Q. चुनावी कदाचार को समाप्त करने में मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने की क्षमता का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। निष्पक्षता और मतदाता गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए क्या सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • चुनावी गड़बड़ियों को समाप्त करने में मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने की संभावना पर चर्चा कीजिए।
  • मतदाता की गोपनीयता और निष्पक्षता के संदर्भ में मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के संभावित जोखिमों का विश्लेषण कीजिए।
  • मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने की प्रक्रिया में निष्पक्षता सुनिश्चित करने और मतदाता की गोपनीयता की रक्षा के लिए लागू किए जाने वाले सुरक्षा उपायों पर चर्चा कीजिए।

उत्तर

चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 के तहत मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने का उद्देश्य डुप्लिकेट और फर्जी मतदान जैसे मुद्दों से निपटना है, जिससे चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को बढ़ावा मिलता है। भारत के चुनाव आयोग की 2022 डिजिटल मतदाता पहल जैसी रिपोर्टें, मतदाता सूची को सुव्यवस्थित करने और पारदर्शिता में सुधार करने के लिए इस लिंकेज की क्षमता को उजागर करती हैं। हालाँकि, डेटा सुरक्षा, मतदाता वंचितता और गोपनीयता उल्लंघनों के संबंध में व्याप्त चिंताएँ निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक विचार की माँग करती हैं।

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चुनावी गड़बड़ियों को खत्म करने में मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने की संभावना

  • डुप्लिकेट और फर्जी मतदाताओं का उन्मूलन: आधार लिंकेज डुप्लिकेट या फर्जी प्रविष्टियों की पहचान करने और उन्हें हटाने में मदद कर सकता है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि प्रत्येक व्यक्ति के पास केवल एक वोट हो।
  • प्रतिरूपण में कमी: आधार में बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, प्रतिरूपण और धोखाधड़ी वाले मतदान को रोक सकता है, जिससे चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता बढ़ जाती है। 
    • उदाहरण के लिए: तेलंगाना के वर्ष 2021 के नगरपालिका चुनावों में बायोमेट्रिक सत्यापन ने प्रतिरूपण पर काफी हद तक अंकुश लगाया, जिससे परिणामों में विश्वास बढ़ा।
  • मतदाता सूचियों में वास्तविक समय पर अपडेट: आधार एकीकरण गतिशील अपडेट को सक्षम बनाता है, जो प्रवासन या जनसांख्यिकीय परिवर्तनों को दर्शाता है, जिससे मतदाता सूचियों की मैन्युअल त्रुटियों में कमी आती है। 
    • उदाहरण के लिए: आंध्र प्रदेश ने उच्च प्रवासन दर वाले शहरी क्षेत्रों में विसंगतियों को दूर करते हुए मतदाता सूची अपडेट लागू किया।
  • मतदाता सुविधा में वृद्धि:आधार का उपयोग करके सरल पहचान से, मतदान प्रक्रिया में त्रुटियाँ और देरी कम होती है जिससे मतदान प्रक्रिया में बाधा नहीं आती। 
    • उदाहरण के लिए: महाराष्ट्र ने आधार-सक्षम मतदाता पंजीकरण कियोस्क शुरू किए जिससे शहरी मतदान केंद्रों में मतदाता पहचान में तेजी और सुगमता आई।
  • चुनाव प्रबंधन में लागत दक्षता: सटीक मतदाता डेटाबेस, मतदाता सूची प्रबंधन और मतदाता सत्यापन की प्रशासनिक लागत को कम करता है,तथा चुनाव प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित बनाता है।

मतदाता गोपनीयता और निष्पक्षता के संदर्भ में मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के जोखिम

  • गोपनीयता और डेटा सुरक्षा के लिए खतरा: लिंकिंग से मतदाता डेटा के संभावित उल्लंघन का जोखिम रहता है, क्योंकि डेटा सुरक्षा तंत्र कमज़ोर है जिससे संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग होने का जोखिम रहता है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2018 में आधार डेटा के उल्लंघन से लाखों भारतीयों के निजी विवरण उजागर हो गए, जिससे चुनावी सुरक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ गईं।
  • हाशिए पर स्थित समुदायों का बहिष्कार: ग्रामीण और आदिवासी आबादी के पास आधार नहीं है या उन्हें पहुँच संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे वंचितता और प्रणालीगत असमानताएँ उत्पन्न हो सकती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: झारखंड (2019) में, आधार न होने के कारण पात्र मतदाता बायोमेट्रिक अपडेट की कमी के परिणामस्वरूप वोटिंग से चूक गए।
  • कानूनी और संवैधानिक चुनौतियाँ: वोटिंग अधिकार के लिए आधार का अनिवार्य उपयोग,संवैधानिक अधिकारों के साथ संघर्ष उत्पन्न कर सकता है, जिससे न्यायिक जाँच और कार्यान्वयन में देरी हो सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2018 के आधार से संबंधित निर्णय ने अन्य अनुप्रयोगों को रोकते हुए कल्याणकारी योजनाओं तक इसके अनिवार्य उपयोग को सीमित कर दिया।
  • बायोमेट्रिक सिस्टम की सुभेद्यता: दोषपूर्ण या विफल बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के परिणामस्वरूप वास्तविक मतदाताओं को उनके अधिकारों से वंचित किया जा सकता है, जिससे लोकतांत्रिक भागीदारी प्रभावित हो सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: राजस्थान में आधार-आधारित सार्वजनिक सेवाओं में 8% विफलता दर देखी गई , जिससे मतदाताओं के अपवर्जन के संबंध में चिंताएँ बढ़ गई हैं।
  • राजनीतिक दुरुपयोग का जोखिम: आधार को लिंक करने से मतदाता प्रोफाइलिंग और लक्षित शोषण को बढ़ावा मिल सकता है,जिससे संभावित रूप से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रभावित हो सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2019 में मतदाताओं को माइक्रो-टारगेट करने के लिए राजनीतिक दलों पर आधार डेटा का उपयोग करने का आरोप लगाया गया, जिससे चुनावी अखंडता प्रभावित हुई।

आधार-वोटर ID लिंकेज में निष्पक्षता सुनिश्चित करने और मतदाता गोपनीयता की रक्षा के लिए सुरक्षा उपाय

  • मजबूत डेटा सुरक्षा ढाँचा: मतदाता जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए एक व्यापक डेटा सुरक्षा कानून बनाना चाहिये और इसके उल्लंघन और दुरुपयोग के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: यदि व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा विधेयक लागू किया जाता है, तो संवेदनशील मतदाता डेटा को हैंडल करने के लिए सख्त दिशा-निर्देश प्रदान किए जा सकते हैं।
  • वैकल्पिक और समावेशी सत्यापन: यह सुनिश्चित करना अति आवश्यक है कि आधार लिंकिंग वैकल्पिक हो, साथ ही हाशिए पर स्थित समूहों को बाहर होने से रोकने के लिए वैकल्पिक पहचान विधियाँ हों। 
    • उदाहरण के लिए: बिहार में ग्रामीण मतदाताओं को पायलट कार्यक्रमों के दौरान मैन्युअल सत्यापन की अनुमति दी गई, जिससे उनके वंचित होने का जोखिम कम हो गया।
  • विकेंद्रीकृत डेटा संग्रहण: सुभेद्यताओं को कम करने के लिए एन्क्रिप्शन के साथ विकेंद्रीकृत डेटाबेस का उपयोग करना चाहिए जिससे बड़े पैमाने पर डेटा उल्लंघन का जोखिम कम हो। 
    • उदाहरण के लिए: एस्टोनिया की चुनावी प्रणाली ब्लॉकचेन तकनीक के साथ मतदाता डेटा को सुरक्षित करती है,जिससे छेड़छाड़-प्रूफ रिकॉर्ड सुनिश्चित होते हैं।
  • स्वतंत्र ऑडिट और निरीक्षण: सिस्टम की निष्पक्षता, पारदर्शिता और प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा नियमित ऑडिट आयोजित होने चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: भारत का चुनाव आयोग समय-समय पर आधार-लिंक्ड प्रक्रियाओं की समीक्षा करने के लिए थर्ड पार्टी ऑडिटर को शामिल कर सकता है।
  • दुरुपयोग के खिलाफ सख्त कानूनी प्रावधान: निष्पक्षता बनाए रखने के लिए मतदाता डेटा की अनधिकृत पहुँच या राजनीतिक शोषण के लिए कठोर दंड लागू करना चाहिए 
    • उदाहरण के लिए: सिंगापुर राष्ट्रीय पहचान डेटा तक अनधिकृत पहुँच के लिए भारी जुर्माना और आपराधिक आरोप लगाता है।

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मतदाता पहचान पत्र को आधार से लिंक करने के निर्णय में, चुनावी गड़बड़ियों को कम करने की महत्त्वपूर्ण क्षमता है, परंतु इसे उचित सुरक्षा उपायों के साथ लागू किया जाना चाहिए। एन्क्रिप्टेड डेटा स्टोरेज, स्वतंत्र निगरानी और व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा अधिनियम, 2019 का पालन जैसे उपाय गोपनीयता सुनिश्चित कर सकते हैं और दुरुपयोग को रोक सकते हैं। पारदर्शिता को निष्पक्षता के साथ एकीकृत करने वाला संतुलित दृष्टिकोण,चुनावी चुनौतियों का समाधान करते हुए लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में मदद करेगा।

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