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शी जिनपिंग की यात्रा: विभाजित यूरोप और भारत के लिए चुनौतियाँ

Lokesh Pal May 08, 2024 05:45 323 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: यूरोपीय मुक्त व्यापार समझौता, यूरोपीय संघ, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: चीन का उदय, विभाजित यूरोप और भारत के लिए चुनौतियाँ

संदर्भ :

शी जिनपिंग की यूरोप यात्रा, यूरोप के भीतर और अटलांटिक पार संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ विभाजन का फायदा उठाने संबंधी चीन की बड़ी कूटनीति  को उजागर करता  है।

चीन का प्रभाव:

  • यूरोप की शक्ति गत्यात्मकता : चीन प्रमुख की यूरोप यात्रा अमेरिका, रूस और चीन के बीच शक्ति संतुलन  के  प्रबंधन के संबंध में यूरोप की चुनौतियों को उजागर करती है।
  • यूरोप की मुश्किल स्थिति: वाशिंगटन में ट्रम्प की सत्ता में वापसी की संभावना, यूक्रेन में रूस की बढ़ती सैन्य सक्रियता और बीजिंग के बढ़ते आर्थिक दबाव के कारण यूरोप स्वयं को तेजी से घिरता हुआ महसूस कर रहा है।
  • अमेरिका, रूस, चीन की चुनौतियों का समाधान : फ्रांस द्वारा दिए गए चेतावनी के अनुसार अगर यूरोप द्वारा अमेरिका, रूस और चीन द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों का सामना  करने की दिशा में एकजुट होकर कार्य नहीं किया गया, तो यूरोप ख़त्म हो सकता है।

चीन द्वारा यूरोप को प्रलोभन :

  • जासूसी कांड के मध्य दौरा: जासूसी घटना के पांच वर्ष पश्चात् चीनी प्रधानमंत्री द्वारा की जाने वाली यह यात्रा यूरोपीय देशों के मध्य बढ़ती चीनी पैठ की ओर इशारा करती है।
  • चीनी ईवी डंपिंग(EV Dumping): इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि यह यात्रा चीन द्वारा ऐसे समय में की जा रही है जब चीन द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों की डंपिंग की यूरोप द्वारा  जांच और चीन के ईवी निर्माताओं के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों की संभावना व्यक्त की जा रही थी ।
  • व्यापार युद्ध को रोकने हेतु चीन के प्रयास: चीनी प्रधान मंत्री, यूरोपीय लोगों को चीन के साथ व्यापार युद्ध को रोकने और बीजिंग के साथ आर्थिक संबंधों को “जोखिम रहित” करने संबंधी यूरोपीयन रणनीति को परिवर्तित करने हेतु राजी करना चाहते हैं।
  • चीन के पास यूरोप को देने के लिए आर्थिक प्रलोभन के रूप में निवेश क्षमता मौजूद हैं।
  • हंगरी और सर्बिया में चीन का प्रभाव: चीन के सहयोगी हंगरी में वहां के राष्ट्रपति विक्टर ओर्बन द्वारा एक इलेक्ट्रिक वाहन फैक्ट्री स्थापित करने संबंधी बीजिंग के प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी ,जो संभावित रूप से स्वदेशी उद्योग विकास की दिशा में यूरोप की आकांक्षाओं को निराश करेगा । चीन पहले से ही सर्बियाई अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण निवेशक रहा है।
  • फ्रांस द्वारा चीनी निवेश को आकर्षित करना: फ्रांस जहाँ चीनी निवेश को आकर्षित करने हेतु उत्सुक है, वही वह इस बात पर भी जोर देता है कि अमेरिका द्वारा चीन को अलग-थलग करने संबंधी प्रयास में फ़्रांस भाग नहीं लेगा।
  • यूरोपीय रणनीतिक स्वायत्तता: चीनी प्रधान मंत्री की यात्रा से पहले, मैक्रॉन द्वारा यूरोपीय रणनीतिक स्वायत्तता को दोहराया जा चुका है जिसके तहत यूरोप को अमेरिका और चीन के मध्य शक्ति संतुलन के रूप में स्थापित किया गया ।

रूस के लिए चीन का समर्थन :

  • यूरोप की चिंता: जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने में चीन के आर्थिक मूल्य और वैश्विक भूमिका के बावजूद, यूक्रेन पर पुतिन द्वारा किये गए आक्रमण को चीन द्वारा प्राप्त समर्थन से  यूरोप में चिंता व्याप्त है।
  • मध्य यूरोप को अस्थिर करना: पूर्वी यूक्रेन में जैसे-जैसे रूस द्वारा रक्षात्मक रुख से ज्यादा  आक्रामक रुख अपनाया जा रहा है वैसे-वैसे पुतिन की मध्य यूरोप को अस्थिर करने संबंधी  क्षमता को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं।
  • फ्रांस के रुख में बदलाव: वर्ष 2022 की शुरुआत में फ्रांस द्वारा रूस से संपर्क स्थापित करते हुए यूक्रेन में युद्ध को रोकने की मांग की गयी थी, जिसके तहत यह तर्क प्रस्तुत किया गया था कि रूस यूरोपीय सुरक्षा विन्यास का एक स्वाभाविक हिस्सा है, जिसे अलग-थलग नहीं किया जाना चाहिए।
  • हालाँकि वर्तमान में फ्रांस द्वारा पुष्टि की गयी है कि रूस यूरोप के भविष्य के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
  • फ्रांस का प्रस्ताव: फ्रांस द्वारा यह विचार भी रखा गया कि रूस की सेनाओं को आगे बढ़ने से रोकने के लिए यूरोप को यूक्रेन में सेना भेजने के लिए तैयार रहना चाहिए।
  •  लेकिन इस प्रस्ताव को जर्मनी सहित पूरे यूरोप में काफी प्रतिरोध का सामना करना पड़ा ,क्योंकि वे यूक्रेन में अपनी सेना भेजने को सहमत नहीं थे ।
  • यूक्रेन शांति वार्ता में चीन की भूमिका: यूरोप के कुछ लोगों का मानना ​​है कि चीन एकमात्र विश्व शक्ति है जो यूक्रेन के प्रति रूस के दृष्टिकोण को प्रभावित करने में सक्षम है। इस वर्ष जून में स्विट्जरलैंड द्वारा प्रस्तावित यूक्रेन शांति सम्मेलन में चीनी प्रमुख की भागीदारी को लेकर उन्हें कई उम्मीदें हैं ।
  • यूरोपीय विभाजनों को उजागर करना: हंगरी और सर्बिया के नेताओं के साथ चीन की मित्रता यूरोप में विभाजनों और चीन-रूस गठबंधन संबंधी समर्थन को रेखांकित करने का कार्य करेगी।

मुख्य चुनौती:

  • भारत के भू-राजनीतिक संबंधों पर प्रभाव: भू-राजनीति से जुड़े तीन अवांछनीय विकल्पों के संबंध में यूरोपीय प्रतिक्रिया के अमेरिका, रूस और चीन के साथ भारत के संबंधों पर कथित परिणाम देखने को मिलेंगे ।
  • यूरोप की सुरक्षा गत्यात्मकता : यूरोप रूस को प्रमुख खतरे और चीन को एक अवसर के रूप में देखता है एवं साथ ही उस पर अमेरिका का दबाव है कि वह रूस के खिलाफ यूरोप में रक्षा व्यय का एक बड़ा हिस्सा साझा करे और चीन के खिलाफ अमेरिकी संतुलन संबंधी प्रयास को बढ़ावा देकर एशियाई सुरक्षा में योगदान दे।
  • भारत का भूराजनीतिक परिप्रेक्ष्य: भारत बीजिंग को अपनी प्राथमिक चुनौती के रूप में देखता है, जबकि मास्को को समाधान के हिस्से के रूप में देखता है।

आगे की राह :

  • यूरोप के साथ भारत का जुड़ाव: यदि भारत का लक्ष्य वाशिंगटन, ब्रुसेल्स, मॉस्को और बीजिंग के बीच संबंधों में आने वाले महत्वपूर्ण बदलावों के प्रभाव से बचना है, तो उसे यूरोप के साथ अपनी भागीदारी को बढ़ानी होगी।
  • इसमें व्यापार और यूक्रेन जैसे सुरक्षा मुद्दों के समाधान पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए। हाल के वर्षों में, यूरोप की ऐतिहासिक उपेक्षा के कारण भारत यूरोप से दूर हो  गया है।
  • भारत की यूरोपीय पहुंच: भारत ने फ्रांस जैसी यूरोपीय शक्तियों, नॉर्डिक्स जैसे उप-क्षेत्रीय समूहों, EFTA जैसे छोटे आर्थिक समूहों और यूरोपीय संघ के साथ अपने सम्बन्ध का विस्तार किया है। हालाँकि, अभी भी भारत को यूरोप में अपनी रणनीतिक क्षमता का पूरी तरह से विस्तार करना बाकी है।

निष्कर्ष:

जिस प्रकार भारत यूरोप में अपना विस्तार कर रहा है उसे देखते हुए भारत को वैश्विक स्थिरता और सहयोग में योगदान करते हुए अपने हितों की रक्षा के प्रति सतर्क और सक्रिय रहना चाहिए।

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :                                                                           (UPSC : 2017)              

प्रश्न.  ‘व्यापक-आधायुक्त व्यापार और निवेश करार (ब्रॉड-बेस्ड ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट एग्रीमेंट/BTIA)’ कभी-कभी समाचारों में भारत तथा निम्नलिखित में से किस एक के बीच बातचीत के संदर्भ में दिखाई पड़ता है।

  1. यूरोपीय संघ
  2. खाड़ी सहयोग परिषद
  3. आर्थिक सहयोग और विकास संगठन
  4. शंघाई सहयोग संगठन

उत्तर:  (a)

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