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46वीं अंटार्कटिक संधि परामर्शदात्री बैठक

Lokesh Pal May 02, 2024 06:00 165 0

संदर्भ

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) राष्ट्रीय ध्रुवीय और समुद्रीय अनुसंधान केंद्र (NCPOR) के माध्यम से केरल के कोच्चि में 20 से 30 मई, 2024 तक 46वीं अंटार्कटिक संधि परामर्शदात्री बैठक (ATCM-46) और पर्यावरण संरक्षण समिति (CEP-26) की 26वीं बैठक की मेजबानी करेगा।

  • यह अंटार्कटिका में पर्यावरणीय प्रबंधन, वैज्ञानिक सहकार्य और सहयोग पर रचनात्मक वैश्विक वार्ता को सुविधाजनक बनाने की भारत के उद्देश्य के अनुरूप है।

संबंधित तथ्य

  • ATCM और CEP की बैठकें अंटार्कटिका के संवेदनशील पारिस्थतिकी तंत्र की सुरक्षा और क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के चल रहे प्रयासों में महत्त्वपूर्ण हैं।
  • 46वें ATCM के एजेंडे के प्रमुख विषयों में अंटार्कटिका और उसके संसाधनों के स्थायी प्रबंधन के लिए रणनीतिक योजना, नीति, कानूनी और संस्थागत संचालन; जैव विविधता पूर्वेक्षण; सूचना व डेटा का निरीक्षण और आदान-प्रदान; अनुसंधान, सहकार्य, क्षमता निर्माण और सहयोग; जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटना; पर्यटन ढाँचे का विकास; और जागरूकता को बढ़ावा देना शामिल हैं। 
  • अंटार्कटिक अनुसंधान पर वैज्ञानिक समिति के व्याख्यान भी आयोजित किए जाएँगे। 
  • 26वाँ CEP एजेंडा अंटार्कटिक पर्यावरण मूल्यांकन, प्रभाव मूल्यांकन, प्रबंधन तथा रिपोर्टिंग; जलवायु परिवर्तन को लेकर सचेतता; समुद्री स्थानिक संरक्षण सहित क्षेत्र संरक्षण और प्रबंधन योजनाएँ; और अंटार्कटिक जैव विविधता के संरक्षण पर केंद्रित है।

अंटार्कटिक संधि प्रणाली

  • परिचय
    • वर्ष 1959 में हस्ताक्षरित और वर्ष 1961 में लागू हुई अंटार्कटिक संधि ने अंटार्कटिका को शांतिपूर्ण उद्देश्यों, वैज्ञानिक सहयोग व पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित क्षेत्र के रूप में स्थापित किया। 
    • पिछले कुछ वर्षों में इस संधि को व्यापक समर्थन मिला है और वर्तमान में 56 देश इसमें शामिल हैं।
  • उद्देश्य
    • अंटार्कटिक संधि प्रणाली के तहत प्रतिवर्ष बुलाई जाने वाली बैठकें अंटार्कटिका के महत्त्वपूर्ण पर्यावरण, वैज्ञानिक और शासन संबंधी मुद्दों का हल निकालने के लिए अंटार्कटिक संधि परामर्शदात्री पक्षों और अन्य हितधारकों के लिए मंच के रूप में काम करती हैं।

अंटार्कटिक संधि सचिवालय (ATS)

  • अंटार्कटिक संधि सचिवालय (ATS) अंटार्कटिक संधि प्रणाली के लिए प्रशासनिक केंद्र के रूप में कार्य करता है। 
  • वर्ष 2004 में स्थापित ATS, ATCM और CEP बैठकों का समन्वय करता है, सूचनाओं को पुनः प्रस्तुत और प्रसारित करता है और अंटार्कटिक शासन तथा प्रबंधन से संबंधित राजनयिक संचार, आदान-प्रदान और वार्ता की सुविधा प्रदान करता है। 
  • यह अंटार्कटिक संधि प्रावधानों और समझौतों के अनुपालन की निगरानी भी करता है तथा संधि कार्यान्वयन और प्रवर्तन मामलों पर अंटार्कटिक संधि सदस्यों को सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करता है।


  • भारत की स्थिति
    • भारत वर्ष 1983 से अंटार्कटिक संधि का एक सलाहकार सदस्य रहा है। 
    • यह अंटार्कटिक संधि के अन्य 28 सलाहकार सदस्यों के साथ निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेता है। 
    • भारत का पहला अंटार्कटिक अनुसंधान केंद्र, दक्षिण गंगोत्री, वर्ष 1983 में स्थापित किया गया था। 
    • वर्तमान में, भारत दो अनुसंधान केंद्र मैत्री (1989) और भारती (2012) संचालित करता है। 
    • स्थायी अनुसंधान केंद्र अंटार्कटिका में भारतीय वैज्ञानिक अभियानों की सुविधा प्रदान करते हैं, जो वर्ष 1981 से प्रतिवर्ष संचालित हो रहे हैं। 
    • वर्ष 2022 में, भारत ने अंटार्कटिक संधि के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए अंटार्कटिक अधिनियम लागू किया।
    • स्थायी अनुसंधान केंद्र अंटार्कटिका में भारतीय वैज्ञानिक अभियानों की सुविधा प्रदान करते हैं, जो वर्ष 1981 से प्रतिवर्ष संचालित हैं। 
    • वर्ष 2022 में, भारत ने अंटार्कटिक संधि के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए अंटार्कटिक अधिनियम लागू किया।

पर्यावरण संरक्षण समिति (CEP) 

  • CEP की स्थापना वर्ष 1991 में अंटार्कटिक संधि (मैड्रिड प्रोटोकॉल) के पर्यावरण संरक्षण पर प्रोटोकॉल के तहत की गई थी। 
  • CEP, अंटार्कटिका में पर्यावरण संरक्षा और संरक्षण पर ATCM को सलाह प्रदान करता है।

राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्रीय अनुसंधान केंद्र (NCPOR)

  • इसकी स्थापना 25 मई, 1998 को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के एक स्वायत्त अनुसंधान और विकास संस्थान के रूप में की गई थी।
  • पहले इसे राष्ट्रीय अंटार्कटिक और समुद्रीय अनुसंधान केंद्र (NCAOR) के रूप में जाना जाता था , NCPOR भारत का प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संस्थान है, जो ध्रुवीय और दक्षिणी महासागर क्षेत्रों में देश की अनुसंधान गतिविधियों के लिए जिम्मेदार है।
  • यह देश में ध्रुवीय और दक्षिणी महासागर वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ-साथ संबंधित लॉजिस्टिक गतिविधियों की योजना, प्रचार, समन्वय और निष्पादन के लिए नोडल एजेंसी है।

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