परिचय: यह ‘कन्जेनिटल रेटिनल डिस्ट्रॉफी’ (Congenital Retinal Dystrophies) का एक समूह है, जिसके परिणामस्वरूप कम उम्र में गंभीर दृष्टि हानि होती है। (ज्यादातर मामलों में 1 वर्ष की आयु तक)
लक्षण: निस्टागमस (Nystagmus), निष्क्रिय या लगभग अनुपस्थित पुतली की प्रतिक्रियाएँ, दृश्य तीक्ष्णता में गंभीर रूप से कमी, फोटोफोबिया एवं उच्च हाइपरोपिया।
घटना: यह 40,000 लोगों में से लगभग एक को प्रभावित करता है।
कारण: यह दृष्टिहीनता एक जीन उत्परिवर्तन के कारण होती है, जो एक प्रोटीन (CEP290) को रोकती है, जो दृष्टि के लिए महत्त्वपूर्ण है।
प्रभाव: LCA आँखों में ‘रॉड्स एंड कोन्स’ (Rods & Cones) के कार्य को प्रभावित करता है।
‘रॉड्स एंड कोन्स’ आँख की रेटिना कोशिकाओं में फोटोरिसेप्टर होते हैं, जो प्रकाश को छवियों में परिवर्तित करते हैं।
‘रॉड्स’ काले एवं सफेद रंग को देखने में बेहतर होती हैं, तथा रात्रि दृष्टि को बढ़ाती हैं, एवं ‘कोन्स’ रंग सोखने में बेहतर होते हैं।
रोकथाम: गर्भावस्था से पहले आनुवंशिक परीक्षण या प्रसवपूर्व परीक्षण से उन रोगियों की पहचान की जा सकती है, जिनकी संतानों में इस स्थिति के फैलने का खतरा है।
संबंधित तथ्य
प्रकाशित: द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (The New England Journal of Medicine)
अध्ययन के निष्कर्ष
14 प्रतिभागियों (12 वयस्क एवं दो बच्चे) के साथ क्लिनिकल परीक्षण को ब्रिलियंस (BRILLIANCE) नाम दिया गया था।
वे आनुवंशिक रूप से दृष्टिहीनता के एक दुर्लभ रूप से पीड़ित थे, जिसे ‘लेबर कन्जेनिटल अमाउरोसिस’ (Leber Congenital Amaurosis- LCA) के रूप में जाना जाता है एवं वे उन बच्चों के उपचार के लिए जीन थेरेपी का उपयोग करने वाले पहले व्यक्ति हैं, जो दृष्टिहीनता के साथ पैदा हुए थे।
परीक्षण: अध्ययन में परीक्षण किया गया कि प्रतिभागी कितनी अच्छी तरह रंगीन प्रकाश देख सकते हैं, अलग-अलग मात्रा में प्रकाश में एक छोटी पहेली को सुलझा सकते हैं, एवं उपचार प्राप्त करने के बाद एक चार्ट से पढ़ सकते हैं।
उपचार: अध्ययन में भाग लेने वालों को EDIT-101 नामक CRISPR जीन थेरेपी की एक खुराक प्राप्त हुई।
उपचार CEP290 में उत्परिवर्तन को समाप्त कर देता है एवं DNA के एक स्वस्थ ‘स्ट्रैंड’ को जीन में वापस डाल देता है, जो प्रोटीन CEP290 के सामान्य कार्य को पुनर्स्थापित करता है, जिससे रेटिना को प्रकाश का पता लगाने की अनुमति मिलती है।
निष्कर्ष: 14 में से 11 प्रतिभागियों ने कुल मिलाकर बेहतर दृष्टि का अनुभव किया, जबकि 6 प्रतिभागियों में बड़े सुधार हुए एवं वे चार्ट पर वस्तुओं तथा अक्षरों की पहचान कर सके।
EDIT-101 के कारण प्रतिभागियों पर कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा। कुछ रोगियों ने कम प्रतिकूल प्रभाव के लक्षण प्रदर्शित किए जो तुरंत ठीक हो गए।
यह एक जीन एडिटिंग टूल है एवं DNA में बदलाव करने का एक उचित तरीका है। यह DNA के विशिष्ट स्ट्रैंड को काट देता है, तथा उन्हें नए स्ट्रैंड से बदल देता है।
CRISPR: यह तंत्र का DNA-लक्षित भाग है जिसमें एक RNA अणु या ‘गाइड’ होता है, जिसे पूरक ‘बेस-पेयरिंग’ के माध्यम से विशिष्ट DNA बेस से बाँधने के लिए डिजाइन किया गया है।
Cas9: इसका मतलब CRISPR-संबद्ध प्रोटीन 9 है एवं यह न्यूक्लियस भाग है जो DNA को काटता है।
CRISPR-Cas9 प्रणाली: प्रौद्योगिकी को प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाली जीनोम एडिटिंग प्रणाली से अनुकूलित किया गया था, जिसका उपयोग बैक्टीरिया द्वारा प्रतिरक्षा के रूप में किया जाता है।
यह प्रतिरक्षा प्रणाली की तरह कार्य करके जीवों को भविष्य में इसी तरह के वायरस को पहचानने एवं उनसे लड़ने में मदद करता है।
मान्यता: वर्ष 2020 में ‘इमैनुएल चार्पेंटियर’ एवं ‘जेनिफर ए डौडना’ को CRISPR-Cas9 की खोज के लिए रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
अनुप्रयोग: शोधकर्ता DNA की सटीक रूप से एडिटिंग करने के लिए CRISPR का उपयोग करते हैं एवं इसका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
आनुवंशिक रोगों के उपचार में
सूखा प्रतिरोधी पौधे तैयार करने में
खाद्य फसलों को संशोधित करने में
विलोपन परियोजनाओं में
भविष्य में संभावना
अब तक, केवल एक CRISPR उपचार को नैदानिक उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया है। कैसगेवी (Casgevy) अर्थात् सिकल सेल रोग का इलाज दिसंबर 2023 से अमेरिका, ब्रिटेन एवं यूरोपीय संघ में उपलब्ध है।
नैदानिक परीक्षण: HIV/AIDS, मधुमेह, कैंसर, हृदय रोगों एवं एंटीबायोटिक प्रतिरोध के लिए अन्य CRISPR उपचारों का परीक्षण किया जा रहा है तथा 200 से अधिक लोगों का प्रयोगात्मक CRISPR प्रौद्योगिकियों के साथ उपचार किया गया है।
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