Q. दूरसंचार नेटवर्क आपदा प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, फिर भी वे प्राकृतिक आपदाओं के दौरान अत्यधिक असुरक्षित रहते हैं। आपदाओं के दौरान दूरसंचार बुनियादी ढाँचे को प्रभावित करने वाली प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिए और इसके लचीलेपन को बढ़ाने के उपाय भी सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • इस बात पर प्रकाश डालिये कि आपदा प्रबंधन में दूरसंचार नेटवर्क किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • आपदाओं के दौरान दूरसंचार अवसंरचना को प्रभावित करने वाली प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख करते हुए चर्चा कीजिए कि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान वे किस प्रकार अत्यधिक असुरक्षित रहते हैं।
  • इसकी प्रत्यास्थता बढ़ाने के उपाय सुझाइये।

उत्तर

दूरसंचार नेटवर्क आपदा प्रबंधन के लिए महत्त्वपूर्ण हैं, जिससे आपात स्थितियों के दौरान रियलटाइम में समन्वय संभव हो पाता है। आपदाओं के कारण 2023 में वैश्विक स्तर पर 200 बिलियन डॉलर से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ, संचार विफलताओं के कारण बचाव प्रयासों में बाधा उत्पन्न हुई। भारत में, चक्रवात फानी (2019) ने पुरी, भुवनेश्वर और ओडिशा के अन्य क्षेत्रों में दूरसंचार बुनियादी ढाँचे को व्यापक नुकसान पहुंचाया, जिससे प्राकृतिक आपदाओं के प्रति इस क्षेत्र की संवेदनशीलता उजागर हुई।

आपदा प्रबंधन में दूरसंचार नेटवर्क की भूमिका

  • आपातकालीन प्रतिक्रिया को सुविधाजनक बनाना: दूरसंचार नेटवर्क आपदा प्रबंधन अधिकारियों, स्थानीय नगर पालिकाओं और बचाव दलों के बीच तेजी से संचार को सक्षम बनाता है, जिससे राहत प्रयासों में तेजी से समन्वय सुनिश्चित होता है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2013 के उत्तराखंड बाढ़ के दौरान, मोबाइल नेटवर्क ने बचाव मिशनों को समन्वित करने में मदद की, जिससे भारतीय सेना और NDRF को आपदा प्रभावित क्षेत्रों से 100,000 से अधिक लोगों को निकालने में मदद मिली।
  • सार्वजनिक अलर्ट प्रसारित करना: दूरसंचार अवसंरचना प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों में सहायता प्रदान करती है, चक्रवात, सुनामी और भूकंप के बारे में SMS अलर्ट और स्वचालित कॉल भेजती है जिससे समुदायों को पहले से तैयार होने में मदद मिलती है। 
    • उदाहरण के लिए: चक्रवात फानी (वर्ष 2019) के ओडिशा में आने से पहले, लाखों लोगों को दूरसंचार अलर्ट भेजे गए थे जिससे 1.2 मिलियन से अधिक लोगों की समय पर निकासी करने में मदद मिली, जिससे हताहतों की संख्या में काफी कमी आई।
  • चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करना: मोबाइल नेटवर्क टेलीमेडिसिन और आपातकालीन चिकित्सा समन्वय में सहायता करते हैं, जिससे डॉक्टर और स्वास्थ्य कार्यकर्ता आरंभिक उत्तरदाताओं और प्रभावित व्यक्तियों का दूर से भी मार्गदर्शन कर सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: COVID-19 महामारी के दौरान दूरसंचार सेवाओं ने रोगियों के लिए टेलीकंसल्टेशन की सुविधा प्रदान की जिससे अस्पतालों पर बोझ कम हुआ और समय पर चिकित्सा सलाह सुनिश्चित हुई।
  • राहत कोष हस्तांतरण में सहायता: मोबाइल बैंकिंग और डिजिटल भुगतान प्रणाली, सरकार और गैर सरकारी संगठनों को भौतिक नकदी निर्भरता के बिना आपदा पीड़ितों को
    वित्तीय सहायता वितरित करने में सक्षम बनाती है।

    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2015 के नेपाल भूकंप के बाद, eSewa और IME Pay जैसे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म ने प्रभावित लोगों को राहत राशि प्राप्त करने और बैंक बंद होने पर भी आवश्यक सामान खरीदने की अनुमति दी।
  • सामाजिक व्यवस्था बनाए रखना: संचार नेटवर्क, अधिकारियों को सटीक अपडेट प्रदान करने, जनता को आश्वस्त करने और अनावश्यक अराजकता को रोकने में सक्षम बनाकर घबराहट और गलत सूचना को रोकने में मदद करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: चेन्नई बाढ़ (2015) के दौरान  भारत सरकार ने लोगों को आधिकारिक बचाव अपडेट प्राप्त करने के लिए मुफ्त SMS और कॉल सेवाएं प्रदान करने हेतु दूरसंचार ऑपरेटरों के साथ भागीदारी की

प्राकृतिक आपदाओं के दौरान दूरसंचार नेटवर्क की सुभेद्यतायें

  • बिजली की विफलता से संचालन बाधित होता है: दूरसंचार टावर और नेटवर्क संचालन केंद्र बिजली पर निर्भर करते हैं और लंबे समय तक बिजली की कमी से वे काम करना बंद कर सकते हैं, जिससे संचार बाधित हो सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: पश्चिम बंगाल में चक्रवात अम्फान (2020) के बाद  बिजली की विफलता के कारण प्रभावित जिलों में 85% से अधिक दूरसंचार टावर कई दिनों तक काम नहीं कर पाए, जिससे राहत समन्वय में देरी हुई।
  • अपर्याप्त बैकअप ईंधन और बैटरी: दूरसंचार टावर, डीजल जनरेटर और बैटरी बैकअप पर निर्भर करते हैं परंतु आपदाओं के दौरान सीमित ईंधन आपूर्ति से नेटवर्क में व्यवधान हो सकता है
  • ओवरहेड केबल्स को नुकसान: ओवरलैंड केबल्स तेज हवाओं, गिरते पेड़ों और मलबे के संपर्क में बहुत अधिक रहते हैं, जिससे कनेक्शन टूट जाते हैं और आपदाओं के दौरान सेवाएँ बाधित होती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2018 में केरल में आई बाढ़ ने ओवरहेड फाइबर केबल्स को व्यापक नुकसान पहुँचाया  जिसके कारण इंटरनेट ब्लैकआउट हो गया और आपदा प्रतिक्रिया प्रयासों में बाधा उत्पन्न हुई।
  • सागरमग्न केबल की भेद्यता: तटीय आपदाएँ समुद्र के नीचे केबल लैंडिंग स्टेशनों के लिए उच्च जोखिम उत्पन्न करती हैं, जिससे इंटरनेट बाधित होता है, क्योंकि दूरसंचार ऑपरेटरों को डेटा ट्रैफ़िक को फिर से रूट करने में संघर्ष करना पड़ता है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2023 के ताइवान भूकंप ने सागरमग्न केबल को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिससे दक्षिण पूर्व एशिया में इंटरनेट धीमा हो गया जिससे बचाव अभियान और वित्तीय लेनदेन प्रभावित हुए।
  • आपदा-प्रतिरोधी अवसंरचना का अभाव: कई सेल टावरों को अत्यधिक वायु गति, बाढ़ या भूकंप का सामना करने के लिए डिजाइन नहीं किया गया है जिसके परिणामस्वरूप वो नष्ट हो जाते हैं।।

दूरसंचार अवसंरचना की प्रत्यास्थता बढ़ाने के उपाय

  • पावर बैकअप सिस्टम को मजबूत करना: यह सुनिश्चित करना कि दूरसंचार टावरों में उच्च क्षमता वाली बैटरियाँ हों और डीज़ल रिजर्व हो, आपदाओं के दौरान बिजली की विफलता के कारण होने वाली कटौती को कम कर सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: मुंबई में, जहाँ बिजली कटौती दुर्लभ है, दूरसंचार टावरों में उच्च बैटरी बैकअप होता है  जिससे मानसून और बाढ़ के दौरान भी निर्बाध कनेक्टिविटी मिलती है।
  • अधिक भूमिगत केबल बिछाना: ओवरलैंड केबल के बजाय भूमिगत फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क का विस्तार करके दूरसंचार बुनियादी ढाँचे को चक्रवातों, भूस्खलन और गिरने वाले मलबे से बचाया जा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: जापान का भूकंप-रोधी दूरसंचार नेटवर्क भूमिगत केबलों पर बहुत अधिक निर्भर करता है जिससे निरंतर होने वाली भूकंपीय गतिविधियों के दौरान व्यवधान कम होता है।
  • चरम मौसम के खिलाफ सेल टावरों को मजबूत बनाना: वायु प्रतिरोधी डिजाइन और मजबूत नींव के साथ दूरसंचार टावरों का निर्माण, उन्हें चक्रवातों और भूकंपों का सामना करने में मदद कर सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: चक्रवात फैलिन (2013) के बाद ओडिशा ने मजबूत दूरसंचार टावर संरचनाओं को अनिवार्य कर दिया, जिससे फानी (2019) जैसे बाद के चक्रवातों में टावर गिरने की घटनाओं में कमी आई।
  • त्वरित पुनर्बहाली की रणनीति सुनिश्चित करना: सरकारों और दूरसंचार ऑपरेटरों को आपदाओं के बाद तेजी से कनेक्टिविटी बहाल करने के लिए स्पेयर पार्ट्स का स्टॉक करना चाहिए और आपातकालीन मरम्मत टीमों को तैनात करना चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: यूएस फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन (FCC) के पास एक आपदा रिकवरी योजना है, जो यह सुनिश्चित करती है कि कैटरीना (2005) जैसे तूफानों के बाद दूरसंचार सेवाएँ जल्दी से फिर से शुरू हो जाएँ ।
  • दूरसंचार ऑपरेटरों के लिए पैरामीट्रिक बीमा लागू करना: आपदा से संबंधित नुकसान के लिए बीमा कवरेज प्रदान करने से दूरसंचार कंपनियों को आपदा-रोधी बुनियादी ढाँचे में निवेश करने हेतु प्रोत्साहित किया जा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: न्यूजीलैंड में, पैरामीट्रिक बीमा दूरसंचार कंपनियों की सहायता करता है, जिससे वे भूकंप और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बाद सेवाओं को तेजी से बहाल करने में सक्षम हो जाती हैं।

आपदा-प्रतिरोधी दूरसंचार नेटवर्क एक विकल्प नहीं बल्कि एक आवश्यकता है। AI-संचालित प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, उपग्रह-आधारित संचार और विकेंद्रीकृत नेटवर्क के साथ बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना, निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित कर सकता है। सार्वजनिक-निजी सहयोग, विनियामक सुधार और आपातकालीन संचार इकाइयों की तेजी से तैनाती प्रतिक्रिया तंत्र को मजबूत करेगी। भविष्य के लिए तैयार, अनुकूल दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र आपदा प्रत्यास्थता के निर्माण में सहायता कर सकता है

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