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संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता के लिए फिलिस्तीन की पहल

Lokesh Pal May 13, 2024 06:45 118 0

संदर्भ 

भारत ने 142 अन्य देशों के साथ फिलिस्तीन के लिए पूर्ण संयुक्त राष्ट्र सदस्यता हेतु योग्यता निर्धारित करने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव के मसौदे के पक्ष में मतदान किया।

संबंधित तथ्य

फिलिस्तीन को, एक नॉन मेंबर आब्जर्वर स्टेट (Non Member Observer state) के रूप में, महासभा में मतदान करने या संयुक्त राष्ट्र के अंगों के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने का अधिकार नहीं है।

पिछले कुछ वर्षों में फिलिस्तीन की सदस्यता पर भारत का रुख

  • भारत ने इजरायल के साथ शांति, सुरक्षा और मान्यता प्राप्त सीमाओं के दायरे में फिलिस्तीन के एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य स्टेट की स्थापना के लिए टू-स्टेट समाधान के लिए अपना समर्थन दोहराया है।
  • भारत पहला गैर-अरब राष्ट्र था, जिसने वर्ष 1974 में फिलिस्तीन लिबरेशन संगठन (Palestine Liberation Organisation-PLO) को फिलिस्तीनी लोगों के एकमात्र और वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता दी थी।
  • भारत वर्ष 1988 में फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था।
  • भारत सरकार ने वर्ष 1996 में गाजा में अपना प्रतिनिधि कार्यालय खोला, जिसे बाद में वर्ष 2003 में रामल्लाह में स्थानांतरित कर दिया गया।

‘संकल्प’ के बारे में 

नामित: संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन की पूर्ण सदस्यता के समर्थन में अरब समूह द्वारा संयुक्त राष्ट्र संकल्प में नए सदस्यों का प्रवेश प्रस्तुत किया गया था।

  • प्रस्ताव के पक्ष में भारत समेत 143 वोट पड़े, विपक्ष में 9 वोट पड़े (संयुक्त राज्य अमेरिका, इजरायल, अर्जेंटीना, चेक गणराज्य, हंगरी, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पलाऊ और पापुआ न्यू गिनी शामिल हैं।) और 25 देश अनुपस्थित रहे।
  • यह प्रस्ताव अरब समूह के अध्यक्ष के रूप में संयुक्त अरब अमीरात द्वारा प्रस्तुत किया गया था और 193 सदस्यीय महासभा ने प्रस्ताव पर मतदान करने के लिए एक आपातकालीन विशेष सत्र के लिए बैठक आयोजित की थी।
  • पारित: यह प्रस्ताव फिलिस्तीन को ‘अधिकार और विशेषाधिकार’ देने से संबंधित है और साथ ही संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद-4 के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के 194वाँ सदस्य बनने के फिलिस्तीन के अनुरोध पर पुनर्विचार करने हेतु सुरक्षा परिषद से आह्वान भी किया गया।
    • इसने सुरक्षा परिषद को UNGA के इस दृढ़ संकल्प के आलोक में मामले पर अनुकूल ढंग से पुनर्विचार करने की सिफारिश की।

संयुक्त राष्ट्र चार्टर का अनुच्छेद-4

  • सदस्यता: यह उन सभी शांतिप्रिय राष्ट्रों के लिए खुला है, जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर के दायित्वों को स्वीकार करते हैं और संगठन के निर्णय के अनुसार, इन दायित्वों को पूरा करने में सक्षम एवं इच्छुक हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र में सदस्यता के लिए ऐसे किसी भी राज्य का प्रवेश सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा के निर्णय से प्रभावित होगा।

  • क्या फिलिस्तीन अब पूर्ण सदस्य है? 
    • नहीं, हालिया प्रस्ताव, फिलिस्तीन को कुछ नए अधिकार और विशेषाधिकार प्रदान करते हुए, मोटे तौर पर पुष्टि करता है कि यह पूर्ण संयुक्त राष्ट्र सदस्यता के बिना एक गैर-सदस्य पर्यवेक्षक राष्ट्र बना हुआ है, क्योंकि प्रस्ताव केवल यह निर्धारित करता है कि फिलिस्तीन राष्ट्र सदस्यता के लिए योग्य है या नहीं।
  • अतिरिक्त अधिकार: यह वर्ष 2024 में सितंबर में शुरू होने वाले महासभा के 79वें सत्र से प्रभावी होगा।
    • सदस्य देशों के बीच वर्णानुक्रम के अनुसार बैठने का अधिकार।
    • प्रमुख समूहों के प्रतिनिधियों सहित किसी समूह की ओर से बयान देने का अधिकार।
    • फिलिस्तीन के प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को महासभा की पूर्ण बैठक और मुख्य समितियों में अधिकारियों के रूप में चुने जाने का अधिकार।
    • सिर्फ फिलिस्तीनियों और मध्य पूर्व से संबंधित मुद्दों पर ही नहीं बल्कि सभी मुद्दों पर बोलने का अधिकार।
    • एजेंडा प्रस्तावित करना और वार्ता में जवाब देना।
    • यह फिलिस्तीनियों को संयुक्त राष्ट्र और संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में वोट देने के अधिकार के बिना भाग लेने की अनुमति देता है।

संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता के लिए संघर्ष की पृष्ठभूमि

  • फिलिस्तीन विभाजन: वर्ष 1947 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव को अपनाते हुए तत्कालीन जनादेश वाले फिलिस्तीन को दो राष्ट्रों, एक यहूदी और एक अरब में विभाजित कर दिया। वर्ष 1949 में केवल इजरायल ही संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य बना।
  • पर्यवेक्षक का दर्जा: वर्ष 1975 में, महासभा ने फिलिस्तीनी लोगों के अविभाज्य अधिकारों के प्रयोग पर समिति की स्थापना की और PLO को महासभा और संयुक्त राष्ट्र सम्मेलनों में पर्यवेक्षक का दर्जा प्रदान किया।
  • नॉन मेंबर आब्जर्वर स्टेट (Non-Member Observer state): UNGA द्वारा इस पर एक प्रस्ताव पारित करने के बाद फिलिस्तीन को वर्ष 2012 में स्थायी पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त हुआ।
  • पूर्ण सदस्य की अस्थायी शक्तियाँ: फिलिस्तीन के पास वर्ष 2019 में G-77 और चीन समूह के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान एक पूर्ण सदस्य की शक्तियाँ भी थीं।

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