उत्तर:
दृष्टिकोण:
- प्रस्तावना: भारत सरकार अधिनियम 1909 के बारे में संक्षेप में लिखें।
- मुख्य विषयवस्तु:
- भारत सरकार अधिनियम 1909 की अनूठी विशेषताओं के बारे में लिखें।।
- इस अधिनियम से साम्प्रदायिकता की शुरुआत के बारे में लिखिए।
- निष्कर्ष: इस संबंध में उचित निष्कर्ष दीजिए।
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प्रस्तावना:
भारत सरकार अधिनियम, 1909 को मॉर्ले-मिंटो सुधार के रूप में भी जाना जाता है, ब्रिटिश भारत में औपनिवेशिक युग के दौरान यह एक महत्वपूर्ण विधायी अधिनियम था। इसने विधायी और प्रशासनिक संरचनाओं के साथ-साथ चुनावी प्रणाली में भी महत्वपूर्ण बदलाव किया।
मुख्य विषयवस्तु:
भारत सरकार अधिनियम 1909 की विशेषताएं
- पृथक निर्वाचन क्षेत्रों की शुरूआत: इस अधिनियम में मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्रों का प्रावधान किया गया, जिससे उन्हें अपने स्वयं के प्रतिनिधियों का चुनाव करने की अनुमति मिली।
- विधान परिषदों का विस्तार: इस अधिनियम ने विधान परिषदों के आकार का विस्तार किया और अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली की शुरुआत की।
- भारतीयों का संघ: इसने वायसराय और गवर्नरों की कार्यकारी परिषदों के साथ भारतीयों के सहयोग का प्रावधान किया। सत्येन्द्र प्रसाद सिन्हा वायसराय की कार्यकारी परिषद में शामिल होने वाले पहले भारतीय बने।
- गैर-सरकारी बहुमत: इसने केंद्रीय विधान परिषद में सरकारी बहुमत बरकरार रखा लेकिन प्रांतीय विधान परिषदों में गैर-सरकारी सदस्यों के बहुमत की अनुमति थी।
- दो भारतीयों का नामांकन: इसने राज्य सचिव के भारतीय कार्यालय में दो भारतीयों के नामांकन की अनुमति दी।
- बजट पर चर्चा: इस अधिनियम ने सदस्यों के दायरे को बढ़ाया अर्थात अब सदस्य बजट पर चर्चा कर सकते थे व प्रस्ताव पेश कर सकते थे। वे जनहित के मुद्दों पर भी चर्चा कर सकते थे। वे पूरक प्रश्न भी पूछ सकते थे।
भारत सरकार अधिनियम, 1909 से साम्प्रदायिकता की शुरुआत:
- हिंदू-मुस्लिम विभाजन के बीज: इस अधिनियम ने 1905 में बंगाल के विभाजन के बाद अलग निर्वाचन क्षेत्रों को संस्थागत बनाकर हिंदू-मुस्लिम विभाजन को बढ़ाने में योगदान दिया, जिससे धार्मिक तनाव बढ़ गया।
- सांप्रदायिक चेतना में वृद्धि: अलग निर्वाचन क्षेत्रों ने मुसलमानों, हिंदुओं और अन्य समूहों को अपने हितों और अधिकारों को एक दूसरे से अलग समझने के लिए प्रेरित किया।
- साम्प्रदायिक संगठनों को प्रोत्साहन: साम्प्रदायिक हितों को सुरक्षित रखने में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग (एआईएमएल) की सफलता ने अन्य साम्प्रदायिक संगठनों को प्रोत्साहित किया।
- ध्रुवीकरण की राजनीति का उद्भव: उदाहरण के लिए, मुस्लिम नेताओं के नेतृत्व में खिलाफत आंदोलन ने मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं की अपील करके उन्हें ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ एकजुट करने की कोशिश की।
- राष्ट्रीय एकता को कमजोर करना: इस अधिनियम ने एकीकृत भारतीय राष्ट्र के विचार को कमजोर कर दिया और इसके बजाय मुसलमानों को एक अलग समुदाय के रूप में मजबूत किया, जिससे अंततः देश का विभाजन हुआ।
निष्कर्ष:
कुल मिलाकर, भारत सरकार अधिनियम 1909 ने शासन में भारतीयों की भागीदारी का विस्तार किया। हालाँकि, इसने धर्म के आधार पर पृथक निर्वाचन क्षेत्रों की शुरुआत करके सांप्रदायिक विभाजन को मजबूत किया, जिससे धार्मिक समुदायों के बीच भविष्य के संघर्षों के लिए मंच तैयार हुआ।
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