उत्तर:
दृष्टिकोण:
- भूमिका: बढ़ती जनसंख्या और वाहनों की संख्या के कारण प्रमुख भारतीय शहरों में यातायात ट्रैफिक की समस्या का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- मुख्य भाग:
- यातायात ट्रैफिक से निपटने के उपायों पर चर्चा कीजिये।
- प्रासंगिक उदाहरण अवश्य प्रदान करें।
- निष्कर्ष: सतत और एकीकृत परिवहन समाधानों पर जोर देते हुए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता का सारांश दें। रहने योग्य और पर्यावरण के अनुकूल शहरों को सुनिश्चित करने के लिए भविष्य के शहरी नियोजन फोकस क्षेत्रों का सुझाव दें।
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भूमिका:
भारत में तेजी से हो रहे शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि के कारण वाहनों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, जिससे प्रमुख शहरों में यातायात की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। इस समस्या से निपटने के लिए प्रभावी उपायों की आवश्यकता है, ताकि यातायात का सुचारू प्रवाह सुनिश्चित हो, प्रदूषण कम हो और शहरी निवासियों के जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार हो।
मुख्य भाग:
यातायात ट्रैफिक से निपटने के उपाय:
- सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों में सुधार:
- बस रैपिड ट्रांजिट (बीआरटी) सिस्टम: बीआरटी सिस्टम लागू करने से बस सेवाएं सुव्यवस्थित हो सकती हैं, जिससे तेज़ और अधिक विश्वसनीय सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध हो सकता है। उदाहरण के लिए, अहमदाबाद में बीआरटी ने यातायात की भीड़ और यात्रा के समय को सफलतापूर्वक कम किया है।
- लाइट रेल नेटवर्क: मजबूत लाइट रेल नेटवर्क विकसित करने से सड़क परिवहन के लिए कुशल विकल्प मिल सकते हैं। दिल्ली जैसे शहरों को दिल्ली मेट्रो से लाभ हुआ है, जिससे सड़क पर कारों की संख्या में काफी कमी आई है ।
- बस सेवाओं में वृद्धि: बस कवरेज का विस्तार और समर्पित बस लेन बनाने से अधिक लोगों को सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। बैंगलोर में उच्च गुणवत्ता वाली बस सेवाओं की शुरूआत ने सकारात्मक परिणाम दिखाए हैं ।
- गैर-मोटर चालित परिवहन को बढ़ावा देना:
- साइकिल शेयरिंग कार्यक्रम: पुणे जैसे शहरों ने साइकिल-शेयरिंग कार्यक्रम लागू किए हैं, जो परिवहन के एक व्यवहार्य साधन के रूप में साइकिलिंग को बढ़ावा देते हैं, तथा वाहनों की भीड़ को कम करते हैं।
- पैदल यात्री अनुकूल अवसंरचना: सुरक्षित और सुलभ पैदल यात्री मार्ग बनाने से पैदल चलने को बढ़ावा मिलता है, जिससे मोटर वाहनों पर निर्भरता कम होती है। भारत में स्मार्ट सिटीज मिशन में पैदल यात्री अवसंरचना को बढ़ाने की योजनाएँ शामिल हैं ।
- यातायात प्रबंधन प्रौद्योगिकियों का कार्यान्वयन:
- इंटेलिजेंटम ने ट्रैफ़िक की स्थिति में काफ़ी सुधार किया है ।
- ट्रैफिक शुल्क ट्रैफ़िक सिस्टम (ITS): ट्रैफ़िक सिग्नल को प्रबंधित करने और भीड़भाड़ का पूर्वानुमान लगाने के लिए AI और रीयल-टाइम डेटा का उपयोग करके ट्रैफ़िक प्रवाह को अनुकूलित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, हैदराबाद में स्मार्ट ट्रैफ़िक सिग्नल सिस्ट निर्धारण: सिंगापुर और लंदन जैसे शहरों में देखा गया है कि व्यस्त समय के दौरान उच्च यातायात वाले क्षेत्रों में वाहन चलाने के लिए शुल्क लिया जाए, जिससे अनावश्यक कार उपयोग को हतोत्साहित किया जा सकता है और सार्वजनिक परिवहन में सुधार के लिए धन जुटाया जा सकता है ।
- कारपूलिंग और राइड-शेयरिंग को प्रोत्साहित करना:
- कॉर्पोरेट पहल: विप्रो और इंफोसिस जैसी कंपनियों ने कारपूलिंग और कंपनी बस सेवाएं शुरू की हैं, जिससे सड़क पर निजी वाहनों की संख्या कम हुई है। इन पहलों से यात्रा के समय और उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आई है ।
- सरकारी प्रोत्साहन: सब्सिडी और कर लाभ के माध्यम से कारपूलिंग और राइड-शेयरिंग के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने से इनके अपनाने को और बढ़ावा मिल सकता है ।
- पार्क-एण्ड-राइड सुविधाओं का विकास:
- रणनीतिक स्थान: सार्वजनिक परिवहन केंद्रों के पास पार्क-एंड-राइड सुविधाएँ स्थापित करने से शहर के भीतरी इलाकों में यातायात कम हो सकता है। बैंगलोर जैसे शहरों में ऐसी पहलों से सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं, पार्किंग की कमी दूर हुई है और सड़क पर भीड़भाड़ कम हुई है ।
निष्कर्ष:
प्रमुख भारतीय शहरों में यातायात की भीड़भाड़ से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए, एक बहुआयामी दृष्टिकोण आवश्यक है। इसमें सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाना, गैर-मोटर चालित परिवहन को बढ़ावा देना, स्मार्ट ट्रैफ़िक प्रबंधन तकनीकों को लागू करना, कारपूलिंग और राइड-शेयरिंग को प्रोत्साहित करना और पार्क-एंड-राइड सुविधाओं का विकास करना शामिल है। भविष्य की शहरी योजना को सतत और एकीकृत परिवहन समाधानों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि शहर रहने योग्य और पर्यावरण के अनुकूल बने रहें। इन उपायों को लागू करने से अधिक कुशल और कम भीड़भाड़ वाली शहरी परिवहन प्रणाली का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
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