Q. भारत में संशोधित यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) योजना को लागू करने की व्यवहार्यता और संभावित प्रभाव की आलोचनात्मक जाँच कीजिये। चर्चा कीजिये कि ऐसी नीति मौजूदा कल्याण कार्यक्रमों को कैसे पूरक बना सकती है और गरीबी उन्मूलन में चुनौतियों का समाधान कर सकती है। कार्यान्वयन की बाधाओं को दूर करने और प्रभावी समाधान सुनिश्चित करने के उपाय सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत में संशोधित यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) योजना के कार्यान्वयन की व्यवहार्यता का परीक्षण कीजिए।
  • भारत में संशोधित यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) योजना के कार्यान्वयन के संभावित सकारात्मक प्रभाव का परीक्षण कीजिए ।
  • भारत में संशोधित यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) योजना के कार्यान्वयन के संभावित नकारात्मक प्रभाव का परीक्षण कीजिए।
  • चर्चा कीजिए कि किस प्रकार ऐसी नीति मौजूदा कल्याण कार्यक्रमों को पूरक बना सकती है तथा गरीबी उन्मूलन में चुनौतियों का समाधान कर सकती है।
  • कार्यान्वयन संबंधी बाधाओं को दूर करने तथा अंतिम पंक्ति तक प्रभावी वितरण सुनिश्चित करने के लिए उपाय सुझाइये।

उत्तर

नौकरियों में स्थिरता, स्वचालन और युवाओं के बीच बढ़ती बेरोजगारी से संबंधित चिंताओं के बीच भारत में संशोधित यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) की संकल्पना ने नए सिरे से सबका ध्यान आकर्षित किया है। वर्ष 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण में UBI को अक्षम कल्याण योजनाओं के प्रतिस्थापन के रूप में पेश किया गया, जिसमें प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण की सुविधा के लिए भारत की JAM (जन-धन, आधार, मोबाइल) अवसंरचना का उपयोग किया गया। हालिया  वैश्विक चुनौतियाँ सभी के लिए आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर और अधिक बल देती हैं।

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संशोधित UBI के कार्यान्वयन की व्यवहार्यता

  • वित्तीय व्यवहार्यता: बड़े पैमाने पर UBI को लागू करने के लिए पर्याप्त बजटीय आवंटन की आवश्यकता होती है। जबकि संशोधित UBI, GDP के एक छोटे प्रतिशत तक सीमित हो सकती है, फिर भी इसके लिए मौजूदा कल्याण कार्यक्रमों में होने वाले वित्त आवंटन को समाप्त करके उस वित्त का प्रभावशाली कल्याण कार्यक्रमों में उपयोग करना होगा।
    • उदाहरण के लिए: PM-KISAN योजना पर वार्षिक रुप से लगभग 75,000 करोड़ रुपये का व्यय होता हैं।
  • बुनियादी ढाँचे संबंधी तत्परता: भारत का JAM बुनियादी ढाँचा प्रत्यक्ष हस्तांतरण का समर्थन करता है, जिससे प्रशासनिक बोझ कम होता है। हालाँकि, दूरदराज के क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन और बैंकिंग तक पहुँच  के संबंध में व्याप्त अंतर, प्रभावी UBI कार्यान्वयन के लिए बाधा उत्पन्न करता है। 
    • उदाहरण के लिए: आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, अब 80% से अधिक वयस्कों के पास जन-धन खाता है।
  • राजनीतिक इच्छाशक्ति: UBI को लागू करने के लिए मजबूत राजनीतिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है परंतु अन्य लोकप्रिय कल्याणकारी योजनाओं के साथ UBI को संतुलित करना ,राजनीतिक रूप से संवेदनशील साबित हो सकता है।
  • लक्ष्यीकरण दक्षता: UBI मौजूदा कल्याण कार्यक्रमों में व्याप्त पात्र लोगो के लक्ष्यीकरण मुद्दों से बचता है, जिससे अपात्र लोगो के योजना में लाभ लेने की संभावना अधिक होती हैं। हालाँकि, आलोचकों का तर्क है कि UBI प्राप्त करने वाले धनी व्यक्ति इस योजना की समग्र दक्षता को कम कर देंगे। 
    • उदाहरण के लिए: तेलंगाना में रयथु बंधु योजना प्रभावी है, परंतु अधिक जोत भूमिधारकों को भी लाभ प्रदान करती है।
  • मौजूदा कार्यक्रमों पर प्रभाव: UBI मौजूदा कल्याण कार्यक्रमों जैसे कि मनरेगा या सार्वजनिक वितरण प्रणाली, जो विशिष्ट रूप से सुभेद्य आबादी को लक्षित करते हैं, इन सभी योजनाओ की महत्ता को कम कर सकता है अथवा उनकी  जगह ले सकता है।
    • उदाहरण के लिए: मनरेगा ग्रामीण परिवारों को रोजगार-आधारित सहायता प्रदान करता है।
  • मुद्रास्फीतिक  दबाव: अधिकांश आबादी को प्रत्यक्ष रूप से नकदी उपलब्ध कराने से मुद्रास्फीति हो सकती है, क्योंकि वस्तुओं की माँग, उनकी आपूर्ति से अधिक हो जाती है। यह विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में होता है, जहाँ बाजार तक सीमित पहुँच  होती है।
  • प्रशासनिक और तकनीकी चुनौतियाँ: UBI के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए विश्वसनीय भुगतान तंत्र और प्रभावी लेनदेन प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। बुनियादी ढाँचे की कमी, विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में, चिंता का विषय बनी हुई है। 
    • उदाहरण के लिए: कई क्षेत्रों में आधार-बेस्ड भुगतान प्रणालियों को तकनीकी विफलताओं का सामना करना पड़ा है, जिससे इनकी पहुँच  सीमित हो गई है।

UBI का संभावित सकारात्मक प्रभाव

  • गरीबी उन्मूलन: संशोधित UBI एक स्थिर आय स्रोत प्रदान करके गरीबी को प्रत्यक्ष रूप से संबोधित कर सकता है, जिससे सुभेद्य आबादी गरीबी रेखा से ऊपर उठ सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: PM-KISAN योजना ने महामारी के दौरान लघु किसानों की आय को स्थिर करने में मदद की, जिससे उनका संकट कम हुआ।
  • असमानता में कमी: UBI सभी के लिए न्यूनतम आय सुनिश्चित करके, आय असमानता को कम करके और सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा देकर वित्तीय समानता को बढ़ावा देता है। 
    • उदाहरण के लिए: फिनलैंड के UBI परीक्षण से आर्थिक सुरक्षा और कल्याण में सुधार देखने को मिला है।
  • आर्थिक प्रोत्साहन: क्रय शक्ति को बढ़ाकर, UBI माँग को प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे ग्रामीण और अविकसित क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है। 
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) ने ग्रामीण माँग को बढ़ाने में नकद हस्तांतरण की क्षमता को प्रदर्शित किया है।
  • भ्रष्टाचार का उन्मूलन: प्रत्यक्ष हस्तांतरण, बिचौलियों की भागीदारी को कम करता है जिससे कल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और लीकेज कम होता है। 
    • उदाहरण के लिए: JAM ट्रिनिटी ने भारत के सब्सिडी कार्यक्रमों में लीकेज को काफी हद तक कम कर दिया है।
  • सामाजिक सशक्तिकरण: UBI व्यक्तिगत स्वायत्तता को बढ़ाता है, जिससे लोगों को ऐसे विकल्प चुनने की सुविधा मिलती है, जो उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करते हैं, जैसे कि शिक्षा या स्वास्थ्य सेवा में निवेश करना। 
    • उदाहरण के लिए: DBT (प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण) योजनाओं में नकद हस्तांतरण ने व्यक्तिगत निर्णय लेने में सुधार किया है।
  • स्वचालन से रोजगार के नुकसान को कम करना: चूँकि स्वचालन रोजगार के अवसरों को कम करता है, UBI विस्थापित श्रमिकों को सुरक्षा प्रदान कर सकता है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि वे जीवन का बुनियादी मानक बनाए रखें। 
    • उदाहरण के लिए: ILO रिपोर्ट के अनुसार तकनीकी प्रगति के कारण वैश्विक रोजगार वृद्धि स्थिर हो रही है।
  • ऋण पर निर्भरता में कमी: UBI अनौपचारिक ऋण या शोषणकारी ऋण की आवश्यकता को कम कर सकता है विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जिससे परिवारों को ऋण ट्रैप से बचने में मदद मिलती है।
    • उदाहरण के लिए: कई ग्रामीण परिवार, बुनियादी आवश्यकताओं के लिए उच्च ब्याज वाले ऋणों पर निर्भर होते हैं , जिसकी भरपाई UBI द्वारा की जा सकती है।

UBI का संभावित नकारात्मक प्रभाव

  • उच्च राजकोषीय बोझ: बड़े पैमाने पर UBI को लागू करने से सार्वजनिक ऋण में वृद्धि हो सकती है या आवश्यक सेवाओं में कटौती हो सकती है, जिससे राजकोषीय संसाधनों पर दबाव पड़ सकता है ।
    • उदाहरण के लिए: एक राष्ट्रव्यापी UBI की लागत खरबों डॉलर हो सकती है, जिसके लिए महत्त्वपूर्ण वित्तीय पुनर्आवंटन की आवश्यकता होगी
  • कार्य में बाधा: आलोचकों का तर्क है, कि UBI प्राप्त करने के बाद लोग रोजगार की तलाश करना कम कर सकते हैं जिससे श्रम भागीदारी में कमी हो सकती है।
  • मौजूदा योजनाओं के साथ अतिव्यापन: UBI मौजूदा कल्याणकारी योजनाओं में अतिरेक की स्थिति उत्पन्न कर सकती है, जिससे गरीबी उन्मूलन प्रयासों की समग्र दक्षता कम हो सकती है।
  • मुद्रास्फीति का जोखिम: आय का व्यापक वितरण कीमतों को बढ़ा सकता है, विशेष रूप से खराब बुनियादी ढाँचे वाले क्षेत्रों में, जिससे क्रय शक्ति कम हो सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: कोविड-19 के दौरान कुछ क्षेत्रों में नकद हस्तांतरण से मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ा है।
  • अपात्र लाभार्थियों को लक्षित करना: UBI की सार्वभौमिक प्रकृति का अर्थ यह होगा कि धनी व्यक्ति भी इससे लाभान्वित होंगे, जिससे गरीबी उन्मूलन पर केंद्रित कल्याण कार्यक्रमों की प्रभावशीलता कम हो सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: विभिन्न सामाजिक योजनाओं में अभी भी कुछ धनी लोगों को लाभ प्राप्त होता है जो कि एक चिंता का विषय है।

मौजूदा कल्याण कार्यक्रमों को पूरक बनाना

  • नकद हस्तांतरण कार्यक्रमों को मजबूत करना: UBI, एक स्थिर आय  प्रदान करके, PM-KISAN और अन्य DBT योजनाओं का पूरक बन सकता है।
    • उदाहरण के लिए: PM-KISAN योजना किसानों को नियमित धन हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करती है, जिसे UBI में शामिल किया जा सकता है।
  • प्रशासनिक अक्षमताओं को कम करना: लक्षित कल्याणकारी योजनाओं के प्रशासनिक बोझ को कम करके, UBI कल्याण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित कर सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: सार्वजनिक वितरण प्रणाली को लंबे समय से भ्रष्टाचार और अक्षमता के मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है।
  • स्वास्थ्य और पोषण पर ध्यान देना: UBI मौजूदा पोषण कार्यक्रमों का पूरक बन सकता है, जिससे परिवारों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा और पोषण तक पहुँचने में मदद मिल सकती है, विशेषकर ICDS जैसी योजनाओं के माध्यम से । 
    • उदाहरण के लिए: UBI ,PDS के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने में मदद कर सकता  है।
  • रोजगार कार्यक्रमों तक पहुँच  का विस्तार: UBI, मनरेगा के साथ मिलकर कार्य कर सकता है , जिससे लोगों को लचीले रोजगार विकल्प चुनने में सक्षम बनाते हुए अतिरिक्त वित्तीय सहायता मिल सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: मनरेगा के वेतन-आधारित रोजगार को UBI के बिना शर्त समर्थन से पूरक बनाया जा सकता है।
  • कल्याण कवरेज में अंतराल को कम करना: UBI एक सार्वभौमिक सुरक्षा कार्यक्रम के रूप में कार्य कर सकता है, यह सुनिश्चित करता है कि मौजूदा योजनाओं द्वारा लाभ प्राप्त न कर पाने वाली सुभेद्य जनसंख्या  को सहायता मिले। 
    • उदाहरण के लिए: कई अनौपचारिक श्रमिक ESIC जैसे कल्याण कार्यक्रमों के तहत कवर नहीं किए जाते हैं , जिससे एक अंतराल बना रहता है।

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प्रभावी कार्यान्वयन के उपाय

  • JAM अवसंरचना को मजबूत करना: JAM ट्रिनिटी का विस्तार करके दूरदराज के इलाकों को कवर करते हुए प्रत्यक्ष हस्तांतरण के माध्यम से UBI की प्रभावशीलता सुनिश्चित की जा सकती है।
    • उदाहरण के लिए: प्रधानमंत्री जन धन योजना के अंतर्गत जारी वित्तीय समावेशन प्रयासों को सभी घरों तक पहुँचाने की आवश्यकता है।
  • तकनीकी विफलताओं को कम करना: आधार-आधारित वित्त हस्तांतरण में प्रणालीगत अक्षमताओं को दूर करना और भुगतान तंत्र की सुचारू कार्यक्षमता सुनिश्चित करना अति महत्त्वपूर्ण है।
  • मजबूत शिकायत तंत्र विकसित करना: भुगतान न मिलने या बहिष्करण त्रुटियों जैसे मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक सुस्थापित शिकायत निवारण प्रणाली विकसित करना। 
    • उदाहरण के लिए: मनरेगा में शिकायत निवारण तंत्र मौजूद है, जिसे UBI में भी अपनाया जा सकता है।
  • राज्यों के साथ सहयोग: राज्य सरकारों को UBI कार्यान्वयन में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए, ताकि क्षेत्रीय आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। 
    • उदाहरण के लिए: आयुष्मान भारत जैसे कार्यक्रमों में केंद्र और राज्य योजनाओं के बीच कल्याण वितरण  संबंधी समन्वय प्रभावी रहा है ।
  • परिशोधन के लिए पायलट प्रोग्राम: विशिष्ट क्षेत्रों में UBI पायलट शुरू करने से चुनौतियों की पहचान करने और कार्यान्वयन प्रक्रिया को परिशोधित करने में मदद मिल सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: फिनलैंड सहित कई देशों ने इसकी प्रभावशीलता को समझने के लिए UBI पायलट प्रोग्राम के साथ प्रयोग किया है।

संशोधित UBI योजना में गरीबी को दूर करने, असमानता को कम करने और मौजूदा कल्याण कार्यक्रमों को पूरक बनाने की क्षमता है। हालाँकि, इसके सफल कार्यान्वयन के लिए वित्तीय बाधाओं , बुनियादी ढाँचे की कमियों और प्रशासनिक बाधाओं को दूर करना आवश्यक है। लक्षित हस्तक्षेप और अंतिम पंक्ति तक वितरण को बढ़ाकर UBI को सावधानीपूर्वक संतुलित करते हुए, भारत एक मजबूत और समावेशी सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम विकसित कर सकता है

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