उत्तर:
दृष्टिकोण:
- भूमिका: अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत में प्रभावी विज्ञान प्रशासन की आवश्यकता पर प्रकाश डालें।
- मुख्य भाग :
- भारत के निम्न अनुसंधान एवं विकास व्यय और बजट बाधाओं पर चर्चा करें।
- विज्ञान प्रशासन और वरिष्ठ वैज्ञानिकों की भूमिकाओं में अक्षमताओं को संबोधित करें।
- बढ़ी हुई फंडिंग और रणनीतिक संसाधन आवंटन का सुझाव दीजिए।
- वैज्ञानिक और प्रशासनिक भूमिकाओं को अलग करने और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने का सुझाव दें।
- निष्कर्ष: भारत की वैज्ञानिक उन्नति और समग्र प्रगति के लिए इन सुधारों के महत्व पर जोर दें।
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भूमिका :
समकालीन युग में, अनुसंधान और नवाचार में देश की प्रगति के लिए विज्ञान का प्रभावी प्रशासन महत्वपूर्ण है। भारत के लिए, अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप, वैज्ञानिक प्रगति को तैनाती योग्य प्रौद्योगिकियों में परिवर्तित करने हेतु अपने विज्ञान प्रशासन को अनुकूलित करना आवश्यक है।
मुख्य भाग:
भारतीय विज्ञान प्रशासन में चुनौतियाँ:
- निम्न अनुसंधान और विकास व्यय: भारत का अनुसंधान एवं विकास निवेश उसके सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.7% है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका (3.5%) और चीन (2.4%) जैसे देशों की तुलना में काफी कम है, जो वित्तीय प्रतिबद्धता को बढ़ाने की आवश्यकता को दर्शाता है।
- बजट संबंधी बाधाएँ: व्यापक वित्तीय सीमाओं और प्रतिस्पर्धी प्राथमिकताओं के कारण अनुसंधान एवं विकास के लिए सीमित बजट, एक सशक्त वैज्ञानिक पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को चुनौती देता है।
- वर्तमान प्रशासन में अक्षमता: वर्तमान प्रशासन, उच्च प्रभाव वाली परियोजनाओं में रणनीतिक निवेश के संबंध में पीछे रह जाता है, जिसके कारण भारत अंतरिक्ष अन्वेषण, परमाणु ऊर्जा, जीनोमिक्स, रोबोटिक्स और एआई जैसे क्षेत्रों में पिछड़ गया है।
- वरिष्ठ वैज्ञानिकों की भूमिका: वरिष्ठ वैज्ञानिक अक्सर प्रशासनिक भूमिकाएँ निभाते हैं, जिससे सूक्ष्म प्रबंधन और जवाबदेही की कमी होती है। इस दोहरी भूमिका के परिणामस्वरूप अक्षमताएं और हितों का टकराव हो सकता है।
- गेटकीपिंग प्रथाएँ: स्वतंत्रता के बाद कुछ संस्थानों में संसाधनों के संकेंद्रण ने गेटकीपर्स की एक ऐसी प्रणाली बना दी जिसने विज्ञान क्षेत्र को प्रभावित किया और एक ऐसे वातावरण को बढ़ावा दिया जहाँ व्यक्तिगत संबंध, योग्यता से अधिक महत्वपूर्ण थे।
कुशल विज्ञान प्रबंधन के लिए नीति सुधार:
- अनुसंधान एवं विकास व्यय में वृद्धि: वैश्विक मानकों के अनुरूप अनुसंधान एवं विकास बजट में पर्याप्त वृद्धि होनी चाहिए।
- रणनीतिक योजना और आवंटन: प्रभावशाली वैज्ञानिक प्रगति के लिए परियोजना चयन और संसाधन आवंटन में रणनीतिक योजना की आवश्यकता पर जोर देना।
- वैज्ञानिक और प्रशासनिक भूमिकाओं का पृथक्करण: प्रशासनिक भूमिकाओं वाले लोगों को विशेष प्रशिक्षण देने के साथ, वैज्ञानिकों और प्रशासकों के बीच एक स्पष्ट विभाजन होना चाहिए।
- गेटकीपिंग प्रथा को संबोधित करना: अधिक योग्यता आधारित प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए यह अति आवश्यक है।
- अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं को लागू करना: अमेरिका जैसे मॉडल से सीखना जहां बेहतर दक्षता के लिए प्रशासकों और वैज्ञानिकों के बीच स्पष्ट अलगाव बनाए रखा जाता है।
निष्कर्ष:
वैज्ञानिक क्षेत्र में अपनी आर्थिक और रणनीतिक आकांक्षाओं को पूरा करने हेतु, भारत में प्रशासनिक सुधार अनिवार्य है। उल्लिखित चुनौतियों को संबोधित करने और सुझाए गए सुधारों को लागू करने से अधिक कुशल, जवाबदेह और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी वैज्ञानिक परिदृश्य तैयार हो सकता है। यह न केवल भारत की विज्ञान क्षमताओं को बढ़ाएगा बल्कि इसकी निरंतर आर्थिक प्रगति में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।
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