Q. आव्रजन और विदेशी विधेयक, 2025 भारत में विदेशियों के प्रवेश, ठहरने और निर्वासन पर सख्त नियम प्रस्तुत करता है। राष्ट्रीय सुरक्षा और पड़ोसी देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर इसके संभावित प्रभाव का विश्लेषण कीजिए (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • इस बात पर प्रकाश डालिये कि किस प्रकार आव्रजन एवं विदेशी विधेयक, 2025 भारत में विदेशियों के प्रवेश, उनके ठहरने और निर्वासन के संबंध में कड़े नियम लागू करता है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके संभावित प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
  • पड़ोसी देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर इसके संभावित प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
  • आगे की राह लिखिये।

उत्तर

आव्रजन कानून विदेशी नागरिकों की आवाजाही को नियंत्रित करते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक हितों व मानवीय चिंताओं को संतुलित करते हैं। आव्रजन और विदेशी विधेयक, 2025 का उद्देश्य उन सभी चार मौजूदा कानूनों को निरस्त करना है जो विदेशियों के आव्रजन और आवाजाही से संबंधित हैं, ताकि विनियमन को सुव्यवस्थित किया जा सके और निगरानी, प्रवर्तन व निर्वासन तंत्र को उन्नत करने के लिए पुराने कानूनों को प्रतिस्थापित किया जा सके।

आव्रजन और विदेशी विधेयक, 2025: प्रवेश, ठहरने और निर्वासन पर सख्त नियम

  • अस्वीकार्यता के स्पष्ट आधार: विधेयक में प्रवेश या ठहरने से इनकार करने के लिए स्पष्ट मानदंड प्रस्तुत किए गए हैं, जिनमें राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और विदेशी राज्यों के साथ संबंधों के लिए खतरे शामिल हैं। इससे पहले, ऐसे निर्णय ज्यादातर कार्यकारी विवेक पर आधारित होते थे।
  • सख्त वीजा और पंजीकरण नियम: विधेयक विश्वविद्यालयों, अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों को विशिष्ट विदेशी पंजीकरण मानदंडों का पालन करने के लिए बाध्य करता है, जिससे दीर्घकालिक आगंतुकों की बेहतर ट्रैकिंग सुनिश्चित होती है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत में कई विदेशी छात्र वीजा सीमा से अधिक समय तक ठहरे हुए पाए गए हैं। वर्ष 2021 में, बेंगलुरु में 400 से अधिक अफ्रीकी छात्रों की पहचान वीजा उल्लंघनकर्ताओं के रूप में की गई।
  • उल्लंघन के लिए उच्च दंड: अब अनधिकृत प्रवेश के लिए 5 वर्ष का कारावास या 5 लाख रुपये का जुर्माना होगा, जबकि वीजा अवधि से अधिक समय तक ठहरने पर 3 वर्ष का कारावास या 3 लाख रुपये का जुर्माना होगा।
  • मजबूत वाहक दायित्व उपाय: एयरलाइंस और परिवहन वाहकों को उचित यात्रा दस्तावेज सुनिश्चित करना चाहिए; उल्लंघन पर भारी जुर्माना (₹10 लाख तक) और कानूनी कार्रवाई हो सकती है , जिससे अवैध प्रवेश का जोखिम कम हो सकता है।
  • पता लगाने और निर्वासन के लिए राज्य प्राधिकरण: राज्यों को अवैध प्रवासियों की पहचान करनी चाहिए और उन्हें सजा के बाद निर्वासित करना चाहिए, साथ ही एक विदेशी पहचान पोर्टल, उनकी  ट्रैकिंग में सहायता करेगा जिससे प्रत्यावर्तन में देरी कम होगी। 
    • उदाहरण के लिए: असम के NRC अभ्यास में 19 लाख से अधिक अनिर्दिष्ट व्यक्ति पाए गए, लेकिन सुव्यवस्थित कानून की कमी के कारण निर्वासन धीमा रहा। इस विधेयक का उद्देश्य कार्रवाई में तेजी लाना है।

राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव

  • आतंकवादी घुसपैठ की रोकथाम: सख्त प्रवेश प्रतिबंधों और अनिवार्य पृष्ठभूमि सत्यापन के साथ, यह विधेयक विदेशी चरमपंथियों को झूठे बहाने से भारत में प्रवेश करने से रोकता है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2021 में, ISIS से जुड़े एक श्रीलंकाई नागरिक को नकली भारतीय दस्तावेजों के साथ तमिलनाडु में पकड़ा गया था। विधेयक आव्रजन बिंदुओं पर बेहतर निगरानी सुनिश्चित करता है।
  • सीमा सुरक्षा को मजबूत करना: यह विधेयक राज्य पुलिस को अवैध विदेशी गतिविधियों पर नजर रखने और हिरासत केंद्र स्थापित करने का अधिकार देता है, जिससे विदेशी आतंकवादियों को भारत को पारगमन केंद्र के रूप में इस्तेमाल करने से रोका जा सके। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2022 में, बांग्लादेश से अवैध रूप से सीमा पार करने के लिए जम्मू में रोहिंग्या शरणार्थियों को हिरासत में लिया गया था। विधेयक ऐसी घुसपैठियों के खिलाफ राज्य स्तरीय कार्रवाई को औपचारिक बनाता है।
  • उन्नत डिजिटल ट्रैकिंग: फॉरेनर्स आईडेंटिफिकेशन पोर्टल, बायोमेट्रिक डेटा को वीजा डेटाबेस के साथ एकीकृत करता है, जिससे कानून प्रवर्तन एजेंसियों को रियलटाइम में वीजा उल्लंघनकर्ताओं और संभावित खतरों पर नज़र रखने में मदद मिलती है।
  • जासूसी के विरुद्ध संरक्षण: रक्षा और बुनियादी ढाँचे जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में काम करने वाले विदेशी नागरिकों को अधिक जाँच का सामना करना पड़ेगा, जिससे जासूसी और बौद्धिक संपदा की चोरी का जोखिम कम हो जाएगा।
  • मानव तस्करी के जोखिम को कम करना: ट्रांसपोर्टरों को दंडित करके और वीजा प्रामाणिकता सुनिश्चित करके, यह विधेयक मानव तस्करी के ऐसे नेटवर्क पर अंकुश लगाता है जो आव्रजन कानूनों की खामियों का फायदा उठाकर लोगों की भारत में तस्करी करते हैं।

पड़ोसी देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर प्रभाव

  • निर्वासन को लेकर तनावपूर्ण संबंध: अवैध प्रवासियों के बड़े पैमाने पर निर्वासन से तनाव उत्पन्न हो सकता है, विशेषकर बांग्लादेश और म्यांमार के साथ, क्योंकि प्रत्यावर्तन के लिए कूटनीतिक सहयोग की आवश्यकता होती है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2019 में, भारत ने रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार वापस भेजने का प्रयास किया, लेकिन कूटनीतिक जुड़ाव की कमी के कारण मानवीय चिंताएँ लंबे समय तक बनी रहीं।
  • सीमा विवाद और राजनीतिक घर्षण: सख्त आव्रजन नियम सीमा पर तनाव बढ़ा सकते हैं, क्योंकि पड़ोसी देश इसे भारत द्वारा सीमा पार आवागमन के संबंध में अपना रुख सख्त करने के रूप में देख सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: नेपाल ने वर्ष 2020 में चिंता जताई थी जब भारत ने सख्त सीमा नियंत्रण लागू किया था, जिससे 1950 की भारत-नेपाल संधि के तहत पारंपरिक मुक्त आवागमन प्रभावित हुआ था।
  • व्यापार और पर्यटन पर प्रभाव: सख्त वीजा नियमों के कारण व्यावसायिक यात्रा और पर्यटन में कमी आ सकती है, जिससे आर्थिक संबंध प्रभावित होंगे, विशेष रूप से श्रीलंका, नेपाल और भूटान जैसे देशों के साथ, जो भारतीय बाजारों पर निर्भर हैं।
  • शरणार्थी नीतियों पर चिंताएँ: पड़ोसी देश शरणार्थियों, विशेष रूप से संघर्ष से भाग रहे शरणार्थियों के साथ भारत के व्यवहार पर आपत्ति कर सकते हैं, क्योंकि वे इसे क्षेत्रीय मानवीय जिम्मेदारी की कमी के रूप में देखते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: बांग्लादेश ने वर्ष 2017 में रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत द्वारा निर्वासित करने का विरोध किया था, यह तर्क देते हुए कि इससे पहले से ही बोझ से दबे उसके शरणार्थी शिविरों पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा।
  • सुरक्षा सहयोग में वृद्धि: यह विधेयक क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी प्रयासों को मजबूत कर सकता है, क्योंकि बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देश सख्त आव्रजन नीतियों को आपसी सुरक्षा लाभ के रूप में देख सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: भारत और बांग्लादेश ने जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) के सदस्यों जैसे संदिग्ध आतंकवादियों को निर्वासित करने में सहयोग किया है, जिससे द्विपक्षीय सुरक्षा संबंधों में सुधार हुआ है।

आगे की राह 

  • निर्वासन के लिए द्विपक्षीय समझौते: भारत को बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों के साथ संरचित निर्वासन समझौतों पर वार्ता करनी चाहिए ताकि राजनयिक प्रतिक्रिया के बिना सुचारू प्रत्यावर्तन सुनिश्चित किया जा सके। 
    • उदाहरण के लिए: अवैध प्रवास पर वर्ष 2019 के भारत-बांग्लादेश समझौता ज्ञापन ने संबंधों को खराब किए बिना अनिर्दिष्ट प्रवासियों को प्रबंधित करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान की।
  • क्षेत्रीय आव्रजन ढांचा: SAARC या BIMSTEC के तहत एक दक्षिण एशियाई आव्रजन ढांचा विकसित किया जा सकता है, जो समन्वित वीजा नीतियों और ट्रैकिंग तंत्र को सुनिश्चित करता है। 
    • उदाहरण के लिए: यूरोपीय शेंगेन सूचना प्रणाली सदस्य देशों को विदेशियों के डेटा को साझा करने की अनुमति देती है, जिससे व्यापार को प्रभावित किए बिना इन विदेशियों को अवैध रूप से अधिक समय तक भारत में ठहरने से रोका जा सकता है।
  • शरणार्थियों के लिए मानवीय विचार: भारत को सुरक्षा चिंताओं को संतुलित करते हुए UNHCR दिशानिर्देशों के अनुरूप एक स्पष्ट शरणार्थी नीति बनानी चाहिए, जिससे वास्तविक शरणार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। 
    • उदाहरण के लिए: भारत ने वर्ष 2021 में तालिबान के कब्जे के बाद अफगान शरणार्थियों को सुरक्षा चिंताओं के कारण प्रवेश प्रतिबंधित करते हुए दीर्घकालिक वीजा दिया।
  • व्यापार और पर्यटन वीजा में आसानी: आव्रजन प्रवर्तन को कड़ा करते हुए, भारत को व्यापार और पर्यटन वीजा प्रक्रियाओं को सरल बनाना चाहिए, ताकि मित्रवत पड़ोसियों के साथ कूटनीतिक सद्भावना सुनिश्चित हो सके।
  • संयुक्त सुरक्षा कार्य बल: नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के साथ गठित सहयोगात्मक सीमा सुरक्षा कार्यबल, तस्करी और सुरक्षा उल्लंघनों को रोकते हुए प्रवासन की निगरानी कर सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: भारत और नेपाल पहले से ही संयुक्त सीमा गश्ती करते हैं; इस मॉडल का विस्तार करने से अवैध आव्रजन की समस्या का  प्रभावी ढंग से समाधान करने में मदद मिल सकती है।

अभिनव कानूनी सुधारों को अपनाकर, भारत पड़ोसियों के साथ राजनयिक संबंधों को बढ़ावा देते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा को पर्याप्त रूप से उन्नत कर सकता है । प्रवेश और निर्वासन प्रोटोकॉल को सुव्यवस्थित करके, आव्रजन विधेयक संतुलित क्षेत्रीय सहयोग और सतत प्रगति को बढ़ावा देता है। विवेकपूर्ण शासन और सक्रिय उपायों के साथ, एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य का निर्माण करत हुये वैश्विक स्थिरता के लिए संयुक्त दृष्टिकोण, संयुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

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