100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

हिंदू विवाह में सप्तपदी समारोह

Lokesh Pal May 15, 2024 06:30 175 0

संदर्भ

हाल ही में उच्चतम न्यायालय द्वारा डॉली रानी बनाम मनीष कुमार चंचल मामले में दिए गए निर्णय को लेकर एक निश्चित गलतफहमी यह है कि यदि कोई सप्तपदी समारोह नहीं किया जाता है, तो दो लोगों के बीच हिंदू विवाह को वैध नहीं माना जा सकता है।

मामले की पृष्ठभूमि

  • विवाह अमान्यता घोषणा के लिए याचिका: एक हिंदू महिला द्वारा तलाक संबंधी मामले  को बिहार के मुजफ्फरपुर से झारखंड के रांची में स्थानांतरित करने की माँग करते हुए एक याचिका दायर की गई थी।
    • युगल के अनुसार, उनकी शादी वैध नहीं है क्योंकि कोई रीति-रिवाज या संस्कार नहीं किया गया था।
  • वैवाहिक अनुष्ठान (Marriage Solemnisation): उन्होंने एक स्थानीय धार्मिक संगठन वैदिक जनकल्याण समिति से प्राप्त ‘विवाह प्रमाण-पत्र’ के आधार पर उत्तर प्रदेश में अपना विवाह संपन्न करने का दावा किया था।
    • इस प्रमाण-पत्र पर भरोसा करते हुए, उन्होंने उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियम, 2017 के तहत ‘विवाह पंजीकरण प्रमाण-पत्र’ प्राप्त किया और हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 8 के अनुसार अपने विवाह का पंजीकरण पूर्ण किया।
  • विवाह निरस्तीकरण के लिए अनुच्छेद-142 का आह्वान: युगल ने विवाह को शून्य घोषित करने के लिए संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत अपनी पूर्ण शक्तियों का प्रयोग करने की याचिका के साथ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की।
    • अनुच्छेद-142 उच्चतम न्यायालय को ऐसे समय में पक्षों के बीच ‘पूर्ण न्याय’ करने का अधिकार देता है, जब कानून या विधान कोई उपाय प्रदान नहीं कर सकता है।

उच्चतम न्यायालय का निर्णय

  • हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 7 के तहत आवश्यक संस्कार: हिंदू विवाह को कानूनी रूप से मान्यता देने के लिए, हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 7 के तहत सप्तपदी सहित आवश्यक संस्कारों के प्रदर्शन का दस्तावेजीकरण आवश्यक था।
    • ऐसे मामलों में जहाँ सप्तपदी का पालन किया गया है, सातवें चरण के पूरा होने पर विवाह अंतिम और कानूनी रूप से बाध्यकारी हो जाता है।
    • हिंदू कानून के अनुसार, इन संस्कारों के अभाव में विवाह को मान्यता नहीं दी जा सकती, भले ही विवाह प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया हो।
  • सप्तपदी समारोह के अभाव में विवाह पंजीकृत करने में वैधता का अभाव: यदि कोई प्रमाण-पत्र दावा करता है कि युगल ने विवाह किया है, लेकिन समारोह, अधिनियम की धारा 7 के अनुसार आयोजित नहीं किया गया था, तो धारा 8 के तहत ऐसे विवाह को पंजीकृत करने से वैधता नहीं मिलेगी। 

निर्णय को चुनौती

  • सप्तपदी विवाह संपन्न कराने की विधियाँ: सप्तपदी अनुष्ठान की व्याख्या विवाह संपन्न कराने की एकमात्र विधि के रूप में नहीं की जा सकती।
    • न्यायालय ने केवल उस बात को दोहराया, जो धारा को पढ़ने से स्पष्ट है, जिसमें कहा गया है कि हिंदू विवाह को औपचारिक रूप से पवित्र करने के लिए आवश्यक समारोहों को प्रासंगिक उपयोग या रीति-रिवाजों का पालन करना चाहिए।
  • अन्य विवाह मान्यता समारोहों की अनदेखी: न्यायालय ने निर्णय में यह रेखांकित नहीं किया कि विवाह को मान्य करने के लिए अन्य समारोह भी हो सकते हैं।
    • इसमें कुछ पारंपरिक प्रथाओं की अनदेखी की गई, जहाँ मालाओं के आदान-प्रदान के अलावा कोई विस्तृत समारोह नहीं किया जाता है।
    • उदाहरण के लिए- तमिलनाडु में, हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 7 (A) के तहत एक संशोधन किए गए सुया मरियाथाई (आत्म-सम्मान) फॉर्म के माध्यम से विवाह संपन्न किए जाते हैं।

आनुष्ठानिक विवाह (Solemnized Marriage) क्या है?

  • संबंधित तथ्य: विवाह संपन्न कराने का तात्पर्य उचित अनुष्ठानों के साथ एक आधिकारिक विवाह समारोह के प्रदर्शन से है।
  • भारत में विवाह काफी हद तक व्यक्तिगत कानूनों और विशेष विवाह अधिनियम (SMA), 1954 के माध्यम से शासित होता है। 

संबंधित पिछले निर्णय

  • एस. नागलिंगम बनाम शिवगामी मामले में (2001): तमिलनाडु ने वर्ष 1967 में विवाह समारोहों को सरल बनाते हुए हिंदू विवाह अधिनियम (MHA) में एक संशोधन पारित किया।
    • हिंदू विवाह अधिनियम (तमिलनाडु संशोधन), 1967: इस संशोधन ने हिंदू विवाह अधिनियम 1955 में धारा 7(A) को जोड़कर इसे संशोधित किया। हालाँकि, इसका विस्तार केवल तमिलनाडु राज्य तक था।

भारत में विवाह कानून

  • भारत में विवाह को नियंत्रित करने वाले व्यक्तिगत कानूनों में धार्मिक विविधता: भारत में, व्यक्तिगत कानून उस धर्म पर निर्भर करते हैं, जिसका कोई व्यक्ति पालन करता है।
    • उदाहरण के लिए, हिंदुओं, ईसाइयों और पारसियों का विवाह क्रमशः हिंदू विवाह अधिनियम (MHA) 1955, भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम तथा पारसी विवाह अधिनियम द्वारा शासित होता है।
    • मुसलमान मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट, 1937 का पालन करते हैं।
    • हिंदू विवाह अधिनियम (MHA) में लिंगायत, आर्यसमाजी, बौद्ध, जैन एवं सिख जैसे धर्म भी शामिल हैं।

हिंदू विवाह अधिनियम, 1955

  • धारा 7(1): हिंदू विवाह किसी भी पक्ष के पारंपरिक संस्कारों एवं समारोहों के अनुसार आयोजित किया जाना आवश्यक है। 
    • सप्तपदी का अनुष्ठान, हालाँकि विशिष्ट हिंदू समुदायों के बीच प्रचलित है, सभी संप्रदायों में सार्वभौमिक रूप से नहीं देखा जाता है।
    • सप्तपदी में दूल्हा और दुल्हन को संयुक्त रूप से पवित्र अग्नि के सामने सात फेरे लेने होते हैं।
  • धारा 7(2): यदि इन संस्कारों एवं समारोहों में सप्तपदी शामिल है, तो सातवें चरण के पूरा होने पर विवाह पूर्ण और कानूनी रूप से बाध्यकारी माना जाता है।

विशेष विवाह अधिनियम (SMA), 1954

  • इसमें भारत के लोगों और विदेशों में रहने वाले सभी भारतीय नागरिकों के लिए नागरिक विवाह का प्रावधान है, चाहे किसी भी पक्ष का धर्म या आस्था कुछ भी हो।
  • जब कोई व्यक्ति इस कानून के तहत विवाह संपन्न करता है, तो विवाह व्यक्तिगत कानूनों द्वारा नहीं बल्कि SMA द्वारा शासित होता है।

    • धारा 7(A)/आत्म-सम्मान विवाह: यह ‘आत्म-सम्मान एवं धर्मनिरपेक्ष विवाह’ पर विशेष प्रावधान से संबंधित है। यह कानूनी रूप से ‘किन्हीं दो हिंदुओं के बीच किसी भी विवाह’ को मान्यता देता है, जिसे ‘सुया मरियाथाई’ या ‘सेरथिरुथा विवाह’ या किसी अन्य नाम से संदर्भित किया जा सकता है।
  • इलावरसन बनाम पुलिस अधीक्षक एवं अन्य (2023): न्यायालय ने कहा कि बालाकृष्णन बनाम पुलिस निरीक्षक (2014) मामले में उच्च न्यायालय का बाद का फैसला, जिसने गोपनीयता में आयोजित सुया मरियाथाई विवाह को अमान्य माना था, गलत था।
    • सार्वजनिक घोषणा की आवश्यकता को लागू करने से कानून का व्यापक दायरा सीमित हो जाता है, लेकिन संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत संरक्षित अधिकारों का भी उल्लंघन होता है।

निष्कर्ष 

भारत में विवाह कानूनों को समझने और लागू करने के लिए धार्मिक विविधता एवं सामाजिक अपेक्षाओं पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।

  • हालाँकि हाल के निर्णय और कानूनी प्रावधान, अनुष्ठानों एवं पंजीकरण प्रक्रियाओं के पालन के महत्त्व पर प्रकाश डालते हैं, वैकल्पिक विवाह रीति-रिवाजों की मान्यता एवं विवाह प्रमाण-पत्रों के साक्ष्य मूल्य के बारे में और स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.