Q. भारत में पर्यावरण स्वास्थ्य विनियामक एजेंसी (EHRA) की स्थापना बढ़ते प्रदूषण और स्वास्थ्य जोखिमों से निपटने के लिए पर्यावरण प्रबंधन को सार्वजनिक स्वास्थ्य के साथ एकीकृत करने के लिए महत्वपूर्ण है। टिप्पणी कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग 

  • भारत में पर्यावरण स्वास्थ्य नियामक एजेंसी (EHRA) की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।
  • चर्चा कीजिए कि भारत में पर्यावरण स्वास्थ्य नियामक एजेंसी (EHRA) की स्थापना किस प्रकार बढ़ते प्रदूषण और स्वास्थ्य जोखिमों में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन ला सकती है।

उत्तर

भारत में पर्यावरण प्रबंधन को सार्वजनिक स्वास्थ्य के साथ एकीकृत करने के लिए एक पर्यावरण स्वास्थ्य नियामक एजेंसी (EHRA) की स्थापना आवश्यक है। व्यापक नीतियों को लागू करके,  ऐसी एजेंसी पर्यावरणीय खतरों की निगरानी करते हुए और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए, बढ़ते प्रदूषण और स्वास्थ्य जोखिमों से संबंधित समस्या का समाधान करने में मदद कर सकती है। यह एकीकरण सतत विकास और देश के स्वास्थ्य परिणामों में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है।

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पर्यावरण स्वास्थ्य नियामक एजेंसी (EHRA) की आवश्यकता

  • एकीकृत विनियामक ढाँचे का अभाव: भारत में वर्तमान में पर्यावरण और स्वास्थ्य विनियमन के विभिन्न पहलुओं के लिए कई एजेंसियाँ जिम्मेदार हैं, जिसके कारण इस दिशा में होने वाले प्रयास मिलकर एक दिशा में कार्य नहीं कर पा रहे।
    • उदाहरण के लिए: जबकि MoHUA, अपशिष्ट पृथक्करण के लिए दिशानिर्देश निर्धारित कर सकता है लेकिन स्थानीय नगर पालिकाओं में उन्हें प्रभावी रूप से लागू करने के लिए बुनियादी ढाँचे या प्रवर्तन तंत्र का अभाव हो सकता है।
  • अपर्याप्त निगरानी और निरीक्षण: इससे स्वास्थ्य जोखिम का पता नहीं चल पाता, प्रतिक्रिया में देरी होती है और अप्रभावी नीतियां सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाती हैं और पर्यावरण संरक्षण प्रयासों को बाधित करती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: भारत में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) प्रमुख शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांकों की निगरानी करता है, लेकिन स्वास्थ्य नीतियों के साथ इसके एकीकरण का अभाव है।
  • कम सार्वजनिक जागरूकता: पर्यावरणीय स्वास्थ्य मुद्दों और उनके परिणामों के बारे में सीमित जागरूकता सार्वजनिक भागीदारी और जवाबदेही की माँग में बाधा डालती है।
  • सीमित अनुसंधान एवं विकास: पर्यावरणीय कारकों और स्वास्थ्य परिणामों के बीच संबंध पर अपर्याप्त अनुसंधान, साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण को सीमित करता है।
    • उदाहरण के लिए: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR ) के पास वायु प्रदूषण, और श्वसन रोगों पर इसके प्रभाव पर अनुसंधान के लिए धन की कमी है।
  • समन्वय की कमी: सुसंगत पर्यावरणीय स्वास्थ्य रणनीतियों को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न सरकारी निकायों के साथ सहयोग करना।
    • उदाहरण के लिए: पर्यावरण मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय में समन्वय का अभाव है, जिसके कारण प्रदूषण और उससे संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के विरुद्ध लड़ाई में बाधा उत्पन्न हो रही है।
  • कमजोर प्रवर्तन: कमजोर प्रवर्तन तंत्र और उल्लंघन के लिए अपर्याप्त दंड पर्यावरण और स्वास्थ्य मानकों के अनुपालन में बाधा डालते हैं।

EHRA निम्नलिखित तरीकों से पर्यावरण प्रबंधन को सार्वजनिक स्वास्थ्य के साथ एकीकृत करता है

  • एकीकृत नीति विकास: EHRA पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को संबोधित करने वाली सुसंगत नीतियाँ बनाएगा। 
    • उदाहरण के लिए: जर्मनी की संघीय पर्यावरण एजेंसी (UBA) पर्यावरण नीति, वायु, जल और अपशिष्ट विनियमन के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करती है, साथ ही सतत ऊर्जा और जलवायु पहलों को बढ़ावा देती है।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी और प्रतिक्रिया: EHRA पर्यावरणीय कारकों से संबंधित सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों का पता लगाने और उनका जवाब देने के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली स्थापित कर सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) प्रदूषण और उसके स्वास्थ्य प्रभावों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों के साथ पर्यावरण संबंधी नियमों को एकीकृत करती है।
  • बेहतर अंतर-एजेंसी समन्वय: EHRA, पर्यावरण और स्वास्थ्य विभागों के बीच प्रयासों का समन्वय करने वाली एक केंद्रीय संस्था के रूप में काम करेगी, जिससे प्रदूषण से होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति प्रतिक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा। 
    • उदाहरण के लिए: जापान का पर्यावरण मंत्रालय (MOE) पर्यावरण प्रबंधन को सार्वजनिक स्वास्थ्य संरक्षण के साथ जोड़ने वाला मजबूत ढाँचा प्रदान करता है।
  • सामुदायिक सहभागिता और जागरूकता: ऐसी एजेंसी पर्यावरण प्रदूषण के स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में जनता को शिक्षित करने के लिए पहल करेगी, जिससे प्रदूषण में कमी लाने में सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा मिलेगा। 
    • उदाहरण के लिए: अमेरिका में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायर्नमेंटल हेल्थ साइंसेज (NIEHS ), पर्यावरणीय स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में समुदायों को सूचित करने के लिए आउटरीच कार्यक्रम आयोजित करता है।
  • अनुसंधान और डेटा एकीकरण: EHRA, पर्यावरणीय स्वास्थ्य संबंधों पर अनुसंधान को सुविधाजनक बनाएगा, तथा नीति-निर्माण और संसाधन आवंटन के लिए डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा।
  • विनियामक अनुपालन और प्रवर्तन: यह एजेंसी पर्यावरणीय स्वास्थ्य विनियमों को लागू करेगी तथा यह सुनिश्चित करेगी कि उद्योग, सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए मानकों का अनुपालन करें।
  • आपातकालीन तत्परता और प्रतिक्रिया: EHRA पर्यावरणीय स्वास्थ्य से संबंधित आपात स्थितियों के लिए योजनाएँ विकसित और कार्यान्वित करेगा, जिससे रासायनिक लीकेज या वायु गुणवत्ता संकट जैसी घटनाओं के लिए त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रियाएँ सुनिश्चित होंगी। 
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के पास रासायनिक आपदा प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देश हैं; EHRA स्वास्थ्य-विशिष्ट प्रतिक्रियाओं को संबोधित करने के लिए इन पर काम कर सकता है।

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भारत में EHRA की स्थापना वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं, जैसे कि US EPA, के साथ संरेखित है और स्वास्थ्य व पर्यावरणीय संधारणीयता को बढ़ावा देकर संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने में मदद करती है। यह पहल प्रदूषण और स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए भारत की क्षमता को बढ़ाएगी, जिससे उसके नागरिकों के लिए एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित होगा।

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