उत्तर:
प्रश्न को हल कैसे करें?
- परिचय
- भारत में आईटी उद्योग और उसके विकास का संक्षिप्त अवलोकन प्रस्तुत कीजिए।
- मुख्य विषय वस्तु
- भारत में आईटी उद्योग के असमान स्थानिक वितरण में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों पर प्रकाश डालिए।
- निष्कर्ष
- इस संबंध में उचित निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय
सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग, जिसमें कंप्यूटर सिस्टम, सॉफ्टवेयर और डेटा प्रबंधन के लिए संबंधित प्रौद्योगिकियों का विकास, रखरखाव और उपयोग शामिल है, 1990 में अपनाई गई उदारीकरण नीतियों के बाद से भारत के आर्थिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बन गया है। हालांकि, विभिन्न कारकों के कारण यह मुख्य रूप से बेंगलुरु, हैदराबाद, दिल्ली, पुणे, कोच्चि, चेन्नई, मुंबई, तिरुवनंतपुरम और चंडीगढ़ जैसे प्रमुख शहरों में केंद्रित है।
मुख्य विषय वस्तु
भारत में आईटी उद्योग के असमान स्थानिक वितरण में योगदान देने वाले प्रमुख कारक:
बुनियादी ढांचा: आधुनिक बुनियादी ढांचे की उपलब्धता आईटी उद्योग के भौगोलिक वितरण को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है। अच्छी तरह से विकसित तकनीकी पार्क, विश्वसनीय बिजली आपूर्ति और कुशल परिवहन नेटवर्क वाले शहर अक्सर आईटी कंपनियों के लिए अपने परिचालन स्थापित करने के लिए पसंदीदा स्थान बन जाते हैं। उदाहरण के लिए, बैंगलोर के मजबूत बुनियादी ढांचे ने गूगल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, इंफोसिस और विप्रो सहित कई आईटी फर्मों को आकर्षित किया है, जिससे इसे एक प्रमुख आईटी हब के रूप में दर्जा मिला है।
- मानव पूंजी: प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों और बड़ी संख्या में प्रतिभाओं वाले शहर आईटी फर्मों के लिए आकर्षक गंतव्य के रूप में काम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, पुणे और हैदराबाद अपने सुशिक्षित पेशेवरों की बहुतायत के लिए जाने जाते हैं, जो उन्हें आईटी कंपनियों के लिए अपने कार्यालय स्थापित करने के लिए आदर्श स्थान बनाते हैं।
- बाजारों से कनेक्टिविटी और निकटता: घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों तक पहुंच आईटी उद्योग के स्थान को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मुंबई जैसे महत्वपूर्ण बाजारों से बेहतरीन कनेक्टिविटी वाले शहरों को आईटी कंपनियां पसंद करती हैं, जिनका लक्ष्य इन बाजारों को प्रभावी ढंग से सेवा प्रदान करना होता है।
- निर्यात की ओर झुकाव: कुछ भारतीय शहर निर्यात-उन्मुख आईटी सेवाओं में विशेषज्ञता रखते हैं, जो उद्योग के वितरण को प्रभावित करते हैं। यह झुकाव वैश्विक व्यापार संचालन को सुविधाजनक बनाता है, क्योंकि आईटी फर्म अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को अधिक कुशलता से सेवा प्रदान कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, चेन्नई ने रणनीतिक रूप से खुद को निर्यात–उन्मुख आईटी सेवा केंद्र के रूप में स्थापित किया है, जिससे इस दृष्टिकोण से लाभ हुआ है।
- सरकारी पहल और नीतियां: जो क्षेत्र अनुकूल नीतियां, कर प्रोत्साहन और सहायक नियामक वातावरण प्रदान करते हैं, वे आईटी कंपनियों को आकर्षित करते हैं। आईटी क्षेत्र में हैदराबाद की उल्लेखनीय वृद्धि का श्रेय जीआरआईडी नीति जैसी सक्रिय सरकारी पहल को दिया जा सकता है जो उद्योग विकास को बढ़ावा और प्रोत्साहन देती है। उदहारण के लिए, कर्नाटक 1997 में अपनी पहली आईटी नीति लेकर आया।
- व्यावसायिक पारिस्थितिकी तंत्र और नेटवर्किंग के अवसर: एक जीवंत तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र आईटी उद्योग के भीतर नवाचार, सहयोग और विकास को बढ़ावा देता है। संपन्न तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र वाले शहर या क्षेत्र उद्यम पूंजी, परामर्श अवसरों और नेटवर्किंग कार्यक्रमों तक पहुंच प्रदान करते हैं, जो उन्हें आईटी स्टार्टअप और प्रतिभा के लिए आकर्षक बनाते हैं। बेंगलुरु ऐसे मजबूत तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र का एक प्रमुख उदाहरण है।
निष्कर्ष
भारत के आईटी उद्योग का असमान वितरण विभिन्न कारकों की जटिल परस्पर क्रिया से उत्पन्न होता है। भारत में आईटी उद्योग के अधिक संतुलित वितरण को प्राप्त करने और क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने के लिए, केंद्र और राज्य सरकारों को बुनियादी ढांचे, कौशल विकास और व्यवसाय-समर्थक नीतियों में निवेश को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिससे अंततः त्वरित आर्थिक विकास हो और न्यायसंगत और सामंजस्यपूर्ण आईटी विकास को बढ़ावा मिले।
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