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Q. भारतीय और संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधानों के बीच समानता और अंतर के बारे में उदाहरण सहित संक्षिप्त विवरण दीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

उत्तर:

प्रश्न का समाधान कैसे करें

  • भूमिका
    • भारत और अमेरिका के संविधान के बारे में संक्षेप में लिखें
  • मुख्य भाग
    • भारतीय और अमेरिकी संविधानों के बीच समानताएं लिखें
    • भारतीय और अमेरिकी संविधानों के बीच अंतर लिखें
    • लिखिए  कि भारत अमेरिकी संविधान से क्या सीख सकता है
  • निष्कर्ष
    • इस संबंध में उचित निष्कर्ष दीजिए

 

भूमिका   

भारत तथा  अमेरिका के संविधान , जो क्रमशः दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और दुनिया के प्राचीनतम  विद्यमान लोकतंत्र के आधार,एवं महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं जो संबंधित राष्ट्रों के राजनीतिक, कानूनी, और सामाजिक ढांचे का प्रबंधन करते हैं जहां दोनों ही लोकतंत्र, स्वतंत्रता, और न्याय के आदर्शों का  समर्थन करते हैं, वहीं उनके ऐतिहासिक संदर्भों और शासन संरचनाओं ने उनके स्वरूप और विषय-वस्तु में अंतर को आकार दिया है।

मुख्य भाग

भारतीय और अमेरिकी संविधान के बीच समानताएं:

  • लिखित संविधान: दोनों देशों के पास लिखित संविधान हैं, जो उनके राष्ट्रों को प्रबंधित करने वाले सिद्धांतों एवं संरचनाओं का वर्णन करते हैं। उदाहरण: भारत के पास दुनिया का सर्वाधिक वृहद् लिखित संविधान है, जबकि अमेरिका का संविधान दुनिया के प्राचीनतम लिखित संविधानों में से एक है।
  • संघीय संरचना: दोनों ही संघवाद का पालन करते हैं, जिसमें केंद्र और राज्य संस्थाओं के बीच शक्तियों को साझा किया जाता है। उदाहरण: जहाँ भारत की सातवीं अनुसूची संघ, राज्य एवं समवर्ती सूचियों को पृथक करती है, वहीं अमेरिकी संविधान संघीय सरकार एवं राज्यों के मध्य शक्तियों को विभाजित करता है।
  • अधिकार विधेयक: दोनों देश आवश्यक नागरिक अधिकारों को सुनिश्चित करते हैं। उदाहरण के लिए: संयुक्त राज्य अमेरिका के अधिकारों के विधेयक में इसके संविधान के पहले दस संशोधन शामिल हैं। इसके विपरीत, भारत में मौलिक अधिकार का विस्तार , अनुच्छेद 12 से 35 तक है , जो नागरिकों को राज्य की विवेकाधीन कार्रवाइयों से सुरक्षा प्रदान करते   हैं।
  • न्यायिक समीक्षा: दोनों देश अपनी न्यायपालिका को संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप कानूनों की व्याख्या करने की शक्ति प्रदान करते हैं। उदाहरण: संयुक्त राज्य अमेरिका में “मार्बरी बनाम मैडिसन” तथा भारत में “केशवानंद भारती केस” जैसे मामलों ने संवैधानिक व्याख्या में न्यायपालिका की भूमिका को मजबूत किया।
  • द्विसदनीय विधानमंडल: दोनों ही राष्ट्रों में द्विसदनीय विधायी प्रणाली है । उदाहरण: जहां  भारत में लोकसभा (लोगों का सदन) एवं  राज्यसभा (राज्यों की परिषद) है , वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रतिनिधि सभा एवं  सीनेट शामिल हैं।
  • गणतंत्र: दोनों ही गणतंत्र राष्ट्र हैं, जिसका तात्पर्य है कि राज्य का प्रमुख एक निर्वाचित प्रतिनिधि होता है । उदाहरण: दोनों देशों में राष्ट्रपति – चाहे भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हों या अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन जैसे नेताओं का निर्वाचित होना, उनके गणतांत्रिक स्वभाव पर जोर देता है।
  • प्रस्तावना: दोनों संविधान प्रस्तावनाओं से प्रारंभ होते हैं, जो उनकी मौलिक विचारधाराओं को स्पष्ट करते हैं। उदाहरण: भारत की प्रस्तावना ” हम, भारत के लोग… ” से प्रारंभ होती है, जो अमेरिका की प्रस्तावना के प्रारंभिक वाक्य हम  लोग… ” के समान है ,

भारतीय एवं अमेरिकी संविधान के एवं  अंतर:

पहलू भारतीय संविधान संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान
विस्तार एवं विवरण भारत का संविधान विश्व का सर्वाधिक वृहद लिखित संविधान है, जिसमें विभिन्न पहलुओं के लिए विस्तृत प्रावधान हैं। उदाहरण: वर्तमान भारतीय संविधान के  25 भागों में 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियों के साथ  105 संशोधन शामिल  हैं। अमेरिकी संविधान संक्षिप्त है , जिसमे  विस्तृत  व्याख्या एवं  अनुकूलन संभव है। उदाहरण: अमेरिकी संविधान में सात अनुच्छेद और 27 संशोधन हैं।
मौलिक अधिकार भारत में कुछ ऐसे अधिकार हैं जिन्हें आपातकाल के दौरान निलंबित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, अनुच्छेद 19, जो भाषण और अभिव्यक्ति जैसी स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है, आपात स्थिति के दौरान कम किया जा सकता है। अमेरिकी नागरिकों के अधिकारों को निलंबित नहीं किया जा सकता, कुछ अपवादों को छोड़कर जैसे कि विशिष्ट परिस्थितियों में बंदी प्रत्यक्षीकरण का निलंबन। उदाहरण: प्रथम  संशोधन भाषण, प्रेस एवं  सभा की स्वतंत्रता की दृढ़तापूर्वक रक्षा करता है
संशोधन प्रक्रिया संशोधन प्रक्रिया अपेक्षाकृत लचीली है ,जो संसद को दो-तिहाई बहुमत से संशोधन करने की अनुमति देती है। उदाहरण: भारतीय संविधान को इसके अपनाए जाने के बाद से 100 से अधिक बार संशोधित किया गया है। अपेक्षाकृत अधिक कठोर, जहां दोनों सदनों के दो-तिहाई द्वारा अनुमोदन एवं  तीन-चौथाई राज्य विधानमंडलों द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता होती  है।उदाहरण: अमेरिकी संविधान में 1787 से अब तक 27 संशोधन हुए हैं।
संघवाद भारत में एक मजबूत केंद्रीय सरकार के साथ अर्ध-संघीय प्रणाली लागू है । उदाहरण: अवशिष्ट शक्तियां संघ के पास हैं (अनुच्छेद 248)। संयुक्त राज्य अमेरिका में संघीय ढांचे को अधिक स्पष्ट रूप से अपनाया गया है , जिसमें राज्यों को पर्याप्त स्वायत्तता प्राप्त है। उदाहरण के लिए: 10वां संशोधन संघीय सरकार को न सौंपी गई सभी शक्तियों को राज्यों के लिए सुरक्षित रखता है।
धर्मनिरपेक्षता प्रस्तावना में “धर्मनिरपेक्ष” शब्द का स्पष्ट उल्लेख किया गया है । भारत सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार सुनिश्चित करता है एवं  भेदभाव का निषेध करता है। अमेरिका स्पष्ट रूप से स्वयं को धर्मनिरपेक्ष नहीं कहता;हालांकि   प्रथम  संशोधन राज्य-धर्म पृथक्करण सुनिश्चित करता है।
निर्देशक सिद्धांत इसमें राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत शामिल हैं, जो शासन के लिए दिशा-निर्देश हैं। अनुच्छेद 36-51 राज्य को सामाजिक-आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए मार्गदर्शन करते हैं। नीति निर्देशक सिद्धांतों के समकक्ष कोई सिद्धांत नहीं है । नीतियां मुख्यतः निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा निर्धारित की जाती हैं।
राष्ट्रपति का चुनाव राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। भारतीय राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के निर्वाचित सदस्य तथा राज्य के  विधायक शामिल होते हैं राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचक मंडल के माध्यम से होता है, जहां नागरिक निर्वाचकों के लिए मतदान करते हैं।
सदनों की अवधि लोक सभा (निचला सदन) 5 वर्षों के लिए निर्वाचित होती है , जबकि राज्यसभा  (उच्च सदन) स्थायी होती है, जिसके एक-तिहाई सदस्य प्रत्येक  2 वर्ष में सेवानिवृत्त होते हैं । प्रतिनिधि सभा (निचला सदन) 2 वर्षों के लिए कार्य करती है, जबकि सीनेटर (उच्च सदन) 6 वर्षों के लिए कार्य करती है

 

निष्कर्ष

जहां  भारतीय एवं  अमेरिकी संविधान आधुनिक विश्व लोकतंत्रों के लिए मार्गदर्शक प्रकाश स्तंभ के रूप में काम करते हैं, वहीं वे एक-दूसरे को अमूल्य सबक भी प्रदान करते  हैं। अमेरिकी संविधान की शक्तियों  से प्रेरणा लेने से भारत को मूल्यवान अंतर्दृष्टि मिल सकती है, लेकिन किसी भी अनुकूलन में भारत के अद्वितीय सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य पर भी विचार किया जाना चाहिए।

 

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