Q. FCRA के माध्यम से विदेशी फंडिंग का विनियमन राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिक समाज संगठनों के कामकाज को कैसे संतुलित करता है। वैश्विक उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिये। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • नागरिक समाज संगठनों के विदेशी वित्तपोषण से उत्पन्न राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
  • परीक्षण  कीजिये कि FCRA के माध्यम से विदेशी वित्तपोषण का विनियमन किस प्रकार राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिक समाज संगठनों की कार्यप्रणाली के बीच संतुलन स्थापित करता है।
  • आगे की राह लिखिये।

उत्तर

विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA), नागरिक समाज संगठनों (CSO) द्वारा विदेशी निधियों की प्राप्ति और उनके उपयोग को नियंत्रित करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर विदेशी प्रभाव न पड़े। वर्ष 2020 में इस अधिनियम में संशोधन के बाद से, विदेशी योगदान को बारीकी से विनियमित किया गया है, जिससे लगभग 22,000 गैर सरकारी संगठन प्रभावित हुए हैं। यह कानून ,नागरिक समाज संगठनों को विकास करने की सुविधा प्रदान करते हुए पारदर्शिता सुनिश्चित करता है, परंतु यह  नागरिक समाज संगठनों के  संबंध में चिंताएँ भी उत्पन्न करता है।

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नागरिक समाज संगठनों में विदेशी वित्तपोषण से उत्पन्न राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियाँ

  • नीति निर्माण पर संभावित विदेशी प्रभाव: विदेशी वित्तपोषित नागरिक समाज संगठन, घरेलू नीतियों को ऐसे तरीकों से प्रभावित कर सकते हैं, जो शायद राष्ट्रीय हितों के अनुरूप न हों जिससे संप्रभुता के संबंध में चिंताएँ बढ़ सकती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया पर तमिलनाडु में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के विकास का विरोध करने का आरोप लगा, जिसे कथित तौर पर अंतरराष्ट्रीय परमाणु-विरोधी लॉबी द्वारा समर्थित किया गया था।
  • राज्य विरोधी गतिविधियों के लिए निधि का दुरुपयोग: ऐसे कई उदाहरण हैं, जहाँ  कथित तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा को कमज़ोर करने वाली गतिविधियों जैसे विरोध प्रदर्शनों या विद्रोही आंदोलनों को वित्तपोषित करने इत्यादि के लिए विदेशी धन का दुरुपयोग किया गया
    • उदाहरण के लिए: ग्रीनपीस इंडिया पर भारत की कोयला और खनन परियोजनाओं के खिलाफ अभियान चलाने के लिए विदेशी धन का उपयोग करने का आरोप लगाया गया था, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2015 में इसका FCRA लाइसेंस निलंबित कर दिया गया था।
  • विकास परियोजनाओं को कमजोर करना: कुछ विदेशी-वित्तपोषित NGOs  ने कथित तौर पर विदेशी हितों के प्रभाव में आकर बड़े पैमाने के बुनियादी ढाँचे की परियोजनाओं का विरोध किया। ऐसे कार्य राष्ट्रीय विकास को प्रभावित कर सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: ओडिशा में POSCO परियोजना के खिलाफ हुये विरोध प्रदर्शनों में कथित तौर पर विदेशी-वित्तपोषित CSO द्वारा  सहायता की गई थी, जिससे एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक परियोजना में देरी हुई।
  • डेटा सुरक्षा जोखिम: विदेशी फंडिंग के साथ अक्सर डेटा शेयरिंग की माँग भी की जाती है , जो संवेदनशील जानकारी को गलत तरीके से हैंडल किए जाने या विदेशी संस्थाओं को हस्तांतरित किए जाने पर साइबर सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न कर सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: गैर सरकारी संगठनों द्वारा पर्याप्त सुरक्षा उपायों के बिना विदेशी दानदाताओं के साथ विकास संबंधी डेटा साझा करने पर हाल ही में  चिंता जताई गई।
  • राष्ट्रीय एकता को कमजोर करना: विदेशी धन कभी-कभी सांप्रदायिक या क्षेत्रीय विभाजन को बढ़ा सकता है, क्योंकि कुछ संगठन अपने  सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए विदेशी धन का उपयोग करते हैं , जो राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा उत्पन्न करता है।

FCRA के माध्यम से नागरिक समाज की कार्यप्रणाली के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा को संतुलित करना

  • फंडिंग स्रोतों में पारदर्शिता सुनिश्चित करना: FCRA के अनुसार CSO के लिए अपने फंडिंग स्रोतों का खुलासा करना अनिवार्य है, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होती है और वैध संगठनों को बिना किसी अनुचित हस्तक्षेप के काम करने की अनुमति मिलती है।
    • उदाहरण के लिए: प्रथम जैसे NGO, जो शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हैं, FCRA दिशानिर्देशों का पालन करते हैं तथा सामाजिक विकास में योगदान करते हुए पारदर्शिता बनाए रखते हैं।
  • संदिग्ध संगठनों की जाँच: FCRA सरकार को विदेशी धन का दुरुपयोग करने वाले संदिग्ध संगठनों की जाँच  करने की अनुमति प्रदान करता है , जिससे यह सुनिश्चित होता है कि केवल वैध CSO ही राष्ट्र निर्माण में योगदान दें। 
    • उदाहरण के लिए: FCRA मानदंडों का उल्लंघन करने के कारण वर्ष 2017 में कई NGO का पंजीकरण रद्द कर दिया गया था, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत हुई।
  • विकास कार्यों को सुविधाजनक बनाना: यह विनियमन राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के लिए धन के दुरुपयोग को रोकते हुए, सुनिश्चित करता है कि वास्तविक विकास गतिविधियों में संलग्न संगठन धन प्राप्त करना जारी रख सकें।
    •  उदाहरण के लिए: ग्रामीण स्वास्थ्य पहलों पर काम करने वाले NGO, जैसे कि SEWA, FCRA ढाँचे के भीतर विदेशी सहायता प्राप्त करना जारी रखते हैं, जिससे स्थानीय विकास में योगदान मिलता है।
  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को संतुलित करना: FCRA, CSO को पक्षकारिता या मानवाधिकार कार्य में शामिल होने से प्रतिबंधित न करके संतुलन बनाए रखता है, बशर्ते कि वे राष्ट्रीय कानूनों का पालन करें। इस तरह से FCRA यह सुनिश्चित करता है कि महत्त्वपूर्ण आवाजों को दबाया न जा सके। 
    • उदाहरण के लिए: एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया जैसे संगठनों की जाँच  की गई है, लेकिन कई अन्य मानवाधिकार NGO कानूनी ढाँचे के भीतर काम करना जारी रखते हैं।
  • कार्यकुशलता के लिए आवधिक समीक्षा: FCRA ढाँचा, CSOs को बदलती राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुकूल होने की अनुमति प्रदान करते हुए पंजीकृत NGOs की आवधिक समीक्षा की अनुमति देता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे कानून का अनुपालन करें। 
    • उदाहरण के लिए: हालिया FCRA संशोधनों में विदेशी निधियों के लिए संगठनों द्वारा केवल एक बैंक का उपयोग करने की आवश्यकता को शामिल किया गया, जिससे वित्तीय पारदर्शिता बढ़ी

विदेशी फंडिंग को विनियमित करने के लिए उपयुक्त राह

  • नागरिक समाज संगठनों के क्षमता निर्माण को सुदृढ़ बनाना: सरकार, NGOs की  क्षमता निर्माण पहलों में निवेश कर सकती है , जिससे उन्हें FCRA विनियमों का अनुपालन करने में मदद मिलेगी तथा जिम्मेदारी पूर्वक विदेशी निधि प्राप्त करने की उनकी क्षमता में वृद्धि होगी।
  • राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना: CSOs को सरकारी एजेंसियों के साथ सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने से राष्ट्रीय हितों के साथ तालमेल सुनिश्चित हो सकता है और साथ ही विकास कार्यों के लिए परिचालन प्रत्यास्थता भी बनाए रखी जा सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: स्वच्छ भारत अभियान में कई गैर सरकारी संगठनों ने भाग लिया, जो नागरिक समाज और सरकार के बीच प्रभावी सहयोग को दर्शाता है।
  • पारदर्शी रिपोर्टिंग ढाँचा तैयार करना: NGOs के  विदेशी योगदान की रिपोर्ट करने के लिए
    एक पारदर्शी और यूजर फ्रेंडली डिजिटल पोर्टल की स्थापना से अनुपालन में सुधार हो सकता है और प्रशासनिक देरी कम हो सकती है। 

    • उदाहरण के लिए: GST पोर्टल के समान एक उन्नत डिजिटल FCRA प्लेटफॉर्म, फंड रिपोर्टिंग प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित कर सकता है।
  • पक्षकारिता और विकास कार्य के बीच अंतर: FCRA ढाँचा, पक्षकारिता-उन्मुख NGOs और विकास-केंद्रित NGOs के बीच अंतर कर सकता है, तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए प्रत्येक के लिए अलग-अलग मानक लागू कर सकता है।
  • वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं में शामिल होना: यूनाइटेड किंगडम के पारदर्शिता कानून या ऑस्ट्रेलिया की विदेशी प्रभाव पारदर्शिता योजना
    जैसी वैश्विक प्रथाओं से सीखना भारत के FCRA मॉडल को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। 

    • उदाहरण के लिए: भारत विनियमन की एक स्तरीय प्रणाली अपना सकता है, जहाँ अधिक विदेशी फंडिंग वाले बड़े गैर सरकारी संगठनों को छोटे जमीनी संगठनों की तुलना में अधिक जाँच  का सामना करना पड़ता है।

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FCRA के माध्यम से विदेशी फंडिंग का भारत द्वारा विनियमन राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिक समाज संगठनों के कामकाज के बीच एक नाजुक संतुलन बनाता है। FCRA देश को बाहरी हस्तक्षेप से बचाता है, साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि वैध CSO प्रभावी रूप से काम कर सकें। वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाकर और सहयोग बढ़ाकर, भारत एक मजबूत नागरिक समाज पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा दे सकता है और साथ ही यह सुनिश्चित कर सकता है कि भविष्य में राष्ट्रीय हितों को बरकरार रखा जाए।

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