Q. जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को कम करने की भारत की रणनीति में इथेनॉल मिश्रण को एक प्रमुख घटक के रूप में देखा जाता है। कृषि एवं खाद्य सुरक्षा पर बड़े पैमाने पर इथेनॉल उत्पादन के संभावित प्रभावों की आलोचनात्मक चर्चा कीजिये। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग 

  • इस बात पर प्रकाश डालिये, कि जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने की भारत की रणनीति में इथेनॉल सम्मिश्रण को एक प्रमुख घटक के रूप में देखा जाता है।
  • बड़े पैमाने पर इथेनॉल उत्पादन के, कृषि क्षेत्र में पड़ने वाले संभावित सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डालिये।
  • बड़े पैमाने पर इथेनॉल उत्पादन के, खाद्य सुरक्षा पर पड़ने वाले संभावित सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डालिये।

उत्तर

इथेनॉल सम्मिश्रण, भारत की जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने की रणनीति का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। वर्ष 2003 में शुरू किए गए इथेनॉल सम्मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम का लक्ष्य वर्ष 2025-26 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल सम्मिश्रण (E20) प्राप्त करना है। भारत वर्तमान में अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लगभग 80% तेल आयात करता है, जिसमें 75% ऊर्जा जीवाश्म इंधनों से प्राप्त की जाती है  है। इथेनॉल सम्मिश्रण तेल आयात और प्रदूषण को कम करता है और ग्रामीण कृषि में सहायता करता है।

Enroll now for UPSC Online Course

जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने में प्रमुख घटक के रूप में इथेनॉल सम्मिश्रण

  • तेल आयात में कमी: इथेनॉल सम्मिश्रण से जीवाश्म ईंधन के आयात पर भारत की निर्भरता को कम करने में मदद मिलती है, जिससे ऊर्जा सुरक्षा में योगदान मिलता है और विदेशी मुद्रा भंडार की बचत होती है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत का लक्ष्य पेट्रोल की जगह इथेनॉल सम्मिश्रण का उपयोग करके सालाना 30 मिलियन टन CO2 उत्सर्जन में कटौती करना है , जिससे ऊर्जा मिश्रण में सुधार होगा।
  • पर्यावरणीय लाभ: इथेनॉल का दहन‌, जीवाश्म ईंधन की तुलना में अधिक स्वच्छ तरीके से होता है। इसके परिणामस्वरूप ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन भी कम होता है और जलवायु परिवर्तन शमन प्रयासों में भी सहायता मिलती है। 
    • उदाहरण के लिए: पेट्रोलियम मंत्रालय के अनुसार, इथेनॉल सम्मिश्रण, पारंपरिक पेट्रोल की तुलना में CO2 उत्सर्जन को 18-20% तक कम करता है।
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: इथेनॉल उत्पादन किसानों, विशेष रूप से गन्ना और मक्का उत्पादकों को अतिरिक्त आय प्रदान करता है, जिससे ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा मिलता है।
    • उदाहरण के लिए: जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति 2018, अतिरिक्त फसलों से इथेनॉल उत्पादन को प्रोत्साहित करती है, जिससे किसानों की आय में सुधार होता है।
  • घरेलू ऊर्जा स्रोत: कृषि अवशेषों और खाद्यान्नों से प्राप्त इथेनॉल, ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ाता है, जिससे वैश्विक तेल बाजारों में उतार-चढ़ाव पर देश की निर्भरता कम हो जाती है।
    • उदाहरण के लिए: भारत की इथेनॉल उत्पादन क्षमता 1,380 करोड़ लीटर तक पहुँच गई है , जो ऊर्जा सुरक्षा में योगदान दे रही है।
  • ईंधन दक्षता: इथेनॉल की उच्च ऑक्टेन रेटिंग, इंजन की दक्षता में सुधार करती है, जिससे ईंधन की कुल खपत कम होती है।
    उदाहरण के लिए: नीति आयोग के इथेनॉल रोडमैप के अनुसार सम्मिश्रित ईंधन, ईंधन दक्षता को बढ़ाते हैं, जिससे पेट्रोलियम उत्पादों की कुल माँग कम होती है ।

बड़े पैमाने पर इथेनॉल उत्पादन का कृषि पर प्रभाव

सकारात्मक

  • फसल की माँग में वृद्धि: इथेनॉल उत्पादन से गन्ना, मक्का और अन्य फसलों की माँग  बढ़ती है , जिससे किसानों को लाभ होता है। 
    • उदाहरण के लिए: महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में गन्ने की माँग  बढ़ी है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हुई है।
  • ग्रामीण रोजगार: इथेनॉल उत्पादन संयंत्रों की स्थापना से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उत्पन्न होता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है। 
    • उदाहरण के लिए: ब्याज अनुदान योजना, नये आसवनी प्रतिष्ठानों (Distilleries)  को सहायता प्रदान करती है, जिससे 5 लाख से अधिक ग्रामीण रोजगार सृजित होते हैं
  • विविधीकृत कृषि: किसान इथेनॉल उत्पादन वाली फसलों को उगा सकते हैं , जिससे आय के स्रोतों में विविधता आएगी और एकल फसलों पर निर्भरता कम होगी। 
    • उदाहरण के लिए: कर्नाटक में गन्ना किसानों ने वैकल्पिक आय के  स्रोत के रूप में इथेनॉल उत्पादन को अपनाया है, जिससे प्रत्यास्थता बढ़ी है।
  • अधिशेष फसलों का उपयोग: अधिशेष अन्न और क्षतिग्रस्त फसलों से किया जाने वाला इथेनॉल उत्पादन, इनकी बर्बादी को रोकता है और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देता है। 
    • उदाहरण के लिए: केंद्रीय पूल में क्षतिग्रस्त अनाज से उत्पन्न किए जाने वाला  इथेनॉल, खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित किए बिना इथेनॉल उत्पादन में योगदान देता है।
  • जल दक्षता में वृद्धि: इथेनॉल फसलों के लिए शुरू की गई उन्नत सिंचाई तकनीकें, कृषि में समग्र जल दक्षता में सुधार करती हैं।
    • उदाहरण के लिए: गन्ने की खेती के लिए लागू की गई ड्रिप सिंचाई प्रणाली ने जल उत्पादकता में 20-30% की वृद्धि की है

नकारात्मक

  • जल-गहन फसलें: गन्ने से इथेनॉल का  उत्पादन करने की प्रक्रिया, अत्यधिक जल-गहन होती है, जिससे संसाधनों की कमी हो सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: 1 किलो चीनी के उत्पादन में 1,500-2,000 लीटर जल की आवश्यकता होती है , जो सूखाग्रस्त क्षेत्रों के जल संसाधनों पर दबाव डालता है।
  • खाद्य कीमतों पर प्रभाव: खाद्यान्नों को इथेनॉल उत्पादन में बदलने से खाद्य कीमतें बढ़ सकती हैं , जिससे लोगों की खाद्यान्न खरीदने की क्षमता पर असर पड़ सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: इथेनॉल उत्पादन के लिए मक्के की बढ़ती माँग के कारण पोल्ट्री फीड की कीमतों में वृद्धि हुई है , जिसका पशुधन क्षेत्र पर नकारात्मक असर पड़ा है।
  • भूमि उपयोग संघर्ष: बड़े पैमाने पर इथेनॉल उत्पादन से भूमि उपयोग संघर्ष हो सकता है , क्योंकि कृषि भूमि का उपयोग खाद्य उत्पादन के बजाय जैव ईंधन फसलों के लिए किया जाएगा।
  • मोनोकल्चर प्रथाएँ: इथेनॉल उत्पादक फसलों पर जोर देने से मोनोकल्चर को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे जैव विविधता और मृदा की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: महाराष्ट्र में गन्ने की अत्यधिक खेती से मृदा निम्नीकरण हुआ है और कुछ क्षेत्रों की फसल विविधता में कमी आई है।
  • उर्वरक का बढ़ता उपयोग: इथेनॉल फसलों को उर्वरकों के भारी उपयोग की आवश्यकता होती है, जिससे मृदा और जल दूषित हो सकता है । 
    • उदाहरण के लिए: गन्ना उत्पादन में नाइट्रोजन आधारित उर्वरकों के उपयोग ने आस-पास के जल निकायों में सुपोषण (Eutrophication) की घटना में योगदान दिया है।

खाद्य सुरक्षा पर इथेनॉल उत्पादन का प्रभाव

सकारात्मक

  • अतिरिक्त अन्न का उपयोग: अतिरिक्त और क्षतिग्रस्त अन्न से किया जाने वाला इथेनॉल उत्पादन, इनकी बर्बादी को रोकता है और खाद्य सुरक्षा में मदद करता है। 
    • उदाहरण के लिए: नीति आयोग का रोडमैप, सम्मिश्रण लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त अन्न के उपयोग पर प्रकाश डालता है, जो खाद्य आपूर्ति स्थिरता में योगदान देता है।
  • किसानों की आय में स्थिरता: इथेनॉल उत्पादन किसानों को अतिरिक्त आय प्रदान करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है, कि उनके पास खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध  हों।
  • उन्नत कृषि पद्धतियाँ: इथेनॉल उत्पादन, आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने को प्रोत्साहित करता है , जिससे फसल की पैदावार और खाद्य सुरक्षा में सुधार होता है। 
    • उदाहरण के लिए: प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना इथेनॉल फसलों के लिए कुशल जल उपयोग को बढ़ावा देती है, जिससे समग्र उत्पादकता बढ़ती है।
  • फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को रोकना: इथेनॉल उत्पादन में उन फसलों का उपयोग किया जाता है, जिनका अन्यथा फसल कटाई के बाद नुकसान होता है इस प्रकार से  बेहतर खाद्य प्रबंधन सुनिश्चित होता है। 
    • उदाहरण के लिए: इथेनॉल उत्पादन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले क्षतिग्रस्त अन्न से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में होने वाले नुकसान में कमी आती है।
  • आयात पर दबाव कम करना: घरेलू स्तर पर इथेनॉल का उत्पादन करके, भारत आयातित जैव ईंधन पर अपनी निर्भरता को कम करता है, जिससे खाद्य आपूर्ति और ईंधन सुरक्षा पर अधिक नियंत्रण सुनिश्चित होता है।
    उदाहरण के लिए: पेट्रोलियम मंत्रालय के अनुसार, इथेनॉल नीति ने ईंधन आयात को कम करते हुए  ₹40,000 करोड़ की विदेशी मुद्रा की बचत की है।

Check Out UPSC CSE Books From PW Store

नकारात्मक

  • खाद्य बनाम ईंधन विवाद: खाद्य फसलों को इथेनॉल उत्पादन में बदलने से खाद्य सुरक्षा के संबंध में चिंताएँ उत्पन्न होती हैं, विशेष रूप से भुखमरी की समस्या से ग्रस्त देश में। \
    • उदाहरण के लिए: ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का 107 वाँ स्थान, जैव ईंधन के बजाय खाद्य उत्पादन को प्राथमिकता देने के महत्त्व को दर्शाता है।
  • खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि: इथेनॉल उत्पादक फसलों की बढ़ती माँग के कारण खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे लोगों की खाद्य पदार्थों को खरीदने की क्षमता पर असर पड़ सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: इथेनॉल की माँग के कारण मक्के की बढ़ती कीमतों के परिणामस्वरुप पोल्ट्री और पशुपालन क्षेत्रों में लागत बढ़ गई है।
  • प्रमुख फसलों का विस्थापन: इथेनॉल उत्पादन, चावल और गेहूं जैसी प्रमुख खाद्य फसलों को विस्थापित कर सकता है, जिससे खाद्य उपलब्धता प्रभावित हो सकती है।
  • जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशीलता: इथेनॉल उत्पादक फसलें अक्सर जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं, जिससे सूखाग्रस्त क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा प्रभावित होती है।
  • आयात पर निर्भरता में वृद्धि: यदि घरेलू इथेनॉल उत्पादन अपर्याप्त है, तो भारत को अन्न का आयात करना पड़ सकता है, जो खाद्य सुरक्षा लक्ष्यों के साथ संघर्ष उत्पन्न करेगा।

भारत द्वारा अपनी ऊर्जा संक्रमण रणनीति के तहत इथेनॉल सम्मिश्रण पर बल देने के निर्णय को कृषि और खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं के साथ संतुलित किया जाना चाहिए। हालाँकि यह तेल आयात को कम करने और ग्रामीण आय को बढ़ाने के अवसर प्रस्तुत करता है, परंतु खाद्य सुरक्षा पर पड़ने वाले इसके नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए संधारणीय उत्पादन पद्धतियाँ, कुशल संसाधन उपयोग और गैर-खाद्य फीडस्टॉक्स पर ध्यान केंद्रित करना महत्त्वपूर्ण है।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Know about Physics Wallah

Physics Wallah is an Indian online education platform, that provides accessible & comprehensive learning experiences to students of classes 6 to 12 and those preparing for JEE and NEET exams. We also provide extensive NCERT solutions, sample papers, NEET, JEE Mains, BITSAT previous year papers, which makes us a one-stop solution for all resources. Physics Wallah also caters to over 3.5 million registered students and over 78 lakh+ Youtube subscribers with 4.8 rating on its app.

We Stand Out because

We successfully provide students with intensive courses by India's qualified & experienced faculties. PW strives to make the learning experience comprehensive and accessible for students of all sections of society. We believe in empowering every single student who couldn't dream of a good career in engineering and medical field earlier.

Our Key Focus Areas

Physics Wallah’s main focus is to create accessible learning experiences for students all over India. With courses like Lakshya, Udaan, Arjuna & many others, we have been able to provide a ready solution for lakhs of aspirants. From providing Chemistry, Maths, Physics formulae to giving e-books of eminent authors, PW aims to provide reliable solutions for student prep.

What Makes Us Different

Physics Wallah strives to develop a comprehensive pedagogical structure for students, where they get a state-of-the-art learning experience with study material and resources. Apart from catering students preparing for JEE Mains and NEET, PW also provides study material for each state board like Uttar Pradesh, Bihar, and others.

Aiming for UPSC?

Download Our App

# #
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.