआयामी अवधारणा है, जो विभिन्न क्षेत्रों में लोगों की आकांक्षाओं और हितों को प्रतिबिंबित करती है, विशेषकर भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में। यह एक ऐसी भावना है जो लोगों को समान भाषा, संस्कृति, जातीयता या इतिहास के आधार पर एक सूत्र में बांधती है। हालांकि यह अवधारणा भारतीय संघवाद के ढांचे पर एकजुट और विभाजनकारी दोनों प्रभाव डाल सकती है।

संघवाद को सशक्त करना:

  • सांस्कृतिक संरक्षण और स्वायत्तता: क्षेत्रीय आंदोलनों के कारण नए राज्यों (जैसे 2000 में झारखंड, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़) का गठन हुआ, जिससे स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप बेहतर प्रतिनिधित्व और शासन सुनिश्चित हुआ। इसने विकेंद्रीकरण और स्थानीय शासन के संघीय सिद्धांत को मजबूत किया है।
  • आर्थिक विकास: क्षेत्रीय मांगें अक्सर विकास में क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने पर केंद्रित होती हैं। उदाहरण के लिए, ‘पूर्व की ओर देखो नीति‘, जिसका उद्देश्य पूर्वी राज्यों का आर्थिक एकीकरण है, इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे क्षेत्रीय आकांक्षाएँ राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ संरेखित हो सकती हैं साथ ही संतुलित विकास को बढ़ावा दे सकती हैं।
  • राजनीतिक समावेशन: तमिलनाडु में द्रमुक और पश्चिम बंगाल में टीएमसी जैसी क्षेत्रीय पार्टियों ने राष्ट्रीय गठबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो राष्ट्रीय स्तर पर क्षेत्रीय आकांक्षाओं को दर्शाती है और इस प्रकार संघीय ढांचे को सशक्त करती है।

कमज़ोर होता संघवाद:

  • अलगाववादी आंदोलन: 1980 के दशक में कश्मीर और इससे पहले पंजाब में हुए आंदोलनों ने राष्ट्रीय अखंडता के लिए खतरा पैदा कर दिया था। क्षेत्रवाद से प्रेरित ऐसी अलगाववादी प्रवृत्तियाँ संघीय ढांचे को चुनौती देती हैं।
  • आर्थिक असमानता: क्षेत्रीय आंदोलन कभी-कभी आर्थिक असमानताओं को बढ़ा देते हैं। उदाहरण के लिए, समृद्ध राज्य संसाधन वितरण में अधिक स्वायत्तता की मांग कर सकते हैं, जिससे संभावित रूप से केंद्र सरकार और राज्यों के बीच टकराव हो सकता है।
  • राजनीतिक अस्थिरता: क्षेत्रवाद राजनीतिक अस्थिरता का कारण बन सकता है, जैसा कि गहन क्षेत्रीय राजनीति के कारण कुछ क्षेत्रों में राज्य सरकारों में बार-बार होने वाले बदलावों में देखा जाता है, जिससे शासन और विकास प्रभावित होता है।

निष्कर्ष:

भारत में क्षेत्रवाद दोधारी तलवार है। हालांकि इसमें स्थानीय मुद्दों पर प्रतिनिधित्व और ध्यान सुनिश्चित करके संघवाद को सुदृढ़ करने की क्षमता है, किन्तु अगर इसे संतुलित दृष्टिकोण के साथ प्रबंधित नहीं किया गया तो यह राष्ट्रीय एकता और स्थिरता को भी चुनौती दे सकता है। कुल मिलाकर कुंजी क्षेत्रीय विविधता को एक ताकत के रूप में अपनाने, क्षेत्रीय आकांक्षाओं को राष्ट्रीय ढांचे के भीतर एकीकृत करने और सभी क्षेत्रों में समान विकास सुनिश्चित करने में निहित है। यह दृष्टिकोण न केवल संघीय ढांचे को संरक्षित करेगा बल्कि व्यापक राष्ट्रीय विकास के लिए भारत के विविध क्षेत्रों की क्षमता का भी उपयोग करेगा।

 

Print Friendly, PDF & Email

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Print Friendly, PDF & Email

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Aiming for UPSC?

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.