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भारत सौर ऊर्जा का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया

Lokesh Pal May 14, 2024 05:15 380 0

संदर्भ

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा विश्लेषण एजेंसी एम्बर की रिपोर्ट, ग्लोबल इलेक्ट्रिसिटी रिव्यू 2024 (Global Electricity Review 2024) के अनुसार, भारत वर्ष 2023 में जापान को पीछे छोड़कर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक बन गया।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • अग्रणी सौर ऊर्जा उत्पादक: दुनिया में सौर ऊर्जा का अग्रणी उत्पादक चीन है, जिसने वर्ष 2024 में 584 बिलियन यूनिट (BU) सौर ऊर्जा का उत्पादन किया।
    • चीन के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका (US) का स्थान है।
  • भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन: जापान के 110 BU की तुलना में भारत ने वर्ष 2023 में 113 बिलियन यूनिट (BU) सौर ऊर्जा का उत्पादन किया।
    • वर्ष 2023 में उत्पादन, वर्ष 2015 (6.6 BU) की तुलना में 17 गुना अधिक था।
  • स्थापित विद्युत क्षमता के मामले में रैंक: नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों सहित स्थापित विद्युत क्षमता के मामले में, भारत 73 गीगावाट (1 गीगावाट एक अरब वाट के बराबर होता है) के साथ दुनिया में पाँचवें स्थान पर है, जबकि जापान तीसरे स्थान (83 गीगावाट) पर है। 
  • जापान में विद्युत की माँग में गिरावट: वर्ष 2021 और 2022 में लगातार वृद्धि के बाद वर्ष 2023 में जापान ने विद्युत की माँग में 2% (2 BU) की गिरावट का अनुभव किया, जिससे भारत जापान से आगे निकल गया।
    • अगले वर्ष में इस प्रवृत्ति की स्थिरता अनिश्चित बनी हुई है।
  • सौर उत्पादन में संयुक्त राज्य अमेरिका से आगे निकलने के भारत के प्रयास: वर्तमान में दूसरे स्थान पर मौजूद संयुक्त राज्य अमेरिका से आगे निकलने के लिए, भारत को अपने वर्तमान सौर उत्पादन को दोगुना करने और 228 BU से अधिक करने की आवश्यकता होगी।
  • संभावित और वास्तविक आउटपुट के बीच विसंगति: नीति आयोग के आँकड़ों के अनुसार, मई 2024 तक भारत की 442 गीगावाट की कुल स्थापित विद्युत क्षमता में सौर ऊर्जा का योगदान 18% था।
    • हालाँकि, यह उत्पन्न वास्तविक विद्युत का केवल 6.66% था, जो संभावित और वास्तविक उत्पादन के बीच असमानता को उजागर करता है।
  • भारत में कार्बन गहन विद्युत उत्पादन: भारत का विद्युत उत्पादन वैश्विक औसत (480 gCO2/kWh) की तुलना में अधिक कार्बन-सघन (713 gCO2 प्रति kWh) है, वर्ष 2023 में उत्पादन का तीन-चौथाई हिस्सा कोयले का होगा।
    • हालाँकि, विद्युत क्षेत्र से भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक औसत (1.0 tCO2 बनाम 1.8 tCO2) का सिर्फ आधा है और एशिया में औसत (2.1 tCO2) से भी नीचे है। वे G20 में भी चौथे सबसे निचले स्थान पर हैं।
    • वर्ष 2000 के बाद से कोयले में सबसे बड़ी वृद्धि हुई, जो वर्ष 2000 में 390 BU से लगभग चार गुना (+1,090 BU) बढ़कर वर्ष 2023 में 1,480 BU हो गई।
  • कोयला हिस्सेदारी में वृद्धि: कोयला उत्पादन की हिस्सेदारी वर्ष 2000 में 68% से बढ़कर वर्ष 2023 में 75% हो गई। गैस और अन्य जीवाश्म ईंधन से उत्पादन में गिरावट आई।
    • वर्ष 2000 में, भारत के विद्युत उत्पादन में पवन और सौर ऊर्जा का हिस्सा केवल 0.3% था, लेकिन वर्ष 2023 में बढ़कर 9.9% हो गया।

सौर ऊर्जा

  • सौर ऊर्जा के बारे में: सौर ऊर्जा सूर्य से प्राप्त ऊर्जा है, जिसे तापीय या विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
  • प्रौद्योगिकी: इसे या तो फोटोवोल्टिक (Photovoltaic-PV) पैनलों या दर्पणों के माध्यम से प्राप्त किया जाता है, जो सौर विकिरण को संकेंद्रित करते हैं।
    • PV सेल सौर विकिरण (सूर्य का प्रकाश) को विद्युत में परिवर्तित करते हैं।
    • संकेंद्रित सौर ऊर्जा प्रणालियाँ, विद्युत उत्पादन के लिए उच्च तापमान ऊर्जा स्रोत के रूप में संकेंद्रित सौर विकिरण का उपयोग करती हैं।
  • सबसे स्वच्छ नवीकरणीय ऊर्जा: इसे पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों के विकल्प के रूप में मान्यता दी गई है। यह उपलब्ध सबसे स्वच्छ और प्रचुर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है।

भारत में सौर ऊर्जा

  • ऊर्जा परिवर्तन लक्ष्य: भारत की वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से लगभग 500 गीगावाट, यानी अपनी विद्युत की लगभग आधी आवश्यकता, प्राप्त करने की महत्त्वाकांक्षी योजना है।
    • उस वर्ष तक सौर ऊर्जा से कम-से-कम 280 गीगावाट या वर्ष 2030 तक सालाना कम-से-कम 40 गीगावाट सौर क्षमता जोड़ी जाएगी।
  • भारत में आपतित सौर ऊर्जा: भारत के भूमि क्षेत्र पर प्रति वर्ष लगभग 5,000 ट्रिलियन kWh की ऊर्जा आपतित होती है, जिसमें अधिकांश भाग प्रति दिन 4 से 7 kWh m2 प्राप्त करते हैं।
    • देश की मौजूदा नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में सौर ऊर्जा की बड़ी हिस्सेदारी है, जो लगभग 180 गीगावाट है।
  • रूफ टॉप सौर स्थापित क्षमता का हिस्सा: दिसंबर 2023 तक यह लगभग 11.08 गीगावाट है।
  • सबसे बड़ी सौर क्षमता वाला राज्य: राजस्थान 18.7 गीगावाट के साथ शीर्ष पर है, इसके बाद गुजरात 10.5 गीगावाट के साथ दूसरे स्थान पर है।
  • सबसे बड़ी रूफटॉप सौर क्षमता वाला राज्य: गुजरात 2.8 गीगावाट और महाराष्ट्र 1.7 गीगावाट के साथ सूची में शीर्ष पर है।

भारत में सौर ऊर्जा के पीछे प्रेरक कारक

  • अनुकूल भूगोल: वर्ष भर सूर्य की रोशनी की प्रचुरता के कारण भारत सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिए आदर्श रूप से अनुकूल है।
    • भारत का भूमि क्षेत्र सालाना लगभग 5,000 ट्रिलियन kWh ऊर्जा प्राप्त करता है, अधिकांश क्षेत्रों में 4-7 kWh प्रति वर्ग मीटर/दिन प्राप्त होता है।
  • सौर ऊर्जा टैरिफ में गिरावट: वर्ष 2015 से सौर ऊर्जा टैरिफ में तेजी से गिरावट लगभग 6 रुपये/kWh से लगभग 2.5 रूपये प्रति किलोवाट घंटा (kWh) हो गई है, जिसने सौर टैरिफ को पारंपरिक थर्मल पॉवर के साथ लागत-प्रतिस्पर्द्धी बना दिया है।
    • आदर्शतः  प्रतिस्पर्द्धी सौर टैरिफ की उपलब्धता से सौर ऊर्जा को अधिक-से-अधिक अपनाने को बढ़ावा मिलना चाहिए, जिससे राज्यों में स्वच्छ ऊर्जा निवेश निर्णय प्रभावित होंगे।
  • सौर क्षमता: भारत में अनुमानित सौर ऊर्जा क्षमता 748.99 गीगावाट है, जो दर्शाता है कि सौर ऊर्जा की पूरी क्षमता का दोहन अभी तक नहीं किया जा सका है।
  • प्रौद्योगिकी लागत में गिरावट: नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की लागत नीचे की ओर जा रही है, जिससे व्यवसायों और व्यक्तिगत उपभोक्ताओं के लिए सामर्थ्य बढ़ रही है।
  • बढ़ती ऊर्जा माँग: भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि ऊर्जा की बढ़ती माँग में तब्दील हो गई है। यह माँग नवीकरणीय ऊर्जा निवेश के लिए एक बड़ा बाजार प्रदान करती है, जिससे कंपनियों को इस क्षेत्र में उद्यम करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है।
  • रोजगार सृजन: जैसे-जैसे क्षेत्र का विस्तार होगा, अधिक नौकरियाँ पैदा होंगी, जिससे व्यक्तियों को स्थायी ऊर्जा परिवर्तन में योगदान करने का मौका मिलेगा।

भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन की चुनौतियाँ

  • रूफ टॉप सोलर योजना के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ
    • घाटे में चल रही डिस्कॉम: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (Centre for Science and Environment-CSE) द्वारा दिसंबर 2023 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) से रूफ टॉप सौर प्रणालियों के लिए राष्ट्रीय ग्रिड तक निर्बाध पहुँच और कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने की उम्मीद की गई थी।
      • कर्ज में डूबी डिस्कॉम के साथ अप्रभावी साझेदारी के कारण ग्रिड को अतिरिक्त विद्युत बेचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
    • धीमी प्रगति: भारत ने वर्ष 2022 तक 40 गीगावाट रूफ टॉप क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया था, लेकिन वर्ष 2023 के अंत तक, केवल 11 गीगावाट ही प्राप्त किया जा सका, जिसमें 3 गीगावाट घरों में और बाकी वाणिज्यिक या औद्योगिक संपत्तियों में शामिल है।
      • परिणामतः लक्ष्य को अब वर्ष 2026 तक 100 गीगावाट (रूफ टॉप सौर प्रतिष्ठानों से) के रूप में संशोधित किया गया है, जिसमें से 40 गीगावाट अकेले आवासीय क्षेत्र से आएगा।
  • RPO लक्ष्यों की प्राप्ति न होना: सरकारी आँकड़ों के अनुसार, 30 में से लगभग 25 राज्यों में अपने वार्षिक सौर RPO लक्ष्यों को पूरा करने में कमी है।

नवीकरणीय खरीद दायित्व (Renewable Purchase Obligations- RPO)

  • ये प्रत्येक राज्य में विद्युत खरीदारों, जैसे डिस्कॉम, कैप्टिव विद्युत उत्पादकों और खुली पहुँच वाले उपभोक्ताओं को सालाना एक निश्चित न्यूनतम मात्रा में नवीकरणीय ऊर्जा खरीदने हेतु बाध्य करने के लिए डिजाइन किए गए तंत्र हैं।

  • भारी आयात निर्भरता: भारत सौर सेल एवं मॉड्यूल की अपनी माँग को पूरा करने के लिए आयात पर बहुत अधिक निर्भर है। चीन और वियतनाम इन उत्पादों के प्राथमिक आपूर्तिकर्ता हैं।
    • पिछले पाँच वर्षों में, भारत ने लगभग 11.17 बिलियन डॉलर मूल्य के इन उत्पादों का आयात किया, जो इसी अवधि के दौरान भारत के कुल निर्यात का लगभग 0.4% है।
  • भारत में कम विनिर्माण क्षमता: भारत की घरेलू विनिर्माण क्षमता चीन की तुलना में काफी कम है और यह मुख्य रूप से संपूर्ण उत्पादन प्रक्रिया के बजाय अंतिम चरण (मॉड्यूल) पर केंद्रित है।
    • चीन भारत के सौर सेल आयात का 53% और सौर PV मॉड्यूल आयात का 63% आपूर्ति करता है।
  • अपर्याप्त ग्रिड अवसंरचना भारत की वर्तमान ग्रिड अवसंरचना, पारंपरिक जीवाश्म ईंधन-आधारित विद्युत उत्पादन का समर्थन करने के लिए डिजाइन की गई थी, जो अधिक पूर्वानुमानित एवं विश्वसनीय है।
    • उदाहरण के रूप में लेह में विशाल सौर संयंत्र बनाने की योजना हाल ही में ट्रांसमिशन बुनियादी ढाँचे की कमी के कारण रद्द कर दी गई थी।
  • आंतरायि (Intermittency): यह स्थिर माँग के साथ आपूर्ति के मिलान में एक चुनौती पेश कर रहा है, विशेषकर शाम की व्यस्त अवधि के दौरान।
    • नवीकरणीय ऊर्जा की आंतरायिकता से ग्रिड में असंतुलन उत्पन्न होता है, जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा की बर्बादी, ग्रिड अस्थिरता और बैकअप पॉवर स्रोतों पर निर्भरता होती है।
    • हीट वेव और तूफान जैसी प्रतिकूल मौसम की स्थिति विद्युत आपूर्ति में बाधा डाल सकती है और ब्लैकआउट का कारण बन सकती है।
  • घटती सौर क्षमता: भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जर्नल ‘मौसम’ में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि एरोसोल लोड बढ़ने के कारण देश में सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता में काफी कमी आ रही है।
    • बढ़े हुए एरोसोल के कारकों में कार्बन उत्सर्जन से निकलने वाले सूक्ष्म कण, जीवाश्म ईंधन का जलना और धूल एवं बादल शामिल हैं।

भारत में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल

  • वैश्विक सौर सुविधा: यह ISA द्वारा सौर ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए बनाया गया एक भुगतान गारंटी कोष है, जिसका ध्यान पूरे अफ्रीका में वंचित क्षेत्रों और भौगोलिक क्षेत्रों पर केंद्रित है।
  • अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance-ISA): यह पेरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के दौरान वर्ष 2015 में भारत और फ्राँस में शुरू किया गया एक अंतरसरकारी संगठन है।
  • रूफ टॉप सोलर कार्यक्रम: इस योजना का उद्देश्य केंद्रीय वित्तीय सहायता प्रदान करके आवासीय क्षेत्र में भारत की रूफ टॉप सौर स्थापित क्षमता का विस्तार करना है।
    • कार्यक्रम का लक्ष्य मार्च 2026 तक छत पर सौर ऊर्जा स्थापित क्षमता को 40 गीगावाट तक बढ़ाना है और यह वर्तमान में अपने दूसरे चरण में है।
  • प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना: इस योजना का लक्ष्य 1 करोड़ घरों को छत पर सौर पैनलों से लैस करना है।
  • पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना: इसका उद्देश्य भारत में घरों को मुफ्त विद्युत प्रदान करना है।
  • सूर्यग्राम: गुजरात में मोढेरा चौबीसों घंटे नवीकरणीय विद्युत आपूर्ति के साथ भारत का पहला बैटरी स्टोरेज और सौर ऊर्जा आधारित ‘सूर्यग्राम’ बन गया।
  • PLI योजना: इसका उद्देश्य पॉलीसिलिकॉन से लेकर सौर मॉड्यूल तक संपूर्ण सौर आपूर्ति शृंखला में घरेलू विनिर्माण को बढ़ाना है।
  • अन्य उपाय
    • स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति देना।
    • 30 जून, 2025 तक चालू होने वाली परियोजनाओं के लिए सौर और पवन ऊर्जा की अंतर-राज्य बिक्री के लिए अंतर राज्य ट्रांसमिशन सिस्टम (ISTS) शुल्क की छूट।
    • सौर फोटोवोल्टिक प्रणाली/उपकरणों की तैनाती के लिए मानकों की अधिसूचना।

  • एरोसोल सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करते हैं और इसे जमीन से दूर विक्षेपित कर देते हैं और वे घने बादलों का निर्माण भी कर सकते हैं, जो फिर से सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध कर देते हैं।
  • सौर अपशिष्ट: नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, भारत की मौजूदा स्थापित क्षमता से लगभग 100 किलोटन कचरा उत्पन्न हुआ है।
    • वर्ष 2030 तक यह कचरा उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 340 किलोटन तक पहुँचने का अनुमान है।
  • परिवर्तनीय ‘ब्राइट सनसाइन आवर्स’ (Bright Sunshine Hours-BHS): वार्षिक BHS  उत्तर-पश्चिम भारत में अधिक है और उत्तर, उत्तर-पूर्व और दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में कम है। चयनित स्टेशनों में से 75 प्रतिशत में बीएचएस में उल्लेखनीय कमी आई है।
    • अधिकांश स्टेशन प्री-मानसून के दौरान अधिकतम और मानसून सीजन के दौरान न्यूनतम BHS  प्रदर्शित करते हैं।

आगे की राह

  • सौर अपशिष्ट प्रबंधन
    • डेटाबेस रखरखाव: नीति निर्माताओं को भविष्य के सौर कचरे का सटीक अनुमान लगाने के लिए स्थापित सौर क्षमता का एक व्यापक डेटाबेस बनाए रखने की आवश्यकता है।
    • पुनर्चक्रणकर्ताओं को प्रोत्साहन: नीति निर्माताओं को बढ़ते सौर कचरे के प्रभावी प्रबंधन को प्रोत्साहित करने के लिए पुनर्चक्रणकर्ताओं को प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिए।
    • सौर पुनर्चक्रण के लिए एक बाजार बनाना: भारत को सौर पुनर्चक्रण के लिए एक बाजार स्थापित करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
    • सौर प्रतिष्ठानों को RPO लक्ष्यों के साथ संरेखित करना: वर्ष 2024 से नए RPO लक्ष्यों के कार्यान्वयन के साथ, सौर प्रतिष्ठानों की गति को RPO प्रक्षेपवक्र के अनुरूप होना चाहिए और किसी भी कमी को नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाण-पत्र (REC) तंत्र के माध्यम से पूरा किया जाना चाहिए।
    • ग्रिड बुनियादी ढाँचे का पुनरुद्धार: नवीकरणीय ऊर्जा से विद्युत की उतार-चढ़ाव और रुक-रुक कर होने वाली प्रकृति को समायोजित करने के लिए ग्रिड बुनियादी ढाँचे में सुधार की आवश्यकता है।
      • उच्च स्तर के विद्युतीकरण के साथ, ग्रिड बुनियादी ढाँचे को प्राथमिकता पर विकसित किया जाना चाहिए।
      • एक अच्छी तरह से जुड़ा हुआ राष्ट्रीय ग्रिड जो कई क्षेत्रों को पार करता है, ऊर्जा स्रोतों के असमान वितरण का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करता है।
  • उत्पादन के साथ ऊर्जा भंडारण को एकीकृत करना: पारंपरिक गैर-आंतरायिक जनरेटर के समान एक स्थिर विद्युत उत्पादन इकाई के निर्माण के लिए ऊर्जा भंडारण को उत्पादन के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए।
    • पंप्ड हाइड्रो स्टोरेज (Pumped Hydro Storage- PHS) परियोजनाएँ और बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (Battery Energy Storage Systems- BESS) आशाजनक ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकियाँ हैं जो ग्रिड-संतुलन सेवाओं में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
  • संरचनात्मक सुधार: डिस्कॉम के स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों का समाधान किया जाना चाहिए। डिस्कॉम के पुनरुद्धार के लिए प्रस्तावित विद्युत अधिनियम का कार्यान्वयन महत्त्वपूर्ण है।
    • नवीकरणीय क्षमता में तेजी लाने के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, डिस्कॉम निजीकरण, सख्त आरपीओ अनुपालन और अनुबंध पुनर्निवेश के खिलाफ सुरक्षा उपायों की तत्काल आवश्यकता है।
  • सौर ऊर्जा विविधताओं को समझना: विद्युत उत्पादन में सौर ऊर्जा के इष्टतम उपयोग के लिए देश भर में सौर ऊर्जा क्षमता की विविधताओं को समझना आवश्यक है, जिसके लिए सौर विकिरण और इसकी विविधताओं की सटीक जानकारी की आवश्यकता होती है।
  • पर्याप्त कौशल और प्रशिक्षण कार्यक्रम: बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं से जिला स्तर पर सकारात्मक रोजगार परिणाम हो सकते हैं, लेकिन वे राष्ट्रीय स्तर पर क्षेत्रों के बीच बड़े पैमाने पर रोजगार बदलाव का कारण बनते हैं।
    • अकुशल और गरीब आबादी को लक्षित करने वाले पर्याप्त कौशल और प्रशिक्षण कार्यक्रम आवश्यक हैं।

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