चित्रकार राजा रवि वर्मा की 176वीं जयंती के अवसर पर, उनकीपेंटिंग ‘इंदुलेखा’ की पहली प्रामाणिक प्रति किलिमनूर पैलेस में प्रदर्शित की जाएगी।
संबंधित तथ्य
इस पेंटिंग के अलावा, अन्य कलाकृतियाँ भी कार्यक्रम के दौरान प्रदर्शित की जाएँगी। इनमें किलिमनूर पैलेस के दिवंगत सदस्य पूयम थिरुनल सी.आर. केरल वर्मा (Pooyam Thirunal C.R. Kerala Varma) का चित्र शामिल है, जिसे महल के एक अन्य सदस्य के. रवि वर्मा द्वारा चित्रित किया गया है।
इसके अतिरिक्त, राजा रवि वर्मा के भाई-बहन सी. राजराजा वर्मा एवं मंगला बाई की पेंटिंग भी समर्पित की जाएँगी।
इन कलाकृतियों को चित्रकार सुरेश ने तैयार किया है।
किलिमनूर पैलेस (Kilimanoor Palace)
यह पैलेस भारत के केरल के किलिमनूर में अवस्थित है।
यह प्रसिद्ध चित्रकार राजा रवि वर्मा का जन्मस्थान है।
इसके अतिरिक्त, राजा मार्तंड वर्मा के पिता राघव वर्मा भी इसी महल से संबंधित थे।
राजा रवि वर्मा के बारे में
राजा रवि वर्मा एक भारतीय चित्रकार थे।
अन्य नाम: किलिमनूर के कोइल थम्पुरन (Koil Thampuran of Kilimanoor), रवि वर्मा कोइल थम्पुरन (Ravi Varma Koil Thampuran)।
जन्मतिथि: 29 अप्रैल, 1848।
जन्म स्थान: उनका जन्म किलिमनूर पैलेस में हुआ था।
यह स्थान त्रावणकोर रियासत के त्रिवेंद्रम के पास अवस्थित था।
वर्तमान स्थिति: यह अब तिरुवनंतपुरम्, केरल का हिस्सा है।
कलात्मक शैली: वह हिंदू पौराणिक कथाओं को यूरोपीय चित्रकला शैलियों के साथ मिश्रित करने के लिए जाने जाते थे।
प्रसिद्ध: रवि वर्मा अपने उल्लेखनीय चित्रों के लिए प्रसिद्ध हैं, जो मुख्य रूप से पुराणों के नाम से जानी जाने वाली प्राचीन पौराणिक कहानियों एवं भारतीय महाकाव्य महाभारत और रामायण पर आधारित हैं।
हिंदू पौराणिक कथाओं के साथ-साथ, वर्मा ने भारत में भारतीय एवं ब्रिटिश दोनों व्यक्तियों के चित्र भी बनाए।
कलात्मक उपलब्धियाँ
वे तेल पेंट का उपयोग करने वाले पहले भारतीय थे।
उन्होंने अपने काम में लिथोग्राफिक पुनरुत्पादन में महारत हासिल की।
रवि वर्मा की कुछ सबसे प्रसिद्ध पेंटिंग हैं:-
दमयंती का हंस से बात करना
शकुंतला का दुष्यंत को खोजना
नायर महिला द्वारा अपने बालों को सजाना-सँवारना
शांतनु और मत्स्यगंधा
मान्यता
उन्होंने 1873 ईसवी में वियना में अपने चित्रों की प्रदर्शनी के लिए गवर्नर द्वारा स्वर्ण पदक से पुरस्कृत किया गया।
रवि वर्मा की पेंटिंग्स को 1893 ईसवी में शिकागो में आयोजित विश्व कोलंबियाई प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया था।
उनके योगदान के लिए उन्हें दो स्वर्ण पदक मिले।
कैसर ए हिंद स्वर्ण पदक (Kaisar-i-Hind Gold Medal)
वर्ष 1904 में, वायसराय लॉर्ड कर्जन ने राजा सम्राट का प्रतिनिधित्व करते हुए, राजा रवि वर्मा को प्रतिष्ठित कैसर-ए-हिंद स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।
इस प्रकार पहली बार उन्हें ‘राजा रवि वर्मा’ से संबोधित किया जाने लगा।
भारतीय कला में योगदान
पश्चिमी यथार्थवाद को भारतीय विषयों के साथ मिश्रित करके एक नए आंदोलन की शुरुआत की।
अपने चित्रों की बड़े पैमाने पर प्रतियाँ तैयार करने के लिए 1894 ईसवी में एक लिथोग्राफिक प्रेस की स्थापना की।
इंदुलेखापेंटिंग की पृष्ठभूमि
यह 19वीं सदी की पेंटिंग है।
‘रेक्लाइनिंग लेडी’ (Reclining Lady) की प्रसिद्ध पेंटिंग रवि वर्मा द्वारा बनाई गई थी।
ऐसा माना जाता है कि यह पेंटिंग इंदुलेखा पर आधारित थी।
‘इंदुलेखा’ ओ चंदू मेनन के पहले आधुनिक मलयालम उपन्यास के एक चरित्र पर आधारित है।
यह उपन्यास वर्ष 1889 में प्रकाशित हुआ था।
पेंटिंग के अनावरण ने वर्ष 2022 में सार्वजनिक डोमेन में आने के बाद से कला समुदाय को नई दिशा प्रदान की।
पेंटिंग का विवरण
तेल पेंटिंग में इंदुलेखा को अपने प्रेमी माधवन के लिए एक पत्र पकड़े हुए दर्शाया गया है।
वर्ष 1892 के उपन्यास के नायक माधवन थे।
अनूठी विशेषता: पेंटिंग की विशेषता विस्तार पर सावधानीपूर्वक ध्यान देना एवं समरूपता की अतिरंजित भावना है।
हाल ही में, इसे हेरिटेज कंजर्वेशन एंड रिसर्च अकादमी (Heritage Conservation and Research Academy) के मधान एस. द्वारा पुनर्स्थापित किया गया था।
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