100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

INCOIS ने तटीय राज्यों में बाढ़ की चेतावनी जारी की

Lokesh Pal May 06, 2024 05:15 111 0

संदर्भ 

भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (Indian National Centre for Ocean Information Services- INCOIS) ने तटीय राज्यों में ‘मनोरंजक गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध’ के संबंध में चेतावनी जारी की है।

संबंधित तथ्य 

  • स्वेल लहरों की संभावना: सुदूर दक्षिणी हिंद महासागर से आने वाली तीव्र स्वेल लहरों के प्रभाव और अनियमित समुद्री स्थितियों के कारण स्वेल लहरों की उत्पत्ति की संभावना है।
  • मछुआरों और तटीय निवासियों के लिए सलाह: उन्हें संभावित तीव्र लहरों के संबंध में सावधान रहने की सलाह दी गई है। उदाहरण के लिए, समुद्र तटीय क्षेत्रों के निचले इलाकों में समुद्री जल भर जाना।
  • तीव्र लहरों की उत्पत्ति और गतिविधि: तीव्र लहरों की उत्पत्ति दक्षिणी अटलांटिक महासागर में भारतीय तट से लगभग 10,000 किमी. दूर हुई थी और धीरे-धीरे यह लहर दक्षिणी हिंद महासागर की ओर बढ़ी।
    • इस कारण भारतीय तटीय क्षेत्रों में उच्च ऊर्जा वाली लहरों का प्रसार हुआ है, फलस्वरूप 4 मई को भारत के दक्षिणी छोर पर इन लहरों के पहुँचने की उम्मीद है।
    • ये तीव्र लहरें उच्च ज्वार की स्थिति के साथ मिलकर 4 और 5 मई को समुद्री तटीय क्षेत्रों के निचले इलाकों में बाढ़ का कारण बन सकती हैं।

स्वेल लहरें (Swell Waves)

  • परिचय: इन लहरों का निर्माण समुद्री तरंगों से होता है, इसलिए इसे ‘स्वेल लहर’ कहा जाता है। समुद्री सतह पर लंबी तरंगदैर्ध्य के रूप में स्वेल लहरों का निर्माण होता है।
    • ये तरंगें समुद्री सतह और हवा के बीच संचरण करती हैं। इसलिए इसे प्रायः सतही गुरुत्वाकर्षण तरंगों (Surface Gravity Waves) के रूप में जाना जाता है।
  • उत्पत्ति: महासागरीय लहरों का निर्माण स्थानीय पवनों के कारण नहीं होता है, बल्कि तूफानी तरंगों या तेज पवनों के कारण होता है।
    • ऐसे तूफानों के दौरान, तीव्र पवनों से समुद्री सतही जल में भारी ऊर्जा का स्थानांतरण होता है, जिससे ऊँची लहरों का निर्माण होता है। ऐसी लहरें अपनी उत्पत्ति के केंद्र से समुद्री तट तक पहुँचने के लिए हजारों किलोमीटर की यात्रा करती हैं।
    • आमतौर पर, हिंद महासागर के दक्षिणी भाग में तीव्र पवनों के कारण लहरें उठती हैं, जो उत्तर दिशा की ओर बढ़ती हैं तथा अगले दो-तीन दिनों में भारत के केरल जैसे तटीय राज्यों तक पहुँचती हैं।
  • प्रभावित करने वाले कारक: पवन की गति, एक ही दिशा में बहने वाली पवनों से प्रभावित होने वाला समुद्र का सतही क्षेत्र [जिसे फेच (Fetch) भी कहा जाता है] तथा एक ही समुद्री क्षेत्र पर उन पवनों का प्रभाव।

स्वेल तरंगों की विशेषताएँ 

  • आवृत्तियों का कम सीमा-विस्तार: स्थानीय रूप से उत्पन्न पवन तरंगों की तुलना में स्वेल लहरों की आवृत्ति और दिशाओं का सीमा-विस्तार सीमित होता है।
    • स्वेल लहरों का आकार और दिशा निश्चित होता है, जबकि स्थानीय रूप से उत्पन्न पवन तरंग तुलनात्मक रूप में ज्यादा अनियमित होती हैं।
    • स्वेल लहरों की उत्पत्ति की दिशा ही इन तरंगों की विशेषता है, बजाय इसके कि ये तरंगें किस दिशा में बढ़ेंगी।
  • तरंग दैर्ध्य: स्वेल लहरों की तरंग दैर्ध्य आमतौर पर अधिक होती है, किंतु यह जल निकाय के आकार के अनुसार भिन्न हो सकती है। सामान्य तौर पर, इन तरंगों की तरंग दैर्ध्य कभी भी 150 मीटर से अधिक नहीं हो सकती है।
    • स्वेल लहर की तरंग दैर्ध्य भी विभिन्न परिस्थितियों में अलग-अलग हो सकती है। कभी-कभी भीषण तूफानों के परिणामस्वरूप 700 मीटर से भी अधिक ऊँची लहरें उठती हैं।

भारत में स्वेल लहरों के उदाहरण: दक्षिण अटलांटिक महासागर के कम वायुमंडलीय दबाव क्षेत्र के स्थानांतरित होने के पश्चात् इस वर्ष के मार्च महीने में स्वेल लहरों का निर्माण हुआ था।

  • इस कारण तेज पवन चलीं, फलस्वरूप 11 मीटर तक ऊँची लहरें उठीं। सामान्य तौर पर, ये लहरें केरल तट और लक्षद्वीप से टकराती हैं।

भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS)

  • स्थापना: इसकी स्थापना वर्ष 1999 में एक स्वायत्त निकाय के रूप में हुई थी।
  • नोडल मंत्रालय: यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के अंतर्गत आता है, जो पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन (Earth System Science Organisation- ESSO) की एक प्रमुख इकाई है।
  • उद्देश्य: समाज, उद्योग, सरकार और वैज्ञानिक समुदाय को समुद्री डेटा, सूचना, सलाह एवं सेवाएँ प्रदान करना।
  • INCOIS की सहायता से महासागरीय स्थितियों का पूर्वानुमान (OSF) प्राप्त किया जा सकता है जिसके अंतर्गत लहरों की ऊँचाई, दिशा, अवधि, समुद्री सतही धाराएँ, तापमान तथा अन्य विवरण शामिल होते हैं।

स्वेल लहरों का पूर्वानुमान प्रणाली (Swell Surge Forecast System): स्वेल लहरों का पूर्वानुमान लगाने के लिए वर्ष 2020 में INCOIS की शुरुआत की गई थी, जो सात दिन पूर्व चेतावनी देने में सक्षम है।

स्वेल लहरों और सुनामी के बीच अंतर

  • विशेषता: स्वेल लहरों के विपरीत, सुनामी आंतरिक समुद्री गतिविधियों से उत्पन्न होने वाली विशाल तरंगों की शृंखला है, जो आमतौर पर समुद्री के नीचे होने वाले भूकंपीय गतिविधि से संबंधित होती हैं।
  • सुनामी की गति स्वेल लहरों की तुलना में लगभग 10 गुना ज्यादा होती है। हालाँकि तटीय क्षेत्रों में दोनों की गति धीमी हो जाती है। समुद्री तटों तक पहुँचते-पहुँचते स्वेल लहरों की गति 30-50 किमी./घंटा हो जाती है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.