वाशिंगटन पोस्ट के हालिया विश्लेषण के अनुसार, चीनी तट रक्षक और लड़ाकू जहाज प्रायः फिलीपींस के आपूर्ति जहाजों को घेरते और रोकते हैं।
संबंधित तथ्य
चीन द्वारा जहाजों की तैनाती में वृद्धि: चीन ने अपने जहाजों की तैनाती बढ़ा दी है तथा सिएरा माद्रे में आपूर्ति मिशन के दौरान फिलीपींस की नौकाओं पर जल की बौछार की।
सिएरा माद्रे (Sierra Madre)
लैंडिंग जहाज (Landing Ship): इसका निर्माण द्वितीय विश्व युद्ध (वर्ष 1939-45) के दौरान अमेरिका में किया गया था, वर्ष 1944 में एक लैंडिंग जहाज के रूप में इसकी तैनाती हुई थी और वियतनाम युद्ध (वर्ष 1954-75) के दौरान अमेरिकी भागीदारी के रूप में इसे वियतनाम भेजा गया था।
वर्ष 1976 में इसे अमेरिका के सहयोगी देश फिलीपींस को हस्तांतरित कर दिया गया था। वर्ष 1999 में इसे निर्जन ‘स्प्रैटली’ द्वीप समूह के ‘सेकेंड थॉमस शोल’ (Second Thomas Shoal) पर छोड़ दिया गया।
फिलीपींस का कूटनीतिक कदम: इसके बाद फिलीपींस अपने क्षेत्रीय दावों को मजबूत करने के लिए इस जहाज को दक्षिण चीन सागर में स्थित एक जलमग्न चट्टान सेकेंड थॉमस शोल (Second Thomas Shoal) पर ले गया।
इसके बाद से फिलीपींस ने जहाजों की मरम्मत एवं चालक दल को आपूर्ति करने के लिए छोटी नावें भेजी हैं।
मिसचीफ रीफ विवाद (Mischief Reef Dispute): चीन ने ‘मिसचीफ रीफ’ पर दावा करते हुए जहाज को वहाँ से हटाने की माँग की है, जिसे फिलीपींस ने खारिज कर दिया है।
फिलीपींस के लिए चुनौती: वर्तमान में यह जहाज काफी हद तक जर्जर हो चुका है। हालाँकि, फिलीपींस द्वारा इसे हटा लेने से द्वीपों पर उसका दावा कमजोर होगा तथा चीनी उपस्थिति का खतरा बढ़ेगा।
विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ)
EEZ समुद्री क्षेत्र है जो किसी देश के क्षेत्रीय समुद्र (तट से 12 समुद्री मील) से बाद 200 समुद्री मील (370 किमी.) तक फैला होता है।
अमेरिकी नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के अनुसार, संबंधित तटीय राष्ट्र के पास इस क्षेत्र के अंदर के जीवित और गैर-जीवित दोनों संसाधनों पर अधिकार होता है।
स्प्रैटली द्वीप समूह पर विवाद
दक्षिण चीन सागर में कई देशों का दावा: इस क्षेत्र के देशों ने दक्षिण चीन सागर के कई हिस्सों पर अपना दावा किया है, स्प्रैटली द्वीप समूह (Spratly Islands) और पैरासेल द्वीप समूह (Paracel Islands) जैसे द्वीपों पर स्वामित्व का दावा कुछ देशों द्वारा किया गया है।
इस समुद्री क्षेत्र में समृद्ध तेल, गैस भंडार और मछली पकड़ने की अपार संभावनाएँ हैं, इसके अलावा संप्रभुता के मुद्दों ने विभिन्न देशों को दावे करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
दक्षिण चीन सागर के लगभग 90% हिस्से पर चीन अपना दावा करता रहा है।
हेग न्यायाधिकरण का फैसला: वर्ष 2016 में हेग में स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरणने विवाद में चीन पर कारवाई करते हुए फिलीपींस के पक्ष में फैसला सुनाया था।
न्यायाधिकरण ने फैसला दिया था कि कुछ समुद्री क्षेत्र फिलीपींस के EEZ के अंतर्गत आता है क्योंकि न्यायसंगत रूप से चीन का उन क्षेत्रों पर कोई भी संभावित अधिकार नहीं है।
न्यायाधिकरण ने मुख्य रूप से प्रकाश डाला है-
चीन द्वारा हेलीपैड के साथ कृत्रिम द्वीपों के निर्माण से समुद्री पर्यावरण को अपूरणीय क्षति हुई है।
फिलीपींस के EEZ क्षेत्र के अंदर चीन द्वारा एक कृत्रिम द्वीप की स्थापना।
इसने दक्षिण चीन सागर में प्राकृतिक साक्ष्यों को नष्ट कर दिया था जो कई पक्षों के बीच विवाद का हिस्सा थे।
चीन ने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया था।
अमेरिका की प्रतिक्रिया
फिलीपींस को अमेरिकी समर्थन: अमेरिका ने फिलीपींस को अपना समर्थन दिया, क्योंकि दोनों महत्वपूर्ण रणनीतिक सहयोगी हैं।
अमेरिका-फिलीपींस पारस्परिक रक्षा संधि, 1951 (U.S- Philippines Mutual Defense Treaty): इस संधि के अनुसार, प्रशांत क्षेत्र में किसी भी पक्ष पर सशस्त्र हमला क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए खतरनाक होगा।
इसके अलावा, दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि वे अपनी संवैधानिक प्रक्रियाओं के अनुसार सामान्य खतरों से निपटने के लिए कार्य करेंगे।
मई 2023 में दोनों देश संधि के तहत नए दिशा-निर्देशों पर सहमत हुए।
अमेरिका ने कहा है कि SCS को शामिल करने के बाद प्रशांत क्षेत्र में किसी भी प्रकार का सैन्य हमला दोनों देशों के पारस्परिक रक्षा दायित्वों को सक्रिय करेगा जो अमेरिकी-फिलीपींस पारस्परिक रक्षा संधि, 1951 के अनुच्छेद IV और V के तहत कार्य करेगा।
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