Q. सैटेलाइट संचार क्षेत्र में वर्तमान चर्चा इस निर्णय के आस-पास घूमती है कि स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाए या इसे प्रशासनिक रूप से आवंटित किया जाए। इन आवंटन विधियों का उद्योग में प्रतिस्पर्द्धा और सेवा वितरण पर क्या प्रभाव पड़ता है? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • स्पेक्ट्रम नीलामी या प्रशासनिक आवंटन के निर्णय के इर्द-गिर्द केंद्रित, उपग्रह संचार क्षेत्र के इस मुख्य मुद्दे की चर्चा कीजिए।
  • उद्योग में प्रतिस्पर्द्धा के लिए इन आवंटन विधियों के निहितार्थों पर चर्चा कीजिए।
  • उद्योग में सेवा वितरण के लिए इन आवंटन विधियों के निहितार्थों का परीक्षण कीजिए।
  • आगे की राह लिखिये।

उत्तर

उपग्रह संचार क्षेत्र  में स्पेक्ट्रम आवंटन पर वर्तमान में हो रही चर्चा, नीलामी या प्रशासनिक आवंटन के मुद्दे के इर्द-गिर्द केंद्रित है। वर्ष 2030 तक भारत के उपग्रह ब्रॉडबैंड बाजार के 1.9 बिलियन डॉलर तक हो जाने के अनुमान के साथ, सरकार ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं के साथ सामंजस्य बिठाते हुए प्रशासनिक स्पेक्ट्रम आवंटन को चुना है। इस निर्णय ने उपग्रह संचार क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा और सेवा वितरण के निहितार्थों पर व्यापक चर्चा को जन्म दिया है।

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स्पेक्ट्रम नीलामी बनाम प्रशासनिक आवंटन पर वर्तमान चर्चा

  • नीलामी की पक्षकारिता: स्पेक्ट्रम की नीलामी का समर्थन करने वाली संस्थाएँ तर्क देती हैं कि यह एक निष्पक्ष और प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया सुनिश्चित करती है। उनका मानना है कि सैटेलाइट ऑपरेटरों के सामने भी वही शर्तें होनी चाहिए जो टेलीकॉम ऑपरेटरों के बीच रखी जाती है। 
    • उदाहरण के लिए: रिलायंस जियो ने दूरसंचार विभाग को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि नीलामी से पारदर्शिता और समान स्पेक्ट्रम आवंटन सुनिश्चित होगा।
  • प्रशासनिक आवंटन पर स्थिति: इसके समर्थकों का तर्क है कि प्रशासनिक आवंटन अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप है। उनके अनुसार सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी अनोखी होती है क्योंकि इसकी कोई राष्ट्रीय या क्षेत्रीय सीमा नहीं होती है। 
    • उदाहरण के लिए: एलन मस्क ने इस बात पर बल दिया कि अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) को सैटेलाइट स्पेक्ट्रम को क्षेत्रीय सीमाएँ लगाए बिना साझा स्पेक्ट्रम के रूप में नामित कर देना चाहिए
  • मिश्रित दृष्टिकोण: इसमें खुदरा सेवा प्रदाताओं के लिए भी नीलामी का प्रावधान शामिल है। 
    • उदाहरण के लिए: सुनील मित्तल ने कहा कि खुदरा स्पेक्ट्रम उपयोगकर्ताओं को टेलीकॉम ऑपरेटरों के साथ उद्योग क्षेत्र में समानता बनाए रखने के लिए नीलामी में स्पेक्ट्रम खरीदना चाहिए।
  • प्रशासनिक आवंटन पर सरकार का निर्णय: स्पेक्ट्रम के प्रशासनिक आवंटन पर भारत का हालिया निर्णय वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य कुशल उपयोग सुनिश्चित करते हुए उपग्रह संचालन को सुव्यवस्थित करना है। 
    • उदाहरण के लिए: दूरसंचार अधिनियम, 2023 में सरकार ने अपने फैसले को दोहराया जो इसे नीलामी के बिना सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटित करने का अधिकार देता है।
  • स्पेक्ट्रम उपयोग में अंतर्राष्ट्रीय संरेखण: वैश्विक स्तर पर, अधिकांश देश सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के लिए प्रशासनिक आवंटन को चुनते हैं ताकि स्पेक्ट्रम तक पहुँच आसान हो और उसका साझा उपयोग सुनिश्चित हो सके। 
    • उदाहरण के लिए: अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश सैटेलाइट सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं करते हैं, जिससे प्रशासनिक साधनों के माध्यम से नवाचार और सेवा विकास को बढ़ावा मिलता है।

प्रतिस्पर्द्धा पर आवंटन पद्धतियों के निहितार्थ

  • नीलामी से एंट्री बैरियर उत्पन्न हो सकते हैं: नीलामी से संचार क्षेत्र में नए प्रवेशकों की संख्या सीमित हो सकती है, क्योंकि स्पेक्ट्रम खरीदने की उच्च लागत पर्याप्त संसाधनों वाली बड़ी कंपनियों को लाभ पहुँचा सकती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: यदि नीलामी प्रक्रिया लागू की जाती है तो भारत में छोटे सैटेलाइट स्टार्टअप, रिलायंस जियो जैसी बड़ी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने में विफल हो सकती हैं।
  • प्रशासनिक आवंटन, बाजार में प्रवेश को बढ़ावा देता है: प्रशासनिक आवंटन, बाजार में भागीदारी को प्रोत्साहित करता है, जिससे छोटी कंपनियों को स्पेक्ट्रम नीलामी के वित्तीय बोझ के बिना उपग्रह संचार क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति मिलती है।
  • नीलामी में एकाधिकार का जोखिम: स्पेक्ट्रम नीलामी के परिणामस्वरूप एकाधिकार बाजार का निर्माण हो सकता है, जहाँ कुछ प्रमुख कंपनियाँ अधिकतर स्पेक्ट्रम हासिल कर सकती हैं, जिससे प्रतिस्पर्द्धा कम हो जाती है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत के दूरसंचार क्षेत्र में, स्पेक्ट्रम नीलामी से अक्सर कुछ ऑपरेटरों का प्रभुत्व देखा गया है, जिससे अक्सर टेलीनॉर इंडिया (अब भारती एयरटेल के साथ विलय हो चुका है) और एयरसेल (जो इस बाजार से बाहर हो चुका है) जैसे छोटे ऑपरेटरों के लिए प्रतिस्पर्द्धा सीमित हो जाती है।
  • प्रशासनिक आवंटन के माध्यम से संतुलित प्रतिस्पर्द्धा: प्रशासनिक आवंटन, स्पेक्ट्रम तक समान पहुँच की सुविधा प्रदान करता है जिससे अधिक प्रतिस्पर्धी बाजार को बढ़ावा मिलता है जहाँ कई कंपनियों का एक साथ अस्तित्व हो सकता है और इस तरह से नवाचार को बढ़ावा मिलता है। 
    • उदाहरण के लिए: वनवेब और स्टारलिंक जैसी कंपनियाँ, प्रतिस्पर्धी सेवाएँ प्रदान करके व्यापक उद्योग विकास को गति दे सकती हैं।
  • प्रशासनिक आवंटन के साथ मूल्य निर्धारण में लचीलापन: नीलामी लागत के बिना, कंपनियाँ लचीली मूल्य निर्धारण प्रक्रिया को बनाए रख सकती हैं जिससे उपग्रह सेवाएँ अधिक किफायती और व्यापक आबादी के लिए सुलभ हो जाती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: ग्रामीण भारत जहाँ पारंपरिक इंटरनेट प्रदाताओं की संख्या कम है, के लिए किफायती सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएँ अति महत्वपूर्ण हैं।

सेवा वितरण पर प्रभाव

  • दूरदराज के क्षेत्रों में बेहतर सेवा पहुँच: प्रशासनिक आवंटन व्यापक कवरेज की सुविधा देता है विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ उपग्रह सेवाएँ महत्त्वपूर्ण हैं। 
    • उदाहरण के लिए: स्टारलिंक का मुख्य लक्ष्य, उन क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराना है जो या तो दूरदराज के क्षेत्र हैं या जिनके पास अच्छे ब्रॉडबैंड विकल्प नहीं हैं, जो इसे ग्रामीण क्षेत्रों और उन स्थानों के लिए विशेष रूप से उपयोगी बनाता है जहाँ  इंटरनेट बुनियादी ढाँचे की स्थापना करना मुश्किल है।
  • नीलामी के कारण सेवा प्रदान करने में देरी हो सकती है: स्पेक्ट्रम नीलामी का वित्तीय बोझ, सेवा शुरू करने में देरी होने का कारण बन सकता है, विशेष रूप से सीमित संसाधनों वाली छोटी कंपनियों के लिए। 
    • उदाहरण के लिए: पिछली कुछ दूरसंचार नीलामियों में, उच्च स्पेक्ट्रम लागत के कारण छोटे ऑपरेटरों की नेटवर्क विस्तार प्रक्रिया में देरी हुई, जिससे सेवा वितरण समयसीमा प्रभावित हुई।
  • प्रशासनिक आवंटन के साथ सही समय पर सेवा की शुरुआत: प्रशासनिक आवंटन , प्रशासनिक देरी को कम करता है जिससे उपग्रहों की तैनाती की प्रक्रिया तेज होती है और उपभोक्ताओं को ज्यादा तेजी से सेवा प्रदान की जा सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए स्पष्ट प्रशासनिक प्रक्रियाओं के समर्थन से,  वनवेब जैसे सैटेलाइट प्रदाता भारत में अपनी सेवाओं की शुरूआत में तेजी ला पा रहे हैं।
  • नीलामी मॉडल में उच्च सेवा लागत: नीलाम किए गए स्पेक्ट्रम से सेवा लागत में वृद्धि हो सकती है, क्योंकि कंपनियाँ अपने नीलामी खर्चों की भरपाई करना चाहती हैं, जिससे अंतिम यूजर्स (End Users)  की वहनीयता प्रभावित होती है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत में दूरसंचार कंपनियों ने अपनी परिचालन लागत को संतुलित करने के लिए स्पेक्ट्रम नीलामी के बाद कीमतें बढ़ा दीं। सैटेलाइट संचार क्षेत्र में भी कंपनियों द्वारा इस तरह के कदम उठाए जा सकते हैं।
  • प्रशासनिक आवंटन नवाचार को प्रोत्साहित करता है: कम स्पेक्ट्रम लागत के साथ, कंपनियाँ नवाचार और प्रौद्योगिकी उन्नयन पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं, जिससे समग्र सेवा गुणवत्ता और पहुँच में सुधार होता है। 
    • उदाहरण के लिए: वनवेब द्वारा पृथ्वी की निम्न कक्षा में उपग्रहों को प्रक्षेपित करने पर ध्यान केन्द्रित करने से नीलामी के लागत बोझ के बिना बेहतर कनेक्टिविटी समाधान प्राप्त हुए हैं।

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स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए आगे की राह 

  • संतुलित स्पेक्ट्रम आवंटन ढाँचा: थोक उपयोगकर्ताओं के लिए प्रशासनिक आवंटन और खुदरा सेवाओं के लिए नीलामी को मिलाकर अपनाया गया  मिश्रित दृष्टिकोण, एक संतुलित और प्रतिस्पर्धी उद्योग परिदृश्य सुनिश्चित कर सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: यह दोहरा मॉडल कंपनियों को प्रशासनिक आवंटन का लाभ उठाने की अनुमति दे सकता है जबकि इसके अंतर्गत खुदरा ऑपरेटर भी नीलामी में भाग ले सकते  हैं।
  • पारदर्शी विनियामक दिशानिर्देश: भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) को यह सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट, पारदर्शी दिशानिर्देश प्रदान करने चाहिए कि स्पेक्ट्रम आवंटन निष्पक्ष और कुशल हो। 
    • उदाहरण के लिए:  TRAI कंसल्टेशन पेपर 2023, स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए स्पष्ट नीतियाँ स्थापित करने की दिशा में एक कदम है।
  • सस्ती सेवाएँ सुनिश्चित करना: एकाधिकार प्रथाओं को रोकने के लिए, सरकार को मूल्य निर्धारण विनियमन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिससे यह सुनिश्चित हो कि उपग्रह सेवाएँ आम जनता के लिए सस्ती रहें। 
    • उदाहरण के लिए: भारत के ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में डिजिटल विभाजन को कम करने के लिए सस्ती ब्रॉडबैंड सुविधायें अति महत्वपूर्ण है ।
  • स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना: विनियामक ढाँचे को यह सुनिश्चित करके स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करना चाहिए कि बड़ी एवं छोटी, दोनों प्रकार की कंपनियाँ, वित्तीय नुकसान का सामना किया बिना आवंटन प्रक्रिया में भाग ले सकें। 
    • उदाहरण के लिए: स्पेक्ट्रम तक समान पहुँच से छोटे सैटेलाइट स्टार्टअप को स्टारलिंक जैसी स्थापित कंपनियों की मौजूदगी के बावजूद, आगे बढ़ने का अवसर मिल सकता है ।
  • तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देना: सरकार को उपग्रह संचार क्षेत्र में तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भारत वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना रहे। 
    • उदाहरण के लिए: पृथ्वी की निम्न कक्षा के उपग्रहों के उपयोग को प्रोत्साहित करने से भारत की उपग्रह संचार क्षमताओं और सेवा की गुणवत्ता में वृद्धि हो सकती है।

एक प्रतिस्पर्धी, नवोन्मेषी बाजार को बढ़ावा देने के लिए भारत के उपग्रह संचार क्षेत्र को स्पेक्ट्रम की नीलामी और प्रशासनिक आवंटन‌ की प्रक्रियाओं के बीच संतुलन बनाना होगा। स्पष्ट विनियमन को बढ़ावा देकर, तकनीकी प्रगति को प्रोत्साहित करके और सस्ती सेवाओं को सुनिश्चित करके, भारत स्वयं को सैटेलाइट ब्रॉडबैंड क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी के रूप में स्थापित कर सकता है तथा वंचित आबादी को महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी प्रदान करते हुए भविष्य के विकास को गति दे सकता है।

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