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Q. विश्लेषण करें कि पठार क्षेत्रीय और वैश्विक जलवायु पैटर्न दोनों को कैसे प्रभावित करते हैं। (10 अंक, 150 शब्द)

उत्तर:

प्रश्न का समाधान कैसे करें

  • भूमिका
    • पठारों के बारे में संक्षेप में लिखिए
  • मुख्य भाग
    • लिखें कि पठार किस प्रकार क्षेत्रीय जलवायु पैटर्न को प्रभावित करते हैं
    • लिखें कि पठार किस प्रकार वैश्विक जलवायु पैटर्न को प्रभावित करते हैं
  • निष्कर्ष
    • इस संबंध में उचित निष्कर्ष दीजिए

 

भूमिका          

विश्व भर में पाए जाने वाले पठारी ऊंचे समतल क्षेत्र, क्षेत्रीय और वैश्विक जलवायु पैटर्न दोनों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। उनकी अद्वितीय भौगोलिक विशेषताएं मौसम की स्थिति और वायुमंडलीय परिसंचरण को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जो  न केवल उन क्षेत्रों को प्रभावित करता है जिन्हें वे कवर करते हैं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी दूरगामी परिणाम होते हैं।

मुख्य भाग

क्षेत्रीय जलवायु पैटर्न पर पठारों का प्रभाव

  • वर्षा छाया प्रभाव: एक उत्कृष्ट उदाहरण महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ हिस्सों में पश्चिमी घाट है, जहां अरब सागर की आद्र  वायु  का आरोहण होता है , जिससे वायु दिशा  की ओर भारी वर्षा होती है और पूर्व में दक्कन के पठार में वर्षा छाया प्रभाव उत्त्पन्न  होता है, जिसके परिणामस्वरूप मराठवाड़ा क्षेत्र में अर्ध-शुष्क से शुष्क जलवायु होती है।
  • चरम तापमान: पठार, अपने ऊंचे भूभाग के कारण, स्पष्ट रूप से तापमान विविधताओं का अनुभव करते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका का कोलोराडो पठार इसका उदाहरण है जहां  अत्यधिक गर्मी और कष्टमय सर्दियाँ हैं, जो इसकी ऊँचाई से प्रभावित हैं।
  • मानसून संशोधन: क्षेत्रीय मानसून पैटर्न को संशोधित करने में पठार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। तिब्बत का  पठार, जिसे प्रायः  “विश्व की छत” कहा जाता है, जहां ग्रीष्म ऋतु  के दौरान तापमान अधिक हो जाता है । यह प्रचंड गर्मी  भारतीय मानसूनी हवाओं के परिसंचरण को प्रभावित करता है।
  • स्थानीयकृत जलवायु क्षेत्र: पठार क्षेत्रों के भीतर अलग-अलग सूक्ष्म जलवायु बना सकते हैं।उदाहरण के लिए, मैक्सिको के पठार में  समशीतोष्ण जलवायु पायी जाती  है, जो आसपास के तराई क्षेत्रों में प्रचलित उष्णकटिबंधीय स्थितियों के बिल्कुल विपरीत है।
  • नदी स्रोत: कई प्रमुख नदियों का उद्गम पठारों पर होता है। तिब्बत का पठार, जिसे प्रायः “एशिया का जल टॉवर” कहा जाता है जो ब्रह्मपुत्र, यांग्त्ज़ी और सिंधु सहित कई महत्वपूर्ण एशियाई नदियों का स्रोत है
  • जैव विविधता हॉटस्पॉट:पठारों पर पाई जाने वाली विविध स्थलाकृतियाँ और जलवायु समृद्ध जैव विविधता को बढ़ावा दे सकती हैं। उदाहरण के लिए, इथियोपियाई पठार अपने अद्वितीय वनस्पतियों और जीवों के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें इथियोपियाई भेड़िया और विभिन्न स्थानिक पौधों की प्रजातियाँ शामिल हैं।
  • कृषि एवं फार्मिंग (farming ): उर्वर मृदा  एवं  जल स्रोतों वाले पठारी क्षेत्र प्रायः  कृषि के लिए आदर्श होते हैं। भारत में दक्कन का पठार पठारी क्षेत्र का एक प्रमुख उदाहरण है जहां  व्यापक रूप से कृषि सम्बन्धी गतिविधियां की जाती है , जिसमें कपास, सोयाबीन और बाजरा जैसी फसलों की खेती शामिल है।
  • जल संसाधन: पठार अक्सर अपनी भूवैज्ञानिक विशेषताओं के कारण पर्याप्त भूजल भंडार संग्रहीत करते हैं। ये भूमिगत जलभृत आस-पास के क्षेत्रों के लिए, विशेषकर शुष्क या अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में, मीठे पानी के महत्वपूर्ण स्रोतों के रूप में काम करते हैं।।

वैश्विक जलवायु पैटर्न पर पठारों का प्रभाव

  • वायुमंडलीय परिसंचरण: पठार वैश्विक वायु पैटर्न और जेट स्ट्रीम को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए: ग्रीष्म ऋतु  के दौरान तिब्बती पठार के गर्म होने से जेट स्ट्रीम मजबूत हो जाती है, जिससे एशिया से बाहर भी  तूफानों और मौसम प्रणालियों का मार्ग प्रभावित होता है।
  • अल्बेडो प्रभाव: तिब्बत जैसे हिम से आच्छादित पठार   उच्च अल्बेडो प्रदर्शित करते हैं, जिसका अर्थ है कि वे आने वाले सौर विकिरण की एक महत्वपूर्ण मात्रा को अंतरिक्ष में परावर्तित करते हैं। पठारों की इस परावर्तक गुणवत्ता का पृथ्वी के ऊर्जा संतुलन और तापमान विनियमन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।।
  • जलवायु परिवर्तन:पठारी जलवायु में परिवर्तन से वैश्विक स्तर पर व्यापक प्रभाव पड़ सकते हैं। वैश्विक ऊष्मन  के कारण पठारों पर हिमनदों  का पिघलना, समुद्र के स्तर में वृद्धि में योगदान देता है। हिमनदों के पिघलने से निकला पानी महासागरों में प्रवाहित होता  है, जिससे दुनिया भर के तटीय क्षेत्र प्रभावित होते ।
  • कार्बन सिंक: कुछ पठार, जैसे कि दक्षिण अमेरिका में अल्टिप्लानो, कार्बन सिंक के रूप में कार्य करते हैं। इन पठारों में अद्वितीय पारिस्थितिक तंत्र और मिट्टी हैं जो वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित और संग्रहीत करते हैं, इस प्रकार ग्रीनहाउस गैस के संचय को कम करते हैं और जलवायु परिवर्तन का समाधान करते हैं।
  • महासागरीय धाराएँ: पठार समुद्री धाराओं पर दूरगामी प्रभाव डाल सकते हैं, जो पुनः  वैश्विक मौसम पैटर्न को प्रभावित करते हैं।उदाहरण के लिए, अंटार्कटिक पठार और दक्षिणी महासागर के बीच की परस्पर क्रिया दक्षिणी गोलार्ध में समुद्री परिसंचरण को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • वायुमंडलीय स्थिरता: पठारों की स्थलाकृतिक विशेषताएं वायु द्रव्यमान की गति को बाधित कर सकती हैं और मौसम प्रणालियों के विकास को प्रभावित कर सकती हैं। इसके परिणामस्वरूप उच्च दबाव और निम्न दबाव वाले क्षेत्रों का निर्माण हो सकता है, जिससे वैश्विक वायुमंडलीय परिसंचरण प्रभावित हो सकता है।
  • महासागरीय एवं महाद्वीपीय विविधताएँ: पठार महाद्वीपीय और समुद्री जलवायु के बीच गहन  अंतर उत्त्पन्न करते हैं। उदाहरण के लिए: तिब्बती पठार और हिंद महासागर के बीच विविधता एशियाई मानसून प्रणाली को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो सम्पूर्ण  एशिया और उसके बाहर मौसम के पैटर्न को प्रभावित करता है।

निष्कर्ष

सम्रग रूप से , पठार क्षेत्रीय और वैश्विक जलवायु पैटर्न दोनों पर गहरा प्रभाव डालते हैं, जो हमारे ग्रह की जटिल जलवायु गतिशीलता को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।जलवायु परिवर्तन और क्षेत्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर इसके प्रभावों को समझने और समाधान  करने के लिए पठारों के महत्व को पहचानना आवश्यक है।

 

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