Q. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) पहल के ढाँचे के तहत महिलाओं को सशक्त बनाने में शिक्षा और कौशल विकास की भूमिका पर चर्चा कीजिए। यह महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के लक्ष्य के साथ कैसे संरेखित है? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) पहल के तहत महिलाओं को सशक्त बनाने में शिक्षा और कौशल विकास की भूमिका पर चर्चा कीजिए।
  • इस बात पर प्रकाश डालिए कि यह महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के लक्ष्य के साथ किस प्रकार संरेखित है।
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) पहल के महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के लक्ष्य के अनुरूप होने में आने वाली चुनौतियों का मूल्यांकन कीजिए।
  • आगे की राह बताइए।

उत्तर

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) पहल, घटते बाल लिंग अनुपात (CSR) को कम करती है और इसका उद्देश्य जीवन-चक्र हस्तक्षेपों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना है। शिक्षा और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करके, यह महिलाओं के विकास से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास में परिवर्तन को प्रोत्साहित करती है।

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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) पहल के तहत महिलाओं को सशक्त बनाने में शिक्षा और कौशल विकास की भूमिका

  • शिक्षा तक बेहतर पहुँच: BBBP के तहत शिक्षा ने माध्यमिक स्तर पर लड़कियों के उच्च नामांकन को सुनिश्चित किया है, जिससे उनके लिए औपचारिक स्कूली शिक्षा पूरी करने के अवसर बढ़ गए हैं। 
    • उदाहरण के लिए: माध्यमिक स्तर पर लड़कियों के लिए सकल नामांकन अनुपात, वर्ष 2014-15 के 75.51% से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 79.4% हो गया है, जो बढ़ी हुई पहुँच को दर्शाता है।
  • ड्रॉपआउट दरों में कमी: BBBP ने स्कूल न जाने वाली लड़कियों को फिर से नामांकित करने का लक्ष्य रखा, ताकि वे शिक्षा प्रणाली में बनी रहें और मजबूत शैक्षणिक नींव बना सकें। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2022 में कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव स्कूल न जाने वाली किशोरियों को नामांकित करने के लिए, शैक्षिक रुकावट को रोकने के प्रयासों पर प्रकाश डालता है।
  • कौशल आधारित शिक्षा को बढ़ावा: BBBP के तहत शुरू किए गए कौशल विकास कार्यक्रमों ने महिलाओं को उद्योग-संबंधित कौशल के साथ कार्यबल में सक्रिय रूप से भाग लेने में सक्षम बनाकर उन्हें सशक्त बनाया। 
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय कौशल सम्मेलन ने कौशल आधारित सशक्तीकरण के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए महिलाओं की कार्यबल भागीदारी के महत्त्व पर जोर दिया।
  • शिक्षा में लैंगिक समानता के प्रति जागरूकता: BBBP ने समुदायों में लड़कियों की शिक्षा के साथ समान व्यवहार करने, सामाजिक कलंक को तोड़ने और समान अवसरों के माध्यम से सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता को बढ़ावा दिया। 
    • उदाहरण के लिए: यशस्विनी बाइक अभियान जैसे अभियानों ने गैर-परंपरागत भूमिकाएँ निभाने वाली महिलाओं के लिए सामाजिक समर्थन प्रदर्शित किया।
  • नेतृत्व क्षमता का निर्माण: BBBP ने ऐसे कार्यक्रमों पर बल दिया, जो आलोचनात्मक सोच और नेतृत्व कौशल को बढ़ाते हैं, जिससे निर्णय लेने वाली भूमिकाएँ निभाने के लिए तैयार सशक्त महिलाओं का एक वर्ग तैयार होता है। 
    • उदाहरण के लिए: BBBP के तहत महिला उद्यमी सम्मेलन जैसी पहलों ने दर्शाया कि कैसे शिक्षा और कौशल, महिलाओं को नेतृत्वकर्ता में बदल सकते हैं।

महिला-नेतृत्व विकास के लक्ष्य के साथ संरेखण

  • कार्यबल भागीदारी के माध्यम से आर्थिक सशक्तीकरण: शिक्षा और कौशल विकास ने महिलाओं को कार्यबल में प्रवेश करने और योगदान करने में सक्षम बनाया है, जो महिलाओं के नेतृत्व वाली आर्थिक वृद्धि के लक्ष्य के साथ संरेखित है। 
    • उदाहरण के लिए: MoSPI डेटा के अनुसार, महिलाओं के लिए LFPR जुलाई 2022-जून 2023 के दौरान 37.0% से बढ़कर जुलाई 2023-जून 2024 के दौरान 41.7% हो गया है , जो राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों में योगदान देता है।
  • वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देना: महिलाओं को कौशल से लैस करके, BBBP ने उन्हें वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने और अपने घरों व अर्थव्यवस्था में योगदान करने में सक्षम बनाया है। 
    • उदाहरण के लिए: महिलाओं को कौशल प्रदान करके BBBP ने उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करने में सहायता की है, जिससे आर्थिक समावेशन बढ़ा।
  • सामाजिक मानदंडों को पुनः परिभाषित करना: BBBP ने पारंपरिक लैंगिक भूमिकाओं को चुनौती देने में मदद की है, जिससे एक ऐसा समाज बना है, जो घरों और कार्यस्थलों दोनों में महिलाओं को नेतृत्वकर्ता और निर्णयकर्ता के रूप में महत्त्व देता है। 
    • उदाहरण के लिए: यशस्विनी बाइक अभियान ने सामाजिक बाधाओं को तोड़ते हुए महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला, जो नेतृत्व और सशक्तीकरण की भावना का प्रतीक है।
  • रोल मॉडल तैयार करना: BBBP के नेतृत्व वाली शिक्षा और कौशल विकास पहलों के माध्यम से उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली महिलाएँ दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करती हैं, जिससे सशक्तीकरण का प्रभाव पड़ता है। 
    • उदाहरण के लिए: कौशल विकास कार्यक्रमों में भागीदारी करने वाली महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप और उद्यमी, भविष्य के नेतृत्वकर्ताओं के निर्माण पर BBBP के प्रभाव को प्रदर्शित करते हैं।
  • राष्ट्रीय विकास को मजबूत करना: शिक्षा और रोजगार में लैंगिक अंतर को कम करके, BBBP महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के माध्यम से आर्थिक और सामाजिक विकास हासिल करने की भारत की आकांक्षाओं में योगदान देता है। 
    • उदाहरण के लिए: विश्व आर्थिक मंच के अनुसार , कार्यबल में लैंगिक अंतर को कम करने से वैश्विक GDP में 20% की वृद्धि हो सकती है, जो महिलाओं की भागीदारी की आर्थिक क्षमता पर जोर देता है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) पहल में महिला-नेतृत्व वाले विकास के लक्ष्य के साथ संरेखण में चुनौतियाँ

  • कार्यबल भागीदारी में लैंगिक असमानता: कुछ प्रगति के बावजूद, वित्त वर्ष 2024 में महिला श्रम बल भागीदारी (FLFP) 41.7% पर बनी हुई है, जो पुरुष श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) 78.8% से काफी कम है, जो कार्यबल में निरंतर लैंगिक असमानता को उजागर करती है।
    • उदाहरण के लिए: विश्व आर्थिक मंच ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि कार्यबल भागीदारी में लैंगिक अंतर को कम करने से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 20% की वृद्धि हो सकती है, जो भारत में अप्रयुक्त क्षमता को रेखांकित करता है।
  • लड़कियों की शिक्षा में ड्रॉपआउट दर: सामाजिक दबाव और संसाधनों की कमी के कारण कई लड़कियाँ माध्यमिक शिक्षा पूरी करने से पहले ही पढ़ाई छोड़ देती हैं।
  • कौशल विकास के अवसरों तक असमान पहुँच: पितृसत्तात्मक मानसिकता और गतिशीलता की कमी के कारण महिलाओं को अक्सर कौशल कार्यक्रमों तक असमान पहुँच का सामना करना पड़ता है। 
    • उदाहरण के लिए: कौशल विकास पर राष्ट्रीय सम्मेलन ने महिलाओं की कार्यबल भागीदारी पर जोर दिया, लेकिन ग्रामीण महिलाओं को अक्सर इन पहलों तक पहुँच की कमी होती है।
  • देखभाल के काम का कम उपयोग: बड़ी संख्या में महिलाएँ बिना वेतन के घरेलू कामों में लगी रहती हैं, उन्हें न तो कोई वित्तीय स्वतंत्रता मिलती है और न ही कोई कॅरियर के अवसर। 
    • उदाहरण के लिए: पेशेवर देखभाल के काम को वैध कॅरियर के रूप में बढ़ावा देने से महिलाएँ सशक्त हो सकती हैं, जैसा कि राष्ट्रीय महिला कोष जैसी पहलों से पता चलता है, जो महिला उद्यमियों का समर्थन करती हैं।
  • PCPNDT अधिनियम का प्रवर्तन: PCPNDT अधिनियम के कमजोर कार्यान्वयन से नैदानिक उपकरणों का दुरुपयोग और लिंग-पक्षपाती प्रथाओं को बढ़ावा मिलता है।

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आगे की राह 

  • महिलाओं के लिए कौशल विकास पहल का विस्तार करना:  महिलाओं की रोजगार क्षमता को बढ़ाने के लिए IT, स्वास्थ्य सेवा और हरित प्रौद्योगिकी जैसे उभरते क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: कौशल भारत मिशन ने 40% से अधिक महिला प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया है, जो क्षेत्र-विशिष्ट अवसरों के विस्तार के महत्त्व को दर्शाता है।
  • वित्तीय प्रोत्साहन के माध्यम से शिक्षा को बढ़ावा देना: लड़कियों को शिक्षा जारी रखने और ड्रॉपआउट दरों को कम करने के लिए छात्रवृत्ति और सशर्त नकद हस्तांतरण प्रदान करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: सुकन्या समृद्धि योजना ने बालिकाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करके शिक्षा को प्रोत्साहित किया, जिससे नामांकन अनुपात में सुधार हुआ।
  • उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली बालिकाओं, विशेषकर STEM क्षेत्रों की बालिकाओं के लिए छात्रवृत्ति योजनाओं का विस्तार किया जाना चाहिए
  • PCPNDT अधिनियम के क्रियान्वयन को मजबूत बनाना: लिंग-पक्षपाती निदान प्रथाओं को समाप्त करने के लिए अधिनियम की कठोर निगरानी और प्रवर्तन सुनिश्चित  करना चाहिए।
    उदाहरण के लिए: हरियाणा में जिला स्तरीय प्राधिकारियों द्वारा बढ़ाई गई सतर्कता से कन्या भ्रूण हत्या की घटनाओं में कमी आई, जिससे राष्ट्रव्यापी कार्रवाई के लिए एक उदाहरण स्थापित हुआ।
  • देखभाल संबंधी कार्य को मान्यता देना और उसका मुद्रीकरण करना: महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए प्रशिक्षण और प्रमाणन के साथ देखभाल कार्य को एक पेशे के रूप में औपचारिक बनाने के लिए नीतियाँ विकसित करनी चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: केरल का कुदुंबश्री कार्यक्रम महिलाओं को पेशेवर देखभाल के माध्यम से कमाई करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
  • ग्रामीण-शहरी अवसरों में अंतर को दूर करना: ग्रामीण महिलाओं के लिए शिक्षा और कौशल तक समान पहुँच सुनिश्चित करने हेतु क्षेत्र-विशिष्ट कार्यक्रम बनाने चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2023 में यशस्विनी बाइक अभियान ने ग्रामीण महिलाओं को यात्रा करने और सफलता की कहानियाँ साझा करने का अधिकार दिया, जिससे वंचित क्षेत्रों में अन्य लोगों को प्रेरणा मिली।

BBBP पहल के तहत शिक्षा और कौशल विकास के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने से समावेशी विकास और लैंगिक समानता सुनिश्चित होती है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और डिजिटल साक्षरता तक पहुँच को बढ़ावा देकर, हम महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास का मार्ग प्रशस्त करते हैं अर्थात् एक ऐसे भविष्य का निर्माण करते हैं, जहाँ महिलाएँ नेतृत्वकर्ता, उद्यमी और परिवर्तनकर्ता के रूप में भारत की प्रगति को सक्रिय रूप से आकार देती हों।

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