Q. COP-29 संबंधी मुद्दों से पता चलता है कि जलवायु कार्रवाई, वैश्विक एकजुटता के बजाय बाजार प्रतिस्पर्द्धा की संभावना को अधिक बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है। इस परिवर्तन और अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण सहयोग के लिए इसके निहितार्थों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • COP-29 चर्चाओं में उजागर हुई जलवायु कार्रवाई में वैश्विक एकजुटता से बाजार प्रतिस्पर्धा की ओर बदलाव का परीक्षण कीजिए।
  • इस परिवर्तन के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  • प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण सहयोग के लिए वैश्विक एकजुटता के साथ बाजार प्रतिस्पर्धा को संतुलित करने के उपाय सुझाइये।

उत्तर

संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) एक वार्षिक बैठक है, जिसमें देश जलवायु परिवर्तन से निपटने, प्रगति का आकलन करने और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए आवश्यक कार्यवाहियों पर चर्चा और बातचीत करते हैं। हाल ही में आयोजित COP-29 ने जलवायु कार्रवाई में बाजार प्रतिस्पर्धा पर बढ़ते जोर को उजागर किया है, जो वैश्विक एकजुटता की पारंपरिक धारणाओं से दूर जा रहा है। यह बदलाव नवाचार के अवसर प्रदान करता है, लेकिन वैश्विक जलवायु संकट से निपटने में समानता और समावेशिता के संबंध में चिंताएँ भी उत्पन्न करता है।

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जलवायु कार्रवाई में बदलाव

  • बाजार-उन्मुख वित्त लक्ष्य: COP-29 का उद्देश्य विकासशील देशों के लिए वार्षिक जलवायु वित्त को तीन गुना करने के लिए नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG) को पेश करके जलवायु वित्त की बढ़ती आवश्यकता को संबोधित करना था। हालाँकि, अंतिम समझौता इन देशों की माँगों को पूरा नहीं कर सका।
    • उदाहरण के लिए: विकासशील देशों से सालाना 1.3 ट्रिलियन डॉलर की माँग के बावजूद , विकसित देशों ने वर्ष 2035 तक प्रति वर्ष केवल 300 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्धता जताई, जो वैश्विक वित्तीय प्रतिबद्धताओं में चल रही असमानताओं को उजागर करता है।
  • कार्बन बाजारों का संचालन: पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के तहत समझौतों ने देशों के बीच कार्बन क्रेडिट व्यापार के लिए रूपरेखाएँ स्थापित कीं,  जिससे निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा मिला। 
    • उदाहरण के लिए: बाकू में COP-29 में , देशों ने अंतर्राष्ट्रीय कार्बन बाजारों के नियमों को अंतिम रूप दिया , जिससे राष्ट्र अपने उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों को अधिक लागत-प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए कार्बन क्रेडिट का व्यापार करने में सक्षम हुए।
  • स्वच्छ ऊर्जा निवेश: COP-29 ने निजी क्षेत्र की भूमिका पर प्रकाश डाला, जिसमें वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा निवेश 2024 में पहली बार 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया। 
    • उदाहरण के लिए: प्रतिस्पर्धी बाजारों, विशेष रूप से चीन और अमेरिका में, के कारण सौर और पवन ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में निवेश में वृद्धि हुई है।
  • लाभ-संचालित अनुकूलन पर ध्यान देना: निजी निवेश के माध्यम से अनुकूलन उपायों को वित्तपोषित करने से तेजी से कार्यान्वयन सुनिश्चित होता है, लेकिन कमजोर क्षेत्रों को हाशिए पर धकेलने का जोखिम होता है। 
    • उदाहरण के लिए: बाकू अनुकूलन रोड मैप कम विकसित देशों के लिए अभिनव वित्तपोषण पर जोर देता है।
  • सामूहिक उत्तरदायित्व पर कमजोर: राष्ट्र अब वैश्विक सहयोगी रणनीतियों की अपेक्षा व्यक्तिगत वित्तीय प्रतिबद्धताओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिससे जवाबदेही बदल रही है।
    • उदाहरण के लिए: विकासशील देशों ने वर्ष 2009 में निर्धारित 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के वार्षिक वित्त-पोषण के वादे को पूरा न कर पाने के लिए विकसित देशों की आलोचना की।

बाज़ार-संचालित जलवायु कार्रवाई के निहितार्थ

सकारात्मक प्रभाव

  • नवाचार और दक्षता को बढ़ावा देता है: प्रतिस्पर्धी बाजार ,तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देते हैं, जिससे स्वच्छ ऊर्जा अधिक कुशल और सस्ती हो जाती है। 
    • उदाहरण के लिए: सौर पैनल उत्पादन में चीन के प्रभुत्व ने वैश्विक लागत को कम कर दिया है, जिससे विकासशील देशों को नवीकरणीय ऊर्जा में बदलाव करने में मदद मिली है।
  • निवेश में वृद्धि: जलवायु कार्रवाई को एक आर्थिक अवसर के रूप में प्रस्तुत करने के परिणामस्वरूप निजी क्षेत्र से पर्याप्त मात्रा में वित्त पोषण प्राप्त होता है, जो सार्वजनिक संसाधनों का पूरक होता है।
  • स्केलेबल समाधान की सुविधा: बाजार की प्रतिस्पर्धा, उद्योगों और सीमा पार की नवीन तकनीकों को अपनाने में तेजी लाती है। 
    • उदाहरण के लिए: ग्रीन हाइड्रोजन तकनीकों का तीव्र विकास अंतर्राष्ट्रीय कॉर्पोरेट भागीदारी द्वारा संचालित होता है।

नकारात्मक प्रभाव

  • बढ़ती असमानताएँ: बाजार की प्रतिस्पर्धा, उन्नत तकनीक और पूंजी वाले विकसित देशों को तरजीह देती है, जिससे गरीब देश नुकसान में रहते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: मलावी जैसे कम विकसित देशों को उच्च ऋण जोखिम के कारण निजी क्षेत्र से निवेश प्राप्त करने में संघर्ष करना पड़ता है ।
  • वैश्विक एकजुटता में कमी: लाभ-प्रेरित दृष्टिकोण सामूहिक जलवायु लक्ष्यों को कमजोर करता है व अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को खंडित करता है। 
    • उदाहरण के लिए: 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के वार्षिक जलवायु वित्त प्रतिज्ञा को पूरा करने में विफलता राष्ट्रों के बीच घटते विश्वास को दर्शाती है।
  • ग्रीनवाशिंग का जोखिम: कंपनियाँ वास्तविक उत्सर्जन कटौती के बिना अनुपालन को दर्शाने के लिए कार्बन बाजारों का शोषण कर सकती हैं। 

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वैश्विक एकजुटता के साथ बाजार प्रतिस्पर्धा को संतुलित करने के उपाय

  • वित्तीय प्रतिज्ञाओं को पूरा करना: विकसित देशों को विश्वास बनाने और समान भागीदारी को सक्षम करने के लिए जलवायु वित्त प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के वार्षिक वित्त लक्ष्य को प्राप्त करने से वर्ष 2035 तक अल्प विकसित देशों को महत्वपूर्ण सहायता मिल सकती है।
  • कार्बन मार्केट इक्विटी को बढ़ाना: यह सुनिश्चित करना चाहिए कि क्षमता निर्माण पहल और उचित मूल्य निर्धारण तंत्र के माध्यम से विकासशील देशों को कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग से लाभ मिले। 
    • उदाहरण के लिए: अफ्रीका कार्बन मार्केट्स इनिशिएटिव (ACMI) का लक्ष्य वर्ष 2030 तक अफ्रीकी देशों के लिए सालाना 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर उत्पन्न करना है।
  • जवाबदेही ढाँचे को मजबूत करना: ग्रीनवाशिंग को रोकने के लिए कड़े नियम लागू करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बाजार तंत्र वास्तविक परिणाम प्रदान करना। 
    • उदाहरण के लिए: पेरिस समझौते के क्रेडिटिंग तंत्र में सभी कार्बन बाजार परियोजनाओं के लिए पारदर्शिता और अनुपालन जांच अनिवार्य है।
  • स्थानीय आवश्यकताओं को वैश्विक लक्ष्यों में एकीकृत करना: जलवायु कार्रवाई को समावेशिता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए जमीनी स्तर की चिंताओं को संबोधित करना चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: REDD+ कार्यक्रम, अमेजन क्षेत्रों में वनों की कटाई से निपटने के लिए समुदाय द्वारा संचालित प्रयासों का समर्थन करता है ।
  • सहयोगात्मक नवाचार को बढ़ावा देना: साझा जलवायु जिम्मेदारियों के साथ नवाचार को संतुलित करने के लिए राष्ट्रों और निजी क्षेत्रों के बीच साझेदारी को मजबूत करना। 
    • उदाहरण के लिए: मिशन इनोवेशन इनिशिएटिव वैश्विक स्तर पर किफायती स्वच्छ ऊर्जा समाधान विकसित करने के लिए 24 देशों को एकजुट करता है।

COP-29 ने जलवायु कार्रवाई के केंद्रीय स्तंभ के रूप में बाजार प्रतिस्पर्धा पर जोर दिया है, जो नवाचार और दक्षता के अवसर प्रदान करता है। हालांकि, असमानता और कम एकजुटता के जोखिम महत्वपूर्ण बने हुए हैं। समावेशी और प्रभावी जलवायु कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण, जिसमें मजबूत वैश्विक सहयोग के साथ बाजार संचालित तंत्रों का संयोजन शामिल हो, आवश्यक है। यह सामंजस्य पेरिस समझौते के सिद्धांतों को बनाए रखेगा और हमारे समय की चुनौतियों का समाधान करेगा।

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