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पशु संरक्षण विधेयक

Lokesh Pal May 02, 2024 05:15 144 0

प्रारंभिक परीक्षा की प्रासंगिकता: पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण (पीसीए) अधिनियम, 1960; पशुपालन विभाग

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत में पशु क्रूरता की रक्षा के लिए कानून

संदर्भ:

हाल ही में, क्रोएशिया ने क्रूरता के कृत्यों, विशेषकर घरेलू पालतू जानवरों के परित्याग के लिए सख्त दंड का प्रावधान किया है।

पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960:

  • पीसीए अधिनियम (1960): पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (पीसीए अधिनियम) भारत में जानवरों के प्रति क्रूरता के विभिन्न रूपों को अपराध मानने वाला प्राथमिक कानून है।
  • उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफलता: इस कानून के खराब कार्यान्वयन तथा इसके द्वारा निर्धारित कम दंड को सामान्यतः जानवरों के प्रति क्रूरता को रोकने के अपने मुख्य उद्देश्य को प्राप्त करने में विफलता के कारणों के रूप में उद्धृत किया जाता है। 

पीसीए 1960:

  • जमानत और गैर-संज्ञेय अपराध: पीसीए अधिनियम के तहत कई अपराध जमानती तथा गैर-संज्ञेय प्रकार के हैं, जिससे आरोपी व्यक्तियों को आसानी से जमानत लेने की अनुमति मिलती है और अदालत की अनुमति के बिना त्वरित पुलिस कार्रवाई को रोका जा सकता है। इससे न्याय में देरी होती है तथा प्रभावी प्रवर्तन में बाधा आती है।
  • अपर्याप्त जुर्माना: पीसीए अधिनियम के तहत निर्धारित जुर्माना 1890 से अपरिवर्तित बना हुआ है, जिससे वे अब महत्त्वहीन हो गई हैं और पशु क्रूरता के खिलाफ निवारक के रूप में कार्य करने में विफल रहे हैं। 
    • कई मामलों में जुर्माना ₹10 से भी कम है, जो अपराध की गंभीरता को नहीं दर्शाता है।
  • विवेकाधीन दंड का प्रावधान: कानून अदालतों को पशु क्रूरता के गंभीर मामलों में भी अपराधियों पर कारावास या जुर्माना लगाने के मध्य चयन करने का अधिकार देता है । 
    • यह उदारता अपराधियों को उचित दंडात्मक कार्यवाही से बचने की अनुमति देती है, जिससे कानून का निवारक प्रभाव कमज़ोर होता प्रतीत होता है।
  • पुनर्वास उपायों का अभाव: पीसीए अधिनियम में सामुदायिक सेवा जैसे दंड के वैकल्पिक रूपों के प्रावधानों का अभाव है, जो अपराधियों को सुधारने तथा पशु क्रूरता के मूल कारणों पर ध्यान देने में मदद कर सकता है।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  • मसौदा पीसीए (संशोधन) विधेयक, 2022: नवंबर 2022 में, मसौदा पीसीए (संशोधन) विधेयक, 2022 को सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा प्रकाशित किया गया था। 
    • इस मसौदा विधेयक को व्यापक जन समर्थन के बावजूद भी इसे संसद के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जा सका ।
  • पीसीए (संशोधन) विधेयक, 2022 में प्रस्तावित संशोधन: मसौदा विधेयक में 1960 अधिनियम में आवश्यक संशोधन शामिल हैं, जैसे- जानवरों के लिए पाँच मौलिक स्वतंत्रता को शामिल करना, दंड में वृद्धि एवं विभिन्न अपराधों के लिए जुर्माने के रूप में भुगतान की जाने वाली धनराशि।  इसके अलावा नए संज्ञेय अपराधों को इसमें शामिल करना आवश्यक है ।

आगे की राह:

  • विधायी सुधार: हालाँकि, इस बात को समझने की आवश्यकता है कि अपनी सीमाओं के बावजूद, मसौदा विधेयक का अधिनियमन भारत में पशु कानून के लिए एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
  • अरुंडेल का पशु कल्याण कानून पर जोर: 1954 में, पुराने पीसीए अधिनियम (1890) को बदलने के लिए एक निजी सदस्य के विधेयक को आगे बढ़ाते हुए, इसके प्रस्तावक रुक्मिणी देवी अरुंडेल ने संसद के समक्ष इस बात का जोर दिया था कि, “भारत को विश्व के सभी देशों के लिए पशु कलयाण के संदर्भ में एक प्रभावी उदाहरण प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।”

निष्कर्ष:

निष्कर्षस्वरुप जब इस वर्ष के जून माह के दौरान नई सरकार सत्ता में आएगी, तो उसे इस बात को स्वीकार करना होगा कि वह पीसीए अधिनियम (1960) में संशोधन को पास करवा सकने में सफल रहे।

Source: The Hindu

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :                                                       

प्रश्न. “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960” के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. इस अधिनियम का विधायी उद्देश्य “जानवरों पर अनावश्यक दर्द या पीड़ा को रोकना” है।
  2. इस अधिनियम के तहत दायर मुकदमे की समयावधि 3 माह की होती है, इस अवधि के बाद वादी/अभियोजक पर किसी भी प्रकार का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
  3. भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) की स्थापना 1962 में अधिनियम की धारा 4 के तहत की गई थी।

उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1 और 2 
  2. केवल 2 और 3 
  3. केवल 1 और 3 
  4. 1, 2 और 3 

 उत्तर: (d)

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