Q. कंटेंट टेकडाउन और OTT प्लेटफॉर्म प्रतिबंध सहित डिजिटल प्लेटफार्मों के खिलाफ हालिया सरकारी कार्रवाइयों के प्रकाश में, भारत में मध्यस्थ दायित्व और सामग्री विनियमन पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा-79 के निहितार्थ का आलोचात्मक विश्लेषण कीजिए। ये घटनाक्रम मुक्त अभिव्यक्ति और प्लेटफॉर्म जवाबदेही को कैसे प्रभावित करते हैं? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • डिजिटल प्लेटफॉर्म के खिलाफ हाल की सरकारी कार्रवाइयों, जिसमें कंटेंट हटाना और OTT प्लेटफॉर्म प्रतिबंध शामिल हैं, के आलोक में, भारत में मध्यस्थ दायित्व और सामग्री विनियमन पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के निहितार्थों का विश्लेषण कीजिये।
  • परीक्षण कीजिए कि ये घटनाक्रम वाक् स्वतंत्रता  और प्लेटफॉर्म  की जवाबदेही पर किस प्रकार प्रभाव डालते हैं।
  • आगे की राह लिखिये।

उत्तर

डिजिटल प्लेटफॉर्म  में सोशल मीडिया, OTT सेवाएँ और ऑनलाइन समाचार शामिल हैं जो सूचना प्रसार और मनोरंजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 881 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ताओं (TRAI, 2023) के साथ भारत में कंटेंट विनियमन पर सरकारी जाँच बढ़ रही है। हाल ही में की गई कार्रवाइयाँ, जैसे कि सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए 150 से अधिक ऐप्स पर प्रतिबंध लगाना और IT नियम, 2021 के तहत OT कंटेंट को हटाना, वाक् स्वतंत्रता, विनियमन और डिजिटल संप्रभुता पर बढ़ती बहस को उजागर करता है।

भारत में मध्यस्थ दायित्व और सामग्री विनियमन पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के निहितार्थ

पहलू सकारात्मक प्रभाव नकारात्मक प्रभाव
मध्यस्थ दायित्व प्लेटफार्मों के लिए कानूनी संरक्षण: धारा-79 सुरक्षित आश्रय प्रदान करती है, जो मध्यस्थों को उपयोगकर्ता-जनित सामग्री के लिए उत्तरदायित्व से बचाती है, जब तक कि वे सरकार या न्यायलय के आदेशों पर कार्रवाई करने में विफल न हों। सरकारी अतिक्रमण का जोखिम: न्यायालय की निगरानी के बिना धारा -79(3)(b) के तहत अवरोधन आदेशों की अनुमति देने वाली हालिया व्याख्या से डिजिटल प्लेटफार्मों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ जाता है।
  नवाचार को प्रोत्साहन: उत्तरदायित्व कम करने से टेक स्टार्टअप्स को अत्यधिक कानूनी जोखिम के बिना सोशल मीडिया और OTT प्लेटफॉर्म विकसित करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है। अस्पष्ट अनुपालन बोझ: अस्पष्ट कानूनी मानक, प्लेटफार्मों को दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए अत्यधिक सेल्फ-सेंसरशिप में संलग्न होने के लिए मजबूर करते हैं।
  वैधानिक निष्कासन की सुविधा: यह सुनिश्चित करता है कि हेट स्पीच या मिस इन्फॉर्मेशन जैसी हानिकारक सामग्री को वैध कानूनी नोटिस पर कुशलतापूर्वक हटाया जा सकता है। AI-जनित सामग्री पर प्रभाव: GROK जैसे AI  चैटबॉट्स के साथ, अनिश्चितता बनी हुई है कि क्या AI-जनित प्रतिक्रियाएँ, सेफ बॉर्डर प्रावधानों के तहत थर्ड पार्टी कंटेंट के रूप में योग्य हैं।
सामग्री विनियमन लक्षित सामग्री मॉडरेशन को सक्षम बनाता है: धारा 79 प्लेटफार्मों को राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था मानदंडों के अनुपालन को सुनिश्चित करते हुए अवैध या हानिकारक सामग्री को हटाने की सुविधा प्रदान करता  है। प्रक्रियागत सुरक्षा उपायों को दरकिनार करना: सरकार द्वारा हाल ही में सामग्री अवरोधन के लिए धारा-79 का उपयोग, धारा 69A के तहत अनुच्छेद 19(2) सुरक्षा उपायों को दरकिनार करता है, जिससे अनियंत्रित सेंसरशिप को बढ़ावा मिला है।
  मिस इन्फॉर्मेशन से सुरक्षा: प्लेटफॉर्म, फेक न्यूज और मिस इन्फॉर्मेशन पर तीव्र कार्रवाई कर सकते हैं, विशेषकर चुनाव या सांप्रदायिक तनाव के दौरान, जिससे एक सुरक्षित डिजिटल स्पेस सुनिश्चित होता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को खतरा: सामग्री हटाये जाने के भय से अभिव्यक्ति पर अत्यधिक नियंत्रण हो जाता है, जिससे असहमतिपूर्ण कंटेंट और OTT प्लेटफार्मों की रचनात्मक स्वतंत्रता को हतोत्साहित किया जाता है।
  जिम्मेदार डिजिटल संवाद को बढ़ावा देना: प्लेटफॉर्म सामुदायिक मानकों को अधिक प्रभावी ढंग से लागू करते हैं, तथा हानिकारक सामग्री से सुरक्षा के साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को संतुलित करते हैं। मनमाने OTT प्रतिबंध: स्पष्ट मानकों की कमी के परिणामस्वरूप असंगत OTT सामग्री हटाई जाती है, जिससे कलात्मक अभिव्यक्ति और डिजिटल मनोरंजन उद्योग प्रभावित होते हैं।

वाक् स्वतंत्रता और मंच जवाबदेही पर प्रभाव

  • अभिव्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव: सुरक्षा उपायों के बिना धारा 79(3)(b) का व्यापक अनुप्रयोग ओवर-सेंसरशिप को जन्म दे सकता है, जहां प्लेटफॉर्म सरकारी कार्रवाई के डर से वैध सामग्री को हटा देते हैं।
  • अस्पष्ट मॉडरेशन मानक: सरकारी निष्कासन आदेशों में पारदर्शिता की कमी असंगत सामग्री मॉडरेशन नीतियों को जन्म देती है, जहाँ प्लेटफॉर्म अनुपालन और वाक्‌ स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाने के लिए संघर्ष करते हैं
  • न्यायिक निगरानी कम हो जाती है: धारा 69A के विपरीत, जो आदेशों को अवरुद्ध करने के लिए सरकारी तर्क को अनिवार्य बनाती है, धारा 79 अब अनिवार्य न्यायिक समीक्षा के बिना सामग्री को हटाने की सुविधा प्रदान करती है। 
    • उदाहरण के लिए: सहयोग पोर्टल (2024) के लॉन्च से कई अधिकारियों को अवरुद्ध आदेश अपलोड करने की अनुमति मिलती है जिससे प्रक्रिया कम पारदर्शी हो जाती है।
  • प्लेटफॉर्म की जवाबदेही में अनिश्चितता: धारा 79 के तहत AI-जनरेटेड सामग्री पर बहस से प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही अनिश्चित हो जाती है, जिसके कारण या तो अत्यधिक निष्कासन हो सकता है या जिम्मेदारी की कमी हो सकती है।
    • उदाहरण के लिए: X के AI चैटबॉट Grok 3 को राजनीतिक रूप से संवेदनशील प्रतिक्रियाएं उत्पन्न करने के लिए जाँच का सामना करना पड़ रहा है, जिससे मौजूदा कानूनों के तहत AI जवाबदेही के संबंध में कानूनी अस्पष्टताएँ उत्पन्न हो रही हैं।
  • सरकार के अतिक्रमण की संभावना: धारा 79(3)(b) के तहत बिना पारदर्शिता के निष्कासन आदेश जारी करने की क्षमता से राजनीतिक दुरुपयोग का जोखिम बढ़ जाता है, जिससे असहमति को रोकने का प्रयास किया जाता है।

आगे की राह 

  • कानूनी सुरक्षा उपायों को मजबूत करना: सरकार को धारा-79 में संशोधन करके अनिवार्य पारदर्शिता आवश्यकताओं को लागू करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी निष्कासन आदेशों का सार्वजनिक रूप से औचित्य सिद्ध किया गया है
    • उदाहरण के लिए: धारा 69-A की सर्वोच्च न्यायालय की व्याख्या में कारणों को दर्ज करना अनिवार्य किया गया है, तथा सुसंगतता के लिए धारा-79 पर भी समान रूपरेखा लागू की जानी चाहिए।
  • स्वतंत्र निरीक्षण तंत्र स्थापित करना: एक स्वायत्त डिजिटल कंटेंट नियामक निकाय को कंटेंट हटाने के अनुरोधों की निगरानी करनी चाहिए, कार्यकारी अतिक्रमण को रोकना चाहिए और उचित प्रक्रिया सुनिश्चित करनी चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: ब्रिटेन के ऑनलाइन सुरक्षा विधेयक में विषय-वस्तु मॉडरेशन की देखरेख के लिए एक स्वतंत्र विनियामक का प्रस्ताव है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि सरकारी अनुरोध, वाक्‌‌ ‌स्वतंत्रता के सिद्धांतों के अनुरूप हों।
  • AI दायित्व संरचना को स्पष्ट करना: विशिष्ट कानूनी प्रावधानों को परिभाषित करना चाहिए कि क्या प्लेटफॉर्म AI-जनरेटेड कंटेंट के लिए उत्तरदायी हैं, ताकि AI प्रगति को बाधित किए बिना स्पष्ट जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
    • उदाहरण के लिए: यूरोपीय संघ का AI अधिनियम, हानिकारक AI कंटेंट के लिए कंपनियों को जवाबदेह ठहराने हेतु दिशानिर्देश प्रस्तुत करता है  जो प्लेटफार्मों को जिम्मेदारी से विनियमित करने के लिए भारत के लिए एक मॉडल स्थापित करता है।
  • प्लेटफॉर्म स्व-नियमन को बढ़ावा देना: प्लेटफॉर्म को पारदर्शी सामग्री मॉडरेशन नीतियाँ विकसित करनी चाहिए और सार्वजनिक जाँच सुनिश्चित करते हुए, निष्कासन अनुरोधों पर नियमित रिपोर्ट प्रकाशित करनी चाहिए
    • उदाहरण के लिए: Meta, सरकार द्वारा कंटेंट हटाने के अनुरोधों का विवरण देते हुए ट्रांसपैरेंसी रिपोर्ट जारी करता है, जिससे इसकी मॉडरेशन प्रथाओं में जवाबदेही और विश्वास बनाए रखने में मदद मिलती है।
  • कंटेंट हटाने की न्यायिक समीक्षा को प्रोत्साहित करना: न्यायालयों को निष्कासन अनुरोधों की समीक्षा करने में अधिक भूमिका निभानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि केवल अनुच्छेद 19(2) का उल्लंघन करने वाला कंटेंट ही हटाया जाये

धारा 79 को सटीक विनियमन, खुले प्रवर्तन और एक मजबूत शिकायत प्रक्रिया के साथ मजबूत करके नैतिक मानदंडों और राष्ट्रीय सुरक्षा का सम्मान करते हुए प्लेटफॉर्म  तटस्थता को बनाए रखा जा सकता है। भारत में एक जवाबदेह लेकिन खुले इंटरनेट पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए एक बहु-हितधारक रणनीति की आवश्यकता है जो न्यायिक निगरानी, स्व-नियमन और कानूनी सुरक्षा को एकीकृत करती हो

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