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Q. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के संबंध में भूतिया लाभार्थियों के खतरे को कम करने में एक राष्ट्र एक राशन कार्ड की धारणा का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) (अतिरिक्त)

उत्तर:

दृष्टिकोण:

  • प्रस्तावना:  सार्वजनिक वितरण प्रणाली और एक राष्ट्र एक राशन कार्ड की अवधारणा लिखिए।
  • मुख्य विषयवस्तु:
    • पीडीएस में भूतिया लाभार्थियों के खतरे को स्पष्ट कीजिए।
    • इस खतरे को रोकने में ओएनओआर के महत्व का वर्णन कीजिए।
    • ओएनओआर की कमियों को संक्षेप में समझाइए।
    • आगे बढ़ने के लिए कुछ समाधान सुझाएँ।
  • निष्कर्ष: उपरोक्त बिन्दुओं के आधार पर निष्कर्ष निकालें।

 

प्रस्तावना:

एक राष्ट्र एक राशन कार्ड(One Nation, One Ration Card)” 2019  में प्रारम्भ की गयी एक पहल है जो भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का विस्तार करती है। यह पात्र लाभार्थियों को राज्य की सीमाओं के पार सब्सिडी वाले खाद्यान्न तक पहुंचने की अनुमति देता है, जिससे पीडीएस आपूर्ति तक वहनीय पहुंच सुनिश्चित होती है। यह आंतरिक प्रवासियों के लिए भोजन का अधिकार सुनिश्चित करता है, जिनकी संख्या 45.36 करोड़ है।

मुख्य विषयवस्तु

पीडीएस और भूतिया लाभार्थी का खतरा 

  • फर्जी लाभार्थी और अप्रभावी कल्याण कार्यक्रम: उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में 40% पीडीएस लाभार्थी फर्जी पाए गए, जिससे कार्यक्रम का उद्देश्य कमजोर हो गया
  • संसाधन का व्यपवर्तन: उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, पीडीएस लाभार्थियों के लिए आने वाले लगभग 34% खाद्यान्न को अन्य उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त किया जा रहा था।

  • वित्तीय बोझ: 2022-23 में खाद्य सब्सिडी 2.87 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई। इन वित्त के गलत आवंटन से सरकार को सालाना करोड़ों का नुकसान होता है।
  • कमजोर निगरानी और सत्यापन तंत्र: उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल में सेंटर फॉर डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स एंड सस्टेनेबिलिटी के एक अध्ययन में कमजोर सत्यापन तंत्र का पता चला, जिससे भूतिया लाभार्थियों को सिस्टम का फायदा उठाने में मदद मिली।

खतरे पर अंकुश लगाने पर एक राष्ट्र, एक राशन कार्डका प्रभाव:

  • डुप्लीकेट राशन कार्डों को रद्द करना: ओएनओआर(ONOR) के कारण लगभग डुप्लीकेट राशन कार्ड रद्द हो गए हैं। 2.04 करोड़ डुप्लिकेट राशन कार्ड, फर्जी लाभार्थियों को खत्म करना और सब्सिडी वाले संसाधनों के विचलन को रोकना।
  • प्रमाणित लाभार्थियों की पुष्टि करना: राज्यों में 85% सत्यापित और प्रमाणित लाभार्थियों के साथ, सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि वास्तविक व्यक्तियों को लाभ मिले, जिससे नकली या अयोग्य लाभार्थियों का समावेश कम से कम हो।
  • निर्बाध पहुंच: ओएनओआर राज्य की सीमाओं पर सब्सिडी वाले खाद्य आपूर्ति तक निर्बाध पहुंच सुनिश्चित करता है, स्थान की परवाह किए बिना लाभार्थियों के लिए लगातार उपलब्धता सुनिश्चित करता है, और हेरफेर को कम करता है।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही: वास्तविक समय ट्रैकिंग और आधार प्रमाणीकरण 81 करोड़ ईपीओएस लेनदेन के साथ पारदर्शी राशन वितरण सुनिश्चित करते हैं, एवं जवाबदेही सुनिश्चित कर धोखाधड़ी को रोकते हैं, जिससे इच्छित प्राप्तकर्ताओं को लाभ होता है।

एक राष्ट्र, एक राशन कार्डप्रणाली की कमियाँ

  • तकनीकी चुनौतियाँ, जैसे बुनियादी ढाँचा और संचार संबंधी मुद्दे, निर्बाध डिजिटल प्रणाली के कार्यान्वयन में बाधा डालते हैं। लगभग 70% आबादी के पास डिजिटल तकनीकों की कमी है या कोई कनेक्टिविटी नहीं है, जबकि 60% से अधिक भारतीय परिवार डिजिटल रूप से अशिक्षित हैं।
  • प्रशासनिक और कार्यान्वयन से जुड़ी चुनौतियाँ: विभिन्न राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और उनसे संबंधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) डेटाबेस के बीच समन्वय जटिल और अपेक्षाकृत अधिक समय लेने वाला हो सकता है।
  • लॉजिस्टिक्स से जुड़ी चुनौतियाँ: लाभार्थियों की मांग को पूरा करने के लिए राज्यों में खाद्यान्न और अन्य आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, विशेषकर आपात स्थिति या प्राकृतिक आपदाओं के दौरान।
  • राज्यों का विरोध: कुछ राज्यों को अपने पीडीएस संचालन और संसाधनों पर नियंत्रण खोने की चिंताओं के कारण ओएनओआरसी प्रणाली में भाग लेने में आपत्ति हो सकती है। उदाहरण- पश्चिम बंगाल।
  • राजकोषीय निहितार्थ: ओएनओआरसी  प्रणाली को लागू करने और संचालित करने के लिए वित्तीय निवेश की आवश्यकता हो सकती है। गौरतलब है कि भारत का खाद्य सब्सिडी बिल पहले ही 2.80 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।

आगे की राह:

  • निर्बाध कार्यान्वयन के लिए तकनीकी रूप से बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करना आवश्यक है। ओएनओआरसी योजना का समर्थन करने के लिए एक टिकाऊ तकनीकी बुनियादी ढांचा स्थापित करना चाहिए, विशेषकर दूरदराज के इलाकों में जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी एक मुद्दा हो सकती है।
  • अंतरराज्यीय सहयोग को बढ़ावा देना: ओएनओआरसी योजना के कुशल और निर्बाध कामकाज को सुनिश्चित करने हेतु राज्यों को समन्वय और प्रासंगिक जानकारी साझा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • कुशल प्रमाणीकरण के लिए आधार से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है।
  • विसंगतियों को कम करने के लिए डेटा सिंक्रनाइज़ेशन में सुधार करना चाहिए। साथ ही यह  सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश एक एकीकृत और अंतरसंचालनीय प्रणाली बनाने के लिए अपने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) डेटाबेस को एकीकृत करें।
  • नियमित समीक्षा और ऑडिट के माध्यम से बहिष्करण त्रुटियों को कम करने की आवश्यकता है। ओएनओआरसी योजना के लाभों और कार्यक्षमता के बारे में लाभार्थियों को शिक्षित करने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए। इस संदर्भ में नागरिक समाज संगठनों, गैर सरकारी संगठनों और निजी क्षेत्र के साथ जुड़ाव महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष:

  • इन उपायों के साथ, “एक राष्ट्र, एक राशन कार्डपहल में पीडीएस में क्रांति लाने की क्षमता है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि लाभ इच्छित प्तप्राकर्ताओं तक पहुंचे, जिससे उनके जीवन का उत्थान हो और पूरे देश में सामाजिक कल्याण को बढ़ावा मिले।

 

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