Q. अंतरिक्ष अन्वेषण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्त्व पर चर्चा कीजिए और भारत VIPER मिशन से सीख लेते हुए अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अपनी भागीदारी को कैसे मजबूत कर सकता है। (10M, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • अंतरिक्ष अन्वेषण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्त्व पर चर्चा कीजिए।
  • चर्चा कीजिए कि भारत VIPER मिशन से सीख लेते हुए अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अपनी साझेदारियों को कैसे मजबूत कर सकता है।

 

उत्तर:

अंतरिक्ष अन्वेषण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग वैज्ञानिक ज्ञान  बढ़ाने , लागत और संसाधनों को साझा करने और राजनयिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए महत्त्वपूर्ण है। अंतरिक्ष मिशनों की जटिलता बढ़ने के साथ, देश विशेषज्ञता और प्रौद्योगिकियों को साझा करने के लिए सहयोग करते हैं । ये सहयोग संधारणीय अन्वेषण सुनिश्चित करते हुए, दूर के ग्रहों के अध्ययन से लेकर अंतरिक्ष-आधारित प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने तक अधिक महत्त्वाकांक्षी मिशनों को सक्षम करते हैं। हाल के वर्षों में, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) और आर्टेमिस समझौते जैसी साझेदारियों ने अंतरिक्ष में साझा प्रयासों के वैश्विक महत्त्व को रेखांकित किया है।

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अंतरिक्ष अन्वेषण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का महत्त्व

  • लागत साझाकरण: अंतरिक्ष मिशन लागत-गहन होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से वित्तीय संसाधनों को साझा करने की अनुमति मिलती है , जिससे मिशन अधिक व्यवहार्य हो जाते हैं।
    • उदाहरण के लिए : अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) जो NASA, Roscosmos, ESA, JAXA और CSA की एक संयुक्त परियोजना है , अपने भागीदारों के बीच लागत-साझाकरण के कारण दो दशकों से अधिक समय से कार्य कर रहा है।
  • प्रौद्योगिकी विनिमय:  भागीदार देशों द्वारा विकसित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का लाभ अन्य सभी देश उठा सकते हैं , जिससे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के नवाचार में तेजी आएगी। विशेषज्ञता का यह पारस्परिक आदान-प्रदान ,मिशनों की गुणवत्ता और दक्षता को बढ़ाता है।
    • उदाहरण के लिए: NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) सहयोग भारत और अमेरिका की रडार विशेषज्ञता को मिलाकर अत्यंत मूल्यवान पृथ्वी अवलोकन डेटा प्रदान करता है।
  • वैज्ञानिक ज्ञान : सहयोग से वैज्ञानिक डेटा और शोध निष्कर्षों को साझा करने में वृद्धि होती है, जिससे कई देशों को अंतरिक्ष मिशन के दौरान की गई खोजों से लाभ मिल सकता है। 
  • उदाहरण के लिए: NASA के MAVEN मिशन से डेटा साझा करने के सहयोग से भारत के मंगल ऑर्बिटर मिशन (MOM) ने मंगल के वायुमंडल के संबंध में हमारी समझ को काफी हद तक बढ़ाया है।
  • भू-राजनीतिक संबंध: अंतरिक्ष सहयोग कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने में मदद करते हैं तथा प्रतिस्पर्धा के बजाय शांतिपूर्ण अन्वेषण में सहयोग को प्रोत्साहित करके भू-राजनीतिक तनाव को कम करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: भारत, जापान और अमेरिका जैसे देशों द्वारा हस्ताक्षरित आर्टेमिस समझौते का उद्देश्य भविष्य में चंद्र अन्वेषण और संसाधन उपयोग के लिए एक गठबंधन बनाना है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष कूटनीति को बढ़ावा मिलेगा।
  • महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं में तीव्रतालाना: राष्ट्रों के बीच संयुक्त उपक्रम अधिक महत्त्वाकांक्षी मिशनों जैसे कि अंतरग्रहीय अन्वेषण को संभव बनाते हैं जो किसी एक राष्ट्र की क्षमता से परे हो सकता है। 
    • उदाहरण के लिए : जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप पर नासा के साथ यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के सहयोग ने  इस टेलीस्कोप को दूर की आकाशगंगाओं का निरीक्षण करने में सक्षम बनाया है।
  • वाणिज्यिक अवसर: सहयोग से उपग्रह प्रक्षेपण और अंतरिक्ष पर्यटन जैसे वाणिज्यिक अवसरों के द्वार खुलते हैं।
    • उदाहरण के लिए: Arianespace और SpaceX के साथ इसरो के सहयोग से भारत को लागत प्रभावी उपग्रह प्रक्षेपण सेवा प्रदाता के रूप में स्थापित होने में मदद मिली है, जिससे अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को लाभ हुआ है।
  • जोखिम न्यूनीकरण: राष्ट्रों के बीच मिशन की ज़िम्मेदारियों को साझा करने से तकनीकी और परिचालन बोझ को वितरित करके जोखिम को कम करने में मदद मिलती है, जिससे मिशन की विफलता की संभावना कम हो जाती है।
    • उदाहरण के लिए: ESA और Roscosmos के बीच एक संयुक्त प्रयास, ExoMars मिशन ने जीवन के संकेतों के लिए मंगल की सतह का अन्वेषण करने के अपने प्रयास में सफलताओं और चुनौतियों दोनों को साझा किया है।

VIPER मिशन से भारत के लिए सीख

  • साझेदारी में विविधता लाना: कई देशों और एजेंसियों के साथ सहयोग करके, अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को विकसित करने हेतु व्यापक साझेदारी की जा सकती है।
    • उदाहरण के लिए: चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण मिशन पर जापान के साथ भारत का सहयोग, उसकी चंद्र अन्वेषण क्षमताओं को बढ़ाने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • तीव्र निर्णयन: VIPER मिशन का रद्द होना अंतरिक्ष परियोजनाओं में समय पर निर्णयन के महत्त्व को दर्शाता है। भारत मिशन की मंजूरी में तेजी लाकर और प्रगति में बाधा डालने वाली देरी से बचकर अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को अधिक प्रभावी बना सकता है।
    • उदाहरण के लिए: ISRO द्वारा चंद्रयान-3 को समय पर मंजूरी दिए जाने से यह सुनिश्चित हो गया कि भारत चंद्रमा पर सफल लैंडिंग करने वाले कुछ देशों में से एक बन गया।
  • संसाधन आवंटन में वृद्धि: वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए, भारत को इसरो को अधिक वित्तीय और तकनीकी संसाधन आवंटित करने चाहिए। ऐसा करके, यह VIPER की वित्तीय बाधाओं से सीखते हुए, एक साथ कई प्रमुख मिशनों को निष्पादित कर सकता है।
    • उदाहरण के लिए : पर्याप्त फंडिंग के साथ, इसरो चंद्रयान-4 और गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन जैसे प्रमुख मिशनों को समानांतर रूप से चला सकता है ।
  • निजी क्षेत्र का लाभ उठाना: भारत निजी क्षेत्र से नवाचारों का लाभ उठाने के लिए मजबूत सार्वजनिक-निजी भागीदारी विकसित कर सकता है, जैसा कि नासा ने VIPER मिशन में
    SpaceX के साथ सहयोग किया था।

    • उदाहरण के लिए: इसरो की IN-SPACe पहल निजी फर्मों को एजेंसी के साथ सहयोग करने की अनुमति देती है, जिससे उपग्रह प्रक्षेपण और अंतरिक्ष अन्वेषण में नए उपक्रमों को प्रोत्साहन मिलता है।
  • तकनीकी क्षमताओं में वृद्धि : उच्च-स्तरीय तकनीकी विकास पर अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के साथ सहयोग करके, भारत VIPER के उद्देश्यों से लाभ उठाते हुए, भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों में रोबोटिक्स और AI क्षेत्र का अधिक प्रभावी उपयोग कर सकता है।
    • उदाहरण के लिए: पृथ्वी की सतह पर निगरानी के लिए नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार  (NISAR) उपग्रह विकसित करने में नासा के साथ भारत का सहयोग,  तकनीकी विशेषज्ञता हासिल करने की दिशा में एक कदम है।
  • शैक्षणिक और अनुसंधान संबंधों को मजबूत करना: इस तरह के सहयोग से ज्ञान के आदान-प्रदान, संयुक्त अनुसंधान पहल और उन्नत प्रौद्योगिकियों तक पहुंच में सुविधा हो सकती है, जिससे अंततः अंतरिक्ष अन्वेषण और उपग्रह विकास में भारत की क्षमताओं में वृद्धि होगी।
    • उदाहरण के लिए: अमेरिकी विश्वविद्यालयों के साथ इसरो के सहयोग से ग्रह विज्ञान में महत्त्वपूर्ण अनुसंधान हुए हैं।

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अंतरिक्ष अन्वेषण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग वैज्ञानिक ज्ञान को आगे बढ़ाने, तकनीकी विशेषज्ञता को बढ़ाने और भू-राजनीतिक सहयोग को उत्प्रेरित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है। भारत के लिए, साझेदारियां उसकी अंतरिक्ष महत्त्वाकांक्षाओं को गति देने और वैश्विक विशेषज्ञता का लाभ उठाने का अवसर प्रदान करती है। VIPER जैसे मिशनों से सीख लेकर, भारत अपनी क्षमताओं को मजबूत कर सकता है और एक अधिक मजबूत अंतरिक्ष अन्वेषण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करते हुए यह सुनिश्चित कर सकता है कि वह वैश्विक मंच पर एक प्रमुख राष्ट्र बना रहे।

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