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भ्रामक विज्ञापनों में उत्पादों के लिए मशहूर हस्तियाँ उत्तरदायी: उच्चतम न्यायालय

Lokesh Pal May 09, 2024 03:30 149 0

संदर्भ

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि भ्रामक विज्ञापनों में उत्पादों या सेवाओं का समर्थन करने के लिए सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर एवं मशहूर हस्तियाँ समान रूप से उत्तरदायी होंगे।

भ्रामक या सरोगेट विज्ञापन: वर्ष 2019 का उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम किसी भी सामान या सेवा के लिए भ्रामक विज्ञापन को परिभाषित करता है:-

  • किसी उत्पाद या सेवा का गलत वर्णन करना।
  • झूठी गारंटी देना।
  • एक व्यक्त या निहित प्रतिनिधित्व करना जो एक अनुचित व्यापार अभ्यास होगा।
  • महत्त्वपूर्ण जानकारी छुपाना उपभोक्ताओं को गुमराह करने के सभी उदाहरण हैं।

संबंधित तथ्य

  • पतंजलि के विज्ञापनों के विरुद्ध IMA की याचिका: न्यायालय ने एलोपैथी को लेकर दुष्प्रचार करने वाले एवं कुछ बीमारियों के इलाज के दावे करने वाले पतंजलि के विज्ञापनों के विरुद्ध इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA ) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई की।

उच्चतम न्यायालय का निर्णय

  • विज्ञापनदाताओं एवं समर्थनकर्ताओं की जिम्मेदारी: विज्ञापनदाता या विज्ञापन एजेंसियाँ ​​या समर्थनकर्ता झूठे एवं भ्रामक विज्ञापन जारी करने के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं।
  • सार्वजनिक हस्तियों, प्रभावशाली व्यक्तियों एवं मशहूर हस्तियों का महत्त्व: इसमें विज्ञापनों के दौरान जिम्मेदारी से उत्पादों का समर्थन करने वाली सार्वजनिक हस्तियों, प्रभावशाली लोगों एवं मशहूर हस्तियों के महत्त्व पर जोर दिया गया।
  • पारदर्शिता के लिए दिशा-निर्देश: इसमें केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) के दिशा-निर्देशों पर प्रकाश डाला गया है, जो प्रभावशाली लोगों द्वारा भुगतान किए गए समर्थन के संबंध में पारदर्शिता के महत्त्व पर जोर देता है।
    • दिशा-निर्देश 8: बच्चों को लक्षित करने वाले या उन्हें शामिल करने वाले विज्ञापनों के बारे में।
    • दिशा-निर्देश 12: निर्माताओं, सेवा प्रदाताओं एवं विज्ञापन एजेंसियों की जिम्मेदारियाँ।
      • यह सुनिश्चित करता है कि ज्ञान की कमी के कारण उपभोक्ताओं के विश्वास से समझौता नहीं किया जाता है या उनका लाभ नहीं उठाया जा सकता है।
  • दिशा-निर्देश 13: विज्ञापनों के लिए उचित जिम्मेदारी लेने की आवश्यकता है और किसी उत्पाद का समर्थन करने वाले व्यक्ति के पास समर्थन किए जाने वाले विशिष्ट खाद्य उत्पाद के बारे में पर्याप्त जानकारी या अनुभव होना आवश्यक है एवं यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि यह भ्रामक नहीं है।
  • ब्रॉडकास्टर्स की जिम्मेदारी: न्यायालय ने कहा कि ब्रॉडकास्टर्स को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा संचालित ब्रॉडकास्ट सेवा पोर्टल पर स्व-घोषणा पत्र दाखिल करना होगा।

  • इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA): यह आधुनिक वैज्ञानिक चिकित्सा प्रणाली के डॉक्टरों का एकमात्र प्रतिनिधि, राष्ट्रीय स्वैच्छिक संगठन है, जो डॉक्टरों के हितों के साथ-साथ बड़े पैमाने पर समुदाय के कल्याण का ध्यान रखता है।
  • प्रसारण सेवा पोर्टल: यह हितधारकों को प्रसारण संबंधी गतिविधियों के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी आवश्यक अनुमति, पंजीकरण, लाइसेंस आदि के लिए अनुरोध करने के लिए एकल बिंदु सुविधा प्रदान करता है।
  • औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम, 1945: इसने दवाओं को अनुसूची में वर्गीकृत किया एवं प्रत्येक श्रेणी की बिक्री, भंडारण और नुस्खे के लिए नियम प्रदान किए।

  • इसने केंद्र सरकार को प्रिंट मीडिया पर विज्ञापनों के लिए ऐसे स्व-घोषणा पत्र दाखिल करने के लिए एक नया पोर्टल स्थापित करने का आदेश दिया।
  • नियम 170 को हटाने के निर्देश की आलोचना: यह निर्णय औषधि एवं कॉस्मेटिक नियम, 1945 के नियम 170 के तहत आयुर्वेदिक एवं आयुष उत्पादों से जुड़े विज्ञापनों से निपटने के संबंध में सरकार के निर्देश की उच्चतम न्यायालय की आलोचना के बाद आया है।
    • AYUSH मंत्रालय ने सभी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश लाइसेंसिंग प्राधिकारियों एवं AYUSH के औषधि नियंत्रकों को वर्ष 1945 नियमों के उप-नियम 170 (और संबंधित प्रावधानों) को हटाने के संबंध में निर्देश दिया।
    • नियम 170 लाइसेंसिंग अधिकारियों की मंजूरी के बिना आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी दवाओं के विज्ञापनों पर रोक लगाता है।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA)

  • परिचय: CCPA उपभोक्ताओं के अधिकारों को प्रभावित करने वाले मामलों को सँभालने के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 10(1) के तहत स्थापित एक नियामक निकाय है।
    • CCPA उन व्यक्तियों या संस्थाओं को लक्षित करता है, जो अनुचित व्यापार प्रथाओं का पालन करते हैं या सार्वजनिक हित को प्रभावित करने वाले अनुचित या गलत विज्ञापन प्रदर्शित करते हैं।
  • संरचना: प्रमुख के रूप में मुख्य आयुक्त एवं सदस्य के रूप में केवल दो अन्य आयुक्त, जिनमें से एक माल से संबंधित मामलों को देखेगा जबकि दूसरा सेवाओं से संबंधित मामलों को देखेगा।
  • नोडल मंत्रालय: उपभोक्ता मामले के मंत्रालय (भारत सरकार)।

भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम एवं भ्रामक विज्ञापनों के समर्थन के लिए दिशा-निर्देश 2022 के प्रमुख प्रावधान

  • सरोगेट विज्ञापनों पर रोक लगाना: उन वस्तुओं या सेवाओं के लिए कोई सरोगेट विज्ञापन (जैसे- सोडा/संगीत के लिए अल्कोहल ब्रांडों का विज्ञापन) नहीं किया जाएगा, जिनका विज्ञापन निषिद्ध या प्रतिबंधित है।
  • बच्चों को लक्षित करना प्रतिबंधित करना: बच्चों की अनुभवहीनता का लाभ उठाने वाले विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
  • जुर्माना: उल्लंघन पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 एवं कानून के अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है।
    • CCPA निर्माताओं, विज्ञापनदाताओं एवं एंडोर्सर्स पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगा सकता है। बाद के अपराधों के लिए जुर्माना 50 लाख रुपये तक हो सकता है।

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