वर्ष 2023 में भारत में लगातार छठे वर्ष दुनिया में सबसे अधिक इंटरनेट शटडाउन हुए (वैश्विक स्तर पर 283 में से 116)।
संबंधित तथ्य
यह दुनिया भर में सभी इंटरनेट शटडाउन के 40% से अधिक है।
यह परिणाम ‘एक्सेस नाउ’ द्वारा विश्लेषित डेटा के अनुसार घोषित किया गया है।
एक्सेस नाउ एक गैर-लाभकारी समूह है जो डिजिटल अधिकारों पर ध्यान केंद्रित करता है।
वर्ष 2016 में इंटरनेट शटडाउन: भारत में वर्ष 2016 से अब तक कुल 773 बार इंटरनेट शटडाउन हुआ है, जो उस समय के दौरान दर्ज किए गए सभी शटडाउन का आधे से अधिक (53%) है।
वैश्विक स्तर पर इंटरनेट शटडाउन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, वर्ष 2022 से 2023 तक इसमें 41% की वृद्धि होगी।
इंटरनेट शटडाउन से संबंधित प्रावधान
भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की धारा 5(2): यह धारा भारत की संप्रभुता और अखंडता के हित में केंद्र सरकार और राज्य सरकार को वैध अवरोधन का अधिकार देती है।
दूरसंचार सेवाओं का अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकाल और सार्वजनिक सुरक्षा) नियम, 2017: यह प्रावधान संघ या राज्य के गृह सचिव को टेलीग्राफ सेवाओं को निलंबित करने की अनुमति देता है।
उदाहरण के लिए: सार्वजनिक आपातकाल के दौरान या सार्वजनिक सुरक्षा के लिए इंटरनेट सेवा।
टेलीग्राफ सेवाओं का निलंबन 15 दिनों से अधिक नहीं हो सकता।
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144: यह प्रावधान जिला मजिस्ट्रेटों, उप-विभागीय मजिस्ट्रेटों और राज्य सरकार द्वारा नामित अन्य अधिकारियों को उपद्रव को रोकने के लिए आदेश जारी करने की शक्ति देता है, जो परेशानी पैदा करता है या सार्वजनिक शांति को बाधित करता है।
आदेशों में किसी निर्दिष्ट क्षेत्र में निश्चित समय के लिए इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करना शामिल हो सकता है।
इंटरनेट बंद होने से अधिकारों का उल्लंघन
अनुच्छेद 19(1)(a) और अनुच्छेद 19(1)(g): इंटरनेट बंद करना भारतीयों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19(1)(a)): अनुराधा भसीन मामले, 2020 में, सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए इंटरनेट का उपयोग महत्वपूर्ण है।
पेशे का अभ्यास करने का अधिकार (अनुच्छेद 19(1)(g): इंटरनेट पेशेवरों के लिए प्रमुख भूमिका निभाता है, इसलिए इंटरनेट को बंद करना इंटरनेट के माध्यम से पेशे का अभ्यास करने के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है।
सूचना का अधिकार (अनुच्छेद 19): प्रत्येक भारतीय को सूचना प्राप्त करने का अधिकार है और इसके लिए इंटरनेट की उपलब्धता महत्वपूर्ण है। यदि इंटरनेट बंद हो जाता है, तो यह भारत की सूचना प्राप्त करने की क्षमता को सीमित कर सकता है।
इंटरनेट का अधिकार (अनुच्छेद 21): केरल उच्च न्यायालय ने जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार के तहत इंटरनेट के उपयोग को मौलिक अधिकार के रूप में स्वीकार किया है।
इंटरनेट शटडाउन के बारे में
सरकारी आदेश द्वारा इंटरनेट सेवाओं के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया।
दायरा और अवधि
भौगोलिक सीमा: किसी विशिष्ट क्षेत्र तक सीमित हो सकती है।
समय सीमा: किसी विशिष्ट अवधि, समय या दिनों की संख्या के लिए व्यवस्थित की जा सकती है।
अनिश्चित विस्तार: कभी-कभी, शटडाउन अनिश्चित काल तक बढ़ सकता है।
प्रभावित इंटरनेट सेवाओं के प्रकार
मोबाइल इंटरनेट: इसमें स्मार्टफोन पर उपयोग की जाने वाली इंटरनेट सेवाएँ शामिल हैं।
वायर्ड ब्रॉडबैंड: इसमें आमतौर पर डेस्कटॉप पर इस्तेमाल किए जाने वाले ब्रॉडबैंड कनेक्शन शामिल हैं।
संयुक्त शटडाउन: यह मोबाइल इंटरनेट और वायर्ड ब्रॉडबैंड दोनों को एक साथ प्रभावित कर सकता है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
भारत में इंटरनेट शटडाउन का आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
आर्थिक प्रभाव: इंटरनेट शटडाउन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
रिपोर्ट का अनुमान है कि वर्ष 2023 की पहली छमाही में शटडाउन से अकेले देश को 1.9 बिलियन डॉलर का नुकसान होगा और इसके परिणामस्वरूप विदेशी निवेश में 118 मिलियन डॉलर की नुकसान होगा।
रोजगार का नुकसान: इंटरनेट सोसायटी के नेटलॉस कैलकुलेटर के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि एक दिन के इंटरनेट शटडाउन से 379 लोग बेरोजगार हो सकते हैं।
शटडाउन का प्रभाव: भारत में, कई शटडाउन ने बड़े क्षेत्रों को प्रभावित किया। वर्ष 2023 में 64 शटडाउन ने एक से अधिक जिलों को प्रभावित किया।
मार्च में बहु-जिला शटडाउन की उच्च संख्या को दो विशिष्ट घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है:
पंजाब में राज्यव्यापी बंद
मणिपुर में बार-बार बंद (47 बार)
विशेष रूप से गंभीर मामला मणिपुर का था, जहाँ मई से दिसंबर 2023 तक 212 दिनों तक इंटरनेट बंद रहा (थोड़े अंतराल के साथ)।
महिलाओं पर प्रभाव: रिपोर्ट में बताया गया है कि इंटरनेट बंद होने से महिलाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
इंटरनेट तक सीमित पहुँच के कारण महिलाओं के लिए उनके विरुद्ध हिंसा सहित मानवाधिकारों के हनन का दस्तावेजीकरण करना कठिन हो जाता है, जिससे अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के प्रयासों में बाधा उत्पन्न होती है।
इंटरनेट शटडाउन का भौगोलिक दायरा और रुझान
बढ़ी हुई आवृत्ति और अवधि: भारत में इंटरनेट शटडाउन वर्ष 2023 में अधिक लगातार और लंबे समय तक चलने वाला हो जाएगा।
पाँच से अधिक दिनों तक शटडाउन वाले राज्यों की संख्या 3 से बढ़कर 7 हो गई, तथा पाँच दिनों से अधिक समय तक शटडाउन का प्रतिशत 15% से बढ़कर 41% हो गया।
व्यापक भौगोलिक प्रभाव: वर्ष 2023 में 13 भारतीय राज्यों में स्थानीय या राज्यव्यापी इंटरनेट शटडाउन हुआ, जो पिछले वर्षों की तुलना में व्यापक भौगोलिक पहुँच को उजागर करता है।
वैश्विक तुलना: यद्यपि इंटरनेट शटडाउन के मामले में भारत सबसे आगे है, लेकिन अन्य देश भी इससे प्रभावित हुए हैं।
म्यांमार (37) और ईरान (34) में 2023 में दूसरे और तीसरे सबसे अधिक शटडाउन थे। कुल 39 देशों ने इंटरनेट प्रतिबंधों का अनुभव किया।
बाह्य अभिकर्त्ता और संघर्ष: रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई गई है कि बाह्य अभिकर्त्ता संघर्ष के दौरान इंटरनेट शटडाउन को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।
सीमा संघर्ष का सामना कर रहे फिलिस्तीन और यूक्रेन में बाहरी पक्षों द्वारा बंद लागू किया गया, जबकि अन्य देशों में ऐसा नहीं हुआ जहाँ सरकार ने स्वयं प्रतिबंधों का आदेश दिया था।
इंटरनेट शटडाउन और प्लेटफॉर्म ब्लॉकिंग के कारण
शटडाउन के कारण: रिपोर्ट में भारत सहित दुनिया भर में इंटरनेट शटडाउन के विभिन्न कारणों की पहचान की गई है:
इंटरनेट बंद होने का कारण
गिनती
संघर्ष (9 देशों में)
74
विरोध प्रदर्शन (15 देशों में)
63
परीक्षा में नकल (6 देशों में)
12
प्राकृतिक आपदाएँ (4 देशों में)
4
संघर्ष (भारत सहित 9 देशों में 74 मामले) विरोध प्रदर्शन (15 देशों में 63 मामले)
परीक्षा में नकल रोकना (भारत सहित 6 देशों में 12 मामले)
प्राकृतिक आपदाओं जैसे उभरते कारण (4 देशों में 4 मामले)
इंटरनेट शटडाउन और मानवाधिकार हनन: रिपोर्ट में इंटरनेट शटडाउन और मानवाधिकार उल्लंघन के बीच चिंताजनक संबंध का खुलासा किया गया है।
11 देशों (ईरान, फिलिस्तीन, यूक्रेन, रूस और सूडान सहित) में कम-से-कम 51 शटडाउन, मानव अधिकारों के हनन के साथ घटित हुए।
वैश्विक प्लेटफॉर्म अवरोधन रुझान
प्लेटफॉर्म ब्लॉकिंग में वृद्धि: रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर प्लेटफॉर्म ब्लॉकिंग में वृद्धि का संकेत दिया गया है।
अवरुद्ध प्लेटफार्मों की संख्या में 35.6% की वृद्धि हुई, जो 29 देशों (2022) में 39 ब्लॉकों से बढ़कर 25 देशों (2023) में 53 ब्लॉक हो गई।
फेसबुक सर्वाधिक ब्लॉक किया गया प्लेटफॉर्म: वर्ष 2023 में फेसबुक दुनिया भर में सर्वाधिक ब्लॉक किया गया प्लेटफॉर्म था, जिस पर 11 देशों में 23 बार प्रतिबंध लगाए गए थे।
ग्रिंडर दूसरा सर्वाधिक ब्लॉक किया गया: ग्रिंडर, मुख्य रूप से LGBTQ+ समुदाय द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला मैसेजिंग प्लेटफॉर्म, दूसरा सर्वाधिक ब्लॉक किया गया प्लेटफॉर्म था, जिस पर उन सभी 12 देशों में प्रतिबंध लगाए गए, जहाँ डेटा उपलब्ध था।
अन्य ब्लॉक किए गए प्लेटफॉर्म: ट्विटर (10 देशों में 21 बार), व्हाट्सएप (9 देशों में 19 बार) और यूट्यूब (7 देशों में 17 बार) जैसे अन्य प्रमुख प्लेटफॉर्म भी सरकारों द्वारा ब्लॉक किए गए थे।
ब्लॉक किए गए प्लेटफॉर्म की कम गिनती: रिपोर्ट प्लेटफॉर्म ब्लॉकिंग की पूरी तस्वीर को कैप्चर करने में सीमाओं को स्वीकार करती है। स्थानीयकृत प्लेटफॉर्म प्राथमिकताएँ, छोटे उपयोगकर्ता आधार वाले देशों में सीमित डेटा, असंगत सरकारी कार्यान्वयन और VPN का उपयोग जैसे कारक कम गिनती में योगदान कर सकते हैं।
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